जौ (Barley) के फायदे और गुणों को देखते हुए लोगों में इसके प्रति दिलचस्पी और जागरूकता दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रही है। इस तथ्य की पुष्टि इस बात से की जा सकती है की आजकल हजारों की तादात में लोगों द्वारा जौ के फायदे और नुकसान के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया जा रहा है ।
आजकल लोगों में कई तरह की स्वास्थ समस्याओं के बढ़ने के कारण, वे स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की तलाश में लगे हुए हैं। और जौ न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह आवश्यक पोषण तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है इसलिए लोगों की दिलचस्पी इसके प्रति होना स्वाभाविक है।
हालांकि जौ के फायदे कई होते हैं, लेकिन इसके संभावित नुकसानों के बारे में भी हमें जागरूक रहना बहुत जरूरी है। हर खाद्य पदार्थ की तरह, जौ के अनियंत्रित सेवन के भी अपने दुष्प्रभाव हो सकते हैं और खास कर उन व्यक्तियों के लिए जो किसी विशेष स्वास्थ समस्या से ग्रषित हैं।
इसलिए, हमें न केवल इसके फायदों के प्रति जागरूक रहने की जरूरत हैं। बल्कि इसके संभावित नुकसानों की भी जानकारी रखना आवश्यक है ताकि हम पूर्ण रूप से अपने आपको स्वस्थ रख सकें। तो चलिए जौ के फायदे और नुकसान के बारें में विस्तार से समझतें हैं।
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जौ के फायदे (Benefits of Barley in Hindi)
पौष्टिकता (Nutrition): जौ को एक पौष्टिक आहार के रूप में जाना जाता है जिसमें फाइबर, विटामिन (विशेषकर विटामिन बी ), और खनिज (लोहा, मैग्नीशियम, आदि) की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पोषण तत्व शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने और विकसित करने में मदद करते हैं।
USDA के अनुसार, 100 ग्राम जौ में शामिल पोषक तत्व:-
- कैलोरी: 352 किलो कैलोरी
- प्रोटीन: 9.91 ग्राम
- वसा: 1.16 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट: 77.7 ग्राम
- फाइबर: 15.6 ग्राम
- कैल्शियम: 29 मिलीग्राम
- आयरन: 2.5 मिलीग्राम
- मैग्नीशियम: 79 मिलीग्राम
- फॉस्फोरस: 221 मि.ग्रा
- पोटैशियम: 280 मि.ग्रा
- विटामिन बी6: 0. 26 मिलीग्राम
- विटामिन ए: 22 आईयू
डायबिटीज कंट्रोल (Diabetes Control): जौ में मौजूद कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण इंसुलिन के स्तर में सुधार होता है जो रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ पहुंचा सकता है।1
इसके अतिरिक्त जौ में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे रक्तप्रवाह में शर्करा का अवशोषण धीमा हो जाता है जो मधुमेह होने के जोखिम को कम कर देता है।2
हृदय स्वास्थ्य (Heart Health): साबुत अनाज हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। जौ भी साबुत अनाज परिवार से सम्बन्धित है इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है की रोजाना जौ का सेवन करने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
जौ में सोल्यूबल फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं जिनसे कोलेस्ट्रॉल स्तर भी नियंत्रित रहता है, इसलिए जौ के फायदे में ह्रदय के स्वास्थ्य को सुधारना भी शामिल है ।
वजन प्रबंधन (Weight Management): जौ भूख को नियंत्रित करता है, और पेट भरा-भरा सा लगता है, क्योकि इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है और खास तौर पर बीटा-ग्लूकेन नाम का फाइबर पाया जाता है। यह आसानी से घुलनशील फाइबर होता है जो पोषक तत्वों के पाचन और अवशोषण को धीमा कर देता है। जिससे भूख कम लगती है और वजन प्रबंधन में आसानी होती है।
डाइजेशन (Digestion): जौ डाइजेशन में फायदा पहुँचता हैं, और यह इसमें पाए जाने वाले फाइबर के कारण ही होता है। फाइबर युक्त आहार कब्ज को रोक सकते हैं और पाचनतंत्र को बेहतर कर सकते हैं। इसलिए जौ आंतों की कार्य क्षमता को बेहतर करके पाचन क्रिया बेहतर कर सकता है और कब्ज की समस्या को खत्म कर सकता है।
उच्च रक्तचाप (Hypertension): जौ में उच्च फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खनिज, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, एंटीऑक्सिडेंट और नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन की क्षमता उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदत कर सकता है।
इसलिए नियमित व्यायाम और स्वस्थ आदतों के साथ-साथ संतुलित आहार में जौ को खाने से रक्तचाप प्रबंधन में सहायता मिल सकती है।
जौ में भरपूर पोषक तत्व की मौजूदगी इसे एक सुपर फ़ूड बना देते हैं। यहाँ बताये गए जौ के फायदों के अतरिक्त भी फायदे हो सकते हैं यहाँ केवल जौ के महत्वपूर्ण फायदों का ही जिक्र किया गया है। लेकिन जौ के नुकसान भी हो सकते हैं, लेकिन कैसे! चलिए समझतें हैं।
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जौ के नुकसान (Drawbacks of Barley in Hindi)
ग्लूटेन सेंसिटिविटी (Gluten Sensitivity): जौ में ग्लूटेन होता है जो एक प्रकार का प्रोटीन होता है। ग्लूटेन सेंसिटिविटी या सेलिएक रोग (Celiac Disease) से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसलिए जो लोगों ग्लूटेन सेंसिटिव होते हैं उनको इसके प्रयोग से बचना चाहिए।
गैस और पेट में तकलीफ (Gas and Digestive Discomfort): फाइबर हमारे पाचन को बेहतर बनता है लेकिन अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन गैस और पेट फूलने की समस्या उत्पन्न कर सकता है। क्योकि जौ में उच्य मात्रा में फाइबर पाया जाता है इसलिए इसका अधिक सेवन पेट सम्बन्धी समस्याओं को उजागर कर सकता है।
दस्त की समस्या: जौ में लैक्सेटिव गुण पाया जाता है जो मल को मुलायम करता है। इसलिए जौ के अधिक सेवन करने से दस्त की समस्या हो सकती है।
हाइपोग्लाइसीमिया की संभावना: जौ का अधिक सेवन आपके रक्तप्रवाह में शर्करा की मात्रा को कम कर सकता है। यदि शर्करा की मात्रा सामान्य स्तर से नीचे चला जाता है, तो इसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। इसलिए, नियमित रूप से जौ के अधिक सेवन से बचें और नियमित जाँच और डॉक्टरी सलाह लें।
यौन हार्मोन पर प्रभाव (Effect on Hormones): अत्यधिक मात्रा में जौ का सेवन करने से इसके फाइबर कंटेंट के कारण कुछ हार्मोनल स्तरों और मासिक धर्म के चक्र पर प्रभाव पड़ने की संभावना हो सकती है।
अधिक सेवन से जौ के नुकसान को देखते हुए, यह समझना बहुत आसान हो जाता है की जौ का सेवन नियंत्रित मात्रा में किया जाना चाहिए। जौ के अधिक सेवन करने से यहाँ बताये गए नुकसानों से अलावां अन्य कई समस्याएं देखने को मिल सकती है। अब यह सवाल उत्तन्न होता है की कैसे जौ के नुकसान को कम किया जा सकता है, तो चलिए समझते हैं।
सुरक्षा के उपाय
डायटिशियन से सलाह (Consult a Dietitian): विशेष रूप से जब बड़े पैमाने पर आहार में परिवर्तन करने की बात आती है, तो हम सबको एक पेशेवर डायटिशियन या हेल्थकेयर पेशेवर से सलाह लेने की सलाह देते हैं। खासकर वे व्यक्ति जो किसी स्वास्थ समस्या से जूझ रहें है या पहले किसी विशेष प्रकार के रोग से पीड़ित रह चुके हों, उन्हें खुद डायटिशियन से मिलकर अपने आहार में परिवर्तन करने से पहले सलाह लेनी चाहिए।
ग्लूटेन सेंसिटिविटी की जांच (Gluten Sensitivity Check): अगर किसी को जौ के सेवन के बाद किसी नकारात्मक लक्षण जैसे पेट दर्द, खुजली, दस्त आदि महसूस होता है तो उनको ग्लूटेन सेंसिटिविटी या सेलिएक रोग की सम्भावन हो सकती है इसलिए डॉक्टर से परामर्श और जाँच कराएं।
निष्कर्ष
जौ के फायदे, पोषक तत्व और गुणों के आधार पर इसे एक सुपर फ़ूड के तौर पर जाना जाता है। जौ न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह आवश्यक पोषण तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है जैसे डायबिटीज कंट्रोल करता है, हृदय स्वास्थ्य में बेहतर, वजन प्रबंधन में मदत करता है, डाइजेशन बेहतर करता है, आदि।
जौ के फायदे तो अनेक हैं लेकिन अधिक उपयोग से जौ के नुकसान भी हो सकते हैं जैसे ग्लूटेन एलर्जी, गैस बनाना, कब्ज, दस्त आदि। इसलिए यह जरूरी है की जिन लोगों में जौ से एलर्जी, या किसी अन्य समस्या का अनुभव हो तो वे तुरंत ही डॉक्टर से परमर्श करें।
क्या रोज जौ खाना अच्छा है?
रोज़ जौ का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। जौ में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, और खनिज पाए जाते हैं जो पाचन और शारीरिक सेहत को सुधारने में मदद करते हैं। ध्यान दें कि अधिक जौ का सेवन कई समस्याएं भी पैदा कर सकता है इसलिए इसका उपयोग नियंत्रित मात्रा में करें और स्वस्थ समस्या में डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।
जो की तासीर क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार जौ की तासीर ठंडी होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल गर्मी के मौसम में करना फायदेमंद हो सकता है। इसकी ठंडी तासीर होने के कारण यह शरीर को शीतल रखता है, वजन कम करता है, और पेट सम्बन्धी समस्याओं से राहत प्रदान कर सकता है। लेकिन इसका प्रभाव व्यक्तिगत होता है और यह आपके भोजन और जीवनशैली के साथ भी निर्भर करता है।
जौ का पानी पीने के क्या फायदे हैं?
जौ के पानी के पीने के कई स्वास्थ्य फायदे हो सकते हैं जैसे – यह हमें हाइड्रेटेड रखता है, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है, पाचन क्रिया में सुधार, वजन प्रबंधन में मदत करता है, आदि।
जौ किसे नहीं खाना चाहिए?
जिन लोगों में जौ के प्रति एलर्जी हो, जो लोग ग्लूटेन इंटॉलरेंस (सेलिएक रोग) या ग्लूटेन सेंसिटिविटी का शिकार है और कुछ स्वास्थ समस्याओं में जैसे डायबिटीज, अल्लर्जी, किडनी स्टोन्स, आदि स्वास्थ्य समस्याओं में जौ को खाने से परहेज करना चाहिए।
संदर्भ
- Tosh, Susan M., and Nicolas Bordenave. “Emerging science on benefits of whole grain oat and barley and their soluble dietary fibers for heart health, glycemic response, and gut microbiota.” Nutrition reviews 78.Supplement_1 (2020): 13-20. ↩︎
- Minaiyan, M., et al. “Effect of Hordeum vulgare L.(Barley) on blood glucose levels of normal and STZ-induced diabetic rats.” Research in pharmaceutical sciences 9.3 (2014): 173. ↩︎