हाई ब्लड प्रेशर: लक्षण, कारक, निदान

हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)जिसे हिपेरटशन भी कहा जाता है आजकल लोगों में एक समान्य बीमारी बनती जा रही है, हर घर में इससे पीड़ित व्यक्ति देखने को मिल रहे हैं। यहाँ तक की नौजवानो को भी हाई ब्लड प्रेशर ने अपने घेरे में ले रहा है। उच्च रक्तचाप होने ...

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Akash Yadav

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हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)जिसे हिपेरटशन भी कहा जाता है आजकल लोगों में एक समान्य बीमारी बनती जा रही है, हर घर में इससे पीड़ित व्यक्ति देखने को मिल रहे हैं। यहाँ तक की नौजवानो को भी हाई ब्लड प्रेशर ने अपने घेरे में ले रहा है।

उच्च रक्तचाप होने के शुरुआती लक्षण पता न चल पाने के कारण इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। इससे कई तरह की बीमारिया होने और हार्ट अटैक भी खतरा बना रहता है। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है

वैसे उच्च रक्तचाप का अनुभव हर कोई करता है जैसे जब हमें एक्ससाइटमेंट होती है, जब हमें डर लगता है तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है और हम हाई ब्लड प्रेशर अनुभव करते हैं।

लेकिन यहाँ यह समझना बेहद जरूरी है की इस स्थिति में यह कोई बीमारी नहीं होता है क्योकि यह थोड़े समय बाद नार्मल हो जाता है और हम समान्य जिंदगी जी सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है? (What is high blood pressure)

blood pressure in hindi

हाई ब्लड प्रेशर आपके नाड़ियों में बह रहे खून के रफ्तार के कारण नशों पर पड़ने वाला फाॅर्स है। खून की रफ़्तार जितनी ज्यादा होगा नशों पर प्रेशर उतना ज्यादा लगता है और यह बढ़ा हुआ प्रेशर ही हाई ब्लड प्रेशर होता है। 

जैसा की आपको पता है की हमारा  हृदय खून पंप करने की मशीन है जो 24 घंटे खून को पंप करता है, जिसकी मदत से खून शरीर के सभी हिस्सों तक पहुँचता है और वहां पोषण और ऑक्सीजन पहुँचता है।

लेकिन हमारी नशों का पतला हो जाने से या हृदय के द्वारा ज्यादा खून पंप करने से हमारी नशों की दीवारों पर प्रेसर पहुँचता है और जब खून से धमनियों और नशों की दीवार पर पड़ने वाला दवाब समय के साथ धीरे धीरे बढ़ता रहे और आसानी से नार्मल ना हो, तो इसे हइपेरटशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी कहा जाता है।

उच्च रक्तचाप के कितने चरण हो सकते हैं?

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन चार अलग-अलग चरणों में सूचीबद्ध किया जा सकता है:

  • स्टेज 1: प्री-हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है।
  • स्टेज 2: माइल्ड हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है।
  • स्टेज 3: मध्यम उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप की सीमा 160/110-179/109 है।
  • स्टेज 4: गंभीर उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप 180/110 या उससे भी अधिक हो।

हाई ब्लड प्रेशर के प्रमुख कारक । (High Blood Pressure fector in Hindi)

हाई ब्लड प्रेशर के कई कारक हो सकता है लेकिन सबसे मुख्य कारण अनियमित लाइफस्टाइल का होना है। आज कल जैसे जैसे हमारे लाइफस्टाइल में बदलाव आता जा रहा है लोगों में ऐसी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं।

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  • आनुवंशिकी: अगर परिवर में किसी को यह बीमारी हो तो बहुत चांस है की यह हमें भी हो जाये।
  • धूम्रपान: यह हमारे लंग और हार्ट को बुरी तरह से प्रभावित करता है जो हार्टअटैक का बड़ा कारण है।
  • मोटापा: मोटापा न केबल हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ता है बल्कि और भी बहुत सी बिमारिओं की जड़ होता है।
  • कम शारीरिक गतिविधि: टेक्नॉलजी की बजह से लोगों की शारीरिक एक्टिविटी दिन प्रतिदिन बहुत कम होती जा रही है जो यैसी बिमारिओं का कारक बन रही है।
  • नमक और शराब का अधिक सेवन: ज्यादा नमक के सेवन से ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है और शराब का सेवन करने से हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म पर असर पहुँचता है जो हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।
  • तनाव: तनाव लेने से हमारी दिल की धड़कन बढ़ती है और लम्बे समय से तनाव में रहने से हाई ब्लड प्रेशर होने की समस्या देखने को मिलती है।
  • उच्च वसा वाले और जंक फ़ूड का सेवन: यैसे खाद्य पदार्थो के सेवन से शरीर में वासा की मात्रा बढ़ती है जिससे नशें पतली होने की समस्या हो सकती है और यह उच्य रक्तचाप का कारक बनता है।
  • मधुमेह: मधुमेह यानी डीबटीज के रोगियों में उच्च रक्तचाप होने की सम्भावना अधिक होती है।
  • स्लीप एपनिया जैसी चिकित्सीय स्थिति
  • किडनी की पुरानी बीमारी
  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी होने की सम्भावना रहती है।
  • बढ़ती उम्र: जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे उच्च रक्तचाप का जोखिम भी बढ़ता है।

उच्च रक्तचाप के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

हालाँकि उच्च रक्तचाप के शुरूआती लक्षण अक्सर लोगों को महशुस नहीं होते हैं इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है। लेकिन अगर कुछ लक्षण की बात करें तो उसमें- चक्कर आना, सिरदर्द, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, दृष्टि में बदलाव, नाक से खून बहना, संकेत हो सकते हैं।

ध्यान देने वाली बात ये है की ये लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। इसलिए हमरी सलाह यह होगी कि उच्च रक्तचाप का पता लगाने के लिए डिजिटल मशीन या स्फिग्मोमैनोमीटर के माध्यम से ही रक्तचाप को मापें। और अधिक समस्या होने पर डॉक्टर को जरूर मिलें।

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली दिक्क्तें। (High Blood Pressure Complications in Hindi)

उच्च  रक्तचाप एक गंभीर बीमारी है जो जानलेवा भी हो सकती है, इससे कई तरह की शारीरिक दिक्क़ते भी देखने को मिलती हैं। अनियमित रक्तचाप से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे-

  • दिल का दौरा या स्ट्रोक
  • धमनीविस्फार(अनुरिस्म)
  • दिल की धड़कन रुकना
  • किडनी की कमजोर और संकुचित रक्त वाहिकाएं
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम
  • समझने या याद रखने में परेशानी
  • डिमेंशिया हो सकता है
  • आखों की रक्त कोकिकाओं का कमजोर होना

हाई ब्लड प्रेशर का इलाज ( Tretment of high blood pressure)

उच्च रक्तचाप का अनुभव होते ही यह सबसे जरूरी हो जाता है की डॉक्टर से मिला जाये। डॉकटर जाँच करके आपके लिए बेहतर इलाज निर्धरित करने में मदत कर सकता है। वह जाँच करेगा की आपको किस प्रकार का उच्च रक्तजाप है, इसकी स्टेज क्या है, और होने का कारण क्या है?

अगर डॉक्टर उच्च रक्तचाप होने का कारण का पता लगा लेता है तो इलाज उस कारण पर केंद्रित हो जाता है जैसे आप का ब्लड प्रेशर किसी दवा खाने की वजह से बढ़ रहा है तो वह उस दवा को बदल सकता है और दूसरी दवा दे सकता है।

लेकिन कई बार ब्लड प्रेशर अनुवांशिक होने या ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल न होने की स्तिथि में जिसमे रक्तचाप बढ़ता रहता है डॉकटर आपको ब्लड नियत्रक दवाइयां लम्बे समय तक लेने का सलाह दे सकता है और जीवन शैली में बदलाव लेन को कह सकता है।

उच्च रक्तचाप की प्रमुख दवाएं 

Woring- किसी भी प्रकार की मेडिकेशन को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले!

बीटा-ब्लॉकर्स, मूत्रवर्धक, एसीई अवरोधक, एंजियोटेंसिन 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, अल्फा -2 एगोनिस्ट उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दी जाती हैं।

हाई ब्लड प्रेशर होने से बचाव। (Prevention of high blood Pressure)

उच्च रक्तचाप होने की रिस्क को काफी हद तक काम किया जा सकता है अगर हम अपने लाइफ स्टाइल को सुधार लेते है तो जैसे-

  • नियमित योग और व्यायाम: व्यायाम और योग के गुणों को बताने की जरूरत नहीं है सभी इसके महत्त्व को जानते है लेकिन बस इसे करने की जरूरत है जिसमे हम आना-कानी करते है। और नियमित रूप से भी करना बेहद जरूरी है।
  • अच्छा आहार खाएं: बहार का खाना जिसमे साफ सफाई का ध्यान नहीं दिया गया हो, जंक फ़ूड, और बहुत अधिक तेलीय भोजन हमारे स्वस्थ के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसकी बजह से हमें ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है इसलिए स्वस्थ भोजन करना बहुत जरूरी है जिसमे हरी साग सब्जियां, फल, ड्राई फ़ूड, आदि शामिल हो सकते हैं।
  • शारीरिक तौर पर सक्रिय रहें: व्यस्त लाइफ स्टाइल में भी हम शारीरिक तौर पर बहुत निष्क्रिय रहते है। ऑफिस जाने के लिए विहीक्ल का इस्तेमाल करने हैं और वहां पर भी अक्सर बैठे ही रहते है और घर आने के बाद बिस्तर पकड़ लेते हैं। यह दिनचर्या धीरे धीरे हमारे स्वस्थ पर असर डालने लगती है। इसलिए शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना बहुत जरूरी है।
  • धूम्रपान और शराब के सेवन न करें: यह हमरे लंग, हार्ट के आलावा हमरे मेटाबोलिज़म पर बहुत गहरा असर डालता है और हार्ट अटैक की जोखिम को भी बढ़ा देता है। जिससे अनेको बीमारिया होती हाँ और उनमे से उच्च रक्तचाप एक है, इसलिए इसको तुरंत छोड़े।
  • पर्याप्त नींद लें: गहरी नींद के दौरान हमारा शरीरी, शरीर में आये सभी विकारों और बिमारियों से लड़ता है, हार्ट को स्वस्थ रखता है। इसलिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी हो जाता है।
  • चिंता कम करें: अधिक चितन करने से हमारा हार्ट जोर से धड़कता है, मन बेचैन रहता है, जिससे मानशिक और शारीरिक बीमारियां देखने को मिलती है। इसलिए ध्यान लगाने और योग के माध्यम से चिंता कम करने का प्रयास करें।
  • मोटापा कम करें: मोटापा अनगिनत बिमारियों का जड़ होता है। मोटापा के कारण नसों में ब्लॉकेज आ सकता ही जो हार्ट सम्बन्धी बिमारियों को भी बुलाता है और हाई ब्लड प्रेशर का एक प्रमुख कारक है। इसलिए मोटापा को ख़त्म करना बेहद जरुरी है।

चार्ट के माध्यम से हाई ब्लड प्रेशर को समझें:

Blood Pressure in hindi
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