माइंडफुलनेस मेडिटेशन: अर्थ, लाभ और कैसे करें | Mindfulness meditation in Hindi

भारत में साधना या ध्यान लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। हजारों सालों से लोग कई कारणों से ध्यान करते आ रहे हैं, जिनमें आध्यात्मिक, दार्शनिक और धार्मिक कारण प्रमुख हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने ध्यान और इसे करने के विधियों पर आधुनिक ...

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Anshika Sharma

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भारत में साधना या ध्यान लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। हजारों सालों से लोग कई कारणों से ध्यान करते आ रहे हैं, जिनमें आध्यात्मिक, दार्शनिक और धार्मिक कारण प्रमुख हैं।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने ध्यान और इसे करने के विधियों पर आधुनिक उपकरणों और वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करके काफी शोध किया है और इनका परिणाम काफी चौंकाने वाले रहे हैं। इन अध्ययनों में मेडिटेशन करने वाले लोगों के दिमाग, सेहत और जीवन में कई तरह के बदलाव देखे गए।

हो सकता है की आपको भी कई सवाल सोचने पर मजबूर करते होंगे जैसे:- ध्यान करने वालों के मन में क्या परिवर्तन आता है? ध्यान के पीछे का विज्ञान क्या है? ध्यान के बारे में ऐसी कौन सी बातें हैं जो हमको पता होनी चाहिए?

तो चलिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन के बारे में विस्तार से जानते है, ताकि इससे हम अपने जीवन को बेहतर बना सकें।

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माइंडफुलनेस मेडिटेशन क्या है

माइंडफुलनेस मेडिटेशन को जानने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है की ध्यान क्या होता है। ताकि माइंडफुलनेस को समझने में हमें अधिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। ध्यान जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है की इसका अर्थ अपने सोच या विचार को एक स्थान पर केंद्रित करना होता है।

हालांकि ध्यान के कई प्रकार और रूप हो सकते हैं इसलिए ध्यान को परिभाषित करना बहुत कठिन हो जाता है क्योकि इसके प्रकारों के हिसाब से इसकी परिभाषाएं अलग अलग हो सकती है।

ध्यान के कई प्रकारों में से हम इस ब्लॉग पोस्ट में एक प्रकार माइंडफुलनेस मेडिटेशन (Mindfulness meditation in Hindi) के बारे में बात कर रहे हैं। तो चलिए अब जानते हैं की माइंडफुल मैडिटेशन क्या होता है?

माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक खास तरह का ध्यान होता है जिसमें हर पल खुद को अपने आसपास की चीजों को, और अपने विचारों को लेकर जागरुक रहना होता है, जैसे मान लीजिए कि आप खाना खा रहे हैं तो आपका ध्यान पूरी तरह से खाने पर होना चाहिए यानि आप अपने खाने की क्रिया को बारीकी से नोटिस करें, की कैसे आपके दातों के तले खान कैसे पीस रहा है, और आपके मुँह की मूवमेंट कैसे हो रहे है।

अधिकार लोगों के लिए यह बहुत ही आसान होता है क्योकि आप किसी भी वक्त कोई भी काम कर रहे हो बस आपको अपने विचार और काम के प्रति जागरूक रहना होता है। और हर क्रिया, प्रतिक्रिया और विचार को नोटिस करना होता है।

ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करते समय मन में कोई दूसरा विचार नहीं आता है। मन में दुसरे अन्य विचार आना स्वाभाविक है लेकिन हमें मन में आने वाले अन्य विचारों को बलपूर्वक रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। मन में तरह-तरह के कई विचार आते रहेंगें, लेकिन हमारे मष्तिस्क में जो विचार आते हैं बस हमें उन विचारों के प्रति जागरूक रहने की कोशिश करना चाहिए। इसे ही माइंडफुलनेस मेडिटेशन कहते हैं।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन कैसे करें?

जैसा की हमने ऊपर चर्चा किया की माइंडफुल मैडिटेशन को हम किसी भी वक्त और कही पर भी कर सकते है, यहाँ तक की हम अपना कोई भी काम करते समय भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। बस हमें अपने काम, मन, और विचार के प्रति जागरूक रहने की जरूरत होती है।

अपने आस पास होने वाली छोटी छोटी चीजों को बारीकी से ओब्सोर्ब करें और महसूस करने की कोशिश करें, और अगर आप कुछ सोच रहें हैं तो मस्तिष्क में आने वाले प्रत्येक विचार के प्रति जागरूक रहने की कोशिश करें की आप क्या सोच रहें हैं।

लेकिन आमतौर पर, कुछ लोग अपनी सुविधा के लिए अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और अपनी सांसों पर, अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों पर, या अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हैं।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन Hermedy

माइंडफुलनेस मेडिटेशन के फायदे

हालाँकि मैडिटेशन या ध्यान करने से मिलने वाले लाभों से हम अनजान नहीं है। इसके महत्त्व व लाभों की वजह से ही हजारों वर्षों से भारतीय परम्परा में इसका प्रयोग किया जा रहा है। कई प्राचीन ग्रंथों में ध्यान को व्यक्ति के व्यक्तित्व के सुधारक के रूप में दर्शाया गया है, यह काम, क्रोध, लालच जैसी बुराइयों से दूर रहने का एक साधन बताया गया है।

लेकिन वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से हुए शोध में भी माइंडफुलनेस मैडिटेशन करने वालों में करुणा, सहानुभूति, आत्म-जागरूकता और सीखने से संबंधित मस्तिष्क में कई बदलाव पाया गया।

माइंडफुलनेस मैडिटेशन उच्च रक्तचाप और हृदय की गति को नियंत्रित करने वाले अंगों को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। माइंडफुलनेस मैडिटेशन करने से चिंता और भय की भावनाओं को कम करने में भी मदद कर सकता है।

वैज्ञानिक परीक्षण में यह पाया गया की जो लोग कई सालों से माइंडफुलनेस मैडिटेशन अभ्यास कर रहे हैं उनका दिमाग दूसरे लोगों से बहुत अलग हो जाता है। माइंडफुलनेस मैडिटेशन करने वाले लोगों में यादास्त में सुधार देखा जा सकता है इसके अलावां वे पहेली व रेसोनिंग से जुड़े परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

नियमित रूप से माइंडफुल मेडिटेशन करने वाले लोगों के शरीर और दिमाग में आ रहे इन बदलावों के कारण उनके रोजमर्रा के काम काज के प्रदर्शन में भी काफी सुधर देखने को मिलता है। जिस कारण से वे अकादमिक और नौकरी आदि में उनका प्रदर्शन काफी बेहतर होता है।

क्या ध्यान लगाने से व्यक्ति की उम्र बढ़ सकती है?

हमारा शरीर कई कोशिकाओं से बना है, हमारी प्रत्येक कोशिका में क्रोमोसोम होता है और ये क्रोमोसोम हमें अपने माता-पिता से मिलते हैं। क्रोमोसोम डीएनए से मिलकर बना होता है। इन क्रोमोसोम की एक पूँछ होती है इस पूँछ का नाम टेलोमेयर होता है।

जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, क्रोमोसोम अपनी कई कॉपीयां बनाने लगते हैं और इनकी जितनी अधिक कॉपीयां बनती जाती हैं, टेलोमेयर उतने ही छोटे होते जाते चले जाते हैं। इसलिए टेलोमेयर जितना छोटा होगा, क्रोमोसोम की उम्र उतनी ही कम होगी।

जो लोग मेडिटेशन करते हैं उनके क्रोमोसोम का टेलोमेयर दूसरों की तुलना में लंबे होते हैं। इसलिए यह दावा किया जाता है कि ध्यान करने वाले अधिक समय तक जीवित रहते हैं।

माइंडफुल मेडिटेशन का मानसिक रोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हर कोई व्यक्ति किसी ना किसी मानसिक परेशानियां का जीवन में कभी न कभी अनुभव करता ही है और ध्यान इस मामले में बहुत मदत कर सकता है।

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मनोचिकित्सा के साथ माइंडफुलनेस मेडिटेशन तनाव चिंता और मानसिक रोगों से लड़ने में मदद कर सकता है। क्योकि ध्यान करने से हम उन विचारों को बेहतर ढंग से समझने लगते हैं जो हमें मानसिक रोगों की ओर ले जाते हैं और उन पर हमारा नियंत्रण बेहतर होने लगता है।

अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है की क्या मेडिटेशन सभी प्रकार की मानशिक बिमारियों को ठीक कर देता है। तो यह जानना बेहद जरूरी है की मैडिटेशन मस्तिष्क के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन मेडिटेशन को सभी मानशिक बीमारियों की दवा समझ लेना बिलकुल गलत होगा। ध्यान कई गंभीर मानसिक बीमारियों के लिए मौजूदा इलाज का विकल्प नहीं है।

मेडिटेश किसी बीमारी या मानसिक बीमारी के इलाज में एक सहारा बन सकता है लेकिन किसी बीमारी का इलाज बन पाना थोड़ा कठिन है। हालाँकि यह अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है।

ध्यान के बारे में हमारे पास अभी भी बहुत कम शोध है, इसे और भी तलाशने की जरूरत है। और ध्यान पर जो अध्ययन हुए हैं उनकी भी अक्सर आलोचना होती ही रहती है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अध्ययन करने की वैज्ञानिक तकनीकें

माइंडफुलनेस मेडिटेशन के प्रभावों और लाभों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने आम लोगों पर कई अध्ययन किए हैं। और इन अध्यनों को करने के लिए FMRI और IIG जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, अक्सर इन तकनीकों का इस्तेमाल हमारे दिमाग का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

EEG का मतलब इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी होता है। इसमें आपके दिमाग में उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रिक सिग्नल को बारीकी से देखा जाता है और इसकी मदद से आपके दिमाग में चलने वाली हलचल का पता लगाया जाता है।

FMRI का मतलब कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग होता है। FMRI से हमारे दिमाग में रक्त के बहाव पर नजर रखी जाती है। स्पष्ट है कि दीमक के भाग में अधिक सक्रियता होगी तो मस्तिष्क के उस हिस्से में अधिक रक्त प्रवाह भी होगा और FMRI इसी का पता लगता है।

इन दोनों तकनीकों के इस्तेमाल से यह बात सामने आई कि जो लोग माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं उनके दिमाग में सिर्फ 2 हफ्ते के अंदर ही बदलाव आने लगते हैं।

माइंडफुल मेडिटेशन पर किये गये शोध

2010 में हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने माइंडफुलनेस मेडिटेशन जुड़ा एक अहम अध्ययन किया। इस अध्ययन में वॉलंटियर के फोन पर एक ऐप इंस्टॉल किया गया और उस ऐप के जरिए उन वॉलंटियर्स से दिन के किसी भी समय रैंडम सवाल पूछे गए। जैसे वे अभी क्या कर रहे हैं? उसका ध्यान उस काम पर है या नहीं, या वह किसी और काम के बारे में सोच रहे हैं।

इस अध्ययन से पता चला कि लगभग 47% समय लोगों का ध्यान भटकता था, और उनका ध्यान काम पर नहीं होता था। शोधकर्ताओं के अनुसार विचलित मन हमारे अंदर दुख पैदा करता है और कई बार दीमक हमारा ही दुश्मन बन जाता है। लेकिन अपने शत्रु मन को मित्र बनाने के लिए ध्यान एक लाभकारी तकनीक है।

निष्कर्ष

भारतीय दर्शन का ध्यान करना बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हजारों वर्षों से अभ्यास किया जा रहा है। क्योकि ध्यान का अध्यन कई तरीके से किया जाता सकता है इसलिए ध्यान कई प्रकार के हो सकते हैं। उन्ही में से एक प्रकार माइंडफुलनेस है जिसे करना बहुत आसान है और कहीं भी कभी भी किया जा सकता है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन में केवल आपको अपने विचारों और कार्यों के प्रति हमेशा जागरूक रहने की जरूरत होती है जैसे अगर आप टहल रहें है तो केवल टहलिए नहीं, अपने शरीर के हर मोवेमेंट पर ध्यान दीजिये। और अगर आपके मन में कोई विचार उत्त्पन हो रहे हो तो यह समझने को कोशिश करिये की आप क्या सोच रहें हैं, कहने का मतलब है अपने विचार और कार्यों के प्रति जागरूक रहिये।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन के फायदे बहुत है जैसे चिंता, काम, क्रोध आदि बुरे विचारों से बचा जा सकता है। इसके अतरिक्त मस्तिष्क का विकास और कई बीमारियां जैसे हाई ब्लड प्रेशर और अन्य ह्रदय सम्बन्धी समस्याओं से राहत मिल सकती है। इसलिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन को प्रतिदिन करने से समग्र स्वस्थ के विकास में एक अहम् भूमिका निभा सकता है।

अक्सर पूछे गए सवाल:

क्या माइंडफुलनेस मेडिटेशन काम करता है?

माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने से ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक फायदे भी हो सकते है। यह रक्तचाप और हृदय की गति को नियंत्रित करने में मदत कर सकता है इसके अतरिक्त तनाव, चिंता और मस्तिष्क के कार्य क्षमता में सुधार देखा जा सकता है। जिस वजह से व्यक्ति का अकादमिक और नौकरी आदि में प्रदर्शन काफी बेहतर होता है।

माइंडफुलनेस तनाव में कैसे मदद करती है?

माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से हम अपने वर्तमान स्थिति से जागरूक रहते हैं, और नकारात्मक विचारों को पहचान सकते हैं जो तनाव को कम कर सकता है। ध्यान जैसी माइंडफुलनेस तकनीकों का अभ्यास भावनात्मक विनियमन को बढ़ाता है, जो शारीरिक तनाव प्रतिक्रियाओं को कम करता है।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए?

यह आपका अपना निर्णय होगा की एक दिन में कितना माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करना चाहिए, और यह जानने के लिए पहले हमें ध्यान लगाने की कोशिश सुरु करना होग। इसलिए शुरुआत में कम से कम दस से पंद्रह मिनट तक ध्यान लगाने की कोशिश कर सकते हैं। और जिस दिन आपका इसे करने का मन ना हो तो कम से कम 4 से 5 मिनट तक करें लेकिन करें।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन कब करना चाहिए?

माइंडफुलनेस मेडिटेशन को किसी भी वक्त और कोई भी काम करते समय किया जा सकता है, बस आपको अपने विचारों और काम के प्रति जागरूक रहने की जरूरत होती है। जैसे अगर आप खाना खा रहे हैं तो आप नोटिस करें की कैसे आपके दातों के तले खान कैसे पीस रहा है, और आपके मुँह की मूवमेंट कैसे हो रहे है। और मस्तिष्क में आने वाले विचारों के प्रति भी जागरूक रहें, और इस प्रक्रिया को किसी भी वक्त किया जा सकता है।

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