सेहत पर प्रोटीन के फायदे और कमी से नुकसान की संभावना: Protein

प्रोटीन के फायदे हमारे शरीर के लिए बहुत हैं और यह हमारे लिए बहुत जरूरी भी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की हमारा शरीर कई कोशिकाओं से मिलकर बना है, और एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रतिदिन 330 अरब कोशिकाएं नष्ट होकर दुबारा बनती ...

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Anshika Sharma

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प्रोटीन के फायदे हमारे शरीर के लिए बहुत हैं और यह हमारे लिए बहुत जरूरी भी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की हमारा शरीर कई कोशिकाओं से मिलकर बना है, और एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रतिदिन 330 अरब कोशिकाएं नष्ट होकर दुबारा बनती हैं, और इस पूरी प्रक्रिया को अच्छे से करने के लिए हमें उचित मात्रा में प्रोटीन की आवस्यकता होती है।

हालाँकि संतुलित मात्रा में प्रोटीन के फायदे तो बहुत हैं लेकिन शरीर में इसके कमी होने से कई प्रकार के शारीरिक नुकसान देखने को मिल सकता है।

तो चलिए आज इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम प्रोटीन के बाल की खाल को निकलने की कोशिश करते हैं, यानी प्रोटीन के फायदे और इसके कमी से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।

जाने – प्रोटीन पाउडर: फायदे, नुकसान और उपयोग

प्रोटीन क्या होता है? (संक्षिप्त परिचय)

प्रोटीन के लाभ को जानने से पहले यह यह समझना मत्वपूर्ण हो जाता है की प्रोटीन होता क्या है। प्रोटीन एक प्रकार का रासायनिक संयोजन है जो मूल रूप से अमीनो एसिड से बना होता हैं, और कोशिका के निर्माण और मरम्मत में एक अहम् भूमिका निभाता हैं। आसान शब्दों में कहें तो प्रोटीन एक एकल कोशिका से बना एक कार्बनिक यौगिक है।

प्रोटीन हमारे बालों, नाखूनों, हड्डियों, मांसपेशियों, ऊतकों और अंगों को आकार देने और उनके विकास करने में भी मदद करता है।

शरीर को प्रोटीन भोजन से मिलता है। इसका मतलब है कि हम रोजाना जो खाते हैं उससे हमें प्रोटीन मिलता है। हमारा शरीर ऊर्जा के रूप में इन खाद्य पदार्थों से आवश्यक प्रोटीन निकाल लेता है।

प्रोटीन कितने प्रकार के होते हैं?

हालाँकि प्रोटीन को उनकी संरचना, कार्य और गुणों के आधार कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन प्रोटीन के पोषण गुणवत्ता के आधार पर प्रोटीन को 2 भागों में विभाजित किया जा सकता है:-

पूर्ण प्रोटीन:- एक पूर्ण प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं जिनकी शरीर को वृद्धि और रखरखाव के लिए आवश्यकता होती है। पूर्ण प्रोटीन मांस, मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों में पोए जाते हैं।

अधूरा प्रोटीन:- अधूरा प्रोटीन वह है जिसमें पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक अमीनो एसिड नहीं होते हैं। अधिकांश पौधे-आधारित प्रोटीन, जैसे अनाज, नट्स और बीन्स में पाए जाने वाले प्रोटीनअधूरे प्रोटीन होते हैं। हालांकि, अधूरे प्रोटीन वाले अलग अलग खाद्य पदार्थों को मिलकर पूर्ण प्रोटीन बनाया जा सकता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि हालांकि पूर्ण प्रोटीन को आमतौर पर उच्च पोषण गुणवत्ता वाला माना जाता है, लेकिन जब तक आपके शरीर को आवश्यक अमीनो एसिड की पर्याप्त मात्रा मिल रहा है, तब तक आपको हर भोजन में पूर्ण प्रोटीन को लेना आवश्यक नहीं है।

प्रोटीन के फायदे

प्रोटीन के फायदे कई हो सकते हैं, हीमोग्लोबिन और मायोग्लोबिन के भंडारण से लेकर कोशिकाओं की मरम्मत और नई कोशिकाओं के निर्माण तक, प्रोटीन एक अहम् भूमिका निभाता है, यह एंटीबॉडी के रूप में वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण से भी शरीर की रक्षा करता है।

हमारे शरीर के लिए प्रोटीन के फायदे क्या हो सकते हैं चलिए विस्तार से जानते हैं:-

प्रोटीन के फायदे Hermedy

ऊतक विकास और मरम्मत करता है

शरीर में मांसपेशियों, त्वचा के ऊतकों के निर्माण और मरम्मत करने के लिए प्रोटीन बहुत ही जरूरी है, जो न केवल उत्तकों का निर्माण करता है बल्कि इसकी मरम्मत भी करता है।

इसी कारण से एथलीटों, बॉडीबिल्डर, गर्भवती महिलाओं और चोटों या सर्जरी से उबरने वाले लोगों, जिनकी कोशिकाओं के नष्ट होने का खतरा अधिक होता है उनके लिए प्रोटीन की अधिक मात्रा की जरूरत होती है।

शरीर के एंजाइम कार्य में सुधार करता है

एंजाइम कोशिकाओं में पाए जाने वाल एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो भोजन के पाचन, नए अणुओं को संश्लेषित करने और पाचन प्रक्रियाओं को अच्छा बनाने में मदद करते हैं। यह शरीर में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज और बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बिना एंजाइम के हमारे शरीर को भोजन को पचने में कई साल लग सकते हैं। और अन्य कई कार्य प्रभावित हो सकते हैं इसलिए भोजन में उपयुक्त प्रोटीन होना बहुत जरूरी है जो एंजाइम की कार्य कुशलता में विकास करता है।

हार्मोन उत्पादन को बेहतर करता है

हार्मोन हमारे शरीर में रासायनिक संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं, और कुछ हार्मोन, जैसे इंसुलिन और ग्रोथ हार्मोन, एक प्रकार के प्रोटीन ही होते हैं, जो मधुमेह, ब्लड सम्बन्धी अन्य बिमारियों को रोकने का काम करते हैं। इसके अतरिक्त हार्मोन शारीरिक विकास जैसे पुरुषों में पुरुषत्व के विकास और महिलाओं में महिला के गुणों का विकास करने में बहुत मददगार होते हैं

इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन के माध्यम से संतुलित मात्रा में प्रोटीन लेने से शरीर में हार्मोन का उत्पादन का संतुलन बना रहता है और हार्मोनल असंतुलन का खतरा कम हो सकता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली और उसके कार्य को बेहतर करता है

एंटीबॉडी भी एक प्रकार के प्रोटीन से ही बने होते हैं जो हमारे शरीर पर बाहर से हमला करने वाले हमलावरों जैसे बैक्टीरिया, कवक, परजीवी और वायरस को पहचान कर उनको मरने में मदद करते हैं।

यानि प्रोटीन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब हम भोजन के माध्यम से प्रोटीन लेते हैं तो वह अमीनो एसिड के रूप में टूट जाता है, जो फिर एंटीबॉडी में बदल जाता है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रमुख खिलाड़ी के रूप में कार्य करता है।

वजन प्रबंधन में उपयोगी है

एक अध्ययन में पाया गया की प्रोटीन युक्त भोजन करने से चयापचय (metabolism) को बेहतर करने में मदत करते है इसलिए कैलोरी का उचित प्रबंधन होता है और भूख की लालसा कम हो जाती है जिस बजह से बढे वजन को संतुलित करने में मदत मिल सकती है।1

इसलिए अगर आप अपने वजन को कम करना चाहते है या वजन को संतुलित बनाये रखना चाहते है तो अपने आहार में प्रोटीन के मात्रा बढ़ने पर विचार कर सकते हैं।

मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाता है

प्रोटीन आपकी मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत करने में सहायता करता है। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन खाने से मांसपेशियों को बनाए रखने और मांसपेशियों को बढ़ने में मदद मिलती है इसलिए जो लोगो अपने आपको मस्कुलर दिखाना चाहते है उनके लिए उपयुक्त प्रोटीन लेना अनिवार्य है।2

क्योकि अगर आप शारीरिक रूप से बहुत सक्रिय हैं, और अधिक वजन उठा रहे हैं तो यह सभी क्रियाएं मासपेशियों को नुकशान पहुँचती है जिसकी तुरंत मरम्मत की जरूरत होती है, इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको पर्याप्त प्रोटीन मिल रहा है।

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प्रोटीन की कमी से नुकसान

उपयुक्त मात्रा में प्रोटीन के फायदे कई हो सकते है लेकिन शरीर में प्रोटीन के कमी से हमें कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है जैसे:-

शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या घट जाती है। और हीमोग्लोबिन भी कम हो सकता है। इन कारणों से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।

प्रोटीन की कमी के कारण रक्त में शुगर का स्तर कम हो जाता है। इससे थकान जैसी समस्या के साथ शारीरिक कमजोरी महसूस होने लग सकती है।

आपको अगर बार-बार भूख लग रहा है तो उसका कारण प्रोटीन की कमी भी हो सकता है। मधुमेह रोगियों में यह सबसे आम लक्षण है।

प्रोटीन की से शरीर में वसा बढ़ने लग सकता है जिससे शारीरिक वजन बढ़ सकता है और वजन को नियंत्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

अगर सही मात्रा में प्रोटीन न लिया जाए तो इसका असर आपके बालों और नाखूनों पर भी पड़ता है। बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।
शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर अगर चोट लग जाती है तो जल्दी ठीक नहीं होती है।

प्रोटीन की कमी होने से मांसपेशियां खिंचती रहेंगी, नशों में तनाव आ सकता है और टांस लगने जैसी समस्या बार बार हो सकती। और मासपेशियों में दर्द भी रह सकता है।

हमारे शरीर को प्रतिदिन कितने प्रोटीन की जरूत होती है?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के मुताबिक जहां एक वयस्क पुरुष को रोजाना 50 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है, वहीं एक महिला को 46 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है।

लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए उनकी शारीरिक जरूरत के हिसाब से प्रोटीन की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है जैसे एक गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली महिला को अधिक मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है, उन्हें प्रतिदिन 72 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता हो सकती है।
इसके अतरिक्त जो व्यक्ति अधिक सक्रिय रहते हैं ज्यादा शारीरिक मेहनत वाले कार्य करते हैं उनको अधिक प्रोटीन की जरूत होती है।

हालाँकि प्रोटीन, मार्किट में सप्लीमेंट के रूप में बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। लेकिन जब तक जरूरत न हो तब तक प्रोटीन को खाद्य पदार्थों के माध्यम से लेना ही सही होता है, इसलिए उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को खाना उचित होगा जो प्रोटीन से भरपूर होते हैं।

लेकिन कई मामलों में जब हम खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रोटीन की उचित मात्रा नहीं ले पाते हैं, तो किसी एक्सपर्ट की सलाह से प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करने से प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रोटीन अमीनो एसिड से बने एक मैक्रोन्यूट्रिएंट होते है जो स्वास्थ्य के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटीन ऊतकों के निर्माण और मरम्मत, पाचन क्रिया और हार्मोन उत्पादन को संतुलित करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने, वजन प्रबंधन आदि के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर में संतुलित प्रोटीन के फायदे तो बहुत हैं लेकिन प्रोटीन की कमी के कारण कई शारीरिक परेशानियों का समाना भी करना पड़ सकता है।

हालाँकि आहार के माध्यम से प्रोटीन लेना एक सुरक्षित तरीका है, इसलिए एक ऐसे प्रोटीन स्रोतों का चयन करना भी महत्वपूर्ण है जो पोषण की गुणवत्ता से भरा हो, जैसे कि लीन मीट, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद, और सोया।

अपने आहार में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन खाद्य पदार्थों को शामिल करके और अपने पोषण पर ध्यान देकर, आप अपने पूरे जीवन को स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती के साथ बिता सकते हैं।

अक्सर पूछे गए सवाल:

कम प्रोटीन के लक्षण क्या हैं?

शरीर में कम प्रोटीन होने की वजह से हमें कई प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं जैसे मोटापा बढ़ना, थकान महसूस होना, मांसपेसियों में खिचाव, शारीरिक कमजोरी, बालों का झड़ना, चोट का जल्दी ठीक ना होना आदि।

क्या प्रोटीन की कमी से नींद आती है?

प्रोटीन की कमी से अधिक नींद आ सकती है। क्योकि अगर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी होती है, तो यह न्यूरोन ट्रांसमिशन और हार्मोनल संतुलन में परेशानी पैदा कर सकती है, इसके अलावां प्रोटीन की कमी मानसिक असंतुलन पैदा कर सकता है जिस कारण से हम कमजोरी और थकान, जैसे लक्षण को महसूस कर सकते हैं और यह नींद को प्रभावित कर सकते हैं।

हमें प्रतिदिन कितने प्रोटीन की जरूरत होती है?

प्रतिदिन हमें कितने प्रोटीन की जरूरत होती है यह हमारी शारीरिक जरूरत पर निर्भर करता है जैसे अधिक सक्रीय व्यक्ति जो अधिक मेहनत करते हैं और गर्भवती महिलाओं को अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है। हालाँकि एक समान्य व्यस्क पुरुष को प्रतिदिन 50 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है और एक समान्य महिला को 46 ग्राम प्रोटीन तक जरूरत हो सकती है।

संदर्भ

  1. Weigle, David S., et al. “A high-protein diet induces sustained reductions in appetite, ad libitum caloric intake, and body weight despite compensatory changes in diurnal plasma leptin and ghrelin concentrations–.The American journal of clinical nutrition 82.1 (2005): 41-48. ↩︎
  2. Pasiakos, Stefan M et al. “The effects of protein supplements on muscle mass, strength, and aerobic and anaerobic power in healthy adults: a systematic review.Sports medicine (Auckland, N.Z.) vol. 45,1 (2015): 111-31. doi:10.1007/s40279-014-0242-2 ↩︎

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