ब्रेन स्ट्रोक क्या है? प्रकार, कारण, लक्षण, और रोकथाम | Brain stroke

हर साल, हज़ारों जिंदगियाँ एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति से प्रभावित होती हैं जो अचानक और बिना किसी चेतावनी के आ जाती है – जिसे हम ब्रेन स्ट्रोक के नाम से जानते हैं। ब्रेन स्ट्रोक, जिसे सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (cerebrovascular accident) के रूप में भी जाना जाता है, यह तब होता है ...

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Brijesh Yadav

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हर साल, हज़ारों जिंदगियाँ एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति से प्रभावित होती हैं जो अचानक और बिना किसी चेतावनी के आ जाती है – जिसे हम ब्रेन स्ट्रोक के नाम से जानते हैं।

ब्रेन स्ट्रोक, जिसे सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (cerebrovascular accident) के रूप में भी जाना जाता है, यह तब होता है जब मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है।

ब्रेन स्ट्रोक सिर्फ कुछ ही मिनटों में ही पूरा जीवन बदल देता है, इसलिए इसके खतरे को कम करने के लिए इसके बारे में पूर्ण जानकारी होना पहला और जरूरी कदम हो सकता है।

इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से, हम समझेंगे की ब्रेन स्ट्रोक क्या है और इसके कारणों, लक्षणों और विभिन्न प्रकारों के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे। इसके अलावा, हम ब्रेन स्ट्रोक का शीघ्र पता लगाने और प्रभावी रोकथाम रणनीतियों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करेंगें।

ताकि ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से अपने जीवन को बचा सके और शायद अपने किसी प्रियजन के जीवन को भी इस खतरे से बचा सकें।

ब्रेन स्ट्रोक क्या है?

ब्रेन स्ट्रोक, जिसे चिकित्सकीय भाषा में सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (सीवीए) (cerebrovascular accident) कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण और गंभीर चिकत्सीय घटना है, जो तब होती है जब मस्तिष्क के किसी भी एक हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।

मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त आपूर्ति में रुकावट मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्वों के पहुंच से दूर कर देता है, जिससे मस्तिष्क की कार्य छमता में तेजी से गिरावट आने लगती है। ब्रेन स्ट्रोक होने के परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जैसे किसी अंग या अंगों का कार्य न करना (विकलांगता), सोचने समझने की छमता खो देना या यहां तक कि जीवन की हानि भी हो सकती है।

ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार

ब्रेन स्ट्रोक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं आइये इन प्रकारों के बारे में विस्तार से समझते हैं:

ब्रेन स्ट्रोक Hermedy

इस्कीमिक आघात (Ischemic Stroke)

इस्केमिक स्ट्रोक के मामले अधिकांश तब देखने को मिलते हैं, जब कोई रुकावट या थक्का मस्तिष्क में रक्त वाहिका को बाधित करता है। रक्त प्रवाह में इस रुकावट के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में तेजी से क्षति होती है। इस्केमिक स्ट्रोक के दो उप प्रकार होते हैं:

). थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक (Thrombotic Stroke):

थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी के भीतर रक्त का थक्का (thrombus) बन जाता है। अक्सर, यह थक्का मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में विकसित होता है जहां वसा का जमाव होने लगता है, इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है। थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक के लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर धीमी होती है, जिस कारण से स्ट्रोक पूरी तरह से विकसित होने से पहले कुछ चेतावनी या संकेत देखने को मिलते हैं।

ख). एम्बोलिक स्ट्रोक (Embolic Stroke):

एम्बोलिक स्ट्रोक का कारण थोड़ा अलग होता है। इसमें, शरीर के किसी और हिस्से में जैसे कि दिल या बड़ी धमनियों में एक क्लॉट या रक्त का थक्का बनता है। यह क्लॉट फिर रक्त के साथ बहकर मस्तिष्क की पतली धमनी में जाता है, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को अचानक ही रोक देता है। एम्बोलिक स्ट्रोक के लक्षण अचानक और गंभीर होते हैं, जिसमे पीड़ित व्यक्ति को कम समय मिल पता है।

रक्तस्रावी स्ट्रोक (Hemorrhagic Stroke)

रक्तस्रावी स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त वाहिका के फटने से उत्पन्न होता है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों के भीतर या उसके आसपास रक्तस्राव या रक्त का बहाव होने लगता है। जिसके कारण मस्तिष्क में रक्त का जमाव होता है जो मस्तिष्क संरचनाओं पर दबाव डाल सकता है और क्षति का कारण बन सकता है। रक्तस्रावी स्ट्रोक के दो प्राथमिक उप प्रकार होते हैं:

). इंटरसेरीब्रल हेमरेज (Intracerebral Hemorrhage):

इंट्रासेरेब्रल रक्तस्राव तब होता है जब मस्तिष्क के भीतर एक रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे रक्त मस्तिष्क के ऊतकों में चला जाता है और जमा हुआ रक्त आसपास की कोशिकाओं दबाव बनाता है, और संभावित रूप से सूजन पैदा करता है। इस तरह का स्ट्रोक अक्सर उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों के कारण होता है।

ख). सबराचोनोइड हेमरेज (Subarachnoid Hemorrhage):

सबराचोनोइड रक्तस्राव में मस्तिष्क और इसे ढकने वाले पतले ऊतकों के बीच की जगह में रक्तस्राव होता है। ये रक्तस्राव अक्सर धमनियों की दीवार में कमजोरी या फिर धमनियों में सूजन के कारण होता है। और अचानक रक्त निकलने से गंभीर सिरदर्द और अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखने को मिलते हैं।

ब्रेन स्ट्रोक के कारण

ब्रेन स्ट्रोक होने के कारक कई हो सकते हैं, जिनमें से कई कारकों को मैनेज करके ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। आइए ब्रेन स्ट्रोक के रिस्क को बढ़ने वाले उन कारकों को विस्तार से समझते हैं:

ब्रेन स्ट्रोक Hermedy

). उच्च रक्तचाप (high blood pressure):

उच्च रक्तचाप ब्रेन स्ट्रोक की संभावनाओं को बढ़ने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं की दीवारों को कमजोर कर सकता है, जिससे उनके क्षति और फटने का खतरा अधिक हो जाता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और निर्धारित दवाओं के माध्यम से रक्तचाप को प्रबंधित करके स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

ख). एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में प्लाक का निर्माण):

एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमे धमनियों की दीवारों पर वसा का जमाव होने लगता है। समय के साथ, यह उन धमनियों के रस्ते को पतला कर देता है जिससे रक्त के बहाव में रूकावट होने लगती है और इस्केमिक स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए स्वस्थ आहार अपनाना, शारीरिक गतिविधि में शामिल होना और धूम्रपान से बचना आदि महत्वपूर्ण हो सकता है।

ग). मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल:

मधुमेह और अधिक कोलेस्ट्रॉल का स्तर मस्तिष्क स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है। मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और रक्त के थक्के बनने की संभावना को बढ़ा सकता है, जबकि उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर धमनियों में प्लाक के निर्माण का कारण बन सकता है।

घ). धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन:

धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन हानिकारक आदतें हैं जो ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाती हैं। धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, रक्त के थक्कों के निर्माण को बढ़ावा देता है और एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम को बढ़ता है। शराब, जब अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो रक्तचाप बढ़ता है जो रक्त वाहिकाओं की दीवारों को कमजोर कर सकता है।

). पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिकी:

ब्रेन स्ट्रोक का एक मुख्य कारक आनुवंशिक होता है यानि अगर आपके परिवार में पहले किसी को ब्रेन स्ट्रोक रहा हो तो यह पूरी संभावना होती है की आने वाली पीढ़ी में भी इसके असर दिखाई दें।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है क्योकि इससे समय पर प्रभावी उपचार करने में मदत मिल सकती है। स्ट्रोक के मामलों में, हर मिनट मायने रखता है, क्योंकि तुरंत एक्शन से क्षति को कम करने और ठीक होने की संभावना में सुधार करने में मदद मिल सकती है। तो चलिए जानते है कुछ ऐसे समान्य लक्षण जो अक्सर ब्रेन स्ट्रोक के मामले में देखे जाते हैं:

क). अचानक सुन्न होना या कमजोरी: यह चेहरे, हाथ या पैर को प्रभावित कर सकता है, खासकर शरीर के एक तरफ हिस्से हो अधिक प्रभावित करता है। अचानक हाथ, पैर और चहरे का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है या उनमे झनझनाहट महसूस होता है।

ख). भ्रम और बोलने में परेशानी: स्ट्रोक का अनुभव करने वाले व्यक्ति को समझने या बोलने में कठिनाई हो सकती है। वे भ्रमित दिख सकते हैं। यह लक्षण तत्काल भी हो सकते हैं और धीरे धीरे उजागर हो सकते हैं।

ग). अचानक देखने में परेशानी: एक या दोनों आँखों में दृष्टि संबंधी समस्याएँ अचानक हो सकती हैं। धुंधली दृष्टि, काली दृष्टि, या एक आंख में दृष्टि की हानि का होना स्ट्रोक का संकेत हो सकता हैं।

घ). अचानक गंभीर सिरदर्द: बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक, तेज सिरदर्द स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है, खासकर अगर यह अन्य लक्षणों के साथ हो।

ङ). चलने में परेशानी: चक्कर आना, चलने में कठिनाई , खड़े होने में परेशानी आदि लक्षण भी ब्रेन स्ट्रोक का संकेत दे सकते हैं।

इन लक्षणों के प्रति सतर्क रहना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि वे अचानक और तीव्रता के साथ होते हैं। यदि आप या आपके साथ कोई व्यक्ति इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करता है, तो संकोच न करें – तत्काल चिकित्सा सहायता लें।

ब्रेन स्ट्रोक की रोकथाम रणनीतियाँ

क). स्वस्थ आहार का सेवन: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, आदि प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं और संतुलित आहार के तौर पर जाने जाते है जो सम्पूर्ण सेहत के साथ हृदय के बेहतर स्वास्थ्य में योगदान दे सकते हैं। जिनके सेवन से स्ट्रोक के जोखिम को काम किया जा सकता है।

ख). संतुलित वजन बनाए रखना: अधिक वजन होने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है क्योकि शरीर में वासा मात्रा बढ़ती है जो रक्त धमनियों को संकुचित करते हैं और रक्त के प्रवाह को बाधित करते हैं। इसलिए अपने वजन को नियंत्रित करना बहुत जरूरी हो जाता है।

ग). नियमित शारीरिक गतिविधि: नियमित व्यायाम करने से हृदय स्वास्थ्य बढ़ता है, रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा काम होता है इसलिए साप्ताहिक रूप से कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक व्यायाम जरूर करें।

घ). पुरानी स्थितियों का प्रबंधन: दवा, जीवनशैली में बदलाव और नियमित चिकित्सा जांच के माध्यम से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी पुरानी बिमारिओं का उचित प्रबंधन करने से स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है, क्योकि यह स्थितियां ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

ङ). धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जबकि अत्यधिक शराब के सेवन से उच्च रक्तचाप हो सकता है। धूम्रपान छोड़ना और शराब का सेवन सीमित करना स्ट्रोक के जोखिम को काफी कम कर सकता है।
च). तनाव प्रबंधन: पुराना तनाव उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए ध्यान, योग या माइंडफुलनेस जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों को अपनाएं।

छ). आरामदायक नीद लें: अच्छी नींद को प्राथमिकता दें क्योकि खराब नींद रक्तचाप और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

ज). नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित चिकित्सा जांच रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल के स्तर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की निगरानी करने में मदत करती है, जिससे शीघ्र इलाज से जोखिम में कमी आती है।

उपचार और रिकवरी

ब्रेन स्ट्रोक के बाद तत्काल और जीतनी जल्दी हो सके चिकित्सा सहायता, ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली क्षति को कम करने और इस स्थिति से रिकवरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए ब्रेन स्ट्रोक के उपचार प्रक्रिया और इस स्थिति से ऊबने में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तार से समझते हैं।

तत्काल प्रतिक्रिया:

स्ट्रोक के लक्षणों के पहले संकेत पर, बिना देरी किए तत्काल चिकित्सीय सहायता लेना अनिवार्य है क्योंकि इस स्थिति में हर मिनट मायने रखता है। समय पर इलाज मिलने से मस्तिष्क क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है। और ब्रेन स्ट्रोक के उबरने में सहायता मिल सकती है।

चिकित्सीय हस्तक्षेप

क). रक्त का थक्का-विघटित करने वाली दवाएं (इस्केमिक स्ट्रोक के लिए): इस्केमिक स्ट्रोक के रोगियों को थ्रोम्बोलाइटिक दवाएं दिया जा सकता हैं, जिन्हें आमतौर पर क्लॉट-बस्टिंग दवाओं के रूप में जाना जाता है। ये दवाएं रक्त के क्लॉट को तोड़ सकती हैं और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को सुचारु कर सकती हैं।

ख). सर्जिकल प्रक्रियाएं (रक्तस्रावी स्ट्रोक के लिए): रक्तस्रावी स्ट्रोक के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। सर्जिकल प्रक्रियाओं का उद्देश्य मस्तिष्क में रक्तस्राव को रोकना, क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं की मरम्मत करना और रक्त के कारण मस्तिष्क पर पड़ने वाले दबाव को कम करना होता है।

रिकवरी प्रक्रिया

ब्रेन स्ट्रोक से उबरने के लिए अक्सर एक व्यापक रिकवरी प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। किस रिकवरी प्रक्रिया का उपयोग किया जायेगा यह स्ट्रोक की गंभीरता और शारीरिक विकलांगता के आधार पर निश्चित किया जाता है। चलिए कुछ रिकवरी प्रक्रिया को समझते हैं:

  • फिजिकल थेरेपी: ब्रेन स्ट्रोक से खोई हुई ताकत, समन्वय, संतुलन को फिर से हासिल करने के लिए।
  • व्यावसायिक थेरेपी: दैनिक जीवन की गतिविधियों को फिर से सीखने और कौशल में सुधार करने के लिए।
  • स्पीच थेरेपी: बोलने संबंधी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए।
  • संज्ञानात्मक पुनर्वास: स्मृति, ध्यान और समस्या-समाधान चुनौतियों का समाधान करने के लिए।
  • मनोवैज्ञानिक समर्थन: भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समर्थन स्ट्रोक को झेलने वाले और उनकी देखभाल करने वालों दोनों के लिए आवश्यक है।

ब्रेन स्ट्रोक के बाद की देखभाल

ब्रेन स्ट्रोक के बाद पीड़ित व्यक्ति को इस स्थिति से उबरने के लिए न केवल चिकित्सा से गुजरना पड़ता है बल्कि भावनात्मक और जीवनशैली में परिवर्तन आदि को भी बारीकी से अपनाना पड़ता है।

स्ट्रोक के बाद व्यक्ति को इस स्थिति से उबरने के लिए अधिक देखभाल की जरूरत होती है जिसमें निरंतर चिकित्सा जांच, दवा प्रबंधन और निर्धारित उपचारों का पालन सावधानी पूर्वक करना होता है।

इसके अलावा जीवनशैली में परिवर्तन, जैसे पोष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और तनाव का प्रबंधन, आदि को अपनाना होता है ताकि भविष्य में स्ट्रोक होने की संभावना को रोका जा सके।

परिवार, मित्र, देखभाल करने वाले और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर आदि लोग पीड़ित व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक से उबरने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनका प्रोत्साहन, समझ और सहायता स्ट्रोक के बाद एक नई सामान्य स्थिति के निर्माण की बेहतर नींव प्रदान करती है।

निष्कर्ष

ब्रेन स्ट्रोक जिसे चिकित्सकीय भाषा में सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (सीवीए) (cerebrovascular accident) कहा जाता है, जो हर साल, हज़ारों जिंदगियों को अचानक ही प्रभावित कर देता है।

ब्रेन स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –
पहला, थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक यह तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी के भीतर रक्त का थक्का बन जाता है और मस्तिष्क तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है।

दूसरा, रक्तस्रावी स्ट्रोक, यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों के भीतर या उसके आसपास रक्तस्राव या रक्त का बहाव होने लगता है जो मस्तिष्क में दबाव डालता है।

ब्रेन स्ट्रोक होने के तुरंत बाद कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे अचानक बोलने में कठिनाई, शरीर के किसी तरफ का अंग का काम करना बंद कर देना, नजर का दुघलपन हो जाना या दिखना बंद हो जाना, अचानक तेज सर दर्द होना आदि।

ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन, धूम्रपान आदि नशीले पदार्थों के सेवन से बचना, नियमित जांच कराना आदि प्रमुख हैं।

ब्रेन स्ट्रोक के दौरान हर मिनट बहुत बहुमूल्य होता है इसलिए जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करें। और ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को चिक्तिसीय मदत के साथ भावनात्मक, सामाजिक और मानसिक तौर पर सहारा देने की जरूरत होती है।

क्या ब्रेन स्ट्रोक का मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है?

ब्रेन स्ट्रोक के मरीज के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना इस बात पर निर्भर करता है कि स्ट्रोक किस प्रकार का है, स्ट्रोक की गंभीरता क्या है और क्या इलाज समय रहते हो पाया है। सही समय पर उपचार और सही देखभाल से, कुछ मरीज पूरी तरह से ठीक भी हो सकते हैं, लेकिन कुछ परिस्थियों में गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

हम ब्रेन स्ट्रोक को कैसे पहचानते हैं?

ब्रेन स्ट्रोक की पहचान अंगों की विफलता से जुड़ा हुआ होता है जैसे अचानक बोलने में कठिनाई होती है, अचानक आंखों का धुंधलापन होना या दिखना बंद हो जाना, किसी एक तरफ का अंग काम नहीं करना, अचानक गंभीर चक्कर आना, बेहोसी, अचानक गंभीर सर दर्द होना।

क्या आप स्ट्रोक होने से पहले उसका पता लगा सकते हैं?

अक्सर ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अचानक उजागर होते हैं। लेकिन कुछ लक्षण होते हैं जो ब्रेन स्ट्रोक होने के संकेत पहले दे देते हैं जैसे कमजोरी महसूस करना, रुक रुक सर दर्द होना, चक्कर आना, हाथ पैरों में झनझनाहट या कमजोरी महसूस होना, यादस्त कमजोर होना, बहुत अधिक नीद लगाना आदि। कुछ कारक जो ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाते हैं जैसे अधिक मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, या कोई मस्तिष्क पर आघात जिसका असर बाद में दिखाई दे।

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