हिंगोट फल के फायदे: 5 प्रमुख स्वास्थ्य लाभ

हिंगोट का फल अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। परम्परिक चिकित्सा में इसका उपयोग रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक शोध भी इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभ का समर्थन करते हैं।

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Brijesh Yadav

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हमारी भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में विभिन्न औषधीय गुणों से युक्त पौधों और पेड़ों के फूल, पत्ते, जड़, तना आदि का इस्तेमाल रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है।

औषधीय गुणों से परिपूर्ण पेड़ों और पौधों की श्रंखला में हिंगोट नामक पेड़ का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंगोट के पेड़ की छाल, पत्ते और फल का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। मुख्यतः इसके फल का इस्तेमाल परम्परिक चिकित्सा पद्धतियों में रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है, जिसका वैज्ञानिक और शोध प्रमाण भी उपलब्ध है।

इसलिए आइये आज हम इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हिंगोट फल के फायदे और संभावित नुकसान बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं, ताकि इस पेड़ के गुणों को जानकर हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।। 

हिंगोट का संछिप्त परिचय

हिंगोट (Hingot) का वानस्पतिक नाम “बैरिंगटनिया एशियाटिका” (Balanites aegyptiaca (L.) Del.) है जो पौधों की बालानिटेसी (Balanitaceae) परिवार से सम्बन्धित है। हिंगोट के पेड़ को अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे अंग्रेज़ी में इसे थॉर्न ट्री या डेज़र्ट डेट भी कहते हैं। इसको व्यापारिक नाम “ज़ाकोन” (zaccone) या “ज़ाचुन” (zachun) से भी जाना जाता है।

हिंगोट का पेड़ विश्व के कई हिस्सों में पाया जाता है। हालाँकि भारत में यह मुख्यतः शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक कांटेदार पेड़ है जो लगभग 10 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। इसमें हरे रंग के लंबे कांटे होते हैं और इसकी पत्तियाँ छोटी व गोल होती हैं। इसके फूल हरे-पीले रंग के और छोटे होते हैं। इसका फल गोल और भूरे रंग का होता है, जिसका बाहरी आवरण कठोर होता है।

हिंगोट के फायदे

हिंगोट के पेड़ के विभिन्न भागों जैसे फल, बीज, पत्तियों, तने की छाल, और जड़ों में कई तरह के रासायनिक योगिक पाए जाते हैं। इन रसायनों में पॉलीफेनोल, एल्कलॉइड, स्टेरॉइड, सैपोनिन और प्रेग्नैन ग्लाइकोसाइड शामिल हैं। ये योगिक विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाते हैं।1

हिंगोट का फल (Hingot fruit) और बीज में महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिकों के साथ प्रोटीन, शर्करा और कार्बनिक अम्ल जैसे पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए हिंगोट के फल के फायदे कई देखने को मिल सकते हैं।23

हिंगोट फल एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर

हिंगोट के फल में पाए जाने वाले विभिन्न सक्रिय योगिक (पॉलीफेनोल्स, फ्लेवोनोइड्स) एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदर्शित करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट वे पदार्थ होते हैं जो शरीर में हानिकारक फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं। ये फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

अध्ययनों से पता चला है कि हिंगोट के फल का सेवन करने से शरीर में कुल एंटीऑक्सीडेंट का स्तर बढ़ सकता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के मार्कर, मैलोनलडिहाइड का स्तर कम हो सकता है। जो विभिन्न बिमारियों को दूर करने और सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए महत्वपूर्ण है।

एंटीमाइक्रोबियल क्षमता

हिंगोट में कई प्रकार के एंटीमाइक्रोबियल यौगिक पाए जाते हैं, जिनमें फेनोलिक यौगिक, टेरपीनॉइड्स और एल्कलॉइड शामिल हैं। ये यौगिक बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकने में मदत कर सकते हैं।4

हालाँकि हिंगोट के फल में भी अल्टरनेरिया सोलानी और पाइथियम अल्टिमम जैसे फंगस को रोकने की क्षमता पाई गई है। इसकी जड़ की छाल और फल से प्राप्त इथेनॉलिक और मेथनॉलिक अर्क का परीक्षण किया गया और पाया गया कि ये अर्क एस्परगिलस नाइजर, कैंडिडा अल्बिकन्स, पेनिसिलियम क्रस्टोसम, और सैक्रोमाइसेस सेरेविसिया जैसे फंगस के खिलाफ प्रभावी हैं।5

परजीवी नाशक गतिविधि

हिंगोट फल में एंथेहल्मिन्टिक गतिविधि पाई जाती है यानि हमारे शरीर को प्रभावित करने वाले कई परजीवियों के रोखथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

एक अध्ययन में पाया गया कि हिंगोट फल से प्राप्त मेथनॉलिक अर्क ने ट्राइचिनेला स्पाइरालिस परजीवी के खिलाफ उतना ही असर दिखाया जितना कि सामान्य दवा (एल्बेंडाज़ोल) करती है। 6

ट्राइकिनैला स्पाइरैलिस एक प्रकार का परजीवी कृमि है जो मांस में पाया जाता है। यह मनुष्यों सहित कई स्तनधारियों को संक्रमित करता है। जिसके कारण पेट दर्द, दस्त, मतली, उल्टी, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द सूजन, त्वचा पर चकत्ते आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

हिंगोट के फल का मध्यभाग शिस्टोसोमा मैनसोनी (Schistosoma mansoni) के खिलाफ प्रभावी है, यह एक परजीवी फ्लूकवर्म (ट्रेमाटोड) है जो शिस्टोसोमियासिस नामक बीमारी का कारण बनता है जो दर्द, दस्त, बुखार, थकावट और अन्य लक्षण का कारण बन सकता हैं।7

मधुमेह के रोकथाम में उपयोगी

हिंगोट फल मधुमेह प्रबंधन में महत्वपूर्ण और प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

चूहों पर हुए अध्ययन में इसके फल के अर्क ने मधुमेह वाले चूहों में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित किया यानि रक्त शर्करा (ग्लूकोज़) के स्तर को कम करने की क्षमता दिखाई। इसमें पाए गए सैपोनिन्स, जैसे डायोजेनिन, ने मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद की। यह अर्क लिवर और किडनी के ग्लाइकोजन स्तर को सुधरने में भी सहायक रहा।

कैंसर रोधी गुण

हिंगोट का फल कैंसर कोशिकाओं के रोकथाम में महत्वपूर्ण भौंमिका निभा सकता है। क्योकि इसके फल में बालानाइटोसाइड नामक यौगिक पाया जाता है, जो कैंसर रोधी गुण दिखाता है।

एक अध्ययन में एर्लिच एस्काइट्स कार्सिनोमा (EAC) नामक ट्यूमर से पीड़ित चूहों पर बालानाइटोसाइड के प्रभाव का परीक्षण किया गया। उन्होंने चूहों को 10 mg/kg की खुराक में 9 दिनों तक प्रतिदिन बालानाइटोसाइड इंजेक्शन दिया। परिणामस्वरूप, बालानाइटोसाइड ने कैंसर कोशिकाओं की संख्या को काफी हद तक कम कर दिया और चूहों की जीवन अवधि को बढ़ा दिया। इसने यकृत और रक्त में हानिकारक पदार्थों जैसे मालोंडिआल्डिहाइड (MDA) और नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) को कम किया, जबकि लाभकारी एंजाइम को बढ़ाया, जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।8

निष्कर्ष

हिंगोट का पेड़ आमतौर पर शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है, इसलिए इसे अंग्रेजी में “Desert Date” कहा जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण इसके जड़, छाल, और फल का उपयोग विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। हिंगोट फल के फायदों की बात किया जाये तो इसमें सक्रिय यौगिक होते हैं, जो इसे एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करते हैं। इसके फल में एंटीमाइक्रोबियल और परजीवी नाशक गतिविधियाँ भी पाई जाती हैं, और यह मधुमेह की रोकथाम और कैंसर-रोधी गुणों के लिए भी जाना जाता है।

संदर्भ

  1. Murthy, Hosakatte Niranjana, et al. “Phytochemicals and biological activity of desert date (Balanites aegyptiaca (L.) Delile).” Plants 10.1 (2020): 32. ↩︎
  2. Yadav, J. P., and Manju Panghal. “Balanites aegyptiaca (L.) Del.(Hingot): A review of its traditional uses, phytochemistry and pharmacological properties.” International Journal of Green Pharmacy (IJGP) 4.3 (2010). ↩︎
  3. Chothani, Daya L, and H U Vaghasiya. “A review on Balanites aegyptiaca Del (desert date): phytochemical constituents, traditional uses, and pharmacological activity.” Pharmacognosy reviews vol. 5,9 (2011): 55-62. doi:10.4103/0973-7847.79100 ↩︎
  4. Chapagain, Bishnu P., Zeev Wiesman, and Leah Tsror. “In vitro study of the antifungal activity of saponin-rich extracts against prevalent phytopathogenic fungi.” Industrial Crops and Products 26.2 (2007): 109-115. ↩︎
  5. Runyoro, Deborah K B et al. “Screening of Tanzanian medicinal plants for anti-Candida activity.” BMC complementary and alternative medicine vol. 6 11. 30 Mar. 2006, doi:10.1186/1472-6882-6-11 ↩︎
  6. Shalaby, Mostafa A et al. “Effect of methanolic extract of Balanites aegyptiaca fruits on enteral and parenteral stages of Trichinella spiralis in rats.” Parasitology research vol. 107,1 (2010): 17-25. doi:10.1007/s00436-010-1827-9 ↩︎
  7. Koko, W S et al. “Evaluation of oral therapy on Mansonial Schistosomiasis using single dose of Balanites aegyptiaca fruits and praziquantel.” Fitoterapia vol. 76,1 (2005): 30-4. doi:10.1016/j.fitote.2004.08.003 ↩︎
  8. Al-Ghannam, Sheikha M., et al. “Antitumor activity of balanitoside extracted from Balanites aegyptiaca fruit.” Journal of Applied Pharmaceutical Science 3.7 (2013): 179-191. ↩︎

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