स्वास्थ्य सम्बन्धी गोरखमुंडी के फायदे और नुकसान की संभावनाएं

गोरखमुंडी के पौधे को लोग अक्सर जंगली घास समझते हैं लेकिन यह औषधीय गुणों वाला पौधा है। चलिए स्वास्थ्य संबधी गोरखमुंडी के फायदों और और नुकसान के बारे में विस्तार से समझते हैं।

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Anshika Sharma

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जलवायु, भौगोलिक परिस्थिति और जैविक विविधता के कारण भारतीय महाद्वीप में औषधीय जड़ी-बूटियों, वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है, और हजारों वर्ष प्राचीन भारतीय चिकत्सा पद्धति “आयुर्वेद” में इनके स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभों के बारे में विस्तार पूर्वक व्याख्या होना, इस और संकेत करते हैं की इन औषधियों का उपयोग हजारों वर्ष पहले से ही स्वास्थ्य फायदों को प्राप्त करने में होता आया है।

गोरखमुंडी का पौधा (Gorakhmundi Plant) उन्हीं औषधीय जड़ी-बूटियों में से एक है। यह एक औषधीय पौधा है जो स्वास्थ्य से जुड़े अनेकों लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके बारे में सटीक जानकारी का आभाव होने के कारण, ऐसा प्रतीत होता है की लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है और वे इसे केवल जंगली घास के तौर पर ही जानते हैं।

तो चलिए, आज के इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से गोरखमुंडी के फायदे और नुकसान की संभावनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।

गोरखमुंडी की पहचान

गोरखमुंडी जिसका वानस्पतिक नाम स्फ़ीरैंथस इंडिकस (Sphaeranthus Indicus) है जो कंपोज़िटी (Compositae) वनस्पति परिवार से सम्बन्धित है। यह घुण्डी, मुंडी, मुंडिका, संस्कृत में श्रावणी, अंग्रेज़ी में ईस्ट इंडियन ग्लोब थीस्ल (East Indian globe thistle) आदि नामों से भी जाना जाता है।

अमूमन गोरखमुंडी का पौधा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है इसलिए भारतीय जलवायु इसके लिए अधिक उपयुक्त होती है। वर्षा ऋतू के बाद जब ठंठ के मौसम का आगमन होता है इस दौरान यह अधिक फलता फूलता है।

गोरखमुंडी का पौधा जमीन पर फैला हुआ प्रतीत होता है क्योकि यह 30-60 सेमी की उंचाई प्राप्त करता है। इसकी पत्तियां 2-7 सेमी लंबी और 1-1.5 सेमी चौड़ी होती हैं, पत्तियों और तनों पर रेसे होते हैं। इसके फूल गोलाकार बैगनी रंग के होते हैं जिसमें से विशेष प्रकार की सुगंध भी आती है, यह एक सुगंधित पौधा है। गोरखमुंडी के स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेकों फायदे प्राप्त किये जा सकते हैं।

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सेहत पर गोरखमुंडी के फायदे

स्वास्थ्य पर गोरखमुंडी के फायदे प्राप्त करने के लिए इसके प्रत्येक भाग यानी बीज, फूल और जड़ों का उपयोग किया जा रहा है।आयुर्वेद और यूनानी जैसी विभिन्न चिकित्सा पद्धति में इसके विभिन्न औषधीय उपयोग दर्शाये गए हैं जैसे इसका इस्तेमाल आंखों के स्वास्थ्य, पेट की परेशानियों, मूत्र रोगों, और त्वचा सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है, इसके अतिरिक्त इसका उपयोग सूजन, गठिया और कामोत्तेजक के रूप में भी किया जा सकता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास

गोरखमुंडी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास करने में मदत कर सकता है, क्योकि चूहों पर हुए अध्ययन में पाया गया की रोजाना 200mg गोरखमुंडी के अर्क देने से उनमें फागोसाइटिक गतिविधि बेहतर हुई। रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास करने की प्रकिरिया को फागोसाइटिक गतिविधि के तौर पर जाना जाता है।चूहों को गोरखमुंडी का  अर्क देने से उनमें स्वेत रक्त कोशिकाएं जैसे मैक्रोफेज और न्यूट्रोफिल की कार्य क्षमता में विकास हुआ जो की रोग प्रतिरोधक क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं, परिणाम स्वरूप बहरी कणों, जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य हानिकारक पदार्थों को ख़त्म में सहयोग मिला।1

सूजन रोधी गुण से भरपूर

गोरखमुंडी में सूजन-रोधी गुण और सूजन प्रक्रियाओं को कम करने की क्षमता होती है। पशुओं पर हुए विभिन्न अध्यनों में इसके सूजन रोधी प्रभावों को अंकित किया गया, जिसमें  इसका सेवन प्रतिरक्षा प्रणली में सहयोग करने वाली स्वेत रक्त कोशिका जैसे मोनोसाइट्स और साइटोकिन प्रोटीन की कार्य क्षमता में विकास किया, परिणाम स्वरूप संक्रमण से बचाव, ऊतक की मरम्मत और सूजन में सुधार अंकित किया गया।2

श्वसन रोग में फायदेमंद

गोरखमुंडी ब्रोंकोस्पज़म (Bronchospasm) में लाभकारी हो सकता है। ब्रोंकोस्पज़म फेफड़ों में वायुमार्ग (ब्रोन्किओल्स (bronchioles) जो फेफड़ों के भीतर छोटे वायु मार्ग होते हैं ) में अचानक संकुचन (Narrow) को कहा जाता है जिसके कारण साँस लेने में तकलीफ महसूस होता है।

एक अध्ययन में, गिनी सूअरों को गोरखमुंडी के मेथनॉलिक अर्क को मौखिक रूप से 87 और 174 मिलीग्राम अलग अलग खुराक दिया गया, जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्य क्षमता में विकास हुआ और वायुमार्ग में आये संक्रमण के खिलाफ सकारात्मक परिणाम दिखे।3

बुखार और दर्द निवारक

गोरखमुंडी में बुखार को कम करने और दर्द निवारक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोरखमुंडी इथेनॉल अर्क का बुखार सम्बन्धी शोध इस ओर इशारा करते हैं की इसमें एनाल्जेसिक और एंटीपीयरेटिक गतिविधि पाई जाती है जो एक घंटे के दौरान बुखार और दर्द को कम करने के प्रभाव को दिखा सकते हैं।

लीवर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

गोरखमुंडी का लिवर के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण लिवर पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में मदत मिल सकती है जिससे फैटी लीवर और लीवर की कार्यप्रणाली में सुधार देखा जा सकता है।4

एक अध्ययन में पाया गया की गोरखमुंडी (Sphaeranthus indicus) के मेथनॉल अर्क का कार्बन टेट्राक्लोराइड से सम्बन्धित लिवर की समस्या से पीड़ित चूहों को इसकी 500 मिलीग्राम और 750 मिलीग्राम की खुराक देने से उनके लिवर के एंजाइमों, कुल प्रोटीन, और एंटीऑक्सीडेंटों के स्तरों में सुधार हुआ।5

मधुमेह में फायदेमंद

मधुमेह सम्बन्धी समस्याओं में गोरखमुंडी अर्क का सेवन लाभदायक हो सकता है क्योकि यह रक्त शुगर स्तर में कमी, इंसुलिन की कार्य क्षमता में वृद्धि करने में मदत कर सकता है।

गोरखमुंडी अर्क से मधुमेह से पीड़ित चूहों पर 15 दिनों तक उपचार करने के बाद यह पाया गया की उनके ब्लड शुगर स्तर में कमी आई, इन्सुलिन के स्तर में सुधार हुआ और यकृत में शुगर भंडारण को बढ़ाया जिससे उनका मधुमेह नियत्रित रहा।6

त्वचा स्वास्थ्य और घाव में फायदेमंद

गोरखमुंडी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और हीलिंग प्रॉपर्टी त्वचा संबधी विकारों को दूर करने और साथ ही घाव भरने में फायदेमंद हो सकता है। त्वचा रोगों से राहत पाने के लिए इसके पत्ती, फूल और बीज को पीसकर पेस्ट बनाकर भी प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है।

इसके अर्क युक्त क्रीम का इस्तेमाल गिनी पिग्स के घावों पर 15 दनों तक किया गया और पाया की उनके घाव भरने की दर में तेजी आई। और गोरखमुंडी फूल के सिर के इथेनॉलिक अर्क का विभिन्न मलहमों के द्वारा चूहों पर हुए अध्ययन के नतीजे सकारात्मक देखे गए।

आँखों के लिए फायदेमंद

आँखों पर गोरखमुंडी के फायदों को लेकर अभी पर्याप्त शोध की कमी कही जा सकती है लेकिन कुछ शोध इस और संकेत करते हैं की इसका इस्तेमाल आँखों के लिए फादेमंद हो सकता है, गोरखमुंडी के फूल में टॉनिक व कुलिंग प्रभाव होता जिसके कारण यह कंजक्टिवाइटिस (आंखों का संक्रमण) से राहत प्रदान करना आंखों की कमजोरी को कम करने आदि समस्यों में लाभकारी हो सकता है।

द फार्मा इनोवेशन जर्नल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार गोरखमुंडी के फूल को रात भर पानी में भिगोकर आंखों के संक्रमण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।7

गोरखमुंडी के नुकसान और सावधानियां

गोरखमुंडी के फायदों के अतिरिक्त इसके कुछ नुकसान की संभावनाएं भी परस्पर हो सकती हैं।

एलर्जी:- समान्यतः गोरखमुंडी के उपयोग से एलर्जी की समस्या कम ही देखने को मिलती है लेकिन कुछ लोगों को इसके सेवन करने से त्वचा पर लालिमा, खुजली, और दस्त आदि देखने को मिल सकती हैं।

किसी भी प्रकार के रक्त विकार जैसे हाई ब्लड प्रेशर, और किडनी संबधित रोगों में इसके अधिक उपयोग से बचना चाहिए। हमारी राय रहेगी की इस दौरान वे इसका उपयोग ना ही करें।

अधिक छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग करने से बचना सही रहेगा क्योकि यह अवस्था उनके लिए बहुत नाजुक होती है इसलिए वे अपने आहार में किसी भी प्रकार के बदलाव करने से पहले डॉक्टर की परमर्श जरूर लें।

क्योकि गोरखमुंडी एक औषधि है इसलिए इसका निश्चित मात्रा में उपयोग करना बहुत अनिवार्य है इसके अधिक उपयोग से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमारी राय रहेगी की किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के परामर्श के बाद ही गोरखमुंडी का सेवन करें।

निष्कर्ष

गोरखमुंडी एक उष्णकटिबंधीय जलवायु में फैलने फूलने वाला पौधा है इसलिए यह भारतीय महाद्वीप में अधिक पाया जाता है जो अमूमन सर्दियों में फूलता है। यह एक औषधीय गुणों वाला पौधा है जिसे कई नामों से जाना जाता है जैसे घुण्डी, मुंडी, मुंडिका, संस्कृत में श्रावणी, अंग्रेज़ी में ईस्ट इंडियन ग्लोब थीस्ल आदि नामों से जाना जाता है।

हमारे स्वास्थ्य पर गोरखमुंडी के फायदे अनेक देखने को मिलते हैं क्योकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके फायदों में बुखार को कम करना, लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर करना, मधुमेह में फायदेमंद, त्वचा के लिए फायदेमंद आदि कई लाभ शामिल हैं।

लेकिन गोरखमुंडी के नुकसान भी संभावना भी हो सकती हैं इसलिए इसके इस्तेमाल में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं। हमारी सलाह रहेगी की इसका उपयोग डॉक्टर के परामर्श पर ही करें।

संदर्भ

  1. Galani, Varsha J., B. G. Patel, and D. G. Rana. “Sphaeranthus indicus Linn.: A phytopharmacological review.International Journal of Ayurveda Research 1.4 (2010): 247. ↩︎
  2. Nanda, Bikash Kumar, et al. “Anti-inflammatory activity of whole parts of Sphaeranthus indicus Linn.” Der Pharmacia Lettre 2.1 (2010): 181-188. ↩︎
  3. Sarpate, R. V., T. K. Deore, and S. V. Tupkari. “Bronchodilatory effect of Sphaeranthus indicus Linn against allergen induced bronchospasm in guinea pigs.” Pharmacognosy magazine 5.19s (2009). ↩︎
  4. Rajendra, Vamsi Krishna Pothula, et al. “A blend of Sphaeranthus indicus flower head and Terminalia chebula fruit extracts reduces fatty liver and improves liver function in non-alcoholic, overweight adults.Functional Foods in Health and Disease 12.7 (2022): 361-179. ↩︎
  5. Mathews, LIZBY A., et al. “Hepatoprotective and antioxidant potential of Sphaeranthus indicus [Linn] on liver damage in Wistar rats.Int J Pharm Pharm Sci 4.3 (2012): 222-225. ↩︎
  6. Prabhu, Kirti S., Richard Lobo, and Annie Shirwaikar. “Antidiabetic properties of the alcoholic extract of Sphaeranthus indicus in streptozotocin-nicotinamide diabetic rats.” Journal of Pharmacy and Pharmacology 60.7 (2008): 909-916. ↩︎
  7. George, Mathew, et al. “Sphaeranthus indicus Linn: A pharmacological update.” Journal of Pharmaceutical Innovation 6.2 (2017): 77-84. ↩︎

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