विदारीकंद के फायदे, नुकसान और उपयोग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

विदारीकंद अपने कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, और इसलिए इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए सदियों से होता आ रहा है। आइए, विदारीकंद के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानें।

Author:

Brijesh Yadav

Published on:

विदारीकंद का संछिप्त परिचय

विदारी एक ऐसा पौधा है जो बेल की तरह बढ़ता है और आमतौर पर पौधों, पेड़ों या किसी अन्य माध्यम का सहारा लेकर फैलता है। यह मुख्य रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न जंगली और पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है।

  • विदारीकंद के फूल गुलाबी या बैंगनी रंग के होते हैं जो गुच्छों में खिलते हैं।
  • इसके फल लंबे और पतले होते हैं, जिनमें 4-5 बीज होते हैं और इसकी फली पकने के बाद भूरे रंग की हो जाती है।
  • इसकी जड़ें मोटी और गूदेदार होती हैं। यह जड़ें भूमिगत कंद के रूप में विकसित होती हैं। मुख्य रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए विदारी कंद व जड़ का उपयोग किया जाता है।

विदारी का वनस्पतिक नाम पुएरिया ट्यूबरोसा (Pueraria tuberosa) है। यह पौधों की फैबेसी (Fabaceae) परिवार से संबंधित है।

इस पौधे को कई नामों से जाना जाता है, जैसे हिंदी में इसे विदारीकंद और बनकुमड़ा कहा जाता है, संस्कृत में इसे भूमिकुष्माण्ड के नाम से जाना जाता है, और अंग्रेजी में इसे ‘भारतीय कुडज़ू’ (Indian kudzu) कहा जाता है।

विदारीकंद के फायदे

आयुर्वेद में विदारीकंद को महत्वपूर्ण जड़ी बूटी के तौर पर वर्णित किया गया है। आयुर्वेद में इसको यौन इच्छा को बढ़ाने, कमजोरी को दूर करने, शुक्राणु (sperm) के उत्पादन को बढ़ाने, गैलेक्टागॉग यानी स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध उत्पादन को बढ़ाने वाली औषधि के तौर पर दर्शाया गया है।

विदारीकंद का उपयोग कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन्स में किया जाता है, जैसे:

  • अश्वगंधारिष्ट: जो की मिर्गी के लिए परम्परिक उपाय माना जाता है,
  • महाविसर्ग तेल: जो की जोड़ों के दर्द और सटीक में उपयोगी माना जाता है।
  • सरस्वतीरिष्ट: जो की तंत्रिका तंत्र के विकारों के उपचार में उपयोगी माना जाता है।

इसके अलावां कई नए शोध इसके औषधीय गुणों का समर्थन करते हैं और इसके कई स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी देते हैं।

1. एंटीऑक्सीडेंट क्षमता

विदारीकंद में मजबूत एंटीऑक्सीडेंट क्षमता पाई जाती है।

एंटीऑक्सीडेंट हानिकारक मुक्त कणों से होने वाले कोशिका क्षति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हानिकारक मुक्त कण क्रोनिक बीमारियों और समय से पहले बुढ़ापे सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

विदारीकंद में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए गए हैं, जो मुक्त कणों को प्रभावी ढंग से बेअसर करते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होने वाली कोशिका को क्षति कम करते हैं।12

2. सूजन रोधी गुण

विदारीकंद में सूजन रोधी गुण पाए जाते हैं इसलिए यह सूजन संबंधी विकारों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

चूहों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि विदारीकंद कंद से निकाले गए एक यौगिक, आइसोरिएंटिन ने उनमें सूजन को कम किया और सूजन से संबंधित प्रोटीनों के स्तर को भी कम किया। इसके अलावा, आइसोरिएंटिन ने उनके शरीर में एंटीऑक्सिडेंट का स्तर भी बढ़ाया।3

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि विदारीकंद की जड़ों से बने अर्क में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं। इस अध्ययन में चूहों को 9 दिनों तक रोज़ाना विदारीकंद का अर्क दिया गया, और नतीजे दिखाते हैं कि इस अर्क ने चूहों में सूजन को कम करने में मदद की।4

3. मधुमेह के इलाज में प्रभावी

विदारीकंद मधुमेह के इलाज में प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

मधुमेह रोगियों का शरीर रक्त शर्करा को सही से नियंत्रित नहीं कर पाता है जिससे रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ाने लगती है। इसका कारण हो सकता है कि अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर इंसुलिन का सही से उपयोग नहीं कर पाता है।

इंसुलिन एक हार्मोन है जो शर्करा (suger) को कोशिकाओं में ले जाकर उसे ऊर्जा में बदलने में मदद करता है जिससे रक्त शर्करा नियंत्रित रहता है।

विदारीकंद अग्न्याशयी बीटा कोशिकाओं की मृत्यु को कम कर सकता है जिनका मुख्य कार्य है इंसुलिन का उत्पादन और स्राव करना होता है। साथ ही यह इंसुलिन स्राव को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।56

DPP-IV नामक एंजाइम भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का काम करता है लेकिन मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है और रक्त शर्करा को बढ़ाता है। विदारीकंद मधुमेह रोगियों में DPP-IV नामक एंजाइम को रोकने में मदद कर सकता है जिससे रक्त शर्करा नियंत्रित हो सकता है।78

4. हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

विदारीकंद हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक प्राकृतिक उपाय हो सकता है। यह हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, के प्रभाव को कम कर सकता है।

अध्ययन में, 15 उच्च रक्तचाप के रोगियों को 12 सप्ताह तक विदारीकंद का सेवन करवाया गया। परिणामों में यह पाया गया की उनके रक्तचाप में उल्लेखनीय कमी आई। इसके साथ ही उनके शरीर में एंटीऑक्सिडेंट का स्तर भी बढ़ा और रक्त के थक्के बनने को रोकने की क्षमता भी बढ़ी।9

5. कैंसर के इलाज में प्रभावी

विदारीकंद कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह न केवल कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करता है, बल्कि इन कोशिकाओं को नष्ट करने की भी क्षमता रखता है। इसके अलावा, यह शरीर में ऑक्सीडेशन को कम करता है और सूजन को रोकता है, जो कैंसर के विकास में प्रमुख कारक हो सकते हैं।1011

एक अध्ययन में पाया गया है कि विदारीकंद में ऐसे सक्रिय यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हैं और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं। शोध में यह सामने आया की विदारीकंद में मौजूद यह योगिक रजोनिवृत्ति के कारण होने वाली हड्डियों की कमजोरी को कम किया और स्तन तथा अंडाशय के कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया।12

एक अध्ययन में विदारीकंद पौधे के अर्क का उपयोग करके सिल्वर नैनोपार्टिकल्स (AgNPs) तैयार किए गए। इन नैनोपार्टिकल्स का विभिन्न प्रकार की कैंसर कोशिकाओं पर परीक्षण किया गया, और परिणाम उत्साहजनक पाए गए। इसने कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रभावी रूप से कार्य किया, जिससे यह संभावना उत्पन्न होती है कि भविष्य में यह कैंसर के उपचार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।13

6. यौन स्वास्थ्य में सुधार

विदारीकंद यौन स्वास्थ्य को बढ़ाने में उपयोगी माना जाता है। इसका उपयोग परम्परिक चिकित्सा पद्धतिओं में लम्बे समय से यौन समस्याओं को दूर करने के लिए में होता आया है।

एक अध्ययन में विदारीकंद के अर्क के प्रभावों का नर चूहों पर परीक्षण किया गया। परिणामों से पता चला कि इस पौधे के अर्क ने चूहों के यौन प्रदर्शन में सुधार किया, टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाया, और प्रजनन अंगों के विकास को प्रोत्साहित किया। यौन स्वास्थ्य संबंधी सकारात्मक प्रभाव संभवतःइस पौधे में मौजूद फाइटोस्ट्रोजन नामक रसायनों के कारण है जो हार्मोन उत्पादन और मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करते है।1415

विदारीकंद के नुकसान और सावधानियां

विदारीकंद के नुकसान संबंधी शोध और साक्ष्यों का आभाव है। हालाँकि, इसके दुरुपयोग से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

1. एलर्जी: मौखिक तौर पर इसके उपयोग से कुछ लोगों में एलर्जी के लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिसमें खुजली, चक्क्ते, और लालिमा आदि शामिल है।

2. पेट संबंधी समस्याएं: कुछ लोगों में इसका अधिक सेवन पेट से जुडी समस्याओं का कारण बन सकता है।

3. मतली और उलटी: विदारीकंद का अधिक सेवन मतली और उलटी का कारण बन सकता है।

ध्यान दें: यहाँ बताए गए विदारीकंद के नुकसान सामान्य समस्याएँ हैं, और इन दुष्प्रभावों के समर्थन में साक्ष्यों का आभाव है। प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति भिन्न होती है, इसलिए कुछ लोगों में अन्य दुष्प्रभावों की संभावनाएँ भी हो सकती हैं। 

सावधानियाँ

क्रोनिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को विदारीकंद का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।

दवाओं के साथ इसका सेवन करने से परस्पर प्रतिक्रिया हो सकती है, इसलिए किसी भी दवा के साथ इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

यदि कोई व्यक्ति ब्लड प्रेशर, और लिवर रोग की दवा का सेवन कर रहा है, तो उसे विदारीकंद का सेवन करने से बचना चाहिए, या फिर डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं पर इसके सेवन से जुड़े दुष्प्रभावों के साक्ष्यों की कमी के कारण, उन्हें इसके सेवन से परहेज करना चाहिए या डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

विदारीकंद का उपयोग

विदारीकंद पाउडर या चूर्ण का उपयोग स्वास्थ्य फायदों के लिए किया जाता है जिसमें  1/2 से 1 चम्मच विदारीकंद पाउडर को गर्म दूध, पानी, या शहद में मिलाकर सेवन किया जाता है।

बाजार में विदारीकंद कैप्सूल या गोली के रूप में भी उपलब्ध है, जिसे डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।

विदारीकंद के पाउडर को पानी या दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाया जाता है जिससे त्वचा से जुडी कई समस्याओं से लाभ मिलता है।

ध्यान दें: विदारीकंद के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इसके उपयोग से पहले इसकी मात्रा और खुराक पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इसलिए, इसक उपयोग से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

निष्कर्ष

विदारीकंद का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसलिए इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता रहा है, जैसे कि ऊर्जा बढ़ाना, यौन विकारों को दूर करना, और कमजोरी को कम करना। नए वैज्ञानिक शोध भी विदारीकंद के कई फायदे बताते हैं, और उनके अनुसार इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, और एंटी-कैंसर गुण होते हैं।

हालांकि, विदारीकंद के नुकसान के संबंध में स्पष्ट साक्ष्य नहीं हैं, फिर भी इसके उपयोग से पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों से बचा जा सके।

संदर्भ

  1. Pandey, Nidhi, et al. “Antioxidant properties of different fractions of tubers from Pueraria tuberosa Linn.Food chemistry 105.1 (2007): 219-222. ↩︎
  2. Sawale, Pravin Digambar, et al. “Immunomodulatory and antioxidative potential of herb (P ueraria tuberosa) in mice using milk as the carrier.” International Journal of Dairy Technology 66.2 (2013): 202-206. ↩︎
  3. Anilkumar, Kotha et al. “Evaluation of Anti-Inflammatory Properties of Isoorientin Isolated from Tubers of Pueraria tuberosa.Oxidative medicine and cellular longevity vol. 2017 (2017): 5498054. doi:10.1155/2017/5498054 ↩︎
  4. Pandey, Nidhi et al. “Anti-inflammatory effect of Pueraria tuberosa extracts through improvement in activity of red blood cell anti-oxidant enzymes.Ayu vol. 34,3 (2013): 297-301. doi:10.4103/0974-8520.123131 ↩︎
  5. Srivastava, Shivani et al. “Incretin hormones receptor signaling plays the key role in antidiabetic potential of PTY-2 against STZ-induced pancreatitis.Biomedicine & pharmacotherapy = Biomedecine & pharmacotherapie vol. 97 (2018): 330-338. doi:10.1016/j.biopha.2017.10.071 ↩︎
  6. Srivastava, Shivani et al. “Anti-oxidant, anti-apoptotic, anti-hypoxic and anti-inflammatory conditions induced by PTY-2 against STZ-induced stress in islets.Bioscience trends vol. 13,5 (2019): 382-393. doi:10.5582/bst.2019.01181 ↩︎
  7. Srivastava, Shivani et al. “Active phytochemicals of Pueraria tuberosa for DPP-IV inhibition: in silico and experimental approach.Journal of diabetes and metabolic disorders vol. 16 46. 21 Nov. 2017, doi:10.1186/s40200-017-0328-0 ↩︎
  8. SRIVASTAVA, SHIVANI, et al. “The tuber extract of pueraria tuberosa Linn. competitively inhibits DPP-IV activity in normoglycemic rats.Notes 20.90 (2015): 4-9. ↩︎
  9. Verma, S K et al. “Effect of Pueraria tuberosa DC. (Indian Kudzu) on blood pressure, fibrinolysis and oxidative stress in patients with stage 1 hypertension.Pakistan journal of biological sciences : PJBS vol. 15,15 (2012): 742-7. doi:10.3923/pjbs.2012.742.747 ↩︎
  10. Bulugonda, Ramakrishna K et al. “Mangiferin from Pueraria tuberosa reduces inflammation via inactivation of NLRP3 inflammasome.Scientific reports vol. 7 42683. 20 Feb. 2017, doi:10.1038/srep42683 ↩︎
  11. Adedapo, Adeolu Alex et al. “The aqueous tuber extract of Pueraria tuberosa (Willd.) D.C. caused cytotoxic effect on HT 29 cell lines with down regulation of nuclear factor-kappa B (NF-κB).Journal of complementary & integrative medicine vol. 16,4 /j/jcim.2019.16.issue-4/jcim-2016-0119/jcim-2016-0119.xml. 18 Oct. 2017, doi:10.1515/jcim-2016-0119 ↩︎
  12. Satpathy, Swaha et al. “A fraction of Pueraria tuberosa extract, rich in antioxidant compounds, alleviates ovariectomized-induced osteoporosis in rats and inhibits growth of breast and ovarian cancer cells.PloS one vol. 16,1 e0240068. 14 Jan. 2021, doi:10.1371/journal.pone.0240068 ↩︎
  13. Satpathy, Swaha et al. “Antioxidant and anticancer activities of green synthesized silver nanoparticles using aqueous extract of tubers of Pueraria tuberosa.Artificial cells, nanomedicine, and biotechnology vol. 46,sup3 (2018): S71-S85. doi:10.1080/21691401.2018.1489265 ↩︎
  14. Chauhan, Nagendra Singh et al. “Pueraria tuberosa DC extract improves androgenesis and sexual behavior via FSH LH cascade.TheScientificWorldJournal vol. 2013 780659. 30 Dec. 2013, doi:10.1155/2013/780659 ↩︎
  15. Gupta, R. S., et al. “Antifertility effects of Pueraria tuberosa. Root extract in male rats.” Pharmaceutical biology 42.8 (2005): 603-609. ↩︎

Leave a Comment