मोरिंगा गोंद के फायदे | अनेक रोगों की रामबाण औषधि

भरपूर पोषक तत्वों के कारण सहजन एक बहुत ही फायदेमंद पौधा माना जाता है। प्राचीन समय से ही लोगों द्वारा सहजन के अलग-अलग हिस्सों का इस्तेमाल स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। आइए इसी श्रंखला में सहजन से प्राप्त गोंद (मोरिंगा गोंद) और इसके फायदों के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।

Author:

Brijesh Yadav

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मोरिंगा गोंद (सहजन गोंद )क्या होता है?

सहजन (मोरिंगा) का गोंद एक प्राकृतिक रेजिन होता है। यह एक प्राकृतिक पॉलीसेकेराइड (polysaccharide) है जो एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के लिए जाना जाता है।

सहजन (मोरिंगा) गोंद को प्राप्त करने के लिए सहजन पेड़ (Moringa Oleifera) की छाल में एक कट लगाया जाता है। छाल काटने के बाद, पेड़ से प्राकृतिक रेजिन (गोंद) स्रावित होने लगता है। यह प्रक्रिया समय ले सकती है, और गोंद धीरे-धीरे छाल से बाहर निकलता है। इस गोंद को इक्क्ठा करके सूखा कर उपयोग में लिया जाता है।

हालाँकि सफ़ेद मोरिंगा गोंद का उपयोग करना अधिक लाभकारी माना जाता है, और इसका स्वाद फीका होता है। सफेद गोंद को मीठे सहजन यानी जिस सहजन की पत्तियां और फल स्वाद में कड़वे नहीं होते हैं से प्राप्त किया जाता है।

सहजन गोंद के फायदे

सहजन गोंद में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों सहित अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसका उपयोग विभिन्न चिकित्सकीय और स्वास्थ्य संबंधित लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। आइये विस्तार से समझते है।12

एंटीऑक्सीडेंट गुण

सहजन (मोरिंगा) गोंद में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि पाई जाती है जो कोशिका क्षति को धीमा करने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद कर सकता है।3

सहजन के गोंद से एक विशेष प्रकार का शर्करा (अरबिनागैलेक्टन) निकाला गया है। इस शर्करा में एक खास बात यह है कि यह शरीर में हानिकारक तत्वों (फ्री रेडिकल्स) से लड़ने में मदद कर सकती है। यानी यह एक एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करती है।

इसके अलावा, यह एक विशेष प्रकार के प्रोटीन (बीटा-लैक्टोग्लोबुलिन) से भी जुड़ सकती है, जिससे पानी में घुलनशील मिश्रण बनता है।4

सूजन रोधी और दर्द निवारक प्रभाव

सहजन के गोंद में सूजन रोधी और दर्द निवारक प्रभाव देखने को मिल सकता है। सूजन के कारण उत्त्पन होने वाले विभिन्न जोखिमों जैसे गठिया (जोड़ों के दर्द) और पुराने दर्द को कम करने में इसका गोंद मदतगार हो सकता है।

कुछ लोगों में मोरिंगा गोंद को पानी में घोल कर सेवन करने से उनके कमर दर्द से राहत देखने को मिलता है। हालांकि सूजन रोधी और दर्द निवारक पर सहजन गोंद के प्रभावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त शोध का अभाव है, इसलिए सटीक जानकारी के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।

घाव भरने में मददगार

सहजन गोंद घाव भरने में बहुत मददगार हो सकता है। यह पानी को सोखने में बहुत अच्छा होता है और जलन नहीं करता है, जो घाव के जल्दी भरने के लिए जरूरी है।

इसकी रोगाणुरोधी गुण के कारण यह कीटाणुओं से लड़ने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा, सूजनरोधी गुण के कारण यह सूजन को कम करने और लालिमा को कम करने में भी मदद कर सकता है।

सहजन गोंद के इन अद्भुत गुणों के कारण, इसका उपयोग करके विशेष घाव भरने वाली पट्टियां बनाई जा रही हैं जो कट और खरोंच को तेजी से और बेहतर तरीके से भरने में मदद कर सकती हैं।5

पेट से जुड़े रोगों में सहायक

परम्परागत तौर पर सहजन गोंद का इस्तेमाल पेट सम्बन्धी समस्याओं से राहत पाने के लिए लम्बे समय से किया जाता रहा है।

इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंत में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है, एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव आंत में हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकता है। हालाँकि शोध की कमी के कारण सटीक परिणाम का आभाव है।  

अध्ययन में पाया गया है मोरिंगा गोंद की दवा को बड़ी आंत तक पहुंचाने में मदद करता है। इसका मतलब यह है की बड़ी आंत से जुड़ी बिमारियों के बेहतर निदान के लिए सहजन गोंद मदतगार हो सकता है।6

त्वचा के लिए फायदेमंद

कई आयुर्वेदिक वैद्यों के अनुसार मोरिंगा गोंद को त्वचा विकारों जैसे दाग-धब्बों, मुहासों आदि से छुटकारा पाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। और एंटीबैक्टीरियल गुण मुंहासों के कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मोरिंगा गोंद के त्वचा लाभों के समर्थन में वैज्ञानिक शोधों का आभाव है इसलिए सटीक परिणामों के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

सहजन गोंद के नुकसान

सहजन (मोरिंगा) गोंद आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है।हालांकि इसके अधिक सेवन से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने की संभावनाएं हैं।

कुछ परिस्थितियों में इसके सेवन के प्रति सवाधानी बरतना फायदेमंद हो सकता है।:-

  • क्रोनिक बिमारियों के दौरान इसके प्रयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सहजन गोंद का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • अन्य दवाइयों के साथ इसके परस्पर प्रतिक्रिया से बचने के लिए, इसके प्रयोग में सावधानी बरतें और डॉक्टर से परामर्श करें।

निष्कर्ष

सहजन (मोरिंगा) का गोंद एक प्राकृतिक रेजिन होता है जिसे सफेद गोंद के नाम से भी जाना जाता है। इसके अपने औषधीय गुणों के कारण यह प्रचलित है। इसका उपयोग परम्परिक चिकित्सा पद्धति, और घरेलु उपचार में लम्बे समय से होता आया है।

मोरिंगा गोंद में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गुण होते हैं। यह दर्द निवारक के रूप में भी कार्य कर सकता है, इसका उपयोग जोड़ों के दर्द, कमर दर्द में प्रभावी माना जाता है।  यह पेट के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है साथ ही त्वचा के लिए भी लाभकारी है।

हालाँकि कुछ लोगों में मोरिंगा गोंद के नुकसान को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं लेकिन इसके नुकसान आम तौर पर नहीं देखने को मिलते हैं। लेकिन इसके बावजूद इसके उपयोग के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए और चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

संदर्भ

  1. Bhattacharya, Ayon et al. “A Review of the Phytochemical and Pharmacological Characteristics of Moringa oleifera.” Journal of pharmacy & bioallied sciences vol. 10,4 (2018): 181-191. doi:10.4103/JPBS.JPBS_126_18 ↩︎
  2. Bhattacharya, Subhas B., Asit K. Das, and Nilima Banerji. “Chemical investigations on the gum exudate from sajna (Moringa oleifera).” Carbohydrate research 102.1 (1982): 253-262. ↩︎
  3. Khare, G. C., V. Singh, and P. C. Gupta. “A New Leucoanthocyanin from Moringa oleifera Gum.” ChemInform 29.25 (1998): no-no. ↩︎
  4. Raja, Washim, Kaushik Bera, and Bimalendu Ray. “Polysaccharides from Moringa oleifera gum: structural elements, interaction with β-lactoglobulin and antioxidative activity.” RSC advances 6.79 (2016): 75699-75706. ↩︎
  5. Singh, Baljit, et al. “Functionalization of bioactive moringa gum for designing hydrogel wound dressings.” Hybrid Advances 4 (2023): 100096. ↩︎
  6. Singhal, Anil Kumar et al. “In vitro evaluation of Moringa oleifera gum for colon-specific drug delivery.” International journal of pharmaceutical investigation vol. 2,1 (2012): 48-51. doi:10.4103/2230-973X.96926 ↩︎

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