बालम खीरा के फायदे और नुकसान के साथ जाने उपयोग कैसे करें

बालम खीरा में कैंसर-विरोधी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है। - चलिए बालम खीरा के फायदों के बारे में विस्तार से समझते हैं।

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Brijesh Yadav

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अपने सेहत सम्बन्धित लाभों को ढूढ़ते हुए, आज आप बालम खीरा से सम्बन्धित इस ब्लॉग पोस्ट पर पहुचें हैं जहाँ इसके बारे में विस्तार से चर्चा किया गया है। यहाँ बालम खीरा के फायदे और नुकसान के साथ-साथ इसके परिचय, उपयोग आदि के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया गया है।

ऐसा संभव है की खीरे के जैसा दिखाई देने वाले इस फल के बारे में आपको बहुत अधिक जानकारी नहीं हो लेकिन आप इसके औषधीय गुणों और प्रयोजनों के बारे में जान कर चकित हो जायेंगे जिसको कई शोधों व अध्ययनों ने प्रमाणित भी क्या है। तो चलिए बालम खीरा के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

बालम खीरा संछिप्त परिचय

बालम खीरा, जिसे इंग्लिश में सॉसेज ट्री (Sausage Tree), वॉर्सबूम और वैज्ञानिक रूप से किगेलिया अफ़्रीकाना (Kigelia Africana) के नाम से जाना जाता है जो बिग्नोनियासी परिवार से संबंधित है। यह मुख्यतः उष्ण कटबंधीय जलवायु वाले चित्रों में उगता है इसलिए यह अधिकतर दक्षिण अफ्रीका में पाया जाता है लेकिन भारत के कई राज्यों में भी देखने को मिल जाता है।

बालम खीरा के फायदे और नुकसान Hermedy

जैसा की नाम से प्रतीत होता है की बालम खीरा टहनियों पर लटकते खीरे के समान दिखाई देता है जनकी लाबाई कभी-कभी 2 फीट (60 सेमी) तक भी हो सकती है। फूल बैंगनी हरे रंग के होते हैं जिनका साइज़ 4 इंच तक होता है और आकार में थोड़े अनियमित होते हैं या एक तरफ झुके हुए होते हैं। बालम खीरा का पेड़ अपने आप में 20 से 40 फिट लंबा और भव्य हो सकता है।

बालम खीरा के फायदे

बालम खीरा और इसके पेड़ के विभिन्न हिस्सों में मौजूद कई अन्य पोषक तत्वों के साथ इसके कैंसर-विरोधी, एनाल्जेसिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी योगिक1 जैसे वर्बास्कोसाइड (verbascoside), वर्मिनोसाइड (verminoside) और पिनाटल (pinnatal) इसे एक औषधि बना देते हैं। इसके अतरिक्त इसके विभिन्न भागों से लगभग 150 यौगिकों की पहचान किया गया है जिसमें इरिडोइड्स, नेफ्थोक्विनोन, फ्लेवोनोइड्स, और टेरपेन्स प्रमुख हैं।23

इसलिए बालम खीरा के जड़, फल, बालम खीरा जूस आदि का उपयोग पारंपरिक रूप से कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है जैसे घाव भरने, गठिया, सोरायसिस, दस्त और पेट की बीमारियों में। चलिए सेहत सम्बन्धी बालम खीरा के फायदे के बारे में विस्तार से समझते हैं।

कैंसर-रोधी गुण

पारम्परिक तौर पर बालम खीरा का इस्तेमाल कैंसर के रोकथाम करने वाले पौधे के तौर पर माना जाता रहा है। हालाँकि की शोध में यह पाया गया की इसमें ऐसे उचित फाइटोकेमिकल्स मौजूद थे जो न्यूरोब्लास्टोमा सेल जैसे कैंसर के खिलाफ लड़ने में सहायक हो सकते हैं।4 इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला में एक शोध में पर्याप्त सबूत मिले की इसमें मौजूद रसायन स्तन कैंसर के रोकथाम में भी कारगर हो सकते हैं।5

त्वचा के लिए फायदेमंद

बालम खीरा के पोषक तत्व त्वचा को स्वस्थ व जवान रखने में मदत कर सकतें हैं त्वचा पर आई झुर्रियों को भी कम करने में मदत कर सकते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-बैक्टीरियल गुण कई प्रकार की त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे फंगल संक्रमण, सोरायसिस और एक्जिमा, आदि रोगों में रहत प्रदान करने में भी मदत कर सकता है।

पेट सम्बन्धी परेशानियों में लाभदायक

बालम खीरा (Kigelia Africana) का उपयोग सूजन, ऐंठन और अपच जैसी सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल असुविधाओं से राहत प्रदान करने के लिए किया जाता रहा है। इसमें बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो जठरांत्र मार्ग (gastrointestinal tract) में होने वाली सूजन को रोक सकता है। इसमें हल्के रेचक गुण होते हैं और यह कब्ज में मदद कर सकता है। इसमें रोगाणुरोधी गुण हो सकते हैं, जो पाचन तंत्र में बैक्टीरिया या परजीवी संक्रमण से निपटने में मदद कर सकते हैं।

पुरुष प्रजनन प्रणाली का विकास

चूहों पर हुए एक अध्ययन में ऐसा देखा गया की बालम खीरा के अर्क देने से उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ उनके प्रजनन प्रणाली का विकास बहुत तेजी से हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि बालम खीरा के अर्क में मौजूद कुछ यौगिकों के कारण पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का रिसाव सकारत्मक तरीके से बढ़ा सकता है जिससे पुरुष प्रजनन प्रणाली के विकास तेजी से हो सकता है।6

पुरुष बाँझपन में फायदेमंद

बालम खीरा के अर्क पुरुषों में होने वाली बाँझपन की समस्या में फायदेमंद हो सकता है। शोध में ऐसा पाया गया की इसके फल का अर्क कम शुक्राणु संख्या (Oligospermia) के इलाज के लिए सहायक हो सकता है, और छिलके रहित फल का अर्क कमजोर शुक्राणु या कम गतिशीलता (Asthenospermia) और असामान्य आकार (Teratospermia) वाले शुक्राणु के इलाज के लिए फायदेमंद हो सकता है।7

घाव भरने में कारगर

बालम खीरा के जड़, पत्तियों और तने की अर्क में ऐसे एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुण पाए गए हैं, जो विभिन्न सूक्ष्मजीवों जो घावों को भरने से रोकते हैं को नष्ट करने में फायदेमंद साबित हो सकतें हैं जिससे घाव भरने को तेजी से भरने में मदत मिलती हैं।8

रोग प्रतिरोधक

बालम खीरा में मौजूद पोषक तत्व, विटामिन, खनिज, योगिक जैसे एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदत कर सकते हैं। जिससे यह सम्पूर्ण स्वास्थ को बेहतर करने और रोगों से लड़ने में कारगर साबित हो सकता है।9

जाने:- छोटी हरड़ के फायदे और नुकसान

बालम खीरा के नुकसान

बालम खीरा खाने के नुकसान इस बात पर निर्भर करता है की आप इसका उपयोग कैसे करते हैं क्योकि कच्चा बालम खीरा जहर के समान माना जाता है यानी किसी अन्य फल के सामान आप इसके फल को सीधा पेड़ से तोड़ कर प्रयोग नहीं कर सकते हैं और ऐसा करने पर सेहत पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव उजागर हो सकते हैं।  

हालाँकि इसके नुकसान को लेकर अभी पर्याप्त शोध उपलब्ध नहीं है लेकिन इसके अधिक उपयोग या अनियमित और अनियंत्रित उपयोग कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए बालम खीरा का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श से करना उचित होगा ताकि आप बालम खीरा के दुष्प्रभावों से बच सकें।

बालम खीरा का उपयोग कैसे करें?

इसका प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जिसमे बालम खीरा जूस और बालम खीरा चूर्ण प्रमुख है। क्योकि बालम खीरा का फल को कच्चा या सीधा पेड़ से तोड़ कर उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। तो चलिए इसके उपयोग के बारे में विस्तार से समझते हैं।

इसका प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जिसमे बालम खीरा जूस और बालम खीरा चूर्ण प्रमुख है। क्योकि बालम खीरा के फल को कच्चा या सीधा पेड़ से तोड़ कर उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। तो चलिए इसके उपयोग के बारे में विस्तार से समझते हैं।

बालम खीरा जूस:-  एक बालम खीरा फल को लेकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर अच्छे से धो लें, इसके बाद 500 ग्राम फल के टुकड़ों में 1 से 1.5 लीटर पानी में उबालें जबतक पानी का रंग गाढ़ा ना हो जाये, उसके बाद ठंडा होने दें और फिर उसे छान कर कर किसी बर्तन में स्ट्रॉर कर लें और रोजाना थोड़ा थोड़ा इस्तेमाल करें।  

बालम खीरा चूर्ण:- बालम खीरा चूर्ण बनाने की विधि – एक बालम खीरा फल को छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर और उसे धो कर अच्छे से सूखा लें, सूखे हुए टुकड़ों को अच्छे से पीस लें और पाउडर बना लें।

इसके पश्चात 50 ग्राम मेथी का बीज, 50 ग्राम जीरा, 50 ग्राम अजवाइन को हल्का धीमी आंच पर भून कर अच्छे से बारीक़ पीस लें और 20 ग्राम सुद्ध हींग पाउडर भी लेकर रख लें।

इसके बाद 50 ग्राम काली हरड़ को 2 से 3 चम्मच अरंडी के तेल में भून लें जिससे वह फूल जाएगी और अंत में इसका भी पाउडर बना लें।

इसके पश्चात इन सभी चीजों को 100 ग्राम बालम खीरा के पाउडर में अच्छे से मिला लें अंत में थोड़ा पिसा हुआ सेंधा नमक भी मिला लें। अब हमारा बालम खीरा चूर्ण बनाकर तैयार है, रोजाना 5 ग्राम बालम खीरा चूर्ण को खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे के बाद ले सकते हैं।

ध्यान दे – शारीरिक दुष्प्रभाव से बचने के लिए किसी भी प्रकार की औषधीय प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परमर्श जरूर करें।

इसके अतरिक्त अन्य कई विधियों के द्वारा बालम खीरे का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके प्रत्येक हिस्से (जड़, पत्ता, फल) का उपयोग किसी न किसी रूप में किया जाता है, उपयोग करने के प्रचलित रूप में बालम खीरा का पानी, जूस और चूर्ण शामिल है।

निष्कर्ष

बालम खीरा (Kigelia Africana) का पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसको सॉसेज ट्री और वैज्ञानिक दृष्टि से किगेलिया अफ़्रीकाना के नाम से जाना जाता है। इसमें कैंसर-विरोधी, एनाल्जेसिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी योगिक पाए जाते है इसलिए बालम खीरा के फायदे अनेक होते हैं जैसे त्वचा के लिए फायदेमंद, पेट के लिए फायदेमंद, पुरुष प्रजनन प्रणाली का विकास, घाव भरने में कारगर आदि।

हालाँकि बालम खीरा के नुकसान को लेकर अभी पर्याप्त शोध उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ संभावित नुकसान हो सकतें हैं क्योकि कच्चा बालम खीरा जहर के समान होता है। बालम खीरा का उपयोग करने में बालम खीरा जूस और बालम खीरा चूर्ण प्रमुख हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है की इसका उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से जरूर परमर्श करना चाहिए।

संदर्भ

  1. Nabatanzi, Alice, et al. “Antioxidant and Anti-Inflammatory Activities of Kigelia africana (Lam.) Benth.” Evidence-Based Complementary and Alternative Medicine 2020 (2020). ↩︎
  2. Bello, Idris, et al. “Kigelia africana (Lam.) Benth.(Sausage tree): Phytochemistry and pharmacological review of a quintessential African traditional medicinal plant.” Journal of ethnopharmacology 189 (2016): 253-276. ↩︎
  3. Singh, Anupriya, et al. “Ethnopharmacology and pharmacology of Kigelia africana (Lam.) Benth.” Int. J. Green Pharm 11 (2018): S23-S31. ↩︎
  4. Ahrens, Sofia, et al. “Kigelia africana inhibits proliferation and induces cell death in stage 4 Neuroblastoma cell lines.” Biomedicine & Pharmacotherapy 154 (2022): 113584. ↩︎
  5. Mukavi, Justus Wambua, et al. “In vitro anti-cancer efficacy and phyto-chemical screening of solvent extracts of Kigelia africana (Lam.) Benth.” Heliyon 6.7 (2020). ↩︎
  6. Micheli, Veronica, et al. “Effects of Kigelia africana (Lam.) Benth. fruits extract on the development and maturation of the reproductive system in immature male rats.” Natural product research 34.1 (2020): 162-166. ↩︎
  7. Koné, Maïmouna Coura, et al. “Effect of Different Parts of Kigelia africana Fruit Aqueous Extracts on Sperm Parameters and Testis.” Advances in Reproductive Sciences 9.3 (2021): 171-188. ↩︎
  8. Agyare, Christian, et al. “Antimicrobial, antioxidant, and wound healing properties of Kigelia africana (Lam.) Beneth. and Strophanthus hispidus DC.” Advances in Pharmacological and Pharmaceutical Sciences 2013 (2013). ↩︎
  9. *Katoch, Meenu, et al. “Immunosuppressive potential of Botryosphaeria dothidea, an endophyte isolated from Kigelia africana.” Pharmaceutical Biology 53.1 (2015): 85-91. ↩︎

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