संछिप्त परिचय
गुग्गुल एक प्रकार का सुगंधित लार, लासा या गोंद है जो कि गूग्गल के पेड़ के टहनियों पर घाव या चिरा लगाके प्राप्त किया जाता है। इसका उपयोग सुगन्धित धुप, इत्र और धार्मिक अनुष्ठानों के अलावां एक औषधि के तौर पर सदियों से होता आया है।
गुग्गुल का वानस्पतिक नाम Commiphora wightii है, जो की बरसरेसी (Burseraceae) परिवार से संबंधित है। इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिनमें गुग्गुलु, देवधूप और मुकुल मिर्र ट्री (Mukul Myrrh Tree) इसके प्रमुख नाम हैं।
गुग्गुल का वृक्ष कई शाखाओं वाला, छोटा, और झाड़ीदार होता है जो लगभग 13 फिट तक की उचाई प्राप्त कर सकता है। इसकी छाल पतली होती है जो कागज के समान प्रतीत होती है। इसके पेड़ के तनो को काटने या चीरा लगाने पर एक विशेष प्रकार की गोंद जैसा पदार्थ निकलता है जिसे “गुग्गुल रेजिन” या “गुग्गुल” कहा जाता है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति ‘आयुर्वेद’ में गुग्गुल को कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए एक विशेष औषधि के तौर दर्शाया गया है, और इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं में एक मुख्य जड़ीबूटी के तौर पर भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य परम्परिक चिकित्सा पद्धतियों में भी गुग्गुल को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है।
यह पोस्ट गुग्गुल के फायदे और नुकसान से जुड़ी शोध-आधारित जानकारी प्राप्त करने में सहायक होगी।
गुग्गुल के फायदे | Benefits of Guggul
गुग्गुल में टेरपेनोइड्स, स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड्स, और गुग्गुलस्टेरोन जैसे कई महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक पाए जाते हैं, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।1
एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गतिविधि
शोधों में पाया गया है की गुग्गुल में एंटीऑक्सीडेंट क्षमता होती है।2 इसमें गुग्गुलस्टेरोन नामक एक सक्रिय योगिक पाया जाता है जो महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट क्षमता प्रदर्शित कर सकता है।3
एंटीऑक्सीडेंट हानिकारक मुक्त कणों के प्रभाव को कम करने में मदत करते हैं जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव नहीं होता है और विभिन्न शारीरिक जोखिमों या रोगों से बचने में मदद मिलती है।
गुग्गुल के सूजनरोधी प्रभावों पर हुए शोध में यह पाया गया है कि इसमें मौजूद सक्रिय यौगिक, जैसे गुग्गुलस्टेरोन, सूजन को कम करने वाले गुण प्रदर्शित करते हैं। इसलिए गुग्गुल सूजन से जुड़े रोगों के उपचार में सहायक हो सकता है। हालांकि, सूजन संबंधी रोगों पर गुग्गुल के प्रभाव के सटीक निष्कर्षों के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।45
गुग्गुल घटिया रोग में फायदेमंद हो सकता है
गुग्गुल गठिया के इलाज में फायदेमंद हो सकता है।
गठिया से पीड़ित 30 रोगियों पर हुए अध्ययन में यह पाया गया कि जिन रोगियों को दिन में तीन बार 500mg ग़ुग्गल कैप्सूल एक महीने तक किया गया था उनके गठिया की लक्षणों में सुधार हुआ और किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिले।6
ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित 30 रोगियों पर हुए एक अन्य अध्ययन में यह पाया गया कि गुग्गुल अर्क ने घुटने के दर्द को कम किया, घुटने की मूवमेंट में सुधार किया, चलने की दूरी बढ़ाई और सूजन कम की।7
घ्यान दें: गठिया रोग में गुग्गुल फायदेमंद हो सकता है लेकिन विस्तृत और सटीक परिणामों के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है
विभिन्न शोधों में यह पाया गया है की गुग्गुल में मौजूद सक्रिय योगिक “गुग्गुलस्टेरोन” में हाइपोलिपिडेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने) गुण होता है जो कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने में मदत कर सकता है। जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।8
चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की गुग्गुलस्टेरोन की 50 mg/kg खुराक देने से इस्केमिया (रक्त प्रवाह की कमी) से पीड़ित चूहों के हृदय को काफी हद तक सुरक्षित रखा, और उनके रक्त और हृदय से संबंधित बायोकेमिकल पैरामीटर्स में सुधार पाया गया। इसके अलावा, गुग्गुलस्टेरोन ने उनके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम किया, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फयदेमंद है।
इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण मुक्त कणों के प्रभाव को कम कर सकते हैं, मुक्त कण ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बन सकते हैं जो हृदय की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। को कम करने में मदद मिल सकती है। अन्य हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।9
मुँहासों के रोकथाम में उपयोगी हो सकता है।
मुँहासे एक आम त्वचा की समस्या है जिसके इलाज में गुग्गुल फायदेमंद हो सकता है।
मुँहासे के गंभीर रूप, नोड्यूलोसिस्टिक एक्ने से पीड़ित 20 मरीजों पर हुए एक शोध में यह पाया गया की जिन मरीजों को दिन में दो बार 3 महीने तक गुगुलिपिड (25 mg गुग्गुलस्टेरोन, जो गुग्गुल का एक यौगिक है) दिया गया उनके एक्ने के घावों में लगातार कमी आई। खास बात यह रही कि तैलीय त्वचा वाले मरीजों ने गुगुलिपिड के साथ विशेष रूप से बेहतर परिणाम दिखाए।10
कैंसर के रोकथाम में उपयोगी हो सकता है
हालिया विभिन्न शोध में पाया गया है कि गुग्गुल में पाए जाने वाले सक्रिय योगिक कैंसर को रोकने और उसके इलाज में मदद कर सकते हैं। यह ट्यूमर कोशिकाओं के वृद्धि को रोक सकते हैं और कोशिका मृत्यु (अपोप्टोसिस) को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह कैंसर कोशिकाओं के प्रसार से जुड़े कुछ प्रोटीन को भी नियंत्रित करता है, जिससे कैंसर का फैलाव को रोका जा सकता है।1112
एक अध्ययन में पाया गया कि गुग्गुल से प्राप्त योगिक गुगुलिपिड (Gugulipid) ने मानव प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं पर एंटी-कैंसर प्रभाव दिखाया। इसने कोशिका मृत्यु (apoptosis) को सक्रिय किया, जिससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में कमी आई।13
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गुग्गुल के नुकसान और सावधानियां
गुग्गुल की संतुलित खुराक सुरक्षित मानी जाती है और इससे आमतौर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को निम्नलिखित दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है:
- सिरदर्द
- हल्का मतली महसूस होना
- डकार आना
- हिचकी
- पतले दस्त
- त्वचा पर चकत्ते
गर्भवती महिलाओं को गुग्गुल का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और स्वास्थ्य जोखिमों से बचने के लिए डॉक्टर के परामर्श पर ही इसका उपयोग करना चाहिए।
क्रोनिक बीमारियों और विभिन्न दवाओं के साथ गुग्गुल का उपयोग केवल डॉक्टर के परामर्श पर ही करना उचित है।
ध्यान दें: गुग्गुल के नुकसान से संबंधित साक्ष्यों का अभाव है, सटीक परिणामों के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। यदि आपको किसी प्रकार का दुष्प्रभाव अनुभव हो, तो चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।
निष्कर्ष
गुग्गुल एक प्रकार का सुगंधित लासा या गोंद है, जो गुग्गुल के पेड़ के तनों पर चीरा लगाकर प्राप्त किया जाता है। इसमें कई प्रकार के रासायनिक यौगिक पाए जाते हैं, जो इसे एक औषधीय जड़ी-बूटी बना देते हैं। गुग्गुल के फायदों में गठिया, हृदय रोग, मुँहासे और कैंसर की रोकथाम आदि शामिल है।
हालाँकि गुग्गुल का उपयोग सामान्यत: सुरक्षित माना जाता है, फिर भी कुछ लोगों में इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, गुग्गुल का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित रहेगा।
संदर्भ
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