टोफू उन खाद्यों में से एक है जिसकी लोकप्रियता विश्वभर में तेजी से बढ़ी तो है लेकिन साथ ही लोगों के मन में टोफू के फायदे और नुकसान से जुड़े कई सवाल भी उठने लगे हैं की क्या अपने आहार में टोफू को शामिल करना हमारे सेहत के लिए फायदेमंद है और क्या इसको खाने से हमारे स्वास्थ्य पर कोई हानिकारक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
आइये टोफू से जुड़े इन सवालों के जवाब ढूंढने का प्रयास करते हैं।
टोफू क्या है और कैसे बनाया जाता है?
टोफू (Tofu), जिसे सोया पनीर के नाम से भी जाना जाता है सोयाबीन को पीस कर प्राप्त किये गए दूध से तैयार किया जाता है। सोयाबीन दूध से टोफू बनाने की प्रक्रिया दूध से पनीर बनाने की प्रक्रिया के समान ही होती है।
टोफू बनाने की विधि में शामिल है:-
- 6 से 8 घंटे भिगोये सोयाबीन को पानी से साथ पीस कर उसमें से दूध को प्राप्त करना
- उबलते हुए सोयाबीन दूध में निगारी डाल कर फाड़ना (CURDLING)
- फटे दूध को अच्छे से छान कर जमने के लिए छोड़ देना
(निगारी (Nigari) एक जापानी शब्द है जो की एक नमकीन पानी का घोल होता है जो समुद्री जल से नमक निकालने के बाद बच जाता है। यह मुख्य रूप से मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl₂) से बना होता है, इसका इस्तेमाल सोया दूध को ज़माने के लिए किया जाता है।)
टोफू में मौजूद पोषक तत्व
100g कैल्शियम सल्फेट से तैयार टोफू में मौजूद पोषक तत्व:-
- कैलोरी:- 76kcal
- प्रोटीन:- 8.08g
- वसा:- 4.78
- कार्बोहाइड्रेट:- 1.87g
- फाइबर:- 0.3g
- कैल्शियम:- 350mg
- आयरन:- 5.36mg
- मैग्नीशियम:- 30mg
- फॉस्फोरस:- 97mg
- पोटेशियम:- 121mg
- जिंक:- 0.8mg
- विटामिन ए:- 85IU
- विटामिन के:- 2.4µg
टोफू में मौजूद पोषक तत्व विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं जैसे सोया दूध की गुणवत्ता, बनाने की विधि, सेट करने की प्रक्रिया, आदि, इसलिए इसके पोषक तत्वों में भिन्नता देखी जा सकती है।
हमारे स्वास्थ्य पर टोफू खाने के फायदे
टोफू प्रोटीन, विटामिन और खनिज जैसे पोषक तत्वों का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। टोफू में आइसोफ्लेवोन्स भी पाया जाता है, जो एक प्रकार का फ्लेवोनोइड है। यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों सहित कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।
आइये कुछ आवश्यक टोफू के फायदों के बारे में विस्तार से जान लेता हैं।
हृदय रोग जोखिमों को कम कर सकता है
सोया खाद्य पदार्थों और टोफू को अपने आहार में शामिल करने से हृदय रोग को उत्त्पन करने वाले जोखिमों को कम किया जा सकता है।
टोफू हमारे ह्रदय के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योकि इसमें पाए जाने वाले आइसोफ्लेवोन्स, लेसितिंस, सैपोनिन और फाइबर, जैसे तत्व कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदत कर सकते हैं, इसके अलावां उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर), सूजन और मोटापा को नियंत्रित रखने में भी मदतगार हो सकते हैं।1
तीन बड़े अध्ययनों जिनमें कुल मिलाकर 2 लाख से अधिक लोग शामिल थे से प्राप्त डाटा में पाया गया की जिन लोगों ने ज्यादा आइसोफ्लेवोन्स और टोफू का सेवन किया, उनमें हृदय रोग का खतरा थोड़ा कम हो गया। विशेष रूप से टोफू का सेवन ज्यादा फायदेमंद महिलाओं में दिखा, खासकर कम उम्र वाली महिलाओं में और वह महिलाएं जो रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन का सेवन नहीं कर रही थी।2
मधुमेह के खतरे को कम कर सकता है
मधुमेह जोखिमों को कम करने के लिए सोया खाद्य जैसे टोफू फायदेमंद हो सकता है। टोफू, सोया प्रोटीन और सोया आइसोफ्लेवोन्स का सेवन टाइप 2 मधुमेह में फायदेमंद हो सकता है।34
68 गर्भवती महिलाओं, जिन्हें गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes Mellitus) था, पर हुए शोध में पाया गया की जिन महिलाओं को सोया प्रोटीन वाला आहार दिया गया, उनके शरीर में शुगर संतुलन बेहतर हुआ और ऑक्सीडेटिव तनाव (oxidative stress) कम करने वाले तत्वों की मात्रा भी ज्यादा पाई गई। साथ ही, उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में वसा का एक प्रकार) का स्तर कम पाया गया। गौर करने वाली बात यह है कि सोया प्रोटीन लेने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं में हल्का पीलिया (Hyperbilirubinemia) होने की संभावना भी कम थी।5
ध्यान दें:- यह महिलाओं के लिए टोफू के फायदों पर सीमित शोध है। सटीक परिणामों के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।
2013-2015 के दौरान किए गए एक अन्य अध्ययन में उन वयस्कों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम पाया गया, जो सोया खाद्य पदार्थ और आइसोफ्लेवोन्स का सेवन करते थे।6
कैंसर के खतरों को कम करने में मदद मिल सकती है
विभिन्न शोध में यह सामने आया है की सोया खाद्य पदार्थों जिसमें टोफू भी शामिल है को अपने आहार में शामिल करने से कैंसर के जोखिमों को कम किया जा सकता है।7
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने भी सोया आहार जैसे टोफू आदि को एक सेहतमदं विकल्प के रूप में देखा है और कैंसर के जोखिमों को कम करने में इसको सहयोगी बताया है, लेकिन वही पर्याप्त साक्ष की कमी की और भी ध्यान केंद्रित किया है।
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाला एक आम कैंसर है जो एक बड़ी जनसंख्या को प्रभवित कर रहा है। हालाँकि पिछले अध्ययनों के मिलेजुले नतीजों के बिच कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि सोया खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है।89
हालाँकि स्तन कैंसर के निदान के बाद सोया खाद्य पदार्थों के उपयोग को लेकर कुछ असहजता भी देखी गई है क्योंकि सोया में पाए जाने वाला आइसोफ्लेवोन्स की रासायनिक संरचना एस्ट्रोजन के समान होती है और शरीर में एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा स्तन कैंसर को बढ़ा सकता है।1011
लेकिन अध्ययन संकेत देते हैं की संपूर्ण सोया खाद्य पदार्थों के संतुलित मात्रा में सेवन करने से स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को प्रभावित नहीं करता है। इसके बजाय नतीजे यह दर्शाते हैं की सोया खाद्य स्तन कैंसर के जोखिमों में कमी ला सकते है।12
रजोनिवृत्ति से जुड़े लक्षणों में लाभकारी हो सकता है।
रजोनिवृत्ति के लक्षणों के उपचार के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) प्रभावी मानी जाती है लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं इस उपचार के दौरान स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है और हृदय स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। वहीँ रजोनिवृत्ति से जुड़े लक्षणों जैसे थकान मूड स्विंग और खासकर हॉट फ्लैशेस के प्रबंधन में टोफू और सोया उत्त्पाद फायदेमंद हो सकते हैं।1314
हालाँकि सटीक और स्पष्ट परिणामों के लिए अधिक शोध की जरूरत है।
हड्डियों के स्वास्थ्य में उपयोगी हो सकता है
कई अध्ययन इस और संकेत देते हैं की सोया खाद्य जैसे टोफू हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं, यानी ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम कर सकते हैं।
अध्ययन में पाया गया कि सोया आइसोफ्लेवोन्स का सेवन करने से हड्डी के घनत्व (BMD) में सुधार हुआ, और हड्डी के टूटने में कमी आई। हालाँकि यह नतीजे लम्बे समय तक सोया आइसोफ्लेवोन्स के सेवन करने से होने की संभावना है।15
महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों का स्वास्थ्य:-
जो महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों के नुकसान से पीड़ित होती हैं, उनके लिए टोफू या सोया खाद्य पदार्थ जिनमें आइसोफ्लेवोन्स होते हैं, रजोनिवृत्ति के बाद ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।1617
हालाँकि, सटीक परिणामों के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।
टोफू के नुकसान
अधिकतर मामलों में टोफू और दूसरे सोया उत्पादों का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है। लेकिन कुछ मामलों में शारीरिक दिक्क्तों की संभावना भी देखी जा सकती हैं।
एलर्जी (Allergy):- सोया और इसके उत्पादों से कुछ लोगों में एलर्जी के लक्षण होने की संभावना होती हैं, हालाँकि वयस्कों के अलावां बच्चों में सोया एलर्जी अधिक देखने को मिलती हैं।
पाचन समस्याएं (Digestive Problems):- टोफू कुछ लोगों में पाचन समस्याओं जैसे कब्ज या दस्त का कारण बन सकता है।
स्तन कैंसर (Breast Cancer):- टोफू में मौजूद आइसोफ्लेवोन्स की रासायनिक संरचना एस्ट्रोजन के समान होती है एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा कैंसर का कारण बन सकती हैं इसलिए एस्ट्रोजेन-संवेदनशील स्तन ट्यूमर वाले लोग को सोया से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालाँकि कुछ नए अध्ययन संकेत देते हैं की स्तन कैंसर पर सोया उत्त्पादों का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
थायराइड (Thyroid) संबंधी समस्याएं:- कुछ लोगों को चिंता है कि सोया थायरॉयड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। हाइपोथायरायड (Hypothyroid) रोगियों और आयोडीन की कमी से जूझ रहे लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। हाइपोथायरायड रोगियों को थायरॉयड हार्मोन की खुराक बढ़ाने की जरूरत है अगर वे सोया का सेवन कर रहें हैं। और पर्याप्त आयोडीन का सेवन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। हालाँकि स्वस्थ्य लोगों में, सोया थायरॉयड कार्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करता है।18
ध्यान दें:- सोया उत्त्पाद और टोफू के नुकसान विशिष्ट व्यक्तियों पर अलग अलग अनुभव हो सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतनी अनिवार्य हैं। और इसके सेवन से किसी भी प्रकार की शारीरिक परेशानी और सटीक जानकारी के लिए अनुभवी आहार विशेषज्ञ और अपने डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।
निष्कर्ष
टोफू को सोया पनीर के नाम से भी जाना जाता है। जिसे सोयाबीन से प्राप्त दूध से तैयार किया जाता है। हमारे स्वास्थ्य पर टोफू यानी सोया पनीर के फायदे अनेक देखने को मिल सकते हैं क्योकि इसमें आवश्यक पोषक तत्वों की विस्तृत श्रंखला पाई जाती है। टोफू के सेवन करने से हृदय रोगों में कमी आ सकती है, मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है, स्तन कैंसर और अन्य कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है, और यह रजोनिवृत्ति से जुड़े लक्षणों में लाभकारी हो सकता है।
हालाँकि टोफू के फायदे कई हो सकते हैं लेकिन कुछ लोगों में इसके सेवन से शारीरिक नुकसान भी देखे जाने की संभावना होती है जिसमें एलर्जी और पाचन समस्याएं शामिल हैं। इसलिए किसी भी शारीरिक परेशानी के अनुभव करने की स्थित में अपने डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।
संदर्भ
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