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गर्भावस्था के दौरान रखें खानपान पर ध्यान: बच्चा होगा सेहतमंद

गर्भावस्था के दौरान एक माँ की सेहत का सीधा सम्बन्ध उनकी होने वाली संतान की सेहत से होता है, इसलिए महिलाओं को इस दौरान अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरी होती है। अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महिलाओं को बेहतर लाइफस्टाइल जैसे नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, ...

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Akash Yadav

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गर्भावस्था के दौरान एक माँ की सेहत का सीधा सम्बन्ध उनकी होने वाली संतान की सेहत से होता है, इसलिए महिलाओं को इस दौरान अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरी होती है।

अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महिलाओं को बेहतर लाइफस्टाइल जैसे नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव कम करने के लिए मैडिटेशन, आदि अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इन सब के बावजूद गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

March of Dimes (MOD) के एक अध्यन के अनुसार दुनिया भर में सालाना लगभग 80 लाख बच्चे जन्म से ही किसी गंभीर जन्म दोषों से पीड़ित होते हैं, और इनमे से लगभग 95% बच्चे विकाशील देशों से होते हैं यानि मध्यम आय वाले देशों से होते हैं।

भारत में प्रति 1000 बच्चों में से लगभग 60 बच्चे जन्म से ही किसी ना किसी प्रकार के शारीरिक दोष के साथ पैदा होते हैं। इसका मुख्य कारण माँ की सेहत, खान पान और दूषित पर्यावण हो सकता है।1  

चलिए इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से यह समझने का प्रयास करते हैं की गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं ताकि एक माँ अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने आने वाले बच्चे के अच्छी सेहत को प्राप्त कर सके।

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गर्भावस्था के दौरान किन पोषक-तत्वों की अधिक जरूरत होती है?

गर्भावस्था के दौरान महिला के गर्भाशय में एक नवजात शिशु का विकास हो रहा होता है इसलिए उनको अपने शारीरिक पोषण के अलावां उस भूर्ण के विकास के लिए भी आवश्यक पोषण की जरूरत होती है और इस अधिक पोषण की मांग प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों से ही शुरू हो जाती है।2

वह कौन से पोषक तत्व हैं जिनकी गर्भावस्था के दौरान आवश्यक मांग होती है, चलिए विस्तार से समझते हैं।:-

1. प्रोटीन:- पर्याप्त प्रोटीन न केवल महिला के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि उसके पेट में पल रहे बच्चे के लिए भी बेहद जरूरी है क्योकि शारीरिक विकास में प्रोटीन का बहुत महत्व है। एक प्रेग्नेंट महिला को प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है जिसकी पूर्ति डेयरी उत्पाद, फलियां, नट्स और बीज जिसमें उच्य प्रोटीन पाया जाता है आदि से किया जा सकता है।

2. आयरन:- आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल या हीमोग्लोबिन के उत्पादन में मदत करता है जो माँ और बच्चे के शरीर में खून की कमी को दूर करके अनेमिया के खतरे को समाप्त करता है। इसके अलावां पर्याप्त हीमोग्लोबिन स्तर होने से शरीर के पूरे हिस्से में पर्याप्त ऑक्सीज़न पहुँचता है। एक प्रेग्नेंट महिला को एक दिन में लगभग 27 mg आयरन की जरूरत होती है जिसकी पूर्ति हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, बीन्स, टोफू, पालक से किया जा सकता है।

3. कैल्सियम:- एक भूर्ण के शारीरिक विकास के लिए कैल्सियम बहुत जरूरत होता है। कैल्शियम बच्चे की हड्डियों, दांतों, हृदय और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है, यह माँ की हड्डियों के स्वास्थ्य में भी सहायता करता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिला को प्रतिदिन लगभग 1000 mg  कैल्शियम की जरूरत होती है जिसकी पूर्ति डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, दही, पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम, और पौधे-आधारित दूध आदि से किया जा सकता है।

4. जिंक:- बच्चे में इम्यून सिस्टम के विकास के लिए जिंक बहुत ही जरूरी होता है। एक प्रेग्नेंट महिला को प्रतिदिन 11 mg जिंक की जरूरत होती है ताकी भूर्ण में प्रतिरक्षा प्रणाली का अच्छे से विकास हो सके।

5. आयोडीन:- प्रेग्नेंसी में प्रतिदिन लगभग 220 mg आयोडीन की जरूरत होती है, जो बच्चे के दीमक और इम्यूनसिस्टम के विकास के लिए बेहद जरूरत होती है।

6. फोलिक एसिड:- फोलिक एसिड:- फोलेट एसिड पेट में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त प्रारम्भिक बिमारियों से बचाने में मदत करता है। यह गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 600-800 mcg फोलिक एसिड की जरूरत होती है जिसकी पूर्ति पत्तेदार हरी सब्जियाँ, खट्टे फल, फलियाँ, गरिष्ठ अनाज, आदि से किया जा सकता है।

7. विटामिन:- विटामिन जिसमें विटामिन ए, विटामिन सी, और विटामिन ई आदि गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास, प्रतिरक्षा कार्य और समग्र स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। जिसकी पूर्ति विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ, मेवे, बीज और साबुत अनाज के माध्यम से किया जा सकता है।

8. ओमेगा 3:- गर्भवती महिलाओं के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे भ्रूण के मस्तिष्क और आंखों के विकास में सहायता करता है, ओमेगा-3 बच्चे के न्यूरोलॉजिकल विकास में भी सहायता करता है, और समय से पहले जन्म के जोखिम को कम करता है। इसकी पूर्ति सैल्मन, चिया सीड्स और अखरोट आदि से किया जा सकता है।

इसके अतरिक्त अन्य कई पोषक तत्व होते हैं जो गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरूरी हैं जैसे मेगनीसियम, कॉपर, फास्फोरस, पोटेसियम आदि हो सकते हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं में किसी भी पोषक तत्व की कमी के कारण भ्रूण पर गहरा असर पड़ सकता है और उसके विकास में बाधा पहुँच सकता है। इसके अलावां पोषक तत्वों की कमी से महिला पर भी बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

किसी भी तत्व की कमी की जाँच एक डॉक्टर के द्वारा उचित तरीके से किया जा सकता है इसलिए प्रेग्नेंसी में नियमित जाँच जरूर कराएं।

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गर्भावस्था के दौरान कौन से खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान अधिक विटामिन, खनिज पदार्थों की मांग को पूरा करने के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है की महिलाएं अपने भोजन का सही से चुनाव करें। ताकि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में कोई बाधा उत्त्पन ना हो। इसलिए चलिए जानते हैं की  प्रेगनेंसी के दौरान पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना उचित रहेगा:-

1. हरी पत्तेदार शब्जियां:- हरी पत्तेदार साग-सब्जियों में पोषक तत्वों की भरमार होती हैं जिसमें कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, फाइबर, फोलेट, ए, बी6, सी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए, और इनका उपयोग सलाद के रूप में भी किया जा सकता है। 

2. फलियां:-  फाइबर, प्रोटीन, आयरन, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फोलेट और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से फलियां भरपूर होती हैं जो गर्भावस्था के दौरान जरूरी पोषक तत्वों की मांग को आसानी से पूरा कर सकती हैं। एक गर्भवती महिला को प्रतिदिन काम से कम 600 माइक्रोग्राम (एमसीजी) फोलेट की जरूरत होती हैं जिसकी पूर्ति फलियां जैसे दाल, मटर, बीन्स, चना , सोयाबीन आदि से किया जा सकता है।

3. दूध से बने उत्पाद:- दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे दही, पनीर, छाछ, आदि का सेवन जरूर करें क्योकि इसमें कैल्सियम, प्रोटीन, विटामिन डी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो बच्चे के स्वस्थ के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। परन्तु कई लोगों में लेक्टोज एलर्जी पाई जाती है जिनके लिए दूध हानिकारक होता है, इसलिए उनको इसके उपयोग से परहेज करना उचित होगा।

4. साबुत अनाज:- ओट्स, गेहूं की बानी रोटी, जौ, दलिया आदि फाइबर,आदि  जिक, आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते है, इसके अतिरक्त सफेद चावल के बजाय ब्राउन या कला चावल का प्रयोग करना उचित होगा जिसमें पोषक तत्वों की अधिकता पाई जाती है।

5. फल:- इसमें कोई शक नहीं है की फलों में भरपूर मिनरल और विटामिन पाए जातें हैं, इसलिए फल जैसे संतरा, कीवी, स्ट्रॉबेरी आदि जो विटामिन सी, फोलेट, और पोटैसियम के अच्छे स्रोत होते हैं, का सेवन प्रेग्नेंसी में करना लाभदायक होता है। लेकिन वहीँ कुछ यैसे फल भी हैं जिनका प्रेग्नेंसी में इस्तेमाल करना सही नहीं माना जाता है जैसे पपीता, अनानास आदि, इसलिए इनके उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

6. मेवे और बीज:- बादाम, काजू, खजूर, पिस्ता, सूरजमुखी के बीज आदि मेवे और बीज में कैलोरी, फाइबर, मैग्नीशियम, जिकं, फोलेट, आयरन, पोटेशियम, और विटामिन के साथ साथ प्रोटीन के भी अच्छे स्रोत होते हैं इसलिए प्रेग्नेंसी में इसका इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा।

किसी भी प्रकार के नए खाद्य पदार्थ को अपने भोजन में शामिल करना गर्भवती महिला के लिए थोड़ा चुनौती पूर्ण हो सकता है, इसलिए ऐसा करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

गर्भवती महिलाओं के लिए पोषक युक्त भोजन की श्रंखला बहुत लम्बी हो सकती है इसलिए  उन सभी खाद्य पदार्थों को यहाँ व्यक्त कर पाना संभव नहीं है किन्तु गर्भवती महिलाओं को किस प्रकार के खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, इसका पता लगाने के बाद अनुमान लगाना आसान हो जाता है।

गर्भावस्था में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए?

प्रेग्नेंट महिला जो कुछ भी खाती है उसका असर उसके बच्चे पर सीधा सीधा पड़ता है। इसलिए बच्चे के अच्छे भविस्य के लिए  प्रेग्नेंसी के दौरान किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, इसपर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। 

1. जंक़ फ़ूड:- पिजा, बर्गर आदि जैसे खाद्य पदार्थ में जरूरत से ज्यादा कैलोरी पाई जाती है जिस कारण से मोटापा बढ़ता है। इसके अतिरिक्त फाइबर और पोषक तत्वों का आभाव होता होता है इसलिए कम फाइबर मात्रा के कारण पाचन क्रिया भी सही से नहीं होती है जो कई प्रकार की पेट सम्बन्धी समस्याओं के साथ बच्चे के स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इनके प्रयोग से बचना चाहिए।3

2. कैफीन:- कैफीन का इस्तेमाल बहुत ही हानिकारक हो सकता है क्योकि यह ह्रदय गति और रक्त चाप को बढा देता है, और नीद को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं को कैफीन के इस्तेमल से परहेज करना चाहिए।4

3. एलकोहल:- शराब, बियर जैसे अधिक अल्कोहल के स्रोतों से प्रेग्नेंट महिला को दूर रहना चाहिए क्योकि यह भ्रूण पर गहरा असर डालता है जिससे गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है, इसके अतिरिक्त यह बच्चे को बौद्धिक छमता पर असर डाल सकता है।5

4. स्मोकिंग:- स्मोकिंग के नकारत्मक प्रभाव से कोई भी अनजान नहीं है, यह कई प्रकार की बिमारियों को जन्म दे सकता है। गर्भवती महिलाओं में इसके प्रयोग से ना केवल महिला बल्कि उसके होने वाले बच्चे को यह कई प्रकार से प्रभावित कर सकता है जिसमें बच्चे में अपंगता, बौद्धिक रूप से कमजोरी, और यहाँ तक की गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती हैं इसलिए गर्भवती महिलाएं स्मोकिंग का प्रयोग न करें।6

5. अधपका या बसी खाना:- अधपका भोजन में कई तरह के बैक्टीरिया या परजीवी हो सकते हैं खास कर मीट आदि खाद्य पदार्थ में, इस प्रकार के भोजन कई तरह की सेहत सम्बन्धी समस्याएं उजागर कर सकते हैं, जो प्रेग्नेंट महिला और उसके होने वाले बच्चे के लिए किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं है। बसी भोजन से भी गर्भवती महिलाओं को परहेज करना चाहिए खास कर बसी चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।7

निष्कर्ष

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है क्योकि इस दौरान उनके गर्भ में भूर्ण तैयार हो रहा होता है। पोषक तत्व जैसे विटामिन, खनिज, प्रोटीन, आदि जो बच्चे के शारीरिक विकास में अहम् भूमिका निभाते हैं का पर्याप्त मात्रा में गर्भवती महिला के लिए सेवन करना बहुत जरूरी है। 

पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए गर्भवती महिला हरी पत्तेदार शब्जियां, फलियां, दूध से बने उत्पाद, साबुत अनाज, नट्स आदि का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिनको गर्भवती महिलाओं को खाने से परहेज करने की जरूरत होती है जैसे फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, अल्कोहल, स्मोकिंग, अधपका और बसी भोजन आदि। 

किसी प्रकार के नए खाद्य पदार्थ को अपने भोजन में मिलाने से पहले गर्भवती महिलाओं को  डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, जिससे उससे होने वाले संभावित नुकशान से बचा जा सकें।

संदर्भ

  1. Sharma, Rinku. “Birth defects in India: Hidden truth, need for urgent attention.Indian journal of human genetics 19.2 (2013): 125. ↩︎
  2. Tzelali, A., et al. “Nutrition and pregnancy: an update.Int J Pregn & Chi Birth 5.3 (2019): 123-124. ↩︎
  3. Bayol, Stéphanie A., et al. “Offspring from mothers fed a ‘junk food’diet in pregnancy and lactation exhibit exacerbated adiposity that is more pronounced in females.The Journal of physiology 586.13 (2008): 3219-3230. ↩︎
  4. Qian, Jingjing, et al. “Impacts of caffeine during pregnancy.Trends in Endocrinology & Metabolism 31.3 (2020): 218-227. ↩︎
  5. Dejong, Katherine, A. M. Y. Olyaei, and Jamie O. Lo. “Alcohol use in pregnancy.Clinical obstetrics and gynecology 62.1 (2019): 142. ↩︎
  6. Shea, Alison K., and Meir Steiner. “Cigarette smoking during pregnancy.Nicotine & Tobacco Research 10.2 (2008): 267-278. ↩︎
  7. Dean, J., and P. Kendall. “Food safety during pregnancy.Food and nutrition series. Food safety; no. 9.372 (2004). ↩︎

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