दिव्य जड़ी बूटी जवासा के फायदे और नुकसान

औषधीय जड़ी बूटी जवासा (यवासा) में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। आइये जवासा के फायदों के बारे में विस्तार से जाने।

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Brijesh Yadav

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परिचय

जवासा या यवासा को ऊंट कांटे (camel thorn), कैस्पियन मन्ना (Caspian manna) और फारसी मन्नाप्लांट (Persian mannaplant) नामों से भी जाना जाता है,  इसका वैज्ञानिक नाम अल्हागी कैमलोरम (Alhagi camelorum), और अल्हागी मॉरोरम (Alhagi maurorum) है जो की पौधे की फेबेकिआ (Fabaceae) परिवार से संबंधित है।

जवासा एक बारहमासी, अनेक शाखाओं वाला झाड़ीदार पौधा है जिसकी सखाओं पर 1 से 2  इंच लम्बे तेज कांटे होते हैं। यह 2-3 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसकी पत्तियां छोटी और हरी होती हैं, और फूल छोटे और गुलाबी या बैंगनी रंग के होते हैं।

यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो शुष्क वातावरण में फलता फूलता है, यानी गर्मी के मौसम और पानी के अभाव में यह तेजी से बढ़ता है। इसलिए यह बंजर जमीनों, भीटों, शुष्क   भूमी के आस पास अधिक पाया जाता है।

पारम्परिक तौर पर इसका उपयोग कई स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है जैसे कब्ज को दूर करने के लिए, घाव को तेजी से ठीक करने, जठरांत्र संबंधी स्थितियों से रहत पाने के लिए आदि।

जवासा के फायदे (Jawasa Herb Benefits)

जवासा में फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक्स जैसे कई योगिक पाए जाते हैं यह योगिक एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी  गुणों प्रदर्शित करतें हैं जो विभिन्न शारीरिक जोखिमों को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं।1

लिवर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है

जवासा लिवर के क्षति को कम करने में मदद कर सकता है क्योकि इसमें भिन्न एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं और लिवर की कोशिकाओं को पहुंचने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।2

एक अध्ययन में पाया गया कि जवासा अर्क का सेवन कुछ दवाओं के सेवन से होने वाले लीवर के नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालाँकि, गुर्दे की विफलता के रोगियों के इलाज के लिए जवासा के उपयोग को लेकर और अध्ययन की आवश्यकता है।3

हेपेटाइटिस बी में लाभकारी हो सकता है

हेपेटाइटिस बी एक लीवर (यकृत) का संक्रमण है जो हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के कारण होता है। यह वायरस संक्रमण विश्वभर में एक मुख्य स्वास्थ्य समस्या है।

जवासा हेपेटाइटिस बी से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है। छह महीने में 15 मरीजों पर इसका परीक्षण किया गया, जिसमें मरीजों को दिन में तीन बार थोड़ी मात्रा में जवासा पाउडर दिया गया। परिणामों से पता चला कि जवासा अर्क ने अपने एंटीऑक्सीडेंट और डिटॉक्सीफाइंग प्रभावों के साथ-साथ शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली और इंटरफेरॉन उत्पादन को उत्तेजित करके काम किया। इंटरफेरॉन एंटीवायरल गुणों वाला एक प्रोटीन है। इससे उनके शरीर में हेपेटाइटिस बी वायरस की मात्रा कम हो गई।4

मधुमेह में फायदेमंद हो सकता है

जवासा (Yavasa) रक्त शर्करा को नियंत्रित करके मधुमेह को नियंत्रित करने में एक फायदेमंद जड़ी बूटी साबित हो सकती है।

चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया  की जवासा अर्क ने रक्त शर्करा के स्तर को कम किया, ट्राइग्लिसराइड्स, कोलेस्ट्रॉल और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL-C) को घटाया जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL-C) को बढ़ाया। साथ ही मधुमेह से ग्रस्त चूहों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके यकृत कार्य को भी बेहतर बनाया।5

चूहों पर हुए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि उच्य जवासा अर्क का मौखिक सेवन उनमें मधुमेह के कारण होने वाले जिगर (liver) की क्षति के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव दिखा सकता है। इसके पीछे की मुख्य वजह लिवर एंजाइम के स्तर में कमी और डायबिटिक लिवर में कोशिका क्षति कम होने के कारण हो सकती है।6

गैस्ट्रिक समस्याओं में राहत दे सकता है  

जवासा गैस्ट्रिक समस्याओं जैसे अम्लता, अपच, गैस, पेट में अल्सर, सूजन आदि को कम करने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।  

चूहों पर एक अध्ययन में पाया गया कि जवासा अर्क का सेवन करने से दवा-प्रेरित अल्सर वाले चूहों में पेट में एसिड का उत्पादन कम हो गया और पेट के अल्सर को रोकने में सकारात्मक प्रभाव दर्ज किया गया। साथ ही यकृत क्षति को रोकने, ऑक्सीडेटिव तनाव और असामान्य कोलेस्ट्रॉल के स्तर से सुरक्षा भी देखी गई। संभव: यह परिणाम गैस्ट्रिक समस्याओं के इलाज की संभावना का सुझाव देता है लेकिन बेहतर परिणामों के लिए और शोध की आवश्यकता है।7

जवासा के नुकसान और सावधानियां

हमारे स्वास्थ्य पर जवासा के नुकसान से संबंधित साक्ष्यों की कमी है, लेकिन इसके बावजूद इसके उपयोग से कुछ नुकसान की परस्पर संभावना बनी रहती है, इसलिए इसके उपयोग में सावधानी बरतना अनिवार्य हो जाता है।

जवासा के अत्यधिक उपयोग से पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जिनमें दस्त, पेट दर्द आदि शामिल हैं। इसलिए, यदि कोई दस्त की समस्या से पीड़ित है, तो उसे इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए और इसके उपयोग से संबंधित मुद्दों पर डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं को इसके इस्तेमाल में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, हालांकि गर्भवती महिलाओं को इससे होने वाले नुकसान के बारे में साक्ष्य की कमी है।

कुछ पुरानी बीमारियों जैसे रक्त विकार, हृदय विकार, रक्तचाप आदि से पीड़ित व्यक्ति को जवासा के उपयोग में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। और उन्हें इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है।

कुछ दवाओं के साथ जवासा के उपयोग करने से परस्पर क्रिया हो सकती है इसलिए दवाओं के साथ इसके उपयोग में सावधानी रखना बहुत जरूरी हो जाता है, और इस  इस्थिति मैं उपयोग से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।

जवासा का उपयोग कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है, इसलिए दवाओं के साथ इसका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है और ऐसी स्थिति में इसके उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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निष्कर्ष

जवासा एक झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी कई शाखाएं होती हैं जिनमें कांटे होते हैं। मुख्य रूप से यह शुष्क वातावरण में अधिक फलता फूलता है। परंपरागत रूप से, जवासा का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। हालाँकि, कुछ शोध में भी इसके उपयोग से विभिन्न स्वास्थ्य लाभों का उल्लेख किया गया है।

जवासा के नुकसान से सम्बन्धित साक्ष्यों का आभाव है लेकिन इसके उपयोग से कुछ परेशानियों से संबंधित संभावना को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। और इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है की इसके उपयोग में सावधानी बरता जाये और उपयोग से पहले डॉक्टर से परामर्श किया जाये।

संदर्भ

  1. Ahmad, Saeed, et al. “Antioxidant flavonoids from Alhagi maurorum.Journal of Asian natural products research 12.2 (2010): 138-143. ↩︎
  2. Al-Saleem, Muneera S. M., et al. “Antioxidant flavonoids from Alhagi maurorum with hepatoprotective effect.Pharmacognosy Magazine 15.65 (2019). ↩︎
  3. Gargoum, Huda M., et al. “Phytochemical screening and investigation of the effect of Alhagi maurorum (camel thorn) on carbon tetrachloride, acetaminophen and adriamycin induced toxicity in experimental animals.Journal of Scientific and Innovative Research 2.6 (2013): 1023-1033. ↩︎
  4. Gargoum, Huda. “A HUMAN STUDY ON THE EFFECT OF ALHAGI MAURORUM (CAMEL THORN) ON PATIENTS SUFFERING FROM HEPATITIS B VIRUS.JOURNAL OF MEDICINE AND PHARMACY 6.3 (2023): 7-17. ↩︎
  5. Sheweita, S. A., et al. “Changes in oxidative stress and antioxidant enzyme activities in streptozotocin-induced diabetes mellitus in rats: role of Alhagi maurorum extracts.Oxidative medicine and cellular longevity 2016 (2016). ↩︎
  6. Tahmoores, Shahrivar, Mokhtari Mokhtar, and Alipour Vally. “The effects of Alhagi maurorum on the liver properties and histological changes in diabetic rats.Gazzetta Medica Italiana Archivio per le Scienze Mediche 177.12 (2018): 718-25. ↩︎
  7. Shaker, E., H. Mahmoud, and S. Mnaa. “Anti-inflammatory and anti-ulcer activity of the extract from Alhagi maurorum (camelthorn).Food and Chemical Toxicology 48.10 (2010): 2785-2790. ↩︎

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