हमारे स्वास्थ्य पर तगर (सुगंधबाला) के फायदे और नुकसान

तगर एक औषधीय पौधा है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी और सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं। इस जड़ी बूटी का उपयोग कई स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए किया जा सकता है।

Author:

Brijesh Yadav

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तगर के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी

तगर एक औषधीय पौधा है जिसे सुगंधबाला के नाम से भी जाना जाता है। अन्य समान्य नामों में इसे भारतीय वेलेरियन (Indian Valerian) से भी सम्बोधित किया जाता है। यह पौधों की वलेरियानेसी परिवार से सम्बन्धित है जिसका वैज्ञानिक नाम वालेरियाना वालिची (Valeriana wallichii) है।

तगर एक छोटी बारहमासी जड़ी बूटी है जिसकी लंबाई 15 से 45 सेमी के बीच होती है। इसके फूल सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं और गुच्छों में लगते हैं। आम तौर पर इसके सूखे प्रकंद और जड़ों का उपयोग औषधीय लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में टगर के पौधे और इसके गुणों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। चरक संहिता में इसे शीतप्रशमन (ठंडा करने वाला) और तिक्तस्कंध (कड़वे जड़ी-बूटियों का समूह) में वर्गीकृत किया गया है। इसके तीनों रस (स्वाद) – तिक्त (कड़वा), कटु (तीखा) और कषाय (कसैला) हैं। इसके गुण लघु (हल्का) और स्निग्ध (चिकना) हैं। यह कफ-वात का नाश करता है, त्रिदोषों को संतुलित रखता है और विषरोधी है।1

इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल सदियों से कई शारीरिक परेशानियों को दूर करने के लिए जाता रहा है।

तगर के फायदे (Benefits of Tagar)

रोगाणुरोधी और सूजन रोधी गुण

तगर का उपयोग रोगाणुओं से लड़ने और सूजन को कम करने के लिए एक प्राकृतिक दवा के रूप में किया जा सकता है।

शोध में पाया गया की तगर से प्राप्त अर्क कुछ बैक्टीरिया (स्टैफिलोकोकस ऑरियस, बैसिलस सबटिलिस) और संभवतः कुछ कवक (मालासेज़िया कैनिस, एस्परगिलस फ्लेवस) के खिलाफ सकारात्मक प्रभाव दिखा रहे थे। जो इसके रोगाणुरोधी प्रभाव की विशेषता बताता है। साथ ही यह सूजन-रोधी गतिविधि भी दर्शाता है।2

सूजन कम करने के मामले में, इसकी क्षमता काफी अच्छी है, क्योंकि जानवरों पर किए गए अध्ययन में इसका प्रभाव दवाओं जितना ही पाया गया।3

हालाँकि तगर के इन प्रभावों की सटीकता और इंसानो पर इसके प्रभाव को देखने के लिए अभी भी विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

तंत्रिका रक्षात्मक प्रभाव (Neuroprotective effect)

तगर तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को होने वाले नुकसान को रोकने या कम करने में मदत कर सकता है। तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर के हर हिस्से को संदेश भेजने और प्राप्त करने का काम करते हैं।  

कुछ चीजें, जैसे मिथाइल मरकरी (Methylmercury), शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करतें हैं। और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मिथाइल मरकरी एक विषैला पदार्थ है जो प्रदूषण के कारण नदियों, झीलों और समुद्रों में पाया जाता है और मछली आदि अन्य जलीय जीवों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है।  

शोधकर्ताओं ने पाया है कि तगर में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जैसे फिनोल, फ्लेवोनॉयड और आवश्यक तेल जैसे हाइड्रोक्सीवेलेरेनिक (hydroxyvalerenic) और वैलेरेनिक एसिड (valerenic acids) जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की कोशिकाओं को मिथाइल मरकरी से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।4

नींद में सुधार कर सकता है

नींद की गुडवत्ता में सुधार करने के लिए तगर एक उपयोगी जड़ी बूटी साबित हो सकती है।

चूहों पर हुए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया की तगर की उच्च खुराक के कारण चूहे तेजी से सो गए, गहरी नींद में अधिक समय बिताया और कुल मिलाकर लंबी नींद की अवधि का अनुभव किया।5

15 वयस्कों के दो समूहों पर हुए एक अन्य शोध में यह पाया गया की तगर पाउडर की 4 ग्राम खुराक एक महीने तक दूध के साथ प्रतिदिन तीन बार दिए जाने से उनके नींद की शुरुआत हुआ, नींद की अवधि में महत्वपूर्ण सुधार हुआ, जिससे उनके रोजमर्रा के काम काज भी बेहतर हुआ। हालाँकि एक समूह को जटामांसी पाउडर भी दिया जा रहा था लेकिन तगर समूह ने जटामांसी समूह की तुलना में नींद के सभी उपायों में सांख्यिकीय रूप से अधिक सुधार का अनुभव किया।6

तगर का पारंपरिक उपयोग

  • पारंपरिक तौर पर घबराहट, मानसिक रोग, मिर्गी, और सिर दर्द जैसी समस्याओं में तगर के पाउडर का उपयोग फायदेमंद शाबित हो सकता है।  
  • घाव को भरने और दर्द को कम करने के लिए तगर के जड़ से बने पेस्ट का उपयोग भी किया जा सकता है।

तगर के नुकसान

तगर की अधिक खुराग का सेवन कई स्वास्थ्य परेशानियों का कारण बन सकता है।

  • पेट संबंधी समस्याएं
  • चक्कर
  • हिचकी
  • उल्टी

किस पुरानी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।

तगर अधिक खुराक से उपर्युक्त समस्याओं के उजागर होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन तगर के नुकसान के संबंध में शोध की कमी है और सटीक जानकारी का आभाव है।

निष्कर्ष

तगर (सुगंधबाला) एक औषधीय पौधा है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है। तगर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, यह तंत्रिका कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को कम कर सकता है, नींद में फायदेमंद हो सकता है, घावों को भरने और दर्द को कम करने में भी उपयोगी हो सकता है।

हालांकि तगर के नुकसान के बारे में शोध की कमी है, लेकिन इसके अधिक इस्तेमाल से पाचन संबंधी समस्याएं, चक्कर आना, हिचकी आना, उल्टी आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

संदर्भ

  1. Singh, Sanjeev Kumar3 Dr Jasmeet, et al. “Standarization & Identification of Tagara (Valeriana wallichii DC.).Lat. Am. J. Pharm 42 (2023): 3. ↩︎
  2. Khuda, Fazli et al. “Antimicrobial and anti-inflammatory activities of leaf extract of Valeriana wallichii DC.Pakistan journal of pharmaceutical sciences vol. 25,4 (2012): 715-9. ↩︎
  3. Khuda, Fazli et al. “Anti-inflammatory activity of the topical preparation of Valeriana wallichii and Achyranthes aspera leaves.Pakistan journal of pharmaceutical sciences vol. 26,3 (2013): 451-4. ↩︎
  4. Ayyathan, Dhanoop Manikoth et al. “Neuroprotective effect of Tagara, an Ayurvedic drug against methyl mercury induced oxidative stress using rat brain mitochondrial fractions.” BMC complementary and alternative medicine vol. 15 268. 12 Aug. 2015, doi:10.1186/s12906-015-0793-2 ↩︎
  5. Sahu, Surajit et al. “Valeriana wallichii root extract improves sleep quality and modulates brain monoamine level in rats.Phytomedicine : international journal of phytotherapy and phytopharmacology vol. 19,10 (2012): 924-9. doi:10.1016/j.phymed.2012.05.005 ↩︎
  6. Toolika, E et al. “A comparative clinical study on the effect of Tagara (Valeriana wallichii DC.) and Jatamansi (Nardostachys jatamansi DC.) in the management of Anidra (primary insomnia).Ayu vol. 36,1 (2015): 46-9. doi:10.4103/0974-8520.169008 ↩︎

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