सलाम पंजा के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी

सालम पंजा में पोषक तत्वों के साथ जीवाणुरोधी, सूजन रोधी, कैंसर रोधी जैसे गुण पाए जाते हैं, इसलिए सेहत पर इसके फायदे अनेक हैं। - चलिए इसके फायदों की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

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Anshika Sharma

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भारतीय चिकित्सा और दुनिया की सबसे पुरातन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में हजारों वर्षों पहले ही कई जड़ी बूटियों का जिक्र उनके औषधि गुणों और सेहत संबंधी फायदों को लेकर किया गया है। उन्हीं औषधियों में से एक सालम पंजा है। आयुर्वेद के अनुसार – हमारे सेहत पर सालम पंजा के फायदे अनेकों देखने को मिल सकते हैं।  

इसलिए आज के ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम इसका एक संछिप्त परिचय और इसके उपयोग पर भी दृष्टि डालेंगें, इसके साथ ही सालम पंजा के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। ताकि इन सभी बाहुल्य जानकारियों का लाभ आप आसानी से उठा सकें और अपने समग्र स्वास्थ लाभ को हाशिल कर सकें।

सालम पंजा क्या है? (संछिप्त परिचय)

हिमालय क्षेत्रों (भारत, नेपाल, और भूटान) में पाए जाने वाला और औषधि गुणों से भरपूर पौधा “सलाम पांजा” या “सालब पंजा” के नाम से जाना जाता है, और इसका वैज्ञानिक नाम “डैक्टिलोरिज़ा हतागिरिया (Dactylorhiza Hatagirea)” है। यह पौधों के ऑर्किड (Orchid) परिवार से सम्बन्धित है, और अनेकों स्वास्थ सम्बन्धी लाभ प्रदान करने के लिए प्रचलित है, विशेष तौर पर इसे कामोत्तेजक गुणों के लिए जाना जाता है।

सालम पंजा को “हट्टा हड्डी” संस्कृत में “बीजगन्ध”, “मुञ्जातक”, इंग्लिश में “सालेप” नेपाली में “पंचौंले” आदि नामों से भी जाना जाता है। इसके अधिकतर नामों का अर्थ कहीं न कहीं हथेली या पंजा से सम्बन्धित होता है जिसके पीछे इसके जड़ का हाथ या पंजा के जैसा दिखाई देना है।

सालम पंजा के फायदे Hermedy

सालम पंजा और सालम मिश्री के बीच अंतर

अक्सर लोग “सालम पंजा” और “सालम मिश्री” को लेकर भ्रमित रहते हैं। यह सभी पौधे के ऑर्किड परिवार से ही सम्बन्धित होते हैं, यानी सलाम पंजा और सालम मिश्री एक ही परिवार की अलग अलग प्रजातियां हैं, हालाकिं ऑर्किड परिवार की अन्य कई प्रजातियां हो सकती है जैसे सालम गट्टा जिसका बोटेनिकल नाम ऑर्किस मस्कुला (Orchis Mascula) होता है। सालम मिश्री का बॉटेनिकल नाम “ऑर्किस लैटिफोलिया (Orchis latifolia)” होता है। इसका जड़ सालम पंजे के जड़ (कंद) की तरह पंजे के आकर का नहीं होता है, इसका कंद का आकर मुन्नके जैसा होता है लेकिन थोड़ा बड़ा और बहुत कठोर होता है।

सालम हिंदी नामसालम इंग्लिश नामवानस्पतिक नाम
सालम पंजाHimalayan Marsh OrchidDactylorhiza Hatagirea
सालम मिश्रीBroad-leaved HelleborineOrchis Latifolia
सालम गट्टाEarly Purple OrchidOrchis Mascula

सालम पंजा के फायदे

सालम पंजा के फायदे इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के माध्यम से निर्धारित जाते हैं। इसमें जीवाणुरोधी, सूजन रोधी गतिविधि, कैंसर रोधी, न्यूरोफार्माकोलॉजिकल गतिविधि, के साथ साथ कैंसर रोधी जैसे महत्वपूर्ण गुण पाए जाते हैं जिसके कारण यह हमारे स्वस्थ के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। विशेष कर इसका उपयोग योन सम्बन्धी परेशानियों के लिए जाता रहा है, कई अध्यनो में भी इसके टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने की क्षमता के बारे में जिक्र भी किया गया है।1

चरक-संहिता के अनुसार सालम या सालब का पौधा विशेषकर इसकी जड़ शक्ति बढ़ाने वाला, ठंडा, भारी, वातहर, तृप्तिदायक, बलवर्धक, वात और पित्त को शांत करने वाला, मधुर और कामोत्तेजक होता है। यूनानी चिकित्सा पद्धत्ति में भी इसका जिक्र मिलता है जिसमें इसको कामोत्तेजक और तंत्रिका तंत्र को बेहतर करने वाला टॉनिक बताया गया है। तो चलिए सालम पंजा के फायदों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं:-

1. पुरुष यौन समस्याएं और टेस्टोस्टेरोन:- सलाम पांजा मुख्यतः अपने कामोत्तेजक गुणों और यौन समस्याओं के निवारण के लिए लिए प्रसिद्ध है जिसकी पुष्टि करने का प्रयास विभिन्न शोधों द्वारा किया गया है।2 हालाँकि सलाम पंजा का उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन विकारों के उपचार में प्रभावी साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त, सलाम पांजा पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ने में भी कारगर साबित हो सकता है।3 

2. तंत्रिका तंत्र:-  प्राचीन यूनानी विशेषज्ञों ने सालम पंजा को तंत्रिका तंत्र के टॉनिक के तौर पर उल्लेखित किया है। सालम पंजा प्राकृतिक तौर पर सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है जिससे मूड में सुधार हो सकता है। यह कोर्टिसोल के स्तर को भी नियंत्रित करता है जिससे तनाव कम हो सकता है, एसिटाइलकोलाइन के स्तर को बढ़ाकर संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकता है। इन कारणों से सालम खीरा तंत्रिका तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सालम पंजा के उपयोग करने से पार्किंसन रोग में भी राहत मिल सकती है।

3. प्रतिरक्षा प्रणाली:- सालम पंजा में मौजूद पर्याप्त पोषक तत्व, औषधीय इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण और एडाप्टोजेनिक गुण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदत कर सकते हैं जिससे रोगों से लड़ने की शारीरिक क्षमता में विकास हो सकता है।

4. त्वचा समस्याएं:- सलाम पंजा का उपयोग त्वचा सम्बन्धी समस्याओं के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योकि यह त्वचा कोशिकाओं की पुनर्जनन की गति को प्रभावित कर सकता है। घाव और अल्सर जैसी त्वचा समस्यायों को तेजी से ठीक होने में इसका पेस्ट प्रमुख भूमिका निभा सकता है। 

5. उम्र बढ़ने में देरी:- सालम खीरा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण कोशिकाओं की क्षति को कम करके बुढ़ापा होने की गति को धीमा कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह एंटीऑक्सीडेंट मुक्त कणों को बेअसर करके और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके भी उम्र बढ़ने की रफ़्तार कम करने में मदत कर सकते हैं।

6. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से राहत:- सालम खीरा का उपयोग पारंपरिक रूप से पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता रहा है। इसमें ऐसे गुण हो सकते हैं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को शांत और समर्थन करते हैं। यह संभावित रूप से अपच, सूजन, दस्त जैसी सामान्य पेट सम्बन्धी समस्याओं से राहत प्रदान कर सकता है।

7. हानिकारक मुक्त रेडिकल्स से सुरक्षा:- सालम खीरा में पॉलीफेनोल और फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर को हानिकारक मुक्त कणों से बचाने में मदद कर सकते हैं। एंटीऑक्सिडेंट इन मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाते हैं और पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।

8. सामान्य कमज़ोरी को संबोधित करना:- समान्य शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए सालम खीरा का उपयोग पारम्परिक रूप से होता आया है। हालाँकि इसमें पाए जाने वाले नुट्रिएंट और एंटीऑक्सिडेंट सहनशक्ति, ऊर्जा और समग्र जीवन शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

9. मधुमेह में फायदेमंद:- एक शोध में यह पाया गया की सालम पंजा की पत्तियों के मेथनॉलिक अर्क में संभावित मधुमेहरोधी गतिविधि हो सकती है जो मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके मधुमेह से निजाद दिलाने में फादेमंद हो सकती है।4

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सालम पंजा के नुकसान

सालम पंजा के नुकसान को लेकर अभी पर्याप्त शोध उपलब्ध नहीं है लेकिन इसके कुछ संभावित नुकसान को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। सालम खीरा के नुकसान में शामिल है:-

1. एलर्जी:-  कुछ व्यक्तियों को सालम खीरा में मौजूद कुछ यौगिकों से एलर्जी हो सकती है जिससे कुछ एलर्जिक लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिसमें त्वचा पर चकत्ते, खुजली, सूजन और श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हो सकती हैं।

2. पेट सम्बन्धी समस्याएं:- कई मामलों में कुछ लोगों को पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती है, कभी-कभी मतली, उल्टी, दस्त या अन्य पेट की परेशानी जैसी पाचन समस्याओं का कारण बन सकते हैं। अधिकतर मामलों में सालम पंजा के गलत प्रयोग से या अधिक उपयोग के कारण यह समस्याएं देखने को मिलती हैं।

3. दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया:- सालम पंजा आपके द्वारा ली जा रही अन्य दवाओं, जैसे रक्त को पतला करने वाली दवाएँ, मधुमेह की दवाएँ और जन्म नियंत्रण की गोलियाँ, के साथ परस्पर प्रतिक्रिया कर सकता है जिसके कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए इसका उपयोग डॉक्टर के देख रेख में करना बहुत जरूरी हो जाता है। 

सालम पंजा के नुकसान अन्य कई हो सकते हैं, यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नुकसान का ही जिक्र किया गया है। इसलिए इसके उपयोग या सेहत सम्बन्धी इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार की परेशानी देखे जाने पर डॉक्टर से जरूर परामर्श लेना चाहिए।

निष्कर्ष

सालम पंजा भारत, नेपाल, और भूटान के हिमालय क्षेत्रों में पाया जाता है जिसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं।  इसलिए सालम पंजा के फायदे अनेक देखने को मिलते हैं, मुख्य रूप से योन सम्बन्धी दिक्क्तों के निजाद में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।  इसके अतिरिक्त प्रतिरक्षा प्रणाली, त्वचा समस्याओं, पाचन समस्याओं,  मधुमेह, कमजोरी आदि दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।

हालाँकि सालम पंजा के नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं हालाँकि इसपर अभी विस्तृत शोध होना बाकि है। इसके शारीरिक नुकसान में  एलर्जी पाचन संबधी दिक्क्तें आदि देखने को मिल सकती हैं। इसलिए सालम पंजा का उपयोग करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

संदर्भ

  1. Wani, Ishfaq Ahmad, et al. “Dactylorhiza hatagirea (D. Don) Soo: A critically endangered perennial orchid from the North-West Himalayas.Plants 9.12 (2020): 1644. ↩︎
  2. Thakur, Mayank, and V. K. Dixit. “Aphrodisiac activity of Dactylorhiza hatagirea (D. Don) Soo in male albino rats.” Evidence-Based Complementary and Alternative Medicine 4 (2007): 29-31. ↩︎
  3. Dunn, Kate M., Peter R. Croft, and Gaoffrey I. Hackett. “Sexual problems: a study of the prevalence and need for health care in the general population.Family Practice 15.6 (1998): 519-524. ↩︎
  4. Alsawalha, Murad, et al. “Anti-diabetic activities of Dactylorhiza hatagirea leaf extract in 3T3-L1 cell line model.Pharmacognosy Magazine 15.Suppl 2 (2019): S212-S217. ↩︎

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