टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के प्राकृतिक व घरेलू उपाय

हालाँकि टेस्टोस्टेरोन पुरुष प्रधान हार्मोन है लेकिन इसकी कमी विभिन्न शारीरिक दिक्क्तों का कारण बन सकती हैं। इसलिए चलिए टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के लिए प्राकृतिक और घरेलू उपायों के बारे में विस्तारपूर्वक जान लेते हैं।

Author:

Brijesh Yadav

Published on:

मुख्य रूप से पुरुषों में पाए जाने वाला हार्मोन “टेस्टोस्टेरोन” पुरुषों स्वास्थ को भी विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है जिसमें हड्डी की मजबूती, मांसपेशियों की ताकत, लाल रक्त कोशिका का उत्पादन, योन विकास आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह महिलाओं के लिए भी यह बहुत जरूरी हार्मोन होता है हालाँकि उनको इसकी जरूरत कम मात्रा में होती है।

टेस्टोस्टेरोन की कमी विभिन्न सेहत सम्बन्धी समस्याओं का कारक बन सकता है इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट में हम टेस्टोस्टेरोन से जुड़े उन पहलुओं और कारकों की बात करेंगे, जिनकें कारण यह असंतुलित हो जाता है, और यह भी समझेंगे की टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने का प्राकृतिक तरीके क्या होते हैं  (टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कैसे बढ़ाये?)

टेस्टोस्टेरोन लेवल कितना होना चाहिए?

टेस्टोस्टेरोन लेवल कितना होना चाहिए यह प्रश्न अक्सर हमारे मन के व्याकुलता का कारण बन सकता है। महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक संरचना भिन्न होने के कारण दोनों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर में भी भिन्नता होती है।   

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का सामान्य स्तर आमतौर पर 300 से 1,000 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर (एनजी/डीएल) के बीच होती है। और महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का सामान्य स्तर पुरुषों के मुकाबले कम होता है जो आमतौर पर 15 से 70 एनजी/डीएल तक हो सकता है।

टेस्टोस्टेरोन आवाज को भारी करने, चेहरे पर बाल उगाने, सुक्राणु उत्पादन, अधिक मांसपेशी विकास आदि कार्यों को करने में एक अहम भूमिका निभाता है जो पुरुष प्रधान कार्य होते हैं।

टेस्टोस्टेरोन असंतुलित होने से क्या होता है?

टेस्टोस्टेरोन कम होने के परिणाम

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाने की स्थिति को हाइपोगोनाडिज्म (Hypogonadism) कहा जाता है। यह स्थिति विभिन्न लक्षणों को जन्म दे सकती है।

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी के लक्षण:-

  • हड्डियों में दुर्बलता
  • यौन इच्छा में कमी
  • शारीरिक तौर पर कमजोरी
  • थकान और ऊर्जा के स्तर में कमी
  • मूड बदलना जैसे निराशा और चिड़चिड़ापन
  • मोटापा बढ़ना

महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की कमी के लक्षण:-

  • पीरियड्स पर असर
  • थकान और ऊर्जा की कमी
  • कामेच्छा और यौन इच्छा में कमी
  • मूड और भावनात्मक भलाई में बदलाव
  • मांसपेशियों और हड्डियों के घनत्व में कमजोरी

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टेस्टोस्टेरोन की कमी होने से इसके द्वारा उत्पन लक्षण अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकते हैं यह उनके उम्र, आनुवंशिकी और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न कारकों पर भी निर्भर करता है।

यह भी पढ़ें:- पुरुषों के स्वास्थ्य में टेस्टोस्टेरोन की भूमिका

प्रकृतिक तरीके से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कैसे बढ़ाये?

विभिन्न कारकों के द्वारा टेस्टोस्टेरोन के स्तर में बदलाव व कमी हो सकती है, “जिनके बारे में हम आगे जानेंगे”। और इस कमी को दूर करने के कई तरीके भी हो सकते हैं यानी टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय या प्रकृतिक उपायों में कई पड़ाव हो सकते हैं जिसमें जीवनशैली में बदलाव, खानपान में सुधार और मुख्य रूप से कुछ चीजों का परहेज आदि शामिल है।

ध्यान देने वाली बात यह है की प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक संरचना अलग होती है इसलिए यहाँ बताये गए टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के प्राकतिक उपायों का प्रभाव भी अलग अलग हो सकता है। लेकिन इन तरीकों को जानकर, आप क्या गलती कर रहे हैं और उसे कैसे सुधार सकते हैं, यह समझने में निश्चित तौर पर मदत मिलेगी।

जीवनशैली कारक

अच्छी और गहरी नींद लें:- टेस्टोस्टेरोन के संतुलित स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त और आरामदायक नींद बहुत जरूरी है। कई अध्ययनों से यह पता चला है कि नींद की कमी या खराब नींद टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी का एक प्रमुख कारण बन जाती है।1 नींद के दौरान, हमारा शरीर हार्मोन सतुलित करने और शारीरिक मरम्मत जैसे कार्यों को करता है, और इस क्रिया में किसी भी प्रकार का खलल हार्मोन संतुलन को प्रभावित कर सकता है।2 

इसलिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर की कमी को दूर करने के लिए 7-9 घंटे की अच्छी और आरामदायक नींद लेना बहुत जरूरी है।

तनाव को प्रबंधित करें:- तनाव पुरुषों और महिलाओं दोनों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को नकारात्मक तौर से प्रभावित कर सकता है और असंतुलन पैदा कर सकता है।3 जब शरीर लंबे समय तक तनाव से ग्रसित होता है, तो कोर्टिसोल नाम के हार्मोन का उत्पादन बढ़ने लगता है जिसे तनाव हार्मोन भी कहा जाता है। शरीर में अधिक कोर्टिसोल स्तर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी या अनियंत्रित उत्पादन का कारण बन सकता है। 4

इसलिए शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ने के लिए तनाव को प्रभावी ढंग से संतुलित करना बहुत जरूरी हो जाता है जिसके लिए ध्यान लगाना, योग, खास परिजनों के साथ समय बिताना, आदि का उपयोग किया जा सकता है।

शारीरिक गतिविधि और व्यायाम करें:- नियमित शारीरिक गतिविधि और व्यायाम टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बढ़ने या संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, रेजिस्टेंस एक्सरसाइज, और हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) को करने से टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ने में मदत मिलता है।5 व्यायाम अन्य उन हार्मोनों के स्राव को भी बढ़ा देता है जो टेस्टोस्टेरोन संश्लेषण का समर्थन करते हैं, जैसे कि वृद्धि हार्मोन और इंसुलिन-जैसे वृद्धि कारक 1 (IGF-1)।  

इसके अलावां व्यायाम रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकती है, जो लक्षित ऊतकों तक हार्मोन वितरण को बढ़ा सकती है।

यह भी पढ़ें:- टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन के फायदे और नुकसान

आहार कारक और पोषक तत्व

स्वस्थ टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आहार में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करना फायदेमंद हो सकता है:-

लीन प्रोटीन:- जिन खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा (Saturated Fats) कम मात्रा में पाया जाता है उन्हे लीन प्रोटीन की श्रेणी में रखा जाता है, जो हार्मोन संतुलन के अलावा सेहत संबधी कई अन्य लाभों के लिए भी जाने जाते हैं। लीन प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में ,मछली, अंडे, डेयरी, बीन्स, सोया खाद्य पदार्थ, नट और बीज आदि शामिल हो सकते हैं।

इसलिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बढ़ने के लिए अपने आहार में लीन प्रोटीन को जरूर शामिल करें।

क्रूसिफेरस सब्जियां:- ब्रोकोली, फूलगोभी और पत्तागोभी में इंडोल-3-कार्बिनोल होता है, जो एस्ट्रोजन के स्तर को विनियमित करने में मदद कर सकता है और कहीं ना कहीं टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ने में मदत कर सकता है।

अश्वगंधा:- एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी जो तनाव को कम करने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार करने में मदद कर सकती है।6

जिंक:- यह खनिज टेस्टोस्टेरोन संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) के उत्पादन में भूमिका निभाता है, जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ता है। इसलिए जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कद्दू के बीज और पालक आदि का उपयोग किया जा सकता है।

विटामिन डी:- विटामिन डी के निम्न स्तर से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी देखा जा सकता है। इसलिए सुबह के समय कम से कम 5 मिनट के लिए धूप में जरूर रहें, अपने आहार में फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद, वसायुक्त मछली और अंडे की जर्दी जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें।

ओमेगा-3 फैटी एसिड:- यह हार्मोन उत्पादन को बढ़ाने में मदत करता है, सूजन को कम करता है और रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। इसलिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बढ़ने के लिए ऐसे उत्पाद जैसे वसायुक्त मछली (सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन), चिया बीज और अखरोट जो ओमेगा-3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं को अपने आहार में जरूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।7

डी-एसपारटिक एसिड:- यह एक प्रकार का एमिनो एसिड होता है है जो हार्मोन के विनियमित करने में मदद कर सकता और टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ने में भी मदत कर सकता है।8 इसके अतिरिक्त यह तंत्रिका तंत्र के विकास में भूमिका निभाता है।

कहने का अर्थ यह है की स्वस्थ भोजन और बिना मिलावट का भोजन टेस्टेस्टोरॉन के स्तर को बढ़ने में मदत कर सकते हैं। इसलिए ऐसे भोजन का चुनाव करिये जिसमे स्वस्थ वसा और पर्याप्त खनिज पदार्थ हों जैसे बादाम, अखरोट, चिया बीज और अलसी के बीज, इसके अतिरिक्त हरी साग सब्जियां भी महत्वपूर्ण हैं। लहसुन का प्रयोग कर सकते हैं जिसमें एलिसिन पाया जाता है जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ा कर कोर्टिसोल के स्तर को कम रखने में मदद कर सकता है।

यह भी पढ़ें:- टेस्टोस्टेरोन कैप्सूल के फायदे और नुकसान

टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ाने के लिए बचाव

टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय या प्राकृतिक उपायों को अपनाने के साथ साथ कुछ चीजों से बचाव करना बहुत जरूरी हो जाता है जो टेस्टोस्टेरोन स्तर को प्रभावित करतें हैं।

अंतःस्रावी अवरोधक:- प्लास्टिक, कीटनाशकों और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में पाए जाने वाले कुछ रसायनों को अंतःस्रावी अवरोधक के रूप में जाना जाता है। ये पदार्थ टेस्टोस्टेरोन सहित शरीर के अन्य हार्मोन की नकल कर सकते हैं या उनमें हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

भारी धातुएँ:- सीसा, पारा और कैडमियम जैसी भारी धातुओं के संपर्क में आने से हार्मोन असंतुलित हो सकता है और संभव है की टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी कम हो सकता है। इसलिए इन धातुओं के लम्बे समय तक सीधा सम्पर्क में आने से बचें।

बिस्फेनॉल ए (बीपीए) (bisphenol A):- यह कुछ प्लास्टिक कंटेनरों और खाद्य पैकेजिंग में पाया जाने वाला, खास तरह का कार्बनिक यौगिक है जो अंतःस्रावी अवरोधक का कारण बनता है जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

फ़ेथलेट्स:- यह एक प्रकार का केमिकल होता है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक की चीजों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। फ़ेथलेट्स के संपर्क में लंबे समय तक रहने से टेस्टोस्टेरोन में कमी सहित अन्य हार्मोन संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

इन कारकों के नकारात्मक प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता है:-

  • शराब के अधिक सेवन से बचें या पूरी तरह से परहेज ही करें।
  • धूम्रपान करने से बचे और दूसरे के द्वारा किए गए धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने से भी बचें।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
  • BPA मुक्त प्लास्टिक का उपयोग करें और प्लास्टिक की बजाय प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करके इसके उपयोग को कम करें।
  • कीटनाशकों के संपर्क में आने से बचे और इससे बचाने के लिए प्रोटेक्टिव मेजर को अपनाए।
  • खाद्य और पेय पदार्थों की प्लास्टिक पैकेजिंग का उपयोग करने से पहले ध्यान रखें और ऐसे विकल्प चुनें जिन पर हानिकारक रसायनों से मुक्त का लेबल लगा हो।

टेस्टोस्टेरोन कम करने वाले इन कारकों के बारे में जागरूक होकर और उनसे बचने के लिए कदम उठाकर, व्यक्ति अपने हार्मोनल स्वास्थ्य से लेकर संपूर्ण सेहत को सुरक्षित रख सकता है।

निष्कर्ष

टेस्टोस्टेरोन जो ना केवल पुरुषों बल्कि महिलाओं के स्वस्थ के लिए बेहद जरूरी है, भले ही यह हार्मोन महिलाओं में कम मात्रा में पाया जाता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी हो जाने पर कई प्रकार के शारीरिक दोष देखने को मिलते हैं, जिसमे शारीरिक कमजोरी, थकान, चिड़चिड़ापन महसूस करना आदि शामिल हैं।

एसी स्थिति में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलित रखना बहुत जरूरी हो जाता है। जिसके लिए गलत लाइफस्टाइल में बदलाव, खान पान पर ध्यान देना, शारीरिक गतिविधि, व्यायाम आदि पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। और एसे कारक जो टेस्टोस्टेरोन स्तर को प्रभावित करते है उनसे बचाने की भी जरूरत होती है।

संदर्भ

  1. Kim, Sung-Dong, and Kyu-Sup Cho. “Obstructive sleep apnea and testosterone deficiency.The world journal of men’s health 37.1 (2019): 12. ↩︎
  2. Axelsson, John, et al. “Effects of acutely displaced sleep on testosterone.The Journal of Clinical Endocrinology & Metabolism 90.8 (2005): 4530-4535. ↩︎
  3. Lance, Valentine A., and Ruth M. Elsey. “Stress‐induced suppression of testosterone secretion in male alligators.Journal of Experimental Zoology 239.2 (1986): 241-246. ↩︎
  4. Daly, W., et al. “Relationship between stress hormones and testosterone with prolonged endurance exercise.European journal of applied physiology 93 (2005): 375-380. ↩︎
  5. Abdollahzadeh Soreshjani, Sedigheh, and Milad Ashrafizadeh. “Effects of exercise on testosterone level, heat shock protein, and fertility potential.Reviews in Clinical Medicine 5.4 (2018): 141-145. ↩︎
  6. Ambiye, Vijay R., et al. “Clinical evaluation of the spermatogenic activity of the root extract of Ashwagandha (Withania somnifera) in oligospermic males: a pilot study.Evidence-Based Complementary and Alternative Medicine 2013 (2013). ↩︎
  7. Putri, Nazwita Dewi, Nur Indrawaty Lipoeto, and Mohamad Reza. “Effects of omega 3 on testosterone hormone levels and quality of spermatozoa in obese Rattus norvegicus Wistar Albino Strain.International Biological and Biomedical Journal 4.3 (2018): 156-163. ↩︎
  8. D’Aniello, Autimo, et al. “Involvement of D-aspartic acid in the synthesis of testosterone in rat testes.Life sciences 59.2 (1996): 97-104. ↩︎

Leave a Comment