ओवरथिंकिंग यानि जरूरत से ज्यादा सोचना इस सदी की उभरती समस्या बनती जा रही है, और अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनको यह लगता है या शिकायत है कि वह किसी भी चीज को लेकर ज्यादा ही सोचते विचरते रहते हैं और दिमाग में हर समय कोई न कोई बात चलती रहती है, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए ही तैयार किया गया है।
इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम अत्यधिक सोचने के कारणों, लक्षणों, ओवरथिंकिंग से बचने का उपाय और ओवरथिंकिंग के नुकसान के बारे में विस्तार से समझेंगे। ताकि आप इस चक्र से बाहर निकल सकें और शांतिपूर्ण मानसिक स्वास्थ का अनुभव कर सकें।
क्या ज्यादा सोचना बीमारी है?
सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है की हमारा मस्तिष्क एक सोचने की मशीन है, जिसका मुख्य काम सोचना ही है और यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो इस दुनिया में मुजूद सभी व्यक्ति करतें हैं।
मनुष्य के अन्य जानवरों से भिन्न होने के पीछे का कारण ही यही है की मनुष्य अधिक सोच और विचार कर सकता है। अधिक समस्याएँ तब खड़ी होंगी जब हमारा दिमाग सोचना बंद कर देगा।
अगर अधिक सोचने के कारण आपकी निजी जिंदगी में बुरा प्रभाव पड़ने लग जाता है जिससे आपकी पारिवारिक समाजिक स्थिति खराब होने लग जाती है तो आपके लिए यह एक समस्या है।
इसके बावजूद हम ज़्यादा सोचने को विकार या मानसिक बीमारी नहीं कह सकते हैं, लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि ज़्यादा सोचना कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है और कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों की जड़ बन सकता है।
ओवरथिंकिंग क्या है?
अत्यधिक सोचना, जिसे अंग्रेजी में “ओवरथिंकिंग” के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य दिमागी प्रकिरिया है। जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, समस्याओं या स्थितियों अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
जिसमें व्यक्ति पिछली घटनाओं के बारे में लगातार सोच विचार यानि विश्लेषण और पुनर्विश्लेषण करता है, भविष्य के परिणामों या घटनाओं की कल्पना करता है और दूसरे अन्य कई अनुमान लगाने की कोशिश करता है जिसका अधिकतर मामलों में व्यर्थ और वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता है, जिससे मानसिक और भावनात्मक थकावट होती है।
लेकिन जरूरत से ज्यादा सोचने का असर हमारे सामाजिक, मानसिक और शारीरिक पर पड़ता है और इसका असर हमारी सामान्य जिंदगी पर साफ नजर आने लगता है तो यह कहा जा सकता है कि यह जरूरत से ज्यादा सोचना या ओवरथिंकिंग है।
ओवरथिंकिंग के प्रकार
1. समस्या केन्द्रित:- जो लोग किसी समस्या के इर्द गिर्द अपने सोच का दायरा रखते हैं वे समस्या केन्द्रित ओवरथिंकिंग के शिकार रहते हैं, इसमें उनका सारा ध्यान समस्या पर होता है कि “ऐसा क्यों हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए था।”
2. समाधान केंद्रित:- इसमें व्यक्ति का ध्यान समस्या के बजाय समस्या के समाधान पर अधिक होता है। उदाहरण के तौर पर यदि आपके जीवन में कोई समस्या आती है तो ऐसे में आपके सोच का दायरा उस समस्या से बाहर निकलने पर होगा है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है की हो सकता है कि आप सिर्फ एक काल्पनिक समस्या का समाधान ही ढूढ़ने में लगे हो।
लेकिन अगर आप समाधान केंद्रित ओवरथिंकिंग करते हैं, तो इसका परिणाम अक्सर सकारात्मक रहने की संभावना होती है अगर वह समस्या रियल हो तो। क्योंकि इस स्थिति में आपसे यह उम्मीद की जाती है की आप समस्या से निदान पाने के लिए कुछ कदम उठाएंगे।
ओवरथिंकिंग का कारण
अगर आपके मन में यह सवाल उठता है की हम ओवरथिंकिंग क्यों करते हैं, तो इसके होने के कुछ महत्वपूर्ण कारक व कारण निम्नलिखित दिए गए हैं:-
1. आनुवांशिक:- ओवरथिंकिंग करने वाले लोगों को यह समस्या उनके माता-पिता से विरासत मिली हो सकती है यानी जरूरत से अधिक सोचने की समस्या अनुवांशिक हो सकती है। या फिर मनोवैज्ञानिक कारणों से उनमें अधिक सोचने की प्रवृत्ति विकसित हो सकती है।
2. गहरा आघात:- कभी-कभी जीवन में आने वाली समस्याएं, जो जीवन पर अधिक प्रभाव डालती हैं, उनसे भी अधिक सोचने की समस्या हो सकती है। जैसे कोई वित्तीय समस्या, रिश्ते की समस्या, परिवार में किसी करीबी की मृत्यु आदि।
3. अकेलापन:- जो व्यक्ति समाजिक रूप से सक्रिय नहीं रहते हैं उनमे ओवरथिंकिंग की समस्या अधिक देखी जाती है।
4. आत्म-सम्मान की कमी:- जिन व्यक्तियों में आत्मसम्मान की कमी होती है वे अक्सर ओवरथिंकिंग का शिकार हो सकते हैं क्योकि वे अपनी छमता पर संदेह करते हैं और अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश करते हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य कई कारण वर्थिंकिंग का करक बन सकते हैं जैसे काम का स्ट्रेस, हारने का डर आदि। ज्यादा सोचने का एक कारण यह भी है कि कई बार हम सोचने में इतना मशगूल हो जाते हैं कि हमारा दिमाग कल्पना और हकीकत में फर्क ही नहीं कर पाता, और हम अपने काल्पनिक विचार को सत्य और सही मानते हैं।
ओवरथिंकिंग के लक्षण और प्रभाव
ओवरथिंकिंग हमें मानसिक, शारीरिक और समाजिक रूप से प्रभावित कर सकता है और हमें कई प्रकार के इनसे जुड़े नकारात्मक लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। और अक्सर हमओवरथिंकिंग के लक्षणों को हम पहचान ही नहीं पाते हैं और इसका पता ज्यादातर मामलों में हमें दूसरों के व्यव्हार या बताने से चलता है।
ओवरथिंकिंग हमें शारीरिक रूप से कैसे प्रभावित करता है?
जब हम अधिक सोच में लिप्त हो जाते हैं तो इस अवस्था में अक्सर हम हकीकत से दूर होते हैं। और कई बार हमारे दिमाग को कल्पना और हकीकत में अंतर ही नहीं पता चलता, जिस कारण से ओवरथिंकिंग के दौरान हमें अधिक उत्त्साह या अधिक घबराहट और डर का अहसास हो सकता है जिससे दिल की धड़कन बढ़ जाती है, घबराहट बढ़ जाती है, पसीना आने लगता है।
ओवरथिंकिंग के शारीरिक लक्षण
- अधिक तनाव
- ब्लड प्रेशर की समस्या
- सिर में भारीपन
- सिरदर्द होना
- सोने का अभाव
- ध्यान की कमी
- जी मिचलाना
- अधिक पसीना
- बालों का झड़ना या सफ़ेद होना
- पेट सम्बन्धी दिक्क्तें
- प्रजनन प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव
इसके अतिरिक्त लम्बे समय तक ओवरथिंकिंग करने से छोटी बड़ी अन्य कई परेशानियां हो सकती हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है की सभी व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है इसलिए ओवरथिंकिंग के लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। और ओवरथिंकिंग से उत्पन्न यह लक्षण आगे आगे चलकर किसी बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है।
ओवरथिंकिंग के मानसिक लक्षण व समस्याएं
अत्यधिक समय तक ओवरथिंकिंग करने से निम्नलिखित मानसिक समस्याएं उत्त्पन हो सकती हैं।
- चिंता विकार
- अवसाद
- सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD)
- जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD)
- घबराहट की समस्या
- अभिघातजन्य तनाव विकार (PTSD)
- सामाजिक चिंता विकार (SAD)
सामाजिक प्रभाव
अधिक सोचने के कारण सामाजिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। क्योकि ओवरथिंकिंग आपको चिड़चिड़ा बना सकता है जिससे दूसरों के प्रति आपका व्यव्हार प्रभावित हो सकता है।
- हो सकता है लोग आपके चिंता ग्रस्त जीवन को पसंद न करें, और आपसे दूरी बनायें।
- आपके रिश्तों में टकराव हो सकता है।
- इसका असर आपके काम पर पड़ सकता है जिससे ऑफिस या करियर पर असर हो सकता है।
- ओवरथिंकिंग आपके बच्चों या माता पिता के चिंता का कारण बन सकती है।
ओवरथिंकिंग अन्य कई समाजिक समस्याओं का कारण बन सकती है, और इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर भिन्न हो सकता है क्योकि सभी की सामजिक स्थिति भिन्न होती है।
ओवरथिंकिंग से बचने का उपाय
मनुष्यों के लिए सोचना स्थाई और निरंतर प्रकिरिया है, इसे बंद नहीं क्या जा सकता है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है ताकि यह ओवरथिंकिंग का रूप ना बन जाये। निम्नलिखित कुछ ओवरथिंकिंग से बचने का उपाय का जिक्र किया गया है:-
1. सोच के प्रति सचेत रहें:- ओवरथिंकिंग पर काबू पाने के लिए अपने सोच के प्रति सचेत रहने की जरूरत होती है। इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि हम जो सोच रहे हैं वह हमारे लिए महत्वपूर्ण है या नहीं। हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जो हम सोच रहे हैं वह कोई बार-बार दोहराया जाने वाला विचार तो नहीं है और कहीं वह व्यर्थ विचार तो नहीं है।
ओवरथिंकिंग पर काबू पाने के लिए आपको इस बात से अवगत होना होगा कि आपके मन में क्या विचार आते हैं, आप क्या सोच रहे हैं और यह आपके लिए महत्वपूर्ण है या नहीं।
2. माइंडफुलनेस मेडिटेशन:- माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करते समय अपने विचारों और क्रियाओं पर ध्यान देने की जरूरत होती है, जिससे आपके मन में उत्त्पन होने वाले विचारों के प्रति आप अवगत रह पाएंगे और ओवरथिंकिंग पर काबू पा पाएंगे।
3. विचारों को लिखें:- ओवरथिंकिंग का इलाज करने में विचारों को लिखना बहुत कारगर साबित हो सकता है। आपके मन में जो भी विचार आ रहे है उसे लिखने की कोशिश करें, जिससे आप अपने सोच की उड़ान को नियन्त्रित कर पायेगें।
4. अच्छे सम्बन्ध बनायें:- अपने दोस्त, परिवार में अच्छे सम्बन्ध बनाये और अपने खाली समय में उनकें साथ समय बिताएं, जिससे ओवरथिंकिंग की समस्या से समाधान पाने में मदत मिल सकती है।
5. स्वस्थ भोजन और व्यायाम करें:- स्वस्थ भोजन करें जिसमें हरी साग सब्जियों को शामिल करें और रोजाना सुबह के समय आउटडोर व्यायाम करें। यह शरीर में होने वाली हार्मोन की गतिविधि को नियंत्रित रखने में मदत सकता है और स्ट्रेस हार्मोन को भी नियत्रित रखने में भी मदत कर सकता है।
6. नशीले पदार्थों से दूर रहें:- नशीले पदार्थ जैसे तम्बाखू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहें क्योकि यह आपके शरीर में बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, हार्मोनल बदलाव ला सकते हैं, और ओवरथिंकिंग का कारण भी बन सकते हैं इसलिए मादक पदार्थों से दूर रहें।
इसके अतिरिक्त आपकी शारीरिक, पारिवारिक और समाजिक परिस्थिति के अनुसार अन्य कई ओवरथिंकिंग से बचने का उपाय हो सकते हैं इसलिए अगर आपको लगता है कि ज्यादा सोचना आपके नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो आपको मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।
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निष्कर्ष
जरूरत से ज्यादा सोचना यानी ओवरथिंकिंग तब एक समस्या बन सकती है जब यह हमारे शारीरिक, पारिवारिक, सामाजिक पर नकारात्मक प्रभाव डालने लग जाये। और अगर आप ओवरथिंकिंग की समस्या से घिरे हुए हैं तो ज्यादा सोचना कैसे बंद करें यह सवाल आपके मन में जरूर आता होगा।
क्योकि ओवरथिंकिंग हमें शारीरिक, मानशिक और समाजिक रूप से प्रभावित करती है। इस समस्या से निजाद पाने के लिए अपने सोच के प्रति जरगरूक रहने, मैडिटेशन, योग, स्वस्थ भोजन करना, और अपने विचारों को लिखना आदि कारगर शाबित हो सकता है। लेकिन प्र्तयेक व्यक्ति की परस्थिति भिन्न होती है इसलिए उन्हें ओवरथिंकिंग का इलाज सही से करने के लिए मनोचिकित्सक से जरूर परामर्श करना चाहिए।