पीछे की ओर चलने के फ़ायदे और तरीका | Reverse Walking Benefits In Hindi

सेहतमंद रहने के लिए हमको रोजाना कुछ किलोमीटर चलाने की सलाह दी जाती है, इसमें कोई शक नहीं है की इसके अनेकों फायदे होते हैं, लेकिन क्या आप चलते समय कभी अपने पैरों, हाथों, शरीर की बदलती स्थिति पर ध्यान देते हैं? शायद ही ऐसा कभी करते होंगे। यह सारी ...

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Anshika Sharma

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सेहतमंद रहने के लिए हमको रोजाना कुछ किलोमीटर चलाने की सलाह दी जाती है, इसमें कोई शक नहीं है की इसके अनेकों फायदे होते हैं, लेकिन क्या आप चलते समय कभी अपने पैरों, हाथों, शरीर की बदलती स्थिति पर ध्यान देते हैं? शायद ही ऐसा कभी करते होंगे।

यह सारी क्रियाएं अपने आप ही होती है हमारा ध्यान उस और कभी नहीं जाता है, बस आपके दिमाग में एक कमांड जाती है और आपका शरीर उसी तरह की प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है।

लेकिन आपको कुछ ऐसा करने के लिए कहा जाए जिसका आपको अभ्यास नहीं है, जैसे उल्टे हाथ से लिखना, आंख बंद करके चलाना और पीछे की और चलाना आदि, तो आप पूरी तरह से सचेत हो जायेंगें और उस समय आपका दिमाग उसी काम के प्रति सक्रिय हो जायेगा।

एसी क्रियाएं आपके शरीर और दिमाग को चुनौती देती हैं और इस चुनौती के अनेकों फायदे हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं पीछे की ओर चलाने के क्या फायदे होते हैं? और पीछे की ओर चलाने का अभ्यास कैसे किया जाता है?

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पीछे को ओर चलाना (रिवर्स वॉकिंग) कैसे फायदेमंद होता है?

हालांकि पीछे की तरफ चलना थोड़ा मुस्किल लगता है, और देखने में अजीब भी लगता है, लेकिन इसके अनेकों फायदे हैं, जिसका न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक फायदा भी होता है।

कोई भी क्रिया करते समय जैसे बैठना, सीधे खड़े होना या आगे की दिशा में चलाना आदि, के लिए हमारी इंद्रियों का शरीर के बाकी हिस्सों से तालमेल जरूरी होता है।

लेकिन जब हम पीछे की ओर चलते हैं जिसका हमने कभी अभ्यास नहीं किया है, हमें प्रेक्टिस नहीं है, जिसे करना थोड़ा कठिन है, और इसमें हमारी कुछ इंद्रियों का इस्तेमाल भी नहीं होता है जैसे हरी आंख। इसलिए हमारे दिमाग को थोड़ा अधिक मेहनत करनी पड़ जाता है, और संतुलन बनाने में थोड़ा समय लगता है। कई शोधों में यह सिद्ध हुआ है की पीछे की ओर चलाना से हमारे शरीर को थोड़ा अधिक लाभ मिलता है।

तो चलाए उल्टा चलाने (retro walking) के फायदों के बारे में विस्तार से समझते हैं।

पीछे की तरफ चलने (रिवर्स वॉकिंग) के फायदे

रोजाना केवल 10 से 20 मिनट तक पीछे की ओर चलने के कई फायदे मिल सकते है जो ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक भी हो सकते हैं।

मस्तिष्क लाभ:

मानसिक कार्यक्षमता में सुधार:- उल्टा चलने से न सिर्फ आपके शरीर का व्यायाम होता है बल्कि आपके मस्तिष्क का भी व्यायाम होता है, क्योंकि ऐसा करने से दिमाग को चुनौती मिलती है और अधिक कार्य करना पड़ता है, जिस वजह से वह उस समय पूरी तरह से एक्टिव हो जाता है। इसलिए पीछे की ओर चलने से यादस्त तेज होती है।

ध्यान और एकाग्रता में सुधार:- पीछे की और चलना हमारे ध्यान केंद्रित करने की योग्यता में विकास करता है, क्योंकि पीछे चलने के लिए अधिक ध्यान और चेतनता की आवश्यकता होती है, और हम पूरी तरह से ध्यान मग्न हो जाते हैं ताकि आपके शरीर का बैलेंस बना रहे हो, आप किसी चीज से टकराएं नहीं और आप गिरे नहीं।

तनाव व चिंता से छुटकारा:- व्यायाम करने मात्र से ही हमारे मस्तिष्क में एंड्रोफिन नाम का हार्मोन निकलता है, जो प्राकृतिक रूप से हमें खुशी प्रदान करता है और तनाव को कम करने में मदत करता है। और उल्टा चलाने से एक प्रक्रिया में और विकास हो सकता है, जिससे तनाव कम करने में और अधिक लाभ मिल सकता है।

सतर्कता व सजगता में सुधार:- अगर पीछे की तरफ चलने का निरंतर अभ्यास करते हैं तो मस्तिष्क सतर्क या अलर्ट रहता है जिससे हमारे शारीरिक रिस्पॉन्स टाइम में भी सुधार होता है।

नींद में सुधार:- ऐसा पाया गया है की जो लोग उल्टा चलाने का रोजाना अभ्यास करते हैं उनको अच्छी नींद का अनुभव होता है।

इसके अलावा पीछे की और चलने से अन्य मानसिक लाभ जैसे मनोबल में सुधार, क्रिएटिविटी में वृद्धि, मन हल्का होना, समग्र मूड में सुधार आदि भी देखा जाता है।

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शारीरिक लाभ:

शरीर और दिमाग के तालमेल में सुधार:- जब हम पीछे की और चलते हैं तो अपनी आंखों का सीधा इस्तेमाल नहीं करते हैं और वह कार्य मस्तिष्क की एकाग्रता पर हो जाता है, इसलिए ऐसा पाया गया है की जो लोग उल्टा चलाने का नियमित अभ्यास करते हैं उनका अपनी बॉडी पर अच्छा कंट्रोल होता है।

घुटनों के लिए बहुत फायदेमंद:- उल्टी दिशा में चलने से घुटनों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है और यह क्वाड्स को भी मजबूत करता है। यह घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में सूजन) और चोट जैसी समस्या में भी मदत करता है, इसलिए पीछे की ओर चलाना हमारे घुटनों के लिए मददगार साबित हो सकता है।

वजन को कंट्रोल करने में फायदेमंद:- जब हम उल्टा चलाते हैं तो आगे की और चलाने के मुकाबले में हम ज्यादा कैलोरी बर्न करते हैं। ऐसा पाया गया है की समान दूरी तक आगे और चलाने की तुलना में पीछे की ओर चलने से 40% अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है जो हमारे वजन को कम करने में बहुत मदतगर होता है।

मांसपेशियों की ताकत में बढ़ोतरी:- जब हम उल्टा चलते हैं तो पंजों के काम करने के तरीके में बदलाव आता है, और चलाना थोड़ा कठिन हो जाता है। इस प्रोसेस में सबसे पहले हमारी एडी जमीन पर टच होती है उसके बाद हमारे पैर की उंगलियां टच होती है जिससे हमारे पैरों को मासपेशियों पर जोर पहुंचता है, इसलिए पीछे की और चलना पैरों की मासपेशियों की ताकत को बढ़ाने में मदत करता है।

पीठ व कमर दर्द की समस्या से राहत:- उल्टा चलने से हमारी रीढ़ की हड्डी और कमर का अधिक उपयोग होता है जो इसकी मजबूती के लिए फायदेमंद है। जो लोग नियमित रूप से पीछे की तरफ चलने का अभ्यास करते हैं, उनको पीठ और कमर दर्द से राहत मिलती है।

हृदय स्वास्थ के लिए बेहतर:- हालांकि नियमित रूप से टहलना ही हमारे हृदय और उससे जुड़ी बीमारियों के निजात के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और पीछे की ओर चलाना हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को और भी अधिक बढ़ावा दे सकता है क्योंकि ऐसा करने से हमें मिलने वाले ऑक्सीजन में बढ़ोतरी हो जाती है।

न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में फायदेमंद:- पीछे की तरफ चलना न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के शिकार लोगों और स्ट्रोक से उबरने वाले लोगों के लिए भी उपयुक्त बताया जाता है। भूलने की बीमारी और शारीरिक बैलेंस ना बना पाने जैसी स्थिति में भी इसका अभ्यास बहुत फायदेमंद हो सकता है।

पीछे चलने का अभ्यास कैसे करेंWalking backward

सुरुआती दिनों में पीछे की और चलना कुछ लोगों के लिए मुस्किल हो सकता है इसलिए इसको करने के सही तरीकों को समझना बहुत जरूरी है।

पीछे की ओर चलते समय अपने शरीर की संरचना पर पूरा ध्यान दें, यानी पूरी तरह से सीधे खड़े हों, अपने शरीर को मोड़ने की कोशिश ना करें।

इस अभ्यास को करते समय यह बेहद जरूरी है की सामने की और देखा जाए, पीछे की और देखने का प्रयास ना किया जाए, इसलिए अपने सर को झुकाए और मोड़े नही और सामने की और देखें।

अब आप धीमी रफ्तार में पीछे की और चलें, और अपने कदमों की और ध्यान दें और रफ्तार धीरे धीरे बढ़ा सकते हैं। आप बीच-बीच में अपनी आंखों को बंद कर सकते हैं, लेकिन हो सकता है ऐसा करना थोड़ा मुस्किल हो इसलिए कम से कम 4 से 5 कदम तक ऐसा करें।

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आपको कब और कहाँ पीछे चलने का अभ्यास करना चाहिए?

अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है की पीछे की ओर चलने का अभ्यास कब करना चाहिए तो इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि जब भी आप सहज महसूस कर रहे हों, जब भी आपको समय मिले या जब भी आप व्यायाम के लिए जाएं सुबह या शाम, आप उल्टा चलने का अभ्यास कर सकते हैं।

कुछ लोगों के लिए पीछे की ओर जाना बहुत मुश्किल हो सकता है और यह भी संभव है कि उल्टा चलने से आप गिर जाएं और खुद को चोटिल कर लें। इसलिए ऐसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

आप किसी ऐसी जगह पर पीछे की ओर चलने का अभ्यास कर सकते हैं जिस जगह से आप पूरी तरह परिचित हों। ताकि आस पास की चीजों से आप टकराने से बच पाएं।

इस एक्सरसाइज को सड़क पर या भीड़-भाड़ वाली जगह पर करना सही नहीं होगा। क्योंकि एसी जगहों पर किसी से टकराने का खतरा बना रहेगा।

उल्टा चलाने का अभ्यास आप ट्रेडमिल पर भी कर सकते हैं लेकिन सावधानी बरतनी भी जरूरी है।

निष्कर्ष

पीछे की तरफ चलना (रिवर्स वॉकिंग) ना केवल हमारे शरीर के लिए बल्कि हमारी मानसिक सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसका निरंतर 15 से 20 मिनट अभ्यास करने से हमारी यादाश्त, नीद, चिंता से छुटकारा, शारीरिक संतुलन, मोटापा, अर्थराइटिस, और चलने से होने वाले जितने भी फायदे होते हैं, वह सारे लाभ हमको मिलते हैं।

हालांकि उल्टा चलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए सावधानियां और इसे करने के तरीकों पर पूरा ध्यान देना चाहिए और अपने अनुकूलित वातावरण में ही इसका अभ्यास करना चाहिए।

उल्टा चलने से क्या फायदा होता है?

उल्टा चलने से ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक फायदे भी हो सकते हैं। शारीरिक फायदों में घुटनों की मजबूती, पैरों की मैसपेसियो की मजबूती, वजन प्रबंधन, पीठ दर्द से राहत, हृदय स्वास्थ आदि शामिल है। मानसिक फायदों में ध्यान लगाना, तनाव व चिंता से छुटकारा, मानसिक क्षमता में सुधार, नींद में सुधार आदि सामिल है।

उल्टा चलने के क्या नुकसान हैं?

अगर आपको उल्टा चलाने का अधिक अभ्यास नहीं है तो शारीरिक संतुलन बनाने में परेशानी हो सकती है, जिस कारण से आप गिर भी सकते हैं, और अपने आपको चोटिल कर सकते हैं। इसके अतरिक्त मस्तिष्क पर भी प्रभाव हो सकता है जिससे सर दर्द और मतली जैसे लक्षण महसूस हो सकतें हैं।

क्या पीछे की ओर चलना आपके घुटनों के लिए अच्छा है?

आमतौर पर पीछे की ओर चलना आपके घुटनों के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर के संरचनात्मक संतुलन को बेहतर बनाता है, और घुटनों पर कम दबाव पड़ता है। इससे आपके घुटने कम तनाव में रहते हैं और घुटने के दर्द का खतरा कम हो सकता है।

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