आसानी से रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाए?

मजबूत इम्युनिटी हमें रोगों से लड़ने में मदत करती है जिसके कारण हम आसानी से बीमार नहीं होते हैं। इसलिए चलिए इम्यूनिटी बढ़ाने के घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं ताकि हम अपने समग्र स्वास्थ्य को बढ़ा सकें।

Author:

Anshika Sharma

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बार-बार होने वाले संक्रमणों और अन्य शारीरिक बीमारियों से लड़ने के लिए यदि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं, तो यह कोई बहुत जटिल काम नहीं है, हमें बस अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है।

हालाँकि प्रतिरक्षा प्रणाली के ठीक से कार्य ना करने के पीछे कई अन्य कारक भी हो सकते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में ख़राब जीवनशैली एक प्रमुख कारक होता है।

आइये समझने का प्रयास करते हैं की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाए ताकि बार-बार होने वाले संक्रमणों और रोगों से तेजी से लड़ा जा सके और एक स्वस्थ्य जीवन पाया जा सके।

रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है?

रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) का तात्पर्य शरीर की ऐसी छमता से है जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी जैसे हानिकारक अकर्मणकारियों से शरीर को संरक्षण प्रदान कर सके। यह दर्शाता है कि शरीर कितनी अच्छी तरह से रोगाणुओं से लड़ सकता है।

हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले कई कारक हो सकते हैं:-

  • जीवनशैली
  • आनुवंशिकी
  • आयु
  • अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां

प्रतिरक्षा प्रणाली और रोग प्रतिरोधक क्षमता

प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं, उत्तकों और ऑर्गन का ही एक समूह होता हैं जो सफेद रक्त कोशिकाएं, एंटीबॉडीज़, लिम्फाइड ऊतक (जैसे थाइमस, अस्ति मज्जा, तिल्ली, लसीका) और लिम्फाटिक सिस्टम आदि से मिलकर काम करता हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली का प्राथमिक कार्य संक्रमणों की पहचान करना और उन्हें नष्ट करना, एंटीबॉडीज़ का उत्पादन करना, इम्यून कोशिकाओं को सक्रिय करना और इम्यून प्रतिक्रियाओं को समन्वयित करना होता है।

रोगाणुओं से लड़ने के लिए पहले प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं और बाहरी आक्रमणकारियों जैसे बैक्टीरिया, वायरस आदि के बीच अंतर करता है या पहचान करता है। इसके बाद यह सफेद रक्त कोशिकाओं, एंटीबॉडी, लसीका प्रणाली, प्लीहा, थाइमस, और अस्थिमज्जा का उपयोग करके इन आक्रमणकारियों पर हमला करता है और नष्ट कर देता है।

शरीर की इस छमता को रोग प्रतिरोधक क्षमता कहा जाता है यानी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर का एक भौतिक हिस्सा है और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता का माप है।

प्राकृतिक रूप रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय

प्राकृतिक रूप रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों में शामिल है:-

1. अच्छी नींद लें

अच्छी और आरामदायक नींद और अच्छे स्वास्थ्य के बीच एक गहरा संबंध है। आरामदायक और पर्याप्त नींद न लेने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है और यह स्थिति आपको बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है।

इसलिए प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर ढंग से काम करने के लिए गहरी और आरामदायक नींद की आवस्यकता है ताकि संक्रमणों और रोगों से बचा जा सके।1

स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए:-

  • हर रात 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।
  • एक नियमित नींद का समय निर्धारित करें और उसका पालन करें।
  • सोने से पहले कैफीन और शराब से बचें।

2. संतुलित आहार खाएं

हम जो भी खाते हैं उसका सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। असंतुलित आहार से प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है और बीमारियों की आशंका बढ़ सकती है।

अधिक प्रोसेस्ड फ़ूड (ब्रेड, बिस्कुट, चिप्स, नमकीन), तला हुआ, अधिक मीठा और तेलीय खाद्य पदार्थ, आदि के रोजाना इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योकि इसमें पोषक तत्वों के बजाय चीनी, वसा और सोडियम की अधिक मात्रा होती है जो रोगों की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए हमारे आहार के माध्यम से पर्याप्त विटामिन, खनिज, प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड आदि प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, साबुत अनाज आदि स्वस्थ्य खाद्य का प्रयोग करें।2

3. नियमित व्यायाम करें

लम्बे समय तक शारीरिक निष्क्रियता या व्यायाम नहीं करने से यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोरी का कारण बन सकता है और रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। हालाँकि बहुत अधिक व्यायाम भी हमारे शरीर के लिए लाभदायक नहीं माना जाता है।

नियमित रूप से मध्यम तीव्रता का व्यायाम करने से संभवत: रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिल सकती है जिससे तनाव कम करने, कुछ बीमारियों और संक्रमणों के जोखिम को कम करने में भी मदद मिल सकती है।3

इसलिए अपने शारीरिक जरूरत के अनुसार प्रतिदिन व्यायाम जरूर करें, जिसमें कम से कम कुछ किलोमीटर पैदल चलना, साइकिल चलना, दौड़ना, स्विमिंग करना, आदि गतिविधि शामिल हो सकती हैं।

4. तनाव कम करें

तनाव और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच संबंध बहुत जटिल है क्योंकि तनाव कुछ मायनों में फायदेमंद और कुछ मायनों में हानिकारक हो सकता है।

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अचानक या अल्पकालिक तनाव फायदेमंद होता है क्योंकि यह शरीर को सक्रिय मोड में रखता है और प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्य क्षमता में सुधार कर सकता है।

हालांकि, दीर्घकालिक तनाव यानी लम्बे समय तक तनाव ग्रषित रहने से इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना सकता है, जिससे आप संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और संभावित रूप से बीमारी से उबरने में मुश्किल हो सकती है।4

इसलिए योग, ध्यान करें और सामाजिक रूप से सक्रिय रहें ताकि आप लंबे समय तक तनाव से बच सकें।

5. नशीले पदार्थो के सेवन से बचें

सिगरेट, शराब, निकोटीन और मेथामफेटामाइन जैसे नशीले पदार्थ रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसके कारण रोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हृदय रोगों, श्वसन संबंधी बीमारियों, स्वप्रतिरक्षी विकारों, एलर्जी और यहां तक ​​कि कैंसर सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के होने का जोखिम को बढ़ा सकते हैं। 5

शोध बताते हैं कि कई तरह के अन्य नशीली पदार्थ जैसे ओपिओइड्स  हेरोइन), कैनाबिनोइड्स (गांजा), कोकीन भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोरी का कारण बन सकते हैं और किसी खास संक्रमण से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकते हैं।6

इसलिए मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए नशीले पदार्थों से दूरी बनाना जरूरी है।

निष्कर्ष

रोगों से लड़ने और घावों को जल्दी भरने के लिए एक अच्छी इम्युनिटी की जरूरत होती है, इम्यूनिटी हमारे शरीर की पहरेदार होती है जो हमे बाहरी आक्रमणकारियों से बचाती है। लेकिन अक्सर गलत जीवनशैली की वजह से हम अपने इम्युनिटी को कमजोर बना लेते हैं, जिस कारण से हमें कई रोगों और शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

इन शारीरिक कठिनाइयों से बचने के लिए हमें फिर से अपने इम्युनिटी को प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत होती है। अच्छा खान पान, अच्छा रहन-सहन, अच्छी नीद, नियमित व्यायाम आदि जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों को अपना कर रोगों और संक्रमणों से बचा जा सकता है।

संदर्भ

  1. Besedovsky, Luciana et al. “Sleep and immune function.Pflugers Archiv : European journal of physiology vol. 463,1 (2012): 121-37. doi:10.1007/s00424-011-1044-0 ↩︎
  2. Munteanu, Camelia, and Betty Schwartz. “The relationship between nutrition and the immune system.Frontiers in nutrition vol. 9 1082500. 8 Dec. 2022, doi:10.3389/fnut.2022.1082500 ↩︎
  3. Simpson, Richard J et al. “Exercise and the Regulation of Immune Functions.Progress in molecular biology and translational science vol. 135 (2015): 355-80. doi:10.1016/bs.pmbts.2015.08.001 ↩︎
  4. Dhabhar, Firdaus S. “Effects of stress on immune function: the good, the bad, and the beautiful.Immunologic research vol. 58,2-3 (2014): 193-210. doi:10.1007/s12026-014-8517-0 ↩︎
  5. Qiu, Feifei et al. “Impacts of cigarette smoking on immune responsiveness: Up and down or upside down?.” Oncotarget vol. 8,1 (2017): 268-284. doi:10.18632/oncotarget.13613 ↩︎
  6. Eisenstein, Toby K., et al. “Drugs of abuse and the immune system.Neuroimmune Pharmacology (2008): 531-543. ↩︎

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