भूमि आंवला के स्वास्थ्य लाभ और संभावित नुकसान

भूमि आंवला औषधीय गुणों से भरपूर जड़ीबूटी है जो विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी है। इसके लाभों में लिवर स्वास्थ्य सुधारने, अल्सर में राहत, और गुर्दे की पथरी को कम करने जैसी विशेषताएँ शामिल हैं।

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Brijesh Yadav

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भूमि आंवला (Bhumi Amla) छोटा झाड़ीदार पौधा है जो आमतौर पर 30-60 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ता है। क्योंकि इसका पौधा भूमि से अधिक ऊँचाई प्राप्त नहीं करता है और इसके पत्ते आमले के पत्तों के समान प्रतीत होते हैं, इसलिए इसका नाम ‘भूमि अमला’ रखा गया होगा।

भूमि आंवला का वनस्पतिक नाम फिलैंथस निरुरी (Phyllanthus niruri) है, जो कि यूफोरबियासी (Euphorbiaceae) परिवार से संबंधित है। इसके प्रचलित अन्य नाम चांका पिएड्रा (Chanca Piedra), स्टोनब्रेकर (Stonebreaker) और लीफफ्लावर (Leafflower) हैं।

भूमि आंवला अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके तना, पत्तों, फूल, फल और जड़ का उपयोग स्वस्थ्य लाभ लेने के लिए पाउडर, रस, कैप्सूल के माध्यम से किया जाता है।

आयुर्वेद में भूमि आंवला का विस्तृत वर्णन मिलता है, जो अपनी शीतल, कड़वे और कसैले स्वाद के लिए जाना जाता है। यह यकृत की बीमारियों, किडनी, पाचन तंत्र, मधुमेह, संक्रमण और त्वचा की समस्याओं की रोकथाम के लिए उपयोगी माना जाता है।

यहाँ आपको भूमि आंवला के फायदे और नुकसान से जुडी शोध आधारित जानकारी मिलेगी।

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भूमि आंवला के फायदे

भूमि आंवला पर हुए शोधों से पता चलता है कि यह लीवर की सुरक्षा, वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने, लिपिड स्तर को कम करने, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, दर्द को कम करने, सूजन को घटाने, हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने, गुर्दे की पथरी से बचाने और यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।1

गुर्दे की पथरी के उपचार में प्रभावी हो सकता है।

भूमि आंवला गुर्दे से जुडी समस्याओं जैसे किडनी स्टोन के इलाज में महत्पूर्ण भूमिका निभा सकता है।2 इसका अधिक संभावना है की भूमि आंवला के इस गुण के कारण ही इसको “स्टोन ब्रेकर” नाम मिला हो।

एक अध्ययन में गुर्दे की पथरी से पीड़ित 56 मरीजों को शामिल किया गया, जिनकी औसत उम्र 44 वर्ष थी, और इनमें से 64% महिलाएं थीं।मरीजों को एक निर्धारित मात्रा में भूमि अमला का अर्क 12 सप्ताह तक दिया गया। परिणामों में पाया गया कि 12 सप्ताह बाद, पथरी की औसत संख्या 3.2 से घटकर 2.0 रह गई। इसके अलावा, मूत्र में पोटैशियम और मैग्नीशियम का स्तर बढ़ा, जबकि ऑक्सलेट और यूरिक एसिड का स्तर कम हो गया।3

एक अध्ययन में पाया गया है कि भूमि आंवला का अर्क कैल्शियम ऑक्सलेट क्रिस्टल (CaOx) के बढ़ने और उनके आपस में जुड़ने को रोक सकता है। इससे यह यू्रोलिथियासिस (गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय या मूत्रमार्ग में पथरी) के उपचार में प्रभावी हो सकता है।4

अल्सर के रोकथाम में प्रभावी हो सकता है।

भूमि आंवला में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो बिना लाभकारी बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाए, हानिकारक बैक्टीरिया को रोकने में मदद कर सकते हैं। ये बैक्टीरिया पेट की सूजन और अल्सर जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा, भूमि आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं। इस कारण से, यह अल्सर की रोकथाम में उपयोगी हो सकता है।56

चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि भूमि आंवला का मेथनॉल अर्क सूजन को कम करने और पेट के अल्सर से सुरक्षा प्रदान करने में प्रभावी हो सकता है। यह पेट की परत को पुनः ठीक करने और सूजन व खून बहने जैसी समस्याओं को रोकने में मदद करता है।7

मधुमेह प्रबंधन में मदत कर सकता है।

भूमि आंवला के मधुमेह रोधी प्रभाव को जांचने के लिए चूहों पर हुए एक अध्ययन यह पाया गया कि भूमि आंवला का अर्क उपवास रक्त शर्करा (खाली पेट शुगर) को प्रभावी ढंग से कम करता है। भारी भोजन के बाद ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है। लंबे समय तक इसे देने से मधुमेह से ग्रस्त और सामान्य चूहों में रक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम हुआ।8

चूहों पर हुए एक अन्य अध्ययन में पाया गया की 45 दिनों तक भूमि आंवला के अर्क (400 मिलीग्राम/किलोग्राम) के सेवन से मधुमेह ग्रस्त चूहों में रक्त शर्करा का स्तर 310.20 से 141.0 मिलीग्राम/डेसीलीटर तक कम हो गया और उनके शरीर का वजन भी सुधरा। चूहों के यकृत में शर्करा चयापचय से जुड़े एंजाइम्स की गतिविधि में भी सुधार हुआ।9

ध्यान दें: इन अध्ययनों के नतीजे यह संकेत देते हैं कि भूमि आंवला मधुमेह के उपचार में मददगार हो सकता है। हालांकि, मनुष्यों पर इसके सटीक प्रभावों को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

लिवर के लिए फायदेमंद हो सकता है।

भूमि आंवला में हेपेटोप्रोटेक्टिव गतिविधि (Hepatoprotective Activity) और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट हानिकारक मुक्त कणों के प्रभाव को कम करके लिवर की कोशिकाओं को क्षति से बचाने में मदद कर सकते हैं।10

एक अध्ययन में पाया गया कि भूमि आंवला के पत्तों और फलों के मेथनॉल और पानी के अर्क ने शरीर में हानिकारक तत्वों और ऑक्सीडेंट्स को रोकने में मदद की। इसके साथ ही, भूमि आंवला के अर्क ने एक विषैले रसायन (कार्बन टेट्राक्लोराइड) से होने वाली लिवर की क्षति को भी कम किया। यह परिणाम संकेत देते हैं की भूमि आंवला का सेवन लीवर को नुकसान से बचाने और उसे स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकता है।11

नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease) शराब न पीने वाले लोगों में होने वाली एक सामान्य लिवर समस्या है, जो मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी हुई है। एक अध्ययन में चूहों को भूमि आंवला के 50% मेथनॉल अर्क दिया गया गया, जिसने चूहों में NAFLD के लक्षणों को महत्वपूर्ण रूप से कम किया। इस अर्क ने जिगर के आकार को 16%, पेट के वसा को 22%, और कुल कोलेस्ट्रॉल को 48% तक घटाया। इसके अलावा, इसने इंसुलिन और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा को भी कम किया। यह नतीजे बताते हैं कि भूमि आंवला नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और एथेरोस्क्लेरोसिस के रोखथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।12

ध्यान दें: लिवर के स्वास्थ्य पर भूमि आंवला के सटीक प्रभावों के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।

भूमि आंवला के नुकसान

भूमि आंवला के सेवन से नुकसान सबंधी साक्ष्यों का आभाव है। हालाँकि इसकी अधिक खुराक से कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। जैसे:

  • पेट में दर्द
  • दस्त
  • मतली और उल्टी
  • दर्दनाक पेशाब

सावधानियां

1. निम्न रक्तचाप वाले व्यक्तियों और जो लोग रक्तचाप की दवा ले रहे हैं, उन्हें भूमि आंवला का सेवन करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप को और भी कम कर सकता है। इसलिए, इसका सेवन चिकित्सक के परामर्श के बिना नहीं करना चाहिए।

2. गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को चिकित्सक के परामर्श पर ही भूमि आंवला का सेवन करना उचित होगा।

3. भूमि आंवला कुछ दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है। इसलिए, दवाओं के साथ इसे सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।

निष्कर्ष

भूमि आंवला एक छोटा झाड़ीदार पौधा है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसका प्रत्येक भाग का उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। भूमि आंवला के कई स्वास्थ्य लाभ देखने को मिल सकते है जैसे यह लिवर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, अल्सर में लाभकारी हो सकता है, गुर्दे की पथरी को कम कर सकता है, आदि।

हालाँकि भूमि आंवला के कुछ संभावित नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं इसलिए चिकित्सक के परामर्श पर ही इसका सेवन करना उचित होगा।

संदर्भ

  1. Lee, Nathanael YS, et al. “The pharmacological potential of Phyllanthus niruri.” Journal of pharmacy and pharmacology 68.8 (2016): 953-969. ↩︎
  2. Boim, Mirian A et al. “Phyllanthus niruri as a promising alternative treatment for nephrolithiasis.” International braz j urol : official journal of the Brazilian Society of Urology vol. 36,6 (2010): 657-64; discussion 664. doi:10.1590/s1677-55382010000600002 ↩︎
  3. Pucci, Nidia D et al. “Effect of phyllanthus niruri on metabolic parameters of patients with kidney stone: a perspective for disease prevention.” International braz j urol : official journal of the Brazilian Society of Urology vol. 44,4 (2018): 758-764. doi:10.1590/S1677-5538.IBJU.2017.0521 ↩︎
  4. Barros, M E et al. “Effects of an aqueous extract from Phyllantus niruri on calcium oxalate crystallization in vitro.” Urological research vol. 30,6 (2003): 374-9. doi:10.1007/s00240-002-0285-y ↩︎
  5. Ranilla, Lena Gálvez et al. “Antimicrobial activity of an Amazon medicinal plant (Chancapiedra) (Phyllanthus niruri L.) against Helicobacter pylori and lactic acid bacteria.Phytotherapy research : PTR vol. 26,6 (2012): 791-9. doi:10.1002/ptr.3646 ↩︎
  6. Safavi, Maliheh et al. “Medicinal plants in the treatment of Helicobacter pylori infections.” Pharmaceutical biology vol. 53,7 (2015): 939-60. doi:10.3109/13880209.2014.952837 ↩︎
  7. Mostofa, Ronia et al. “Evaluation of anti-inflammatory and gastric anti-ulcer activity of Phyllanthus niruri L. (Euphorbiaceae) leaves in experimental rats.” BMC complementary and alternative medicine vol. 17,1 267. 16 May. 2017, doi:10.1186/s12906-017-1771-7 ↩︎
  8. Okoli, C. O., et al. “Evaluation of antidiabetic potentials of Phyllanthus niruri in alloxan diabetic rats.” African Journal of Biotechnology 9.2 (2010). ↩︎
  9. Shetti, A. A., and R. D. Sanakal. “Antidiabetic effect of ethanolic leaf extract of Phyllanthus amarus in alloxan induced diabetic mice.” Asian Journal of Plant Science & Research (2011). ↩︎
  10. Chatterjee, Mary, and Parames C. Sil. “Protective role of Phyllanthus niruri against nimesulide induced hepatic damage.” Indian Journal of Clinical Biochemistry 22 (2007): 109-116. ↩︎
  11. Harish, R., and T. Shivanandappa. “Antioxidant activity and hepatoprotective potential of Phyllanthus niruri.” Food chemistry 95.2 (2006): 180-185. ↩︎
  12. Al Zarzour, Raghdaa Hamdan, et al. “Phyllanthus niruri standardized extract alleviates the progression of non-alcoholic fatty liver disease and decreases atherosclerotic risk in Sprague–Dawley rats.” Nutrients 9.7 (2017): 766. ↩︎

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