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क्या अतीस स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है? जानिए फायदे और नुकसान

अतीस हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाला एक दुर्लभ जड़ी बूटी है, जो अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। आइये अतीस के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से समझते हैं।

Author:

Brijesh Yadav

Published on:

अतीस उन औषधीय पौधों में से एक है जिसका वर्णन आयुर्वेद में व्यापक तौर पर मिलता है। यह एक एसी वन औषधि है जिसके उपयोग से अनेकों स्वास्थ्य लाभ हासिल किये जा सकते हैं, और सदियों से इसका प्रयोग स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए होता भी आया है।

अतीस को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है इसका प्राचीन संस्कृतिक नाम अतिविषा है। अंग्रेजी में इंडियन अतीस (Indian Atees), Wolfs Bane, Devil’s Helmet इसके प्रचलित नाम हैं। अतीस का वनस्पतिक नाम ऐकोनिटम हेटरोफाइलम (Aconitum Heterophyllum)  है जो की रैननकुलैसी (Ranunculaceae) परिवार से संबंधित है।

इस पौधे के ऐकोनिटम (Aconitum) वंश में लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती है और अधिकांश प्रजातियाँ जहरीली होती हैं। हालाँकि अतीस में विषैलापन ना के बराबर होता है। 

अतिविषा अमूमन हिमालय के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका तना सीधा, पतला और लगभग 50-100 सेंटीमीटर ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ हरे रंग की, दिल के आकर की और लगभग 5-10 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। फूल बैंगनी, नीले या सफेद रंग के होते हैं, जो गुच्छों में खिलते हैं।

मुख्य रूप से अतीस की जड़ का उपयोग स्वास्थ्य फायदों के लिए किया जाता है। इसका रंग सफेद या हल्का भूरा होता है, और यह सूखी अवस्था में थोड़ी कठोर होती है।

Atees ke Fayde

आयुर्वेद के अनुसार, अतीस की तासीर गर्म होती है और प्रकृति तीक्ष्ण होती है, यानी इसका स्वाद कड़वा होता है। इसका उपयोग आयुर्वेद और परम्परिक चिकित्सा में कमजोरी, बुखार, उल्टी, खाँसी, बवासीर, पाचन समस्याओं, और पेट के विकारों के उपचार में किया जाता है।12

यहां आपको शोध आधारित अतीस के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी।

अतीस के फायदे

अतीस अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है जिसके सही उपयोग से कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं:

1. सूजन रोधी और दर्द निवारक गतिविधि

अतीस में एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं यानी यह सूजन और दर्द को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस पौधे में मौजूद विभिन्न एल्कलॉइड, जैसे कि एकोनिटाइन, हेटेराटिसिन और एटिसिन, हमारे शरीर के दर्द को महसूस करने वाले हिस्से को इस तरह से प्रभावित करते हैं कि हमें दर्द कम महसूस होता है।

इसके अतिरिक्त अतीस हमारे शरीर में उन चीजों को रोकता है जो सूजन पैदा करती हैं। जब सूजन कम होती है, तो दर्द भी कम होता है।

चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की अतीस के जड़ के इथेनॉलिक अर्क ने उनमें सूजन को कम कर दिया है। और इसका प्रभाव दर्द और सूजन को दूर करने के लिए दी जाने वाली दवा “डाइक्लोफेनाक सोडियम” के बराबर था।3

2. एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि

अतीस में फ्लेवोनोइड्स और अन्य फेनोलिक यौगिकों की उपस्थिति के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि प्रदर्शित करता है। अतीस की जड़ के जलीय अर्क के अध्ययन से पता चला है कि इसमें एल्कलॉइड्स (Alkaloids) की मात्रा अधिक है, जबकि फेनोल, टैनिन, फ्लेवोनोइड और सैपोनिन कम मात्रा में पाए गए हैं।4

अतीस की एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि (Antioxidant Activity) हानिकारक मुक्त कणों को बेअसर करने में मदद करती है, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है और कोशिकाओं को नुकसान से बचाया जा सकता है।

3. रोगाणुरोधी गुण प्रभाव 

अतीस में रोगाणुरोधी प्रभाव (Antibacterial Property) पाए जाते हैं, यह  बैक्टीरिया, कवक और कुछ वायरस सहित विभिन्न रोगजनकों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ऐसा इसमें मौजूद सक्रिय योगिक जैसे एल्कलॉइड के कारण हो सकता है।

अतीस के जड़ों से निकाले गए क्षारीय अर्क का जीवाणुरोधी गतिविधि पर अध्ययन से पता चला कि यह कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी है।5

एक अध्ययन में पाया गया की अतीस के मेथनॉलिक (Methanollic) अर्क एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गतिविधि (Antimicrobial) प्रदर्शित कर सकता है।67

4. हृदय रोग का खतरा कम कर सकता है।

अतीस हृदय जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है क्योकि यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में सहायक सहायक होता है। यह हृदय की धमनियों में चर्बी की मात्रा को घटाकर रक्त प्रवाह को सुगम बनाता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम कम होता है। इसके अलावा, अतीस अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।8

5. कैंसर रोधी क्षमता

अतीस में कैंसर रोधी गुण (Anticancers Activity) पाए जाते हैं, जो इसे कैंसर के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करते हैं। यह संभवतः इसमें मौजूद एल्कलॉइड के कारण है।

एक अध्ययन में पाया गया की अतीस के पौधे के अर्क ने कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए कोशिका मृत्यु का कारण बनने वाले जीन को सक्रिय किया और कैंसर कोशिकाओं के जीवित रहने में मदद करने वाले जीन को निष्क्रिय किया। यह प्रभाव कैंसर के रोकथाम में दी जाने वाली दवा डॉक्सोरुबिसिन के समान था।9

6. गुर्दे के जोखिमों को कम कर सकता है।

अतीस में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि पाई जाती है जो संभवतः गुर्दे के कार्य में महत्वपूर्ण सुधार  कर सकता है।

एक शोध के परिणामों से पता चलता है कि अतीस की जड़ के अर्क में विटामिन सी के समान एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाए जाते हैं, जिससे उपचारित चूहों में गुर्दे के कार्य में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। यह अध्ययन दर्शाता है कि अतीस की जड़ में गुर्दे की सुरक्षा और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद हैं।10

7. यह बुखार को कम कर सकता है।

अतीस का उपयोग पारंपरिक रूप से बुखार को कम करने के लिए किया जाता है, क्योकि ऐसा माना जाता है की इसमें ज्वरनाशक गुण (Antipyretic Properties) होती हैं।

हालाँकि बुखार पर अतीस के प्रभाव से संबंधी साक्ष्य सिमित हैं इसलिए सटीक परिणामों के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।11

अतीस के नुकसान और सावधानियां

अतीस में पाए जाने वाले विषैले एल्कलॉइड, जैसे एकोनिटाइन के कारण इसकी उच्च खुराक या अनुचित उपयोग से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।12

अतीस के अधिक खुराक लेने से मतली, उल्टी, पेट में दर्द, दस्त, चक्कर आना, कमजोरी, आदि देखने को मिल सकती है।

इसलिए, अतीस के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इसकी खुराक के प्रति अधिक सावधानी बरतना आवश्यक है।

आइये अतीस के सेवन से संबंधी कुछ महत्वपूर्ण सवधानियों को समझते हैं।

1. गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को अतीस सेवन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। इसके अलावा, अतीस के प्रति अतिसंवेदनशील व्यक्तियों को भी इसके उपयोग से बचना चाहिए।

2. क्रोनिक बीमारियों, जैसे हृदय रोग, लीवर की समस्याएं या अन्य पूर्ववर्ती स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों को इसके उपयोग में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अतीस युक्त किसी भी उत्पाद का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

3. अतीस कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है, जिनमें हृदय संबंधी दवाएं, एनेस्थेटिक्स और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली अन्य दवाएं शामिल हैं, इसलिए दवाओं के साथ इसके प्रयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

अतीस का उपयोग

अतीस के जड़ या कंद का उपयोग स्वास्थ्य फायदों के लिए किया जाता है। इसके जड़ को सूखा कर पाउडर बना लिया जाता है और चिकित्सक द्वारा अमूमन इस पाउडर की 1 से 2 ग्राम खुराक का उपयोग करने की सलाह दी जाती। थोड़ी कड़वी होने के कारण इसको शहद के साथ भी लेने को भी कहा जा सकता है।

ध्यान दें: प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक संरचना भिन्न होती है, इसलिए इसकी खुराक विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकती है। इसका निर्धारण चिकित्सक के परामर्श पर करना उचित होगा।

निष्कर्ष

अतीस एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है, जिसका उपयोग परम्परिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के निदान के लिए सदियों से होता आया है। हालाँकि इसका अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है इसलिए खुराक पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अतीस के नुकसान से बचने के लिए चिकित्सक के परामर्श पर ही इसका उपयोग और खुराक निर्धारित करना उचित होगा।

संदर्भ

  1. Ukani, M D et al. “Aconitum heterophyllum (ativisha) in ayurveda.Ancient science of life vol. 16,2 (1996): 166-71. ↩︎
  2. Paramanick, Debashish et al. “Primary Pharmacological and Other Important Findings on the Medicinal Plant “Aconitum Heterophyllum” (Aruna).Journal of pharmacopuncture vol. 20,2 (2017): 89-92. doi:10.3831/KPI.2017.20.011 ↩︎
  3. Santosh Verma, Santosh Verma, Shreesh Ojha Shreesh Ojha, and Mohammad Raish Mohammad Raish. “Anti-inflammatory activity of Aconitum heterophyllum on cotton pellet-induced granuloma in rats.” (2010): 1566-1569. ↩︎
  4. Prasad, Satyendra K., et al. “Physicochemical standardization and evaluation of in-vitro antioxidant activity of Aconitum heterophyllum Wall.Asian Pacific Journal of Tropical Biomedicine 2.2 (2012): S526-S531. ↩︎
  5. Sinam, Yoirentomba Meetei, et al. “Antibacterial property of Aconitum heterophyllum root alkaloid.” Int J Adv Res 2.7 (2014): 839-844. ↩︎
  6. Munir, Neelma, et al. “Evaluation of antifungal and antioxidant potential of two medicinal plants: Aconitum heterophyllum and Polygonum bistorta.” Asian Pacific Journal of Tropical Biomedicine 4 (2014): S639-S643. ↩︎
  7. Srivastava, Nidhi, et al. “In vitro antimicrobial activity of aerial parts extracts of Aconitum heterophyllum Wall. ex Royle.” (2011). ↩︎
  8. Subash, Arun Koorappally, and Anu Augustine. “Hypolipidemic effect of methanol fraction of Aconitum heterophyllum wall ex Royle and the mechanism of action in diet-induced obese rats.” Journal of advanced pharmaceutical technology & research vol. 3,4 (2012): 224-8. doi:10.4103/2231-4040.104713 ↩︎
  9. Saravanan, Sujatha et al. “Anti-proliferative potentials of Aconitum heterophyllum Root Extract in Human Breast cancer (MDA-MB-231) cell lines-Genetic and Antioxidant enzyme approach.Avicenna journal of medical biotechnology vol. 15,3 (2023): 188-195. doi:10.18502/ajmb.v15i3.12929 ↩︎
  10. Konda, Venu Gopala Rao et al. “Antioxidant and Nephroprotective Activities of Aconitum heterophyllum Root in Glycerol Induced Acute Renal Failure in Rats.” Journal of clinical and diagnostic research : JCDR vol. 10,3 (2016): FF01-2. doi:10.7860/JCDR/2016/10798.7388 ↩︎
  11. Talreja, Shreya, and Shashank Tiwari. “A comprehensive review of Aconitum heterophyllum.Journal of Ayurveda and Integrated Medical Sciences 8.10 (2023): 195-201. ↩︎
  12. Talreja, Shreya, and Shashank Tiwari. “A comprehensive review of Aconitum heterophyllum.Journal of Ayurveda and Integrated Medical Sciences 8.10 (2023): 195-201. ↩︎

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