तिमूर (Timur): फायदे, नुकसान और उपयोग के तरीके

तिमूर का पेड़ अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। इसका उपयोग पारम्परिक तौर पर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने के लिए किया जाता रहा है। हालाँकि वैज्ञानिक शोध भी इनमें से कुछ लाभों का समर्थन करते हैं।

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Anshika Sharma

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तिमूर पेड़ का संक्षिप्त परिचय

तिमूर आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला एक छोटा पेड़ है जो लगभग 6 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकता है। इसकी शखाओं पर काटें होते है और इसकी छाल हल्के भूरे रंग की होती है। तिमूर की पत्तियाँ लगभग 23 सेमी लंबी होती हैं जो लंबी नुकीली प्रतीत होती हैं। इसके फूल हरे से पीले रंग के होते हैं और फल बैंगनी-लाल रंग के होते हैं और लगभग 4 मिमी व्यास के होते हैं। यह पेड़ अप्रैल से मई के बीच खिलता है और अगस्त से नवंबर के बीच फल देता है।

तिमूर को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जिसमें टेमरू, पहाड़ी नीम, तुम्बरू, तेजबल, नेपाल का पेड़, टुथेच ट्री (Toothache Tree) विंगड प्रिकली ऐश (winged prickly ash) इसके प्रचलित नाम है। इसका वैज्ञानिक नाम Zanthoxylum armatum है जो की पौधों की Rutaceae परिवार से सम्बन्धित है।

हालाँकि तिमूर के पौधे की अनेक उपयोगिताएं हैं लेकिन इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण इसका महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है। इसलिए लम्बे समय से तिमूर के पौधे के वभिन्न भागों (फल, छाल, पत्तों, बीज ) का इस्तेमाल कई प्रकार के रोगों से लड़ने के लिए किया जाता रहा है।

  • दांत दर्द
  • मुँह की बदबू
  • पायरिया
  • मलेरिया
  • घाव को ठीक करने
  • फंगल संक्रमण

हालांकि रिसर्चेस इनमें से कुछ लाभों का ही समर्थन करते है।

तिमूर के फायदे

तिमूर में एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड और अन्य कई सक्रिय यौगिक पाए जाते है। इन यौगिकों में से कई योगिक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं, जो मुक्त कणों से लड़कर आपके शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं, जो विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं।12

विभिन्न वर्तमान शोधों से यह स्पष्ट होता है कि इस पेड़ के वास्तव में कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।

मधुमेह में फायदेमंद हो सकता है

तिमूर में एंटीडायबिटिक गतिविधि पाई जाती है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है।

चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि तिमूर के पत्तों और छाल का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए किया जा सकता है। विशेष रूप से पत्तों के अर्क चूहों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी देखा गया। इसके अलावा, तिमूर के अर्क ने ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) में संभावित सुधार करने में मदत की, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।3

दर्द निवारक और सूजन रोधी गुण

लम्बे समय से तमुर के दातुन का उपयोग दांतों के दर्द, मसूड़ों में दर्द और मसूड़ों में सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है। हालाँकि कुछ शोध तिमूर के विभिन्न भागों में दर्द को कम करने और सूजन को कम करने के गुण का समर्थन करते हैं।

चूहों पर हुए अध्ययन में यह सामने आया है की तिमूर में मौजूद एल्कलॉइड्स शरीर में सूजन पैदा करने वाले एंजाइमों को रोकने में सहायक हो सकते हैं, जिससे सूजन में कमी आती है। हालाँकि यह पाया गया की फलों और पत्तों से प्राप्त अर्क तने और जड़ के मुकाबले अधिक सूजन रोधी और दर्द निवारक गुण प्रदर्षित करते हैं।4

बुखार को कम करने में कारगर

तिमूर का उपयोग बुखार को कम करने में सहायक हो सकता है।

अध्ययन में पाया गया कि तिमूर के फलों और पत्तियों में मौजूद कुल एल्केलॉइड तत्व बुखार को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तिमूर अर्क ने चूहों में बुखार के दौरान शरीर के तापमान को प्रभावी रूप से कम कर दिया, जो पैरासिटामोल जैसी दवाओं के प्रभाव के बराबर था।5

पेट से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद

ऐसा पाया गया है की तिमूर पाचन संबंधी कई समस्याओं से निजाद पाने में उपयोगी साबित हो सकता है।

चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि तिमूर के फल, छाल और पत्तियों के अर्क ब्यूटीरीलकोलाइन एस्टरेज एंजाइम को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनको गंभीर दस्त से बचाया। ये अर्क आंत और धमनी की संकुचन को भी रोकने में प्रभावी पाए गए।6

एक अन्य शोध में पाया गया की तिमूर की जड़ और तने से प्राप्त अर्क चूहों के पेट की लाइनिंग में सूजन कम की, तनाव से होने वाले पेट के अल्सर को ठीक किया, और पेट के अम्ल और पेप्सिन की गतिविधि को कम किया।7

तिमूर का उपयोग कैसे करें?

अधिकतर स्थानीय लोग तिमूर के पतले तनों का उपयोग दातुन की तरह करते हैं। इसके अतिरिक्त इसके नरम पत्तों को चबाना पसंद करते हैं। तिमूर के बीज को भी चबाया जा सकता है।

तिमूर के बीजों का इस्‍तेमाल खाने बनाने के लिये मसाले के रूप में किया जा सकता है। स्थानीय लोगों द्वारा इसकी चटनी भी बनाई जाती है।

इसकी छाल की चाय का उपयोग किया जा सकता है। हालाँकि चाय बनाने के लिए इसकी छाल के पाउडर का उपयोग भी किया जा सकता है।

तिमूर के कई सप्लीमेंट जैसे कैप्सूल, पाउडर भी मार्किट में उपलब्ध है जिसका उपयोग किया जा सकता है हालाकिं ध्यान देने वाली बात यह है की इसको लेने की खुराक किसी विशेषज्ञ से निर्धारित जरूर करें।  

तिमूर के नुकसान

तिमूर का उपयोग अधिकतर मामलों में सुरक्षित माना जाता है यानि इसके दुष्प्रभाव कम ही देखने को मिलते हैं।

हालाँकि बहुत अधिक मात्रा में तिमूर का सेवन करने से कुछ नुकसान देखे जा सकते हैं। इसके अनियंत्रित सेवन से दस्त, पेट में मरोड़, उल्टी आदि देखने को मिल सकता है।

क्या लम्बे समय तक इसके उपयोग करने से कोई स्वास्थ्य समस्या देखने को मिल सकती है, हालाँकि इसकी संभावना कम है लेकिन सटीक जानकारी के लिए विश्तृत शोध की आवश्यकता है।

तिमूर के उपयोग संबंधी सावधानियां

कुछ लोगों के लिए तिमूर का उपयोग नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए उन्हें इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है।

तिमूर के नुकसान से संबंधित साक्ष्यों के आभाव के कारण गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को इसके उपयोग में सवधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर के परामर्श पर ही सेवन करना चाहिए

गंभीर रोग और अन्य दवाओं के सेवन के साथ तिमूर के इस्तेमाल से सवधानी बरतें।

सूजनकारी आंत्र रोग (IBD), चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS), क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस (यूसी) जैसे रोगों में तिमूर का इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श करें।

निष्कर्ष

तिमूर औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक पेड़ है जिसका उपयोग परम्परिक तौर पर विभिन्न रोगों व शारीरिक समस्याओं से लड़ने में लम्बे समय से होता आया है।

हालाँकि वैज्ञानिक शोधों में भी यह पाया गया है की तिमूर में एल्कलॉइड्स, फ्लेवोनोइड्स, सैपोनिन, जैसे कई सक्रिय योगिक होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।  

इसके उपयोग के कई माध्यम हो सकते हैं जैसे इसकी दातुन का उपयोग करना, पत्तों को चबाना, इसके छाल का उपयोग करना आदि। लेकिन कुछ लोगों के मन में इसके उपयोग से किसी प्रकार के नुकसान का संदेह भी बना रहता है। हालाँकि इसके सेवन से ना के बराबर दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं लेकिन इसके बावजूद सावधानी बरतनी जरूरी है।

संदर्भ

  1. Zhang, Mengmeng et al. “Zanthoxylum bungeanum Maxim. (Rutaceae): A Systematic Review of Its Traditional Uses, Botany, Phytochemistry, Pharmacology, Pharmacokinetics, and Toxicology.” International journal of molecular sciences vol. 18,10 2172. 18 Oct. 2017, doi:10.3390/ijms18102172 ↩︎
  2. Verma, Kapil Kumar, et al. “A review on chemical constituents, traditional uses, pharmacological studies of Zanthoxylum armatum (rutaceae).Journal of Drug Delivery and Therapeutics 11.2-S (2021): 136-142. ↩︎
  3. Alam, Fiaz et al. “Zanthoxylum armatum DC extracts from fruit, bark and leaf induce hypolipidemic and hypoglycemic effects in mice- in vivo and in vitro study.BMC complementary and alternative medicine vol. 18,1 68. 20 Feb. 2018, doi:10.1186/s12906-018-2138-4 ↩︎
  4. Alam, Fiaz et al. “Phytochemical investigation, anti-inflammatory, antipyretic and antinociceptive activities of Zanthoxylum armatum DC extracts-in vivo and in vitro experiments.” Heliyon vol. 6,11 e05571. 25 Nov. 2020, doi:10.1016/j.heliyon.2020.e05571 ↩︎
  5. Alam, Fiaz et al. “Phytochemical investigation, anti-inflammatory, antipyretic and antinociceptive activities of Zanthoxylum armatum DC extracts-in vivo and in vitro experiments.Heliyon vol. 6,11 e05571. 25 Nov. 2020, doi:10.1016/j.heliyon.2020.e05571 ↩︎
  6. Alam, Fiaz, and Abdul Jabbar Shah. “Butyrlycholine esterase inhibitory activity and effects of extracts (fruit, bark and leaf) from Zanthoxylum armatum DC in gut, airways and vascular smooth muscles.BMC complementary and alternative medicine vol. 19,1 180. 22 Jul. 2019, doi:10.1186/s12906-019-2597-2 ↩︎
  7. Qin, Ze-hui et al. Zhong yao cai = Zhongyaocai = Journal of Chinese medicinal materials vol. 39,1 (2016): 164-9. ↩︎

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