डेटोक्सिफिकेशन क्या होता है?
यह एक एसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है। और खून का शुद्धिकरण किया जाता है।
डेटोक्सिफिकेशन की जरूरत ही क्यों है?
फ्री में मिले शरीर का हम ध्यान नही रखते है और हम कुछ न कुछ स्वाद के लिए जो आपके शरीर के लिए सही नहीं होती है, खाते रहते हैं। और एक्सरसाइज भी कम करते है। जिस वजह से शरीर में टॉक्सिन बढ़ता है और बहुत सी बीमारियां होने लगती है जैसे-
- थकान
- पेट अक्सर खराब रहता है।
- पेट में गैस।
- नीद डिस्टर्ब हो जाती है।
- सर में दर्द रहता है।
- त्वचा से सबंधित बीमारियों में बढ़ोतरी होती है।
- मासिक धर्म चक्र खराब हो जाता है।
और भी बहुत तरह की बीमारियां देखने को मिलती हैं।
शरीर के अंदर कहां से और किस तरह से गंदगी जमा होती है?
टॉक्सिन हमारे शरीर के अंदर, डाइट, प्रदूषण, दवाइयों में पाए जाने वाले हैवी मेटल से आते हैं। इन्ही को ही हम टॉक्सिन कहते हैं।
नेचर ने हमारे शरीर को जो अंग दिए हैं जैसे लीवर, लग्स, किडनी, स्किन यह प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर के अंदर के टॉक्सिन को बाहर निकलते हैं। और इसी प्रक्रिया को डिटॉक्सिफिकेशन कहा जाता है।
शरीर को अंदर से साफ सफाई करने के लिए क्या करना चाहिए?
शराब कम पीजिए।
शराब अपने आपने एक टॉक्सिन है। और शराब डायरेक्टली और इनडायरेक्टली लीवर को नुकसान पहुंचता है।
शराब की वजह से आपके डाइट पर भी असर पहुंचता है। और यह सीधा आपके लिवर पर भी असर डालता है जिससे वजन बढ़ता है।
बढ़ा हुआ वजन भी एक टॉक्सिन की तरह ही काम करता है। शराब पीने से पूरे मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ता है।
शराब को अवॉइड करने से शरीर के मेटबॉलिजम और डिटॉक्सिफिकेशन में बहुत मदत मिलता है।
कॉफी, सिगरेट, रिफाइंड सुगर, संतृप्त वशा जैसे पदार्थो का सेवन करना भी एकदम रोक दे क्योंकि सभी पदार्थ आपके शरीर में टॉक्सिन को बढ़ाते हैं। और किसी भी तरह के इलाज में भी बाधा करते हैं।
फैट और सुगर खाना कम कर दीजिए।
जब आप ज्यादा सुगर खायेंगे तो आपका फैट में बढ़ोतरी होगी, और फैट बढ़ने से आगे आपको बहुत नुकसान देखने को मिलेंगे।
समय पर सोएं और जागें।
आपको एक टाइम के अनुसार ही सोने और जगाना चाहिए और कम से कम 7 से 8 घंटे की नीद लेनी चाहिए। जब आप सोते हैं तो आपका शरीर आपके शरीर की मरम्मत करता है, जिससे आपके शरीर डिटॉक्सिफिवेशन करने में बहुत आसानी होती है।
ज्यादा पानी पीजिए।
ज्यादा पानी पीने से शरीर में जो भी टॉक्सिन मौजूद होते हैं पानी में घुल जाते हैं जिससे किडनी के जरिए शरीर से आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
तली हुई चीजों का इस्तेमाल कम कीजिए
लगातार तली हुई चीजों के सेवन से शरीर में कैलोस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है, और मोटापा भी बढ़ता है, और शरीर में टॉक्सिन बढ़ता है। इसलिए तली हुई चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
रेगुलर एक्सरसाइज कीजिये।
रेगुलर एक्सरसाइज से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म एक्टिव रहता है। इस वजह से डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया बढ़ती है और इसका प्रॉसेस जल्दी होता है।आपके मेहनत करने से आपके शरीर के अंदर के अंगों को कम मेहनत करना पड़ता है।
तनाव कम ले।
तनाव भी एक एसी समस्या है जो आपके अच्छे स्वास्थ्य में बाधा उत्पन्न करती है। तनाव की वजह से आपके शरीर में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन आपके सिस्टम में रिलीज होने लगाते हैं, और ये हॉर्मोन शरीर में “एड्रेनालाईन रश” बनाने लगते हैं,जिससे आपके शरीर में बड़ी मात्रा में टॉक्सिक पदार्थ रिलीज होते हैं और लीवर में डेटोक्सिफिकेशन एंजाइम को भी कम कर देते हैं। इसलिए तनाव कम ले।
तनाव को कम करने के लिए योग और मेडिटशन का भी सहारा ले सकते हैं। अगर आप योग अभ्यास पहली बार किए हैं और योग के बारे में आपको जानकारी कम है तो किसी योग एक्सपेसिलिस्ट की सलाह जरूर लें।
अपने डाइट में एंटीऑक्सीडेंट फूड ज्यादा ले जिससे नेचुरल तरीके से डिटॉक्सिफिकेशन में मदत मिलती है।
एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है, हरे पत्तेदार सब्जियों में, नट्स, ड्राइफुड में। इस खाद्य पदार्थों में विटामिन c, विटामिन e, सिलेनियम होते हैं। ये नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट हैं।
क्या डिटोसिफिकेशन के लिए दवाइयों का इस्तेमाल सही है?
इस प्रोसेस को करने के लिए हमें किसी भी प्रकार की मेडिसिन की ज़रूरत नहीं है। शरीर खुद से ही यह प्रक्रिया कर सकती है बस आप इसे टॉक्सिक बनाना छोड़ दे और अपने आदतों में सुधार ले आएं। जैसे
वर्त रखने के आदत डालें कम से कम महीने में एक बार वर्त रखेऔर एक्सरसाइज करें।
(यह पोस्ट केवल आपके जानकारी को बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नही हो सकता। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।)