मासिक धर्म (Menstrual) में अनियमितताएं आना किसी महिला के सवस्थ और मासिक धर्म चक्र में आई परेशानियों को दर्शाता है।
मासिक धर्म चक्र एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो आमतौर पर 12 से 14 साल की लडकियां जो प्यूबर्टी या योवनावस्था में कदम रखती है उनको होना शुरू हो जाता है और इसका एक चक्र लगभग 28 दिनों का होता है। लेकिन प्रत्येक महिलाओं में इसके होने के समय में भिन्नता हो सकती है।
अक्सर मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाते हैं जो महिलाओं में चिंता का एक प्रमुख कारण बन जाता हैं। इसलिए मासिक धर्म के अनियमित होने के कारणों को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसका अनियमित होना किसी स्वास्थ्य समस्या या हार्मोनल असंतुलन का भी संकेत दे सकते हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट के जरिए हम विभिन्न प्रकार की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं के बारे में जानेंगे, और उन कारकों के बारे में भी विस्तार से जानेंगे जो मासिक धर्म को असंतुलित कर देते हैं।
इसके अतिरिक्त, यह जानेंगे की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं के लिए चिकित्सा सलाह कब लेना चाहिए। और एक चिकित्सक इसका उपचार कैसे करता है।
मासिक धर्म अनियमितताओं के प्रकार
मासिक धर्म या पीरियड्स संबंधी अनियमितताएं कई प्रकार की हो सकती है। जो उसके प्रभाव, अवधि आदि पर निर्भर करता है। इन प्रकारों को समझ कर महिला अपने मासिक धर्म में आए बदलावों को आसानी से समझ सकती है।
मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं के कुछ सामान्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
रजोरोध (Amenorrhea)
यह दो प्रकार की होती हैं प्राथमिक अमेनोरिया, माध्यमिक अमेनोरिया।
प्राथमिक अमेनोरिया: यह एक एसी स्थिति है जिसमे प्यूबर्टी के दौरान मासिक धर्म सुरू नहीं होता है यानी प्यूबर्टी के अन्य लक्षण तो होते हैं लेकिन मासिक धर्म नहीं होता है। अक्सर लगभग 12 से 13 साल की उम्र से मासिक धर्म होना सुरू हो जाता है, लेकिन अगर लगभग 15 साल तक पीरियड न आए तो यह प्राथमिक अमेनोरिया का संकेत हो सकता है। येसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत होती है।
माध्यमिक अमेनोरिया: यह एक एसी स्थित है जिसमें महिला को लगातार तीन या उससे अधिक महीनो तक मासिक धर्म का अनुभव ना हुआ हो। सामान्यतः यह स्थिति प्रेगनेंसी के बाद देखी जाती है। लेकिन यह किसी अन्य दूसरी बीमारी का संकेत भी हो सकती है।
ऑलिगोमेनोरिया (Oligomenorrhea)
इस स्थिति में मासिक धर्म और पीरियड्स की समय अवधि बिगड़ जाती है। एक सामान्य स्थिति में महिला के पीरियड्स अवधि 6 से 7 दिन की होती है और मासिक धर्म चक्र 28 दिन दिन की होती है। लेकिन ऑलिगोमेनोरिया से पीड़ित महिलाओं में मासिक चक्र 35 दिनों से अधिक लंबा हो सकता है।
मेनोरेजिया (Menorrhagia)
इसमें मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होता है, जिस कारण से हर 2 घंटे में पैड बदलना पड़ सकता है। और कुछ दिनों तक बहुत भरी रक्त का बहाव या रक्त के थक्कों का निकलना जारी रह सकता है। इसकी वजह से शरीर में खून की कमी हो सकती है और कमजोरी का सामना भी करना पड़ सकता है।
मेट्रोरेजिया (Metrorrhagia)
मेट्रोरेजिया की विशेषता मासिक धर्म के बीच अनियमित रक्तस्राव है। यह स्पॉटिंग या भारी रक्तस्राव के रूप में प्रकट हो सकता है और पूरे मासिक धर्म चक्र में अप्रत्याशित समय पर हो सकता है।
कष्टार्तव (Dysmenorrhea)
डिसमेनोरिया या कष्टार्तव महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है, जिसमे महिला को पीरियड्स के दौरान दर्द का सामना करना पड़ता है जो गर्भाशय के संकुचन के कारण होता है। प्रत्येक महिला में दर्द का स्तर भिन्न-भिन्न हो सकता है, इसमें हल्के दर्द से लेकर गंभीर दर्द होना सामिल होता है।
डिसमेनोरिया 2 प्रकार के होते हैं प्राथमिक कष्टार्तव जो एक सामान्य स्थिति है जो बिना किसी बीमारी के होता है। जबकि द्वितीयक कष्टार्तव किसी आंतरिक बीमारी के कारण होता है जैसे एंडोमेट्रियोसिस या गर्भाशय फाइब्रॉएड।
मासिक धर्म की अनियमितता के कारण
मासिक धर्म के अनियमित होने के पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं, निम्नलिखित कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं:
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalances)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): यह एक आम समस्या है जिसके कारण मासिक धर्म अनियमित हो जाता हैं। हालांकि PCOS होने के सटीक कारणों का अभी पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है की पुरुष हार्मोन के रूप में जाने जाने वाले एण्ड्रोजन हार्मोन (Androgens Harmone) के बढ़ने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है।
थायरॉयड विकार (Thyroid disorders): हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) या हाइपरथायरायडिज्म (hyperthyroidism) जैसी स्थितियां थायरॉयड ग्रंथि के सामान्य कामकाज को बाधित कर सकती हैं। जो मासिक धर्म के असंतुलित होने का कारण बनती है। थायराइड ग्रंथि एक महत्वपूर्ण हार्मोन ग्रंथि है जो शारीरिक मेटाबॉलिज्म, शारीरिक और मानसिक विकास आदि गतिविधियों को संतुलित रखती है।
समय से पहले डिम्बग्रंथि विफलता (Premature ovarian failure): यह प्रारंभिक मेनोपॉज के रूप में भी जाना जाता है, यह स्थिति तब होती है जब अंडाशय (Ovaries) 40 वर्ष की आयु से पहले काम करना बंद कर देते हैं जो अनियमित मासिक धर्म का कारण बनता है।
संरचनात्मक असामान्यताएं (Structural Abnormalities)
गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine fibroids): यह एक प्रकार का ट्यूमर होता है जो गर्भाशय में बढ़ता है। हालांकि यह गैर-कैंसरयुक्त होते है। ज्यादातर उन महिलाओं में देखने को मिलता है जो मोटापे की शिकार होती हैं। इसके होने का कारण अभी अज्ञात है। लेकिन यह मासिक धर्म में रक्तस्राव का कारण बनता है और मासिक धर्म को अनियमित कर सकता है।
पॉलीप्स (Polyps): पॉलीप्स असमान्य रूप से उत्तकों का बढ़ना होता हैं जो शरीर के कई हिस्सों में हो सकते हैं। अधिकांश पॉलीप्स छोटे और आधे इंच से भी कम चौड़े होते हैं। गर्भाशय (Uterine) या गर्भाशय ग्रीवा (Uterine Cervix) पर होने वाले पॉलीप्स के कारण अनियमित मासिक धर्म, रक्तस्राव, बहुत भारी मासिक धर्म प्रवाह हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें यूटरस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू (ऊतक) असमान्य रूप से गर्भाशय के बाहर की और बढने लगते हैं। यह स्थिति काफी पीड़ादायक और दर्दनाक होती है और साथ ही सूजन, अनियमित मासिक धर्म व मासिक धर्म के साथ रक्तस्राव का कारण बनती है।
जीवनशैली कारक
खराब रहन सहन: खराब लाइफस्टाइल जिसमें संतुलित नीद का न लेना, शारीरिक गतिविधि का ना होना, अधिक और तीव्र जिम या एक्सरसाइज करना, खान पान का सही ना होना आदि के कारण हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं जिससे मासिक धर्म भी प्रभावित होते हैं
खराब पोषण: आवश्यक पोषक तत्वों का अपर्याप्त सेवन हार्मोन उत्पादन को प्रभावित कर सकता है और मासिक धर्म की अनियमितताओं में कारण बन कर सकता है।
तनाव: लम्बे समय तक तनाव ग्रस्त रहने से हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-डिम्बग्रंथि अक्ष के सामान्य कामकाज को बाधित हो सकती है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और अनियमित मासिक धर्म हो सकता है।
दवाएं और गर्भनिरोधक
कुछ दवाएं, जैसे जन्म नियंत्रण दवाएं, स्टोरॉइड्स, आदि अन्य कई प्रकार की दवाएं जो हार्मोन के स्तर में तेजी से बदलाव ला सकती हैं, और मासिक धर्म के पैटर्न में बदलाव का कारण बन सकती हैं।
अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियाँ
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, मधुमेह, मोटापा, कुछ कैंसर और ऑटोइम्यून विकार जैसी विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी विकार मासिक धर्म की अनियमितताओं के पीछे का कारण हो सकती हैं।
यह ध्यान रखें की मासिक धर्म के अनियमित होने के पीछे अन्य भी कई कारण हो सकते हैं, इसलिए प्रस्तुत सूची कोई विस्तृत सूची नहीं है। मासिक धर्म की अनियमित होने के पीछे के कारण का पता विस्तृत मेडिकल जांच के द्वारा ही संभव है। इसलिए सटीक कारणों को समझने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
चिकित्सीय सलाह कब लेनी चाहिए?
अक्सर पीरियड्स का समय से ना होना, या कभी कभी इसका अनियमित हो जाना, एक सामान्य घटना होती है जिसका हर किसी महिला को कभी न कभी सामना करना पड़ता है।
लेकिन कुछ पस्थितियों में मासिक धर्म चक्र में आने वाले यह बदलाव, आपके सेहत से जुड़ी किसी अन्य समस्या का भी संकेत हो सकता है।
इसलिए मासिक धर्म के बार बार अनियमित होने को पूरी तरह से नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, इसलिए उन संकेतो और लक्षणों को पहचाना बेहत जरूरी हो जाता है जिसमे महिलाओं को चिकित्सीय मदत लेने की जरूरत होती है।
निम्नलिखित कुछ स्थितियाँ हैं जिनमें चिकित्सीय सलाह लेने की सलाह दी जाती है:–
लगातार अनियमितताएं: यदि मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं कई महीनों तक बनी रहती हैं या लगातार होती रहती हैं, तो चिकित्सक से जरूर परामर्श करें।
अत्यधिक या लंबे समय तक रक्तस्राव: अगर अधिक मात्रा में या लंबे समय तक मासिक धर्म में रक्तस्राव होता है, जिस कारण से हर घंटे सैनिटरी पैड को बदलने की जरूरत होती है तो एसी स्थिती में किसी डॉक्टर से तुरंत परामार्श करना चाहिए।
गंभीर दर्द या असुविधा: अगर मासिक धर्म के समय अधिक दर्द होता है जिससे आपके रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे होते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।
अन्य संबंधित लक्षण: अत्यधिक सूजन, पैल्विक दर्द, असामान्य योनि स्राव, का मासिक धर्म अनियमितताओं के साथ आने वाले अन्य लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के साथ चर्चा की जानी चाहिए।
अनियमित मासिक धर्म में चिकित्सीय जांच और उपचार विकल्प क्या होते हैं?
मासिक धर्म के अनियमितताओं का उचित इलाज करने के लिए, डॉक्टर इसके होने के मुख्य कारणों को समझने का प्रयास करेगा। इसके लिए व्यापक तौर पर जांच व मूल्यांकन कर सकता है। क्योंकि पीरियड्स के अनियमित होने के परिस्थितियां, कारण और लक्षण महिलाओं में भिन्न भिन्न हो सकते हैं।
यहां कुछ सामान्य चिकित्सा जांच विधियां और उपचार विकल्प दिए गए हैं:
चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण
मासिक धर्म में अनियमितता की जांच के लिए सबसे पहले डॉक्टर इससे जुड़े आपका इतिहास और पिछले लक्षणों को समझने का प्रयास करेगा। इसके अतिरिक्त अन्य किसी बीमारी या दवाओं के इस्तेमाल संबधी इतिहास को भी जानने का प्रयास करेगा।
प्रजनन अंगों का आकलन करने और किसी भी असामान्यता की पहचान करने के लिए पैल्विक परीक्षा सहित एक उचित शारीरिक जांच भी की जा सकती है।
प्रयोगशाला परीक्षण
हार्मोन स्तर की जांच: क्योंकि हार्मोन हमारे मासिक धर्म को संतुलित या असंतुलित करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं।इसलिए आपने हार्मोन के स्तर को मापा जा सकता है जिसके लिए के लिए खून की जांच किया जा सकता है, जिसमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, कूप-उत्तेजक हार्मोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन आदि हार्मोन से संबंधित परीक्षण भी शामिल हैं।
थायराइड फ़ंक्शन परीक्षण: थायराइड ग्रंथि का विकार हमारे पीरियड्स को अनियमित कर सकता है। इसलिए थायराइड फ़ंक्शन का मूल्यांकन करने लिए रक्त परीक्षण किया जा सकता है।
अन्य परीक्षण: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), मधुमेह, या अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसी स्थितियों की जांच करने के लिए अन्य कई तरह के परीक्षण किए जा सकते हैं।
इमेजिंग अध्ययन
अल्ट्रासाउंड: गर्भाशय और अंडाशय में संरचनात्मक असामान्यताओं, पॉलीप्स या फाइब्रॉएड, आदि का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड का सहारा लिया जा सकता है।
MRI या CT स्कैन: कुछ मामलों में, प्रजनन अंगों का और अधिक मूल्यांकन करने या अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए अधिक विस्तृत इमेजिंग अध्ययन के किए MRI या CT स्कैन भी किया जा सकता है।
पीरियड्स को संतुलित करने में हार्मोनल थेरेपी
हार्मोनल जन्म नियंत्रण: मासिक धर्म चक्र को दुबारा नियमित करने लिए और हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने के लिए संतुलित तौर पर गर्भनिरोधक गोलियां, पैच, हार्मोनल अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUDs), या हार्मोनल इंजेक्शन लेने की सलाह दी जा सकती है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): रजोनिवृत्त (menopausal) या पेरिमेनोपॉज़ल (perimenopausal) महिलाओं के लिए, हार्मोनल कमियों को दूर करने और संबंधित अनियमितताओं को प्रबंधित करने के लिए HRT (Hormone Replacement Therapy) करने की सलाह दी जा सकती है।
पीरियड्स संतुलित करने में सर्जिकल उपाय
यदि मासिक धर्म के अनियमित होने के पीछे संरचनात्मक असामान्यताए होती है जैसे फाइब्रॉएड या पॉलीप्स, आदि तो एसी स्थिती में इन असामान्य ऊतकों को हटाने या उनका इलाज करने के लिए हिस्टेरोस्कोपी, एंडोमेट्रियल एब्लेशन, या मायोमेक्टॉमी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाएं का इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
जीवनशैली में संशोधन और स्वयं की देखभाल
चिकित्सक मासिक धर्म को संतुलित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करने का सुझाव दे सकता है। इनमें तनाव कम करना, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, वजन प्रबंधन करना, विश्राम अभ्यास आदि शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
मासिक धर्म में आने वाली अनियमितताएं, एक महिला पर शारीरिक और मानसिक तौर से बुरा प्रभाव डाल सकती हैं, और प्रजनन स्वस्थ या किसी अन्य शारीरिक समस्या को भी उजागर कर सकती हैं। इसलिए इन अनियमितताओं के कारणों को समझना और यह जानना कि कब चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए, बहुत जरूरी हो जाता है।
पीरियड्स में आने वाली अनियमितताएं कई प्रकार को हो सकती हैं जैसे एमेनोरिया, ऑलिगोमेनोरिया, मेनोरेजिया, मेट्रोरेजिया और डिसमेनोरिया आदि। और इनके होने के कारण और कारक भी कई हों सकते हैं जैसे हार्मोनल असंतुलन, संरचनात्मक असामान्यताएं, जीवनशैली कारक, दवाएं और अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां, आदि।
हालांकि पीरियड्स अनियमित होना सामान्य लग सकता है लेकिन कुछ मामलों में हमे डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए जैसे लगातार अनियमितताएं, अत्यधिक या लंबे समय तक रक्तस्राव, गंभीर दर्द या परेशानी, मासिक धर्म के पैटर्न में बदलाव और दैनिक जीवन पर प्रभाव।
अनियमित मासिक धर्म के उपचार के लिए चिकित्सक स्थिति को पूरी तरीके से मूल्यांकन करने के लिए रोगी का चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और संभवतः प्रयोगशाला परीक्षण या इमेजिंग परीक्षण का इस्तेमाल कर सकता है। और उपचार के विकल्पों में हार्मोनल थेरेपी, सर्जिकल या जीवनशैली में संशोधन का सुझाव दे सकता है।
यह ध्यान रखना जरूरी है की सभी महिलाओं की स्थिति, शारीरिक, मानसिक तौर पर अलग-अलग होती है, इसलिए मासिक धर्म के अनियमित होने के लक्षण, कारण, जांच, उपचार भी अलग-अलग हो सकते हैं। और बिना कारण को समझे मासिक धर्म को नियमित नहीं किया जा सकता है इसलिए अपने डॉक्टर के साथ अस्पष्ट बात करें और अपनी स्थिति के बारे में खुल कर बताएं।