कंटकारी (Kantakari), जिसे आमतौर पर भटकटैया और कटेरी के नाम से जाना जाता है। यह भारत में व्यापक रूप से पाया जाने वाला पौधा है। यह कांटेदार और झाड़ीदार पौधा होता है, जिसमें हरे रंग के पत्ते होते हैं और वे नुकीले काटों से युक्त होते हैं, हालाँकि इसकी टहनियों पर भी काटें पाए जाते हैं। कंटकारी के पौधे में बैगनी रंग के पांच पंखुड़ियों वाले फूल लगते हैं, इसके फल गोल आकर के होते हैं जो पकने के बाद पिले रंग के हो जाते हैं।
कंटकारी पौधा, पौधों की सोलानेसी (Solanaceae) परिवार से संबंधित है, इसका वनस्पतिक नाम सोलनम ज़ैनथोकार्पम (Solanum xanthocarpum) व सोलनम विरगाटम (Solanum virginianum) है। इंग्लिश भाषा में इसे समान्यतः Yellow-berried Nightshade के नाम से जाना जाता है
आयुर्वेद, जो भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, में कंटकारी (भटकटैया) का उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद में कंटकारी को गर्म, कड़वा और कसैला माना गया है, जो वात और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसको श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र और त्वचा से संबंधित विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी बताया गया है।
कंटकारी दशमूल में इस्तेमाल की जाने वाली दस औषधियों में से एक है। दशमूल (या दशमूली) आयुर्वेद में दस महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियों के समूह को कहते हैं। और इन जड़ी-बूटियों को मिलाकर तैयार की गई औषधि का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है।
कंटकारी का उपयोग
कंटकारी उन औषधीय पौधों की श्रेणी में आता है जिसके प्रत्येक भाग का उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है, यानि इसके फल, फूल, पत्तों, और जड़ में औषधीय गुण पाए जातें है जो विभिन्न रोगों में लाभकारी हैं।
कंटकारी (कटेरी) फल का उपयोग जूस और काढ़ा की तरह किया जाता है। हालाँकि फल और जड़ को सूखा कर पाउडर बना कर भी उपयोग में लिया जाता है।
इसके पत्तों और फूलों को पीस कर लेप की तरह उपयोग में लिया जाता है। इसके फूलों से प्राप्त काढ़े का भी इस्तेमाल किया जाता है।
कंटकारी के फायदे
कई नए वैज्ञानिक शोध भी कंटकारी के पौधे में मौजूद औषधीय गुणों का समर्थन करते हैं और इसे विभिन्न रोगों में उपयोगी बताते हैं।
कंटकारी (Kantkari) में कई महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो इसे औषधीय गुण प्रदान करते हैं। इसमें मुख्य रूप से कई प्रकार का फ्लेवोनॉयड, एल्कलॉयड, सैपोनिन, सोलासोडाइन, और कुछ प्रमुख रसायनिक योगिक पाए जाते हैं। जो विभिन्न प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गुण
एंटीऑक्सीडेंट की कमी से शरीर में हानिकारक तत्व (मुक्त कण) बढ़ सकते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे कैंसर, हृदय रोग, और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कंटकारी पौधे के प्रत्येक भाग में विभिन्न सक्रिय योगिक होते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट शरीर में हानिकारक अणुओं को बेअसर कर सकते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।1
इसके अतिरिक्त एक अन्य शोध में कंटकारी के सूजन रोधी प्रभाव की जाँच किया गया और इसके फलों से प्राप्त क्लोरोजेनिक एसिड और कैफिक एसिड जैसे विभिन्न रसायनिक यौगिकों के मूल्यांकन के बाद यह पाया गया की ये योगिक सूजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं2
अस्थमा के उपचार में प्रभावी हो सकता है
कंटकारी अस्थमा को नियंत्रित करने और रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अस्थमा एक श्वसन विकार है जिसमें वायुमार्ग में सूजन और संकुचन हो जाता है जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, सीने में जकड़न, जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। 3
जानवरों पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि कंटकारी का अर्क, विशेष रूप से अल्कोहल-आधारित अर्क, वायुमार्ग को आराम दे सकता है, सूजन को कम कर सकता है और एलर्जी प्रतिक्रियाओं में शामिल कोशिकाओं की रक्षा कर सकता है।
मधुमेह में फायदेमंद है
कंटकारी की पत्तियों में मधुमेह विरोधी गुण हो सकते हैं जो मधुमेह के नियंत्रण में महवपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
चूहों पर हुए अध्ययन में देखा गया कि कंटकारी से प्राप्त पत्तियों के अर्क ने उनके रक्त शर्करा (खून में शुगर की मात्रा) को कम करने में मदद किया। हालाँकि सटीक जानकारी के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।4
लिवर के नुकसान को कम कर सकता है
कंटकारी लिवर क्षति को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। क्योकि कंटकारी में ऐसे सक्रिय योगिक पाए जाते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी जैसे औषधीय गुण प्रदर्शित करते हैं जो लिवर को होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदत कर सकते हैं।
चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की जिन चूहों को कंटकारी अर्क को 14 दिनों तक दिया उनके रक्त में हानिकारक लिवर एंजाइम कम हुए, जिससे लिवर के नुकसान में कमी आई। इसके अलावां उनके लिवर में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट बढ़ाने के कारण कोशिका नुकसान यानी कोशिका मृत्यु और सूजन में कमी दर्ज किया गया।5
हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है
हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करने और हृदय जोखिमों को कम करने के लिए कंटकारी फायदेमंद हो सकता है।
चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि कंटकारी का अर्क उनके दिल की सुरक्षा करने में मदद करता है, खासकर जिन चूहों को अधिक मात्रा में यह अर्क दिया गया, उनमें बेहतर परिणाम देखे गए। यह पाया गया की अर्क एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि को बढ़ता है और साथ ही दिल में एंजाइम गतिविधि को प्रभावित करके दिल की कार्यप्रणाली में सुधार करता है।6
कैंसर रोधी गुण
कई शोधों में यह पाया गया है कि कंटकारी के पौधे में फेनोलिक, फ्लेवोनॉइड्स, कौमरिन्स और कैफिक एसिड जैसे कई फाइटोकेमिकल्स होते हैं। ये फाइटोकेमिकल्स एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदर्शित करते हैं, जो मुक्त कणों के प्रभाव से होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं, जिसके कारण कैंसर कोशिकाओं के उत्पन्न होने की संभावना कम हो सकती है।7
अन्य लाभ
- कंटकारी (कटेरी) दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकता है।8
- कंटकारी घाव को तेजी से ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- कंटकारी बुखार और खांसी के उपचार में प्रभावी हो सकता है।9
कंटकारी के नुकसान
हमारे स्वास्थ्य पर कंटकारी के दुष्प्रभाव से सम्बन्धित साक्ष्यों का आभाव है। कंटकारी के नुकसान से संबंधित सटीक जानकारी के लिए पर्याप्त शोध की आवश्यकता है। लेकिन कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:-
– कुछ लोगों को कंटकारी का सेवन करने से उल्टी, मतली का अनुभव हो सकता है।
– पेट सम्बन्धी समस्याएं भी हो सकती हैं जिसमें पेट में दर्द, दस्त और मरोड़ आदि शामिल है।
कंटकारी जूस और काढ़े का सेवन करने के बाद किसी भी शारीरिक दुष्प्रभाव के अनुभव करने पर इसके उपयोग पर तुरंत रोक लगाएं और डॉक्टर से परामर्श करें।
सावधानियां
हालाँकि गर्भवती महिलाओं पर कंटकारी के नुकसान के पर्याप्त साक्ष्य नहीं है। लेकिन गर्भवती महिलाएं इसके सेवन से पहले सावधानी बरतें और डॉक्टर से परामर्श करें।
छोटे बच्चों को इसकी अधिक खुराक देने से समस्याएं हो सकती है इसलिए उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही सेवन कराएं और खुराक निर्धारित करें।
इसकी संभावना है की कुछ दवाओं के साथ कंटकारी जूस या काढ़ा परस्पर प्रतिकिरिया कर सकता है इसलिए दवाओं के साथ इसके सेवन में सावधानी बरतें।
निष्कर्ष
कंटकारी को समान्यतः कटेरी और भटकटैया के नाम से भी जाना जाता है। यह कांटेदार और झाड़ीदार पौधा है लेकिन इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं इसलिए हमारे स्वास्थ्य पर कंटकारी के फायदे अनेक देखने को मिल सकते हैं।
कंटकारी के नुकसान से सम्बन्धित पर्याप्त सक्ष्यों का आभाव है और अमूमन इसके नुकसान कम ही देखने को मिलते हैं। लेकिन कुछ लोगों को इसके दुष्प्रभाव होने की संभावना है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श पर ही इसका सेवन करना उचित होगा।
संदर्भ
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