नागदोन के फायदे और संभावित नुकसान: क्या है सच्चाई?

नागदोन का पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है और इसका उपयोग लोक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता रहा है। आइये, नागदोन के फायदे और नुकसान से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

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Brijesh Yadav

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नागदोन के पौधे का संछिप्त परिचय

नागदोन या नागदमनी (Naagdamni) एक बारहमासी पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम यूफोरबिया टिथिमालोइड्स (Euphorbia tithymaloides) है जो की यूफोरबिएसी (Euphorbiaceae) परिवार से संबंधित है।

नागदोन का पौधा लगभग 3 से 6 फीट (लगभग 1 से 2 मीटर) उचाई प्राप्त कर सकता है। इसका तना ज़िगज़ैग आकृति का होता है, इसलिए इसको “डेविल्स बैकबोन” (Devil’s Backbone) नाम मिला होगा। इसके तने पर बारी-बारी से पत्तियां लगी होती हैं और पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है। इसके फूल लाल या गुलाबी रंग के पक्षी की आकृति जैसे दिखाई देते हैं, इसलिए इसे ‘रेडबर्ड कैक्टस’ भी कहा जाता है।

यह पौधा सूखे स्थानों और गर्म जलवायु में भी अच्छी तरह से बढ़ सकता है। इसके बावजूद इसका तना और पत्तियां रसीली (succulent) होती हैं। नागदोन के पौधे की आकृति और प्रकृति को देखकर अक्सर लोगों द्वारा इसको कैक्टस की प्रजाति समझ लिया जाता है लेकिन यह कैक्टस नहीं है।

यहाँ आपको नागदोन के फायदे और नुकसान के बारे में साक्ष्यों सहित विश्तृत जानकारी मिलेगी। 

नागदोन के फायदे

आयुर्वेद में नागदोन (Nagdon) का अधिक वर्णन नहीं मिलता है, लेकिन लोक चिकित्सा में इसका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। हालंकि नागदोन पर हुए विभिन्न शोध इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताते हैं लेकिन सटीक परिणामों के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता भी महसूस होती है। शोध आधारित नागदोन के फायदे निम्नलिखित बताये गए हैं।

1. एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि

नागदोन एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है क्योकि इसमें कई सक्रिय रासायनिक योगिक पाए जाते हैं जैसे काएम्फेरोल (kaempferol), क्वेरसिट्रिन (quercitrin), आइसोक्वेरसिट्रिन (isoquercitrin), और स्कोपोलेटिन (scopoletin) आदि। यह योगिक हानिकारक मुक्त कणों के प्रभाव को कम कर सकते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव के जोखिम को भी घटाया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।12

2. सूजन रोधी प्रभाव दिखा सकता है

नागदोन सूजन को कम करने में प्रभावी हो सकता है इसलिए यह सूजन से जुड़े समस्याओं में भी उपयोगी हो सकता है।

एल्बिनो चूहों पर हुए एक अध्ययन में यह पाया गया की नागदोन के पत्तों के मेथनॉल अर्क दिए जाने से उनके पैरों की सूजन कम हो गई। यह देखा गया की नागदोन के अर्क का सूजनरोधी प्रभाव सूजन को करने के लिए दी जाने वाली दवा फेनिलब्यूटाज़ोन से भी बेहतर था।3

3. घाव भरने में उपयोगी हो सकता है

नागदोन का उपयोग तेजी से घाव भरने के लिए किया जाता है। इसके तने और पत्तों में कुछ विशेष रसायन पाए जाते हैं जैसे कैम्फेरोल, क्वेरसिट्रिन, और स्कोपोलेटिन, जो सूजन और संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं।4

एक अध्ययन में नागदोन पौधे के अर्क का घाव भरने के प्रभावों की जाँच किया गया, जिसमें 42 मादा चूहों को तीन समूहों में बांटा गया: एक समूह को साधारण घोल (नियंत्रण) के साथ इलाज किया गया, दूसरे को 0.5% नागदोन के अर्क के साथ और तीसरे समूह को 1.5% पौधे के अर्क के साथ। परिणामों में यह पाया गया की जिन चूहों का नागदोन के अर्क से इलाज किया गया, उन समूहों में घाव तेजी से भरे। हालाँकि 0.5% नागदोन अर्क से इलाज किए गए चूहों में बेहतर नतीजे देखे गए, लेकिन अर्क की ज्यादा मात्रा (1.5%) से जलन हुई और घाव भरने में देरी दर्ज किया गया।5

ध्यान दें: यह शोध चूहों पर आधारित है। मनुष्यों पर नागदोन के घाव भरने के प्रभावों की सटीक जानकारी के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। इसके अलावा, इसकी अधिक खुराक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं।

4. कृमिनाशक गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है।

नागदोन के पत्तों में कृमिनाशक गतिविधि पाई जाती है इसलिए यह शरीर में मौजूद हानिकारक कीड़ों (कृमियों) से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है।यह आंतों में पाए जाने वाले कीड़ों, जैसे कि राउंडवर्म, टेपवर्म, और हुकवर्म को खत्म कर सकती है, जो कई तरह की बीमारियों और पोषण संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं।

अध्ययन में नागदोन के पत्तों के इथेनॉल अर्क का कृमिनाशक गतिविधि के लिए जांचा गया। परिणामों से पता चलता है की नागदोन के पत्तों के अर्क ने कृमिनाशक गुण दिखाए और इसको देने से कीड़े मर गए। यह प्रभाव वर्म संक्रमण के इलाज के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाली दवा एलबेंडाज़ोल के बराबर प्रभाव था। यह देखा गया कि ज्यादा मात्रा में अर्क देने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।6

5. मधुमेह हो नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

नागदोन मधुमेह विरोधी गतिविधी दिखा सकता है क्योकि यह सूजन कम करने, ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने, और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।7

इस अध्ययन में नागदोन के इथेनॉल अर्क की सूजन कम करने और मधुमेह को नियंत्रित करने की क्षमता का परीक्षण किया गया। परिणामों से पता चला कि नागदोन ने कोशिकाओं को अधिक ग्लूकोज अवशोषित करने में मदद की। 400 माइक्रोग्राम प्रति मिलीलीटर की उच्च खुराक से ग्लूकोज अवशोषण दोगुना हो गया।8

इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला जा सकता है की नागदोन ग्लूकोज अवशोषण और स्वस्थ वसा भंडारण को बढ़ावा देकर सूजन और मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है।

6. रक्तस्राव रोकने में प्रभावी हो सकता है।

नागदोन में हैमोस्टैटिक गतिविधि पाई जाती है, जिसका मतलब है कि यह रक्त बहने को रोकने में मदद कर सकती है। यह घाव या चोट के दौरान रक्त बहने को कम कर सकती है। नागदोन बवासीर और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में होने वाले रक्त स्राव को कम करने में भी सहायक हो सकता है।9

नागदोन के नुकसान

नागदोन के तनों और पत्तियों से दूधिया तरल पदार्थ निकलता है जिसमें यूफोरबोल और अन्य डाइटरपेन एस्टर होते हैं जो जलन पैदा करने वाले और कोकार्सिनोजेन्स होते हैं। इसलिए नागदोन के कुछ संभावित नुकसान देखने को मिल सकते हैं।10

  • त्वचा पर जलन, खुजली, लालिमा, और छाले उत्त्पन कर सकता है।
  • खाने से गले में जलन, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है।
  • आंखों में पड़ने पर दर्दनाक जलन हो सकती है, आंख की परतों की सूजन हो सकती है, और दृष्टि की स्पष्टता अस्थायी रूप से कम हो सकती है।

नागदोन के उपयोग संबंधी सावधानियां

नागदोन के नुकसान संबंधित जोखिमों से बचने के लिए बहुत जरूरी है की खुराक की मात्रा और उपयोग की विधि पर विशेष ध्यान दिया जाये। इसलिए इसके उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

अगर आपकी त्वचा सवेदनशील है तो ध्यान दे की नागदोन का रस आपकी त्वचा के सम्पर्क में ना आये और ऐसा होने पर तुरंत ताजे पानी से अपने त्वचा को धोएं।

गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग से परहेज रखना उचित होगा, हालांकि गर्भवती महिलाओं पर नागदोन के संभावित नुकसान संबंधी साक्ष्यों की कमी है।

किसी अन्य चिकित्सा स्थिति के इलाज के दौरान या अन्य दवाओं का सेवन करते समय इसके उपयोग में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

निष्कर्ष

नागदोन एक बारहमासी पौधा है जो की विकट पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी फलता फूलता है। अक्सर लोग इसको कैक्टस की प्रजाति समझने की भूल करते हैं लेकिन यह कैक्टस नहीं है।

नागदोन का उपयोग सजावटी समाग्री के तौर पर किया जाता है लेकिन इसके कई स्वास्थ्य लाभ देखने को मिलते हैं। नागदोन के फायदे इसमें मौजूद महत्वपूर्ण सक्रिय यौगिकों के कारण होते हैं जो इसको एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, मधुमेह रोधी आदि गुण प्रदान करते हैं।

हालाँकि नागदोन के कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं इसलिए इसके खुराक और उपयोग करने के तरीकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

संदर्भ

  1. Rahman, Atiqur et al. “Chemical Composition and Antioxidant Potential of Essential Oil and Organic Extracts of Euphorbia tithymaloides L. from Kushtia Region.Anti-cancer agents in medicinal chemistry vol. 18,10 (2018): 1482-1488. doi:10.2174/1871520618666180228122318 ↩︎
  2. Abreu, Pedro M., et al. “Isolation and identification of antioxidants from Pedilanthus tithymaloides.Journal of natural medicines 62 (2008): 67-70. ↩︎
  3. Adhikary, S., et al. “Evaluation of anti-inflammatory activity of pedilanthus tithymaloides (L.) Poit. leaves in male albino rats.International Journal of Pharma and Bio Sciences 4 (2013): P156-P160. ↩︎
  4. Ghosh, Soma, et al. “Evaluation of the wound healing activity of methanol extract of Pedilanthus tithymaloides (L.) Poit leaf and its isolated active constituents in topical formulation.” Journal of Ethnopharmacology 142.3 (2012): 714-722. ↩︎
  5. Sriwiroch, Waroonluk, et al. “The effect of Pedilanthus tithymaloides (L.) Poit crude extract on wound healing stimulation in mice.” Agriculture and Natural Resources 44.6 (2010): 1121-1127. ↩︎
  6. Kumar, Tarun, et al. “Phytochemical screening and evaluation of anthelmintic activity of Euphorbia tithymaloidus.” International Journal of Biological Chemistry 9.6 (2015): 295-301. ↩︎
  7. Bhardwaj, Monika, and Papiya Mitra Mazumder. “Comparative study on phytochemical screening of polyphenol rich extracts of Euphorbia tithymaloides L. with special emphasis on antiglycation and anti-diabetic potential.Natural Product Research (2024): 1-10. ↩︎
  8. Wandita, Theresia Galuh, et al. “In vitro evaluation of anti-inflammatory and anti-diabetic potential effects of Euphorbia tithymaloides ethanol extract.Indonesian Journal of Pharmacy 29.1 (2018): 1. ↩︎
  9. Badgujar, Shamkant B. “Evaluation of hemostatic activity of latex from three Euphorbiaceae species.” Journal of ethnopharmacology 151.1 (2014): 733-739. ↩︎
  10. Nellis, David W. Poisonous plants and animals of Florida and the Caribbean. Pineapple Press Inc, 1997. ↩︎

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