एक स्वस्थ जीवन को प्राप्त करने के लिए हमारे शरीर को विभिन्न धातुओं की आवश्यता पड़ती है जैसे सोडियम (Na), पोटेशियम (K), मैग्नीशियम (Mg), और कैल्शियम (Ca), मैंगनीज (Mn), आयरन (Fe), कोबाल्ट (Co), कॉपर (Cu), और जिंक (Zn) आदि। इन आवश्यक धातुओं को हम अपने रोजाना किये जाने वाले भोजन से प्राप्त करते हैं खासकर हरी साग सब्जियों को अपने आहार में शामिल करने से इन धातुओं को पर्याप्त मात्रा में प्राप्त किया जा जाता है। क्योकि इनका बहुत ही सूक्षम रूप होता है इसलिए इनके खाये जाने का हमें अहसास नहीं होता है।
इसी श्रंखला में कुछ ऐसे धातु भी होते हैं जो हमारे सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालते हैं और जाने अनजाने में हम उनका सेवन करते हैं। उन्हीं में से एक अल्मुनियम धातु हैं जो हमारे शरीर में धीरे धीरे बहुत सारे नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालाँकि हमारे सेहत से सम्बन्धित कई बिमारिओं में अल्मुनियम का प्रभाव कितना है इसपर शोधकर्ताओं के बिच बहस जारी है, लेकिन कुछ प्रकार के रोगों से पीड़ित व्यक्तिओं के शरीर में इसकी मात्रा की अधिकता पाई गई है।
इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम एल्यूमिनियम के नुकसान को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे ताकि इससे होने वाले शारीरिक दिक्क्तों से अपने और अपने परिवार सुरक्षित रख पाएं।
एल्युमिनियम के बर्तन के नुकसान
एल्यूमिनियम के नुकसान संबंधी अध्यानों के नतीजे काफी हैरान करने वाले हैं। हालांकि कुछ शारीरिक देक्कतों जैसे अल्जायमार आदि पर एल्यूमिनियम के प्रभाव का अभी विस्तार पूर्वक अध्ययन होना बाकी है, लेकिन इसके प्रभाव की ठोस आशंका बनी हुई है। हमारे सेहत पर एल्यूमिनियम के नुकसान क्या हो सकते हैं इसका जिक्र निम्नलिखित किया गया है।1
पुरुषों में स्तन कैंसर
कई अध्यनों में पाया गया है की पुरुषों में स्तन कैंसर का एक मुख्य कारण एल्युमीनियम से सम्बन्धित उत्पाद का उपयोग करना होता है।
डिओड्रेंट उन्हीं उत्पादों में से एक उदाहरण है जिसका अधिक इस्तेमाल करने से स्तन कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है क्योकि इसमें एल्यूमिनियम क्लोइड साल्ट पाया जाता है जो हमारी पसीने की ग्रंथिओं को बंद करके पसीना निकलने से रोक देता हैं, इसके अतिरिक्त यह त्वचा से ऑब्जॉर्ब होकर खून के माध्यम से पुरे शरीर में फ़ैल जाता है। इसलिए डिओड्रेंट का उपयोग बार-बार करने से त्वचा के निचे बंद पसीने और शरीर में एल्यूमिनियम क्लोइड की मात्रा बढ़ने से स्तन के आसपास इन्फ्लेमेशन हो सकता है और धीरे धीरे सिस्ट बन सकता है जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है।2
अल्जाइमर रोग
एल्युमीनियम के बर्तन में भोजन खाने से अल्जाइमर रोग होने की संभावना बढ़ सकती है।
हमारे मस्तिष्क में किसी भी प्रकार के सुचना का आदान प्रदान तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन सेल) के माध्यम से होता है यह कोशिकाएं एक दुसरे के जुड़ कर एक सर्किट का निर्माण करती हैं ताकि जानकारी एक दुसरे में साँझा किया जा सके, और साथ ही सूचनाओं को पहुंचने के लिए विद्युत और रासायनिक माध्यम का इस्तेमाल करती हैं। विधुत तरंगों द्वारा सुचना देने के लिए सोडियम, मैग्निसियम, कॉपर आदि धातु जो की हम भोजन के माध्यम से लेते हैं एक बहुत ही अहम् भूमिका निभाते हैं।
एल्युमीनियम में तीन आयन पाए जाते हैं इसलिए शरीर में मौजूद अन्य धातुओं से यह अधिक रेक्टिव होता है। जब यह हमारे शरीर और मस्तिष्क में पहुँचता है तो विधुत का प्रवाह इसके माध्यम से होने लगता है यानी इससे मष्तिस्क के न्यूरॉन के बिच सुचना लेने का समान्य काम काज बाधित होता है। जिसके परिणाम स्वरूप धीरे धीरे न्यूरॉन कोशिकाएं मरने लगती हैं जिसे न्यूरोडीजेनेरेशन कहा जाता है। जिसके कारण व्यक्ति की भूलने की परवर्ती बढ़ने लगती है जिसे अल्जाइमर रोग कहा जाता है।
हालांकि एल्युमीनियम और अल्जाइमर रोग के बीच सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक सबूत अभी मिलना बाकी हैं, लेकिन कुछ अध्ययन इनके बिच एक संभावित संबंध की तरफ इसरा भी करते हैं। और कुछ अध्ययनों में अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्तियों के मस्तिष्क में एल्युमीनियम का संचय भी देखा गया है।3
अनेमिया रोग
अनेमिया एक स्थिति है जिसमें रक्त में हेमोग्लोबिन (hemoglobin) की मात्रा कम हो जाती है या हेमोग्लोबिन की कमी होती है। हेमोग्लोबिन पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करता है और इसकी कमी से यह क्रिया बाधित होती है।
एल्युमीनियम के बर्तन में भोजन करने से या अन्य किसी माध्यम से एल्युमीनियम हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो यह हीमोग्लोबिन बनाने की प्रकिरिया को बहुत धीमा कर देता है जिससे हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती हैं और अनेमिया रोग का खतरा बढ़ जाता है।4
किडनी सम्बन्धी दिक्क्तें
एल्युमीनियम किडनी सम्बन्धी समस्याएँ उत्त्पन कर सकता है। क्योकि एल्युमीनियम में तीन प्रकार के आयन पाए जाते हैं इसलिए यह अधिक सक्रिय होते हैं जो किडनी के प्रोटीन के साथ रियेक्ट करके कंपाउंड बना लेते हैं जिसके परिणाम स्वरूप प्रोटीन मर जाता है जिसके कारण धीरे धीरे किडनी से सम्बन्धित बीमारी देखने को मिल सकती है।5
हड्डियों की कमजोरी
हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन D बहुत आवश्यक होता है लेकिन शरीर में एल्युमीनियम की उपस्थिति के कारण विटामिन D बनाने की प्रकिरिया बाधित होती है और इसके समान्य कामकाज में बाधा उत्त्पन होती है जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं जिसे अस्थिमृदुता या ‘ओस्टीयोमलेशिया’ (Osteomalacia) के नाम से जाना जाता है।6
एल्युमीनियम हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करता है?
खाद्य और पेय पदार्थ:- अधिकतर मामलों में एल्युमीनियम खाद्य पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। कुछ प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों जैसे बेकिंग पाउडर, केक, पनीर आदि उत्पादों को लम्बे समय तक बचाये रखने के लिए सोडियम एल्यूमीनियम फॉस्फेट और सोडियम एल्यूमीनियम सल्फेट जैसे एडिटिव्स का उपयोग किया जाता है। इसलिए जब आप इन प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो आप इन एडिटिव्स के माध्यम से थोड़ी मात्रा में एल्यूमीनियम का भी सेवन कर रहे होते हैं।
खाना पकाने के बर्तन और पन्नी:- एल्यूमीनियम के बर्तन में खाना पकने से या एल्यूमीनियम फॉयल में खाना स्टोर करने से इसके कुछ अंस भोजन में आ सकतें हैं। खासकर जब हम अम्लीय या छारीय भोजन को एल्यूमीनियम से बने बर्तन में खाना पकाते हैं या स्टोर करते हैं तब इसका अंस उस भोजन में आने का अधिक चांस होता है, और उस भोजन को खाने से एल्यूमीनियम हमारे शरीर में प्रवेश करता है।
व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद:- कुछ प्रोडक्ट जैसे डियोड्रेंट और एंटीपर्सपिरेंट में पसीने को कम करने के लिए एल्युमीनियम क्लोरोहाइड्रेट या एल्युमीनियम ज़िरकोनियम जैसे एल्युमीनियम यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है, और कुछ सौंदर्य प्रसाधन में भी इसके यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है। जब हम इन प्रोडक्ट्स को अपने स्किन पर लगते हैं तो यह त्वचा से अवशोषित होकर शरीर में चले जाते हैं और खून से मिलकर पूरे शरीर में फ़ैल जाते हैं।
पर्यावरणीय कारक:- उद्योगिक कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण, हवा या पानी के माध्यम से एल्युमीनियम योगिक को चारो तरफ फैला सकता है जिसके सम्पर्क में आने से एल्युमीनियम हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है।
शरीर से एल्युमिनियम की मात्रा कैसे कम करें?
जाहिर है अगर कोई अलुमिनियम के बर्तन में लम्बे समय से भोजन कर रहा है या खाना पका रहा है तो उसके शरीर में एल्युमीनियम की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे कम करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है, जिनका जिक्र निम्नलिखित किया गया है।
पसीना युक्त व्ययाम:- अधिक व्ययाम जिसमें अधिक पसीना निकलता है को करने से एल्युमीनियम पसीने के माध्यम से बहार निकल सकता है।
पेशाब:- स्वच्छ और पर्याप्त पानी पिए जिससे पेशाब के मध्यम से एल्युमीनियम शरीर के बहार निकल सकता है।
डॉक्टर से परामर्श लें:- अगर किसी को लगता है की उसके शरीर में एल्युमीनियम की मात्रा अधिक हो गई है जिसके कारण उसके सेहत पर बहुत से नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहें हैं तो डॉक्टर से अवश्य सम्पर्क करें।
निष्कर्ष
हमारे शरीर के लिए विभिन्न प्रकार के धातुओं की जरूरत होती है लेकिन कुछ धातु हमरे सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं जिसमें से एक एल्युमीनियम एक हो सकता है। हमारे सेहत पर एल्युमिनियम के बर्तन के नुकसान के ऊपर अभी भी कई विस्तारित शोध होना बाकि हैं लेकिन इसके प्रभाव कुछ बिमारियों के माध्यम से देखे जा सकते हैं जिसमें अल्जाइमर रोग, अनेमिया रोग, किडनी सम्बन्धी दिक्क्तें, और हड्डियों में कमजोरी आदि एल्युमिनियम के नुकसान प्रमुख हैं।
एल्युमिनियम कई खाद्य पदार्थों के योगिक के रूप में, इसके बर्तन में भोजन पकाने या खाने से, और पर्यावरणीय कारणों के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करता है। इसे शरीर से निकलने के लिए पसीना युक्त व्यायाम करना, और अधिक पानी पीने से पेशाब के माध्यम से यह शरीर से बहार निकला जा सकता है। अगर आपको लगता है की शरीर में इसकी मात्रा अधिक हो चुकी है जिसके कारण कई शारीरिक दिक्क्तें उत्त्पन हो रही हैं तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
संदर्भ
- Klotz, Katrin, et al. “The health effects of aluminum exposure.” Deutsches Ärzteblatt International 114.39 (2017): 653. ↩︎
- Darbre, Philippa D., Ferdinando Mannello, and Christopher Exley. “Aluminium and breast cancer: Sources of exposure, tissue measurements and mechanisms of toxicological actions on breast biology.” Journal of inorganic biochemistry 128 (2013): 257-261. ↩︎
- Exley, Christopher, and Elizabeth Clarkson. “Aluminium in human brain tissue from donors without neurodegenerative disease: A comparison with Alzheimer’s disease, multiple sclerosis and autism.” Scientific reports 10.1 (2020): 7770. ↩︎
- Kaiser, Lana, and Kenneth A. Schwartz. “Aluminum-induced anemia.” American Journal of Kidney Diseases 6.5 (1985): 348-352. ↩︎
- Wasana, Hewa MS, et al. “The impact of aluminum, fluoride, and aluminum–fluoride complexes in drinking water on chronic kidney disease.” Environmental Science and Pollution Research 22 (2015): 11001-11009. ↩︎
- Finch, Jane Lewis, et al. “The effects of discontinuation of aluminum exposure on aluminum–induced osteomalacia.” Kidney International 30.3 (1986): 318-324. ↩︎