यह आसान तरीके अपनाएं और खुद को स्वस्थ बनाएं

अपनी जीवनशैली में छोटे मगर स्थायी परिवर्तन करने मात्र से ही लंबे समय तक अपने स्वास्थ्य पर सकारात्मक और महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है। आइये जानते हैं की स्वास्थ्य जीवन के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।

Author:

Brijesh Yadav

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रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रकृति द्वारा हमारे शरीर को प्राप्त एक ऐसा गुण है जो बहरी आक्रमणकारियों से हमारे शरीर को बचता है, रोगों से हमें दूर रखने में मदत करता है और सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।

लेकिन ख़राब जीवनशैली हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोरी का कारण बनती है और परिणाम स्वरूप बुखार, जुखाम, पेट सम्बन्धी समस्याएं, थकान, चोट का जल्दी ठीक ना होना, आदि समान्य समस्याओं से लेकर कई गंभीर समस्याओं तक का समना करना पड़ता है।

आइये कुछ ऐसे आसान तरीकों के बारे में जानते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने, रोगों से दूर रखने, हमारे स्वास्थ्य और हमें सेहतमंद रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

सेहतमंद रहने के आसान तरीके

वह आसान तरीके जो हमारे स्वास्थ्य सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं:

1. खान-पान पर रखे ध्यान

हमारा खान पान ना केवल हमारे स्वास्थ्य बल्कि हमारे व्यक्तित्व को भी प्रभावित करता है। इसलिए स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए एक संतुलित खान-पान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और हमें अपने द्वारा खाये गए खाद्य पदार्थों के प्रति एक समझ को भी विकसित करना महत्वपूर्ण है।

अपने मन को संतुष्ट करने के लिए आज-कल हम कुछ भी खा रहे हैं जो हमें अंदर से खोखला बना रहा है। इसलिए रोगों से दूरी बनाये रखें के लिए पोषण युक्त भोजन की जरूरत होती है जिसमें पर्याप्त पोषक तत्व जैसे विटामिन, खनिज, प्रोटीन, फाइबर, आवश्यक एमिनो एसिड आदि की मौजूदगी होना महत्वपूर्ण है। जाहिर है यह सभी पोषक तत्व किसी एक खाद्य पदार्थ से प्राप्त करना मुश्किल होता है इसलिए हमारे भोजन में बीज, नट्स, हरी साग-सब्जियां, और फल को शामिल करना जरूरी है और रोजाना एक जैसा भोजन करने से परहेज करना भी महत्वपूर्ण है।

क. अधिक मीठे पेय पदार्थों से दूर रहें

ऐसे पेय पदार्थ और खाद्य पदार्थ जिसमें शुगर और अप्राकृतिक (Artificial) मिठास अधिक मात्रा में होती है जैसे कोल्ड ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, मीठी चाय, मिठाई आदि से परहेज करना चाहिए, और लम्बे समय तक इनके उपयोग करने से बचना चाहिए।

क्योंकि अधिक मीठे पेय पदार्थ मोटापा और अन्य क्रोनिक बीमारियों जैसे मधुमेह, ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोगों, आदि का कारण बन सकते हैं।1

ख. क्या पियें?

हमें यह अहसास नहीं होता है लेकिन आजकल कई लोग पानी के बजाय सॉफ्ट ड्रिंग्स आदि जैसे पेय पदार्थों का सेवन अधिक करने लगे हैं। इसलिए यह जरूरी है की प्यास लगने पर कोल्ड ड्रिंक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स की जगह पानी के विकल्प को चुना जाये।

इसके अलावा प्राकृतिक फलों का जूस जिसमें स्वीटनर, कलर आदि का उपयोग नहीं किया गया हो का उपयोग कर सकते हैं, या ऐसे पेय पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है जिसमें चीनी की मात्रा कम हो जैसे छाछ और दूध भी एक अच्छा विकल्प है।

पानी के सेवन को बढ़ने से हम अपने शरीर को पर्याप्त नमी दे सकते हैं यानी हाइड्रेटेड रख सकते हैं इसलिए अपनी जरूरत के अनुसार आवश्यक मात्रा में पानी का सेवन करें।

ग. अधिक प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से बचें 

प्रोसेस्ड फ़ूड, जिसे “संसाधित खाद्य पदार्थ” भी कहा जाता है, यह एक ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिन्हें लम्बे समय तक तजा रखने, स्वाद को बढ़ाने, और अच्छा दिखाने के लिए प्रिजर्वेटिव (Preservatives), कृत्रिम स्वाद और रंगों आदि को मिलाया जाता है, और साथ ही अप्राकृतिक रूप से संग्रहित (stored) किया गया हो सकता है। प्रोसेस्ड फ़ूड में अक्सर कैलोरी, वसा, चीनी और सोडियम की मात्रा अधिक होती है, और साथ ही इनमें फाइबर, विटामिन और खनिज की मात्रा कम होती है।

प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे चिप्स, बर्गर, कैंडी, पेस्ट्री, हॉट डॉग, फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज़, आदि का लम्बें समय तक सेवन करना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए इनकों खाने से परहेज करना चाहिए।2

घ. नट्स और बीज खाने से परहेज ना करें

अपने आहार में नट्स और बीज को शामिल करना जरूरी है क्योकि इसमें उच्य प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि पाए जाते हैं। नट्स और बीज से मतलब बादाम, काजू, विभिन्न दलों, आदि से है।

अध्ययनों से पता चलता है रोजाना दिन भर में मुट्ठी भर मेवा खाने से भी हृदय रोग का खतरा काफी कम हो सकता है और हृदय रोग से मृत्यु का खतरा 20% तक कम हो सकता है। नट्स और बीज कई अन्य पुरानी बीमारियों को रोकने में भी मदद कर सकते हैं, जिनमें कुछ कैंसर, श्वसन संबंधी रोग, संक्रामक रोग और मधुमेह शामिल हैं।3 यह शारीरक मेटाबोलिज्म को तेज करने, पाचन बेहतर करने, मोटापा को नियंत्रित रखने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी एक अहम् भूमिका निभा सकते हैं।

हालाँकि कुछ लोगों को लगता है की नट्स और बीज में अधिक मात्रा में वासा होती है इसलिए वह इनको खाने से बचते हैं, लेकिन यह बिलकुल गलत है।

2. शारीरिक एक्टिविटी बहुत जरूरी है

जैसे-जैसे हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, हम अपनी बुद्धि का प्रयोग तो अधिक कर रहे हैं लेकिन शारीरिक उपयोग में कमी आ रही है, जिसके कारण यह शारीरिक कमजोरी का कारण बन रहा है।

इस बात में कोई शक नहीं कि आप जितने ज्यादा सक्रिय रहते हैं, आपका स्वास्थ्य उतना ही बेहतर रहता है। नियमित व्यायाम कई तरह रोगों और कई दीर्घकालिक बीमारियों से बचाने में मदद करता है और आपकी उम्र भी बढ़ा सकता है।4

क. नियमित व्ययाम और योग करें

नियमित व्यायम और योग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं, जिससे हमारा शरीर संक्रमण और अन्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है। यह हृदय रोग, स्ट्रोक, अन्य हृदय संबंधी समस्याओं, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद भी कर सकते हैं।

व्यायाम और योग करने से एंडोर्फिन हार्मोन जारी होता है जिससे तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद भी मिल सकती है।5 इसके अलावा ये मांसपेशियों की ताकत बनाने, लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

इसलिए स्वास्थ्य शरीर के लिए नियमित व्यायाम और योग करना महत्वपूर्ण है।

3. मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान

मानसिक उलझन, तनाव, चिंता हमारे सेहत पर बुरा प्रभाव डालते हैं, शारीरिक और मनसिक कमजोरी का कारण बनते हैं। यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है जैसे बालों का झड़ना, सफेद बाल, त्वचा का मुरझाना, सर दर्द, ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, आदि।

इसलिए तनाव और उलझन से जितना बचा जा सके उतना बचने की कोशिश करनी चाहिए।मानसिक उलझनों से निपटने के लिए आप अपने नजदीकी रिश्तों या दोस्तों में समय बिता सकते हैं, उनसे अपनी परेशानी को साँझा कर के मदत मांग सकते हैं। व्यायाम और मैडिटेशन भी तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शोध से साबित हुआ है कि जिन लोगों का सामाजिक जीवन अच्छा होता है वे अधिक स्वस्थ और लंबे समय तक जीवित रहते हैं।6

क. मैडिटेशन करें

तनाव और मानसिक उलझन ब्लड प्रेशर, मधुमेह, और ह्रदय संबंधी बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है7 इसलिए इससे बचने के लिए मैडिटेशन करना यानी ध्यान लगान बहुत लाभदायक हो सकता है।

एक रिसर्च में भी साबित हुआ है की ध्यान लगाने वाले लोगों में दिमागी ताकत अधिक होती है, और वे अपने आस पास के परिस्थितियों से अधिक परिचित होते हैं। तनाव आदि मानसिक दिक्कतों से अच्छे से मुकाबला कर सकते हैं।8 इसलिए कम से कम रोजाना 10 से 15 मिनट मैडिटेशन कर सकते हैं। मांइडफुल मैडिटेशन करना भी एक अच्छा विकल्प है।

ख. पर्याप्त नींद जरूर लें

गहरी और अच्छी नींद को कम आंकना किसी के लिए भी एक बहुत बड़ी गलती हो सकती है, क्योंकि गहरी नींद आपके मानसिक विकारों को बढ़ने से रोकता है, भूख को नियंत्रित रखता है और मोटापा को कम करने में मदत करता है, और अन्य कई प्रकार की बिमारियों से लड़ने और उसके जोखिम को कम कर सकता है।9

जब हम गहरी नींद में होते हैं तो हमारा शरीरी अपने अंदर आये विकारों से लड़ने का कम कर रही होती है यानि बॉडी गहरी नींद में अपने आपको रिकवर करती है। एक स्वास्थ्य शरीर के लिए पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है इसलिए सोने से पहले हाई कृत्रिम (Artificial) रोशनी से दूर रहना चाहिए जैसे मोबाइल और कंप्यूटर की लाइट आदि जिससे आरामदायक नींद लेने में मदत मिल सकती है। कम से कम 7 से 8 घंटे की आरामदायक नींद लेना चाहिए।

4. नशीले पदार्थो के सेवन से रहें दूर

धूम्रपान और किसी भी प्रकार के अन्य नशीले पदार्थों जैसे अल्कोहल के अधिक सेवन करने से हमारे सेहत पर बहुत से नकारात्मक प्रभाव देखें को मिल सकते हैं। सिर्फ ज़्यादा सिगरेट पीना या शराब पीना ही सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। लेकिन इन दोनों को मिलाकर इस्तेमाल करने से और भी गंभीर नुक़सान हो सकते हैं।

अगर आप किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं तो कैंसर, अस्थमा, और अन्य कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए अगर कोई स्वास्थ्य जीवन की चाह रखता है तो उसे नशीले पदार्थों के सेवन से अपने आपको बचाना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

एक स्वस्थ्य और लम्बी जिंदगी की कामना करना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि संतुलित आहार खाना, हाइड्रेटेड रहना, नियमित व्यायाम करना, पर्याप्त नींद लेना, तनाव का प्रबंधन करना, धूम्रपान से बचना और अत्यधिक शराब का सेवन नहीं करना। इन आदतों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके से आप न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं बल्कि अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ा सकते हैं।

ध्यान रखें की अपना ख्याल रखना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, और सिर्फ अपनी जीवनशैली में छोटे, स्थायी परिवर्तन करने से ही लंबे समय तक आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक और महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है।

संदर्भ

  1. Malik, Vasanti S, and Frank B Hu. “The role of sugar-sweetened beverages in the global epidemics of obesity and chronic diseases.” Nature reviews. Endocrinology vol. 18,4 (2022): 205-218. doi:10.1038/s41574-021-00627-6 ↩︎
  2. Fuhrman, Joel. “The Hidden Dangers of Fast and Processed Food.” American journal of lifestyle medicine vol. 12,5 375-381. 3 Apr. 2018, doi:10.1177/1559827618766483 ↩︎
  3. Balakrishna, Rajiv et al. “Consumption of Nuts and Seeds and Health Outcomes Including Cardiovascular Disease, Diabetes and Metabolic Disease, Cancer, and Mortality: An Umbrella Review.” Advances in nutrition (Bethesda, Md.) vol. 13,6 (2022): 2136-2148. doi:10.1093/advances/nmac077 ↩︎
  4. Warburton, Darren E R et al. “Health benefits of physical activity: the evidence.” CMAJ : Canadian Medical Association journal = journal de l’Association medicale canadienne vol. 174,6 (2006): 801-9. doi:10.1503/cmaj.051351 ↩︎
  5. Woodyard, Catherine. “Exploring the therapeutic effects of yoga and its ability to increase quality of life.” International journal of yoga vol. 4,2 (2011): 49-54. doi:10.4103/0973-6131.85485 ↩︎
  6. Umberson, Debra, and Jennifer Karas Montez. “Social relationships and health: a flashpoint for health policy.” Journal of health and social behavior vol. 51 Suppl,Suppl (2010): S54-66. doi:10.1177/0022146510383501 ↩︎
  7. Mariotti, Agnese. “The effects of chronic stress on health: new insights into the molecular mechanisms of brain-body communication.” Future science OA vol. 1,3 FSO23. 1 Nov. 2015, doi:10.4155/fso.15.21 ↩︎
  8. Cramer, Holger et al. “Prevalence, patterns, and predictors of meditation use among US adults: A nationally representative survey.” Scientific reports vol. 6 36760. 10 Nov. 2016, doi:10.1038/srep36760 ↩︎
  9. Worley, Susan L. “The Extraordinary Importance of Sleep: The Detrimental Effects of Inadequate Sleep on Health and Public Safety Drive an Explosion of Sleep Research.” P & T : a peer-reviewed journal for formulary management vol. 43,12 (2018): 758-763. ↩︎

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