मरोड़ फली के फायदे और संभावित जोखिम

मरोड़ फली एक ऐसा छोटा पेड़ है, जिसे अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है और यह विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण इसका उपयोग लंबे समय से हो रहा है, और विभिन्न शोध भी इसके लाभों का समर्थन करते हैं।

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Anshika Sharma

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मरोड़ फली संछिप्त परिचय

मरोड़ फली एक छोटा पेड़ है। इसको कई अन्य नामों से जाना जाता है जिसमें इसका प्राचीन आयुर्वेदिक नाम “अवर्तनी” है और अंग्रेजी में “भारतीय स्क्रू ट्री” भी एक प्रचलित नाम है।

मरोड़ फली का वैज्ञानिक नाम हेलिक्टेरेस इसोरा (Helicteres isora) है जो की मालवेसी परिवार से संबंधित है।

आकर में, यह एक मध्यम आकार की झाड़ी या छोटा पेड़ जैसा होता है, जो आमतौर पर 2 से 6 मीटर (6.5 से 20 फीट) ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ अंडाकार होती हैं जिनके किनारों पर हल्की दांत जैसी संरचना होती है। पत्ते ऊपर से थोड़े खुरदरे हो सकते हैं लेकिन नीचे से छोटे बालों से ढके होने के कारण मखमली प्रतीत हो सकते हैं।इसके फूल लाल रंग या केसरी रंग के होते हैं और फूल की पंखुड़ियाँ आमतौर पर मुड़ी हुई या घुमावदार होती हैं।

मरोड़ फली की सबसे विशिष्ट विशेषता इसका फल है, जो घुमावदार और बेलनाकार होता है। यह ऐसा प्रतीत होता है जैसे 5 पतली लताओं को आपस में मोड़ा या ऐंठा गया हो। फल आमतौर पर पकने के बाद भूरे या लाल-ब्राउन रंग के हो जाते हैं।

हालाँकि मरोड़ फली के पेड़ की छाल, बीज, जड़ का उपयोग विभिन्न लाभों के लिए किया जाता है लेकिन स्वास्थ्य संबंधि फायदों के लिए इसके फल का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

मरोड़ फली के फायदे | Marod Phali ke Fayde

मरोड़ फली के फायदे

परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों में विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए मरोड़ फली का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। शोध-आधारित निम्नलिखित मरोड़ फली के फायदों के बारे में बताया गया है:

1. एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी गतिविधि 

मरोड़ फली में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गतिविधियों पाई जाती है। यह शरीर में मौजूद हानिकारक मुक्त कणों को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (ऑक्सीडेटिव तनाव) का खतरा कम हो जाता है।123

ऑक्सीडेटिव तनाव ह्रदय रोग, कैंसर, मधुमेह, आदि जैसे कई घातक रोगों का कारण बन सकता है। मरोड़ फली में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गतिविधि इन समस्याओं से लड़ने के लिए फायदेमंद हो सकता है।

ध्यान दें: ऑक्सीडेटिव तनाव को नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ खानपान और अच्छी जीवनशैली अपनाना भी महत्वपूर्ण है।4

2. घाव भरने में मदद कर सकता है

पारम्परिक चिकित्सा में मरोड़ फली का उपयोग घाव को तेजी से भरने में किया जाता है।

इसके घाव भरने के प्रभाव की जांच करने के लिए एक अध्ययन में इसके पत्तियों से प्राप्त अर्क का उपयोग किया गया। इस अर्क ने उत्कृष्ट एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल क्षमता प्रदर्शित की, जो फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने और बैक्टीरिया और फंगस की वृद्धि को रोकने में मदद करती है। जिसके परिणामस्वरूप अर्क ने घाव भरने में भी महत्वपूर्ण प्रभावी परिणाम दिखाए। पत्तियों के अर्क की एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और घाव भरने की क्षमताएँ उनके फाइटोकेमिकल्स, विशेषकर फ्लावोनॉयड्स, के कारण हो सकती हैं।5

3. मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है

मरोड़ फली का फल मधुमेह के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मरोड़ फली फल के हॉट वाटर एक्सट्रैक्ट पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि इसमें मध्यम एंटी-डायबिटिक गतिविधि मौजूद है। जब इस अर्क का परीक्षण चूहे के हेमी-डायाफ्राम पर किया गया, तो इसने कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज ग्रहण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दिया। हालांकि, इसका प्रभाव मेटफॉर्मिन (एक सामान्य डायबिटीज की दवा) मुकाबले थोड़ी कम था।

इसका अर्थ है कि मरोड़ फली फल का अर्क रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके अतिरिक्त, अर्क में महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि भी पाई गई है, जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को हटाने में सहायक होती है।6

मधुमेह वाले लोगों में उच्च कोलेस्ट्रॉल का खतरा अधिक होता है। इसके साथ ही, उच्च कोलेस्ट्रॉल अन्य बीमारियों, जैसे हृदय रोग, के जोखिम को भी बढ़ा देता है। एक शोध में पाया गया कि मरोड़ फली के फल से निकाले गए अर्क में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है, जो संभवतः मधुमेह के इलाज में भी फायदेमंद हो सकता है।7

4. पेट से जुडी समस्याओं में प्रभावी हो सकता है

पेट से जुडी समस्याओं के लिए मरोड़ फली फायदेमंद हो सकती है। विशेष रूप मरोड़ फली यह दस्त-रोधी और कृमिनाशक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

1. दस्त-रोधी गतिविधि: मरोड़ फली में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो दस्त को कम करने में मदद कर सकते हैं। शोध से यह पता चला है कि मरोड़ फली का अर्क आंतों की गति को धीमा कर सकता है, जिससे दस्त की बार-बार होने वाली समस्या और उसकी तीव्रता कम हो सकती है। इसके पीछे मरोड़ फली में पाए जाने वाले टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और अन्य प्राकृतिक रसायन (फाइटोकेमिकल्स) हो सकते हैं।8

इसके अलावा, इसमें कुछ ऐसे गुण होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को खत्म करने में मदद करते हैं, जो अक्सर दस्त का कारण बनते हैं।

2. कृमिनाशक गतिविधि: मरोड़फली कृमिनाशक गतिविधि भी दिखाता है। इसका मतलब है कि यह पौधा आंतों में मौजूद कीड़ों को मारने में मदद करता है। इस पौधे में कुछ विशेष रसायन (बायोएक्टिव यौगिक) होते हैं जो आंतों के कीड़ों को मारने में मदत कर सकते हैं। जो अन्यथा पेट से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं।910

5. इसमें कैंसर रोधी गतिविधि पाई जाती है

मरोड़ फली कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।3

एक अध्ययन में, मरोड़फ़ली के फल को सुखाया गया और फिर क्लोरोफॉर्म (एक रासायनिक सॉल्वेंट) का उपयोग करके सक्रिय यौगिकों को निकाला गया,  ताकि पौधे के रासायनिक यौगिकों और मानव स्तन कैंसर कोशिकाओं पर इसके प्रभाव का परीक्षण किया जा सके। परिणामस्वरूप यह पाया गया कि मरोड़फ़ली फल के अर्क में कार्बोहाइड्रेट, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और एल्कलॉइड जैसे महत्वपूर्ण यौगिक शामिल थे जो स्तन कैंसर कोशिकाओं को मारने की प्रबल क्षमता क्षमता दिखाते हैं।12

मरोड़ फली के नुकसान और सावधानियां

हमारे स्वास्थ्य पर मरोड़ फली के नुकसान से संबंधित साक्ष्यों की कमी है। इसलिए इस विषय पर सटीक जानकारी के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है। हालांकि, कुछ मामलों में इसके गलत खुराक या अधिक सेवन से स्वास्थ्य परेशानियाँ देखी जा सकती हैं।

  • कुछ लोगों में यह मतली और उल्टी का कारण बन सकता है।
  • गैस और पेट फूलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • एलर्जी प्रतिकिया जैसे त्वचा पर लालिमा, खुजली, चक्कते देखने को मिल सकती है।

ध्यान दें: यहां बताए गए मरोड़ फली के नुकसान समान्य समस्याएं हैं। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति भिन्न होती है इसलिए अलग अलग व्यक्तियों में इसके दुष्प्रभाव भी भिन्न हो सकते हैं। खुराक और सेवन संबंधी जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।

मरोड़ फली से जुड़ी कुछ सावधानियां

कुछ परिस्थितियों में मरोड़ फली के सेवन में सतर्कता और सावधानी बरतने से दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है:

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मरोड़ फली का सेवन करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
  • छोटे बच्चों को मरोड़ फली देने से पहले इसकी खुराक पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
  • गंभीर या पुरानी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मरोड़ फली का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
  • अन्य दवाओं के साथ परस्पर प्रतिक्रिया से बचने के लिए मरोड़ फली का सेवन करने से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

 निष्कर्ष

मरोड़ फली, जिसे अवर्तनी के नाम से भी जाना जाता है, एक छोटा पेड़ है जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। स्वास्थ्य संबंधी मरोड़ फली के अनेक फायदे देखे जा सकते हैं, जैसे कि यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लैमटॉरी गुणों से युक्त होता है, मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंद है, और इसमें कैंसर-रोधी गुण भी पाए जाते हैं।

मरोड़ फली के नुकसानों से जुड़े साक्ष्यों की कमी है, इसलिए इसके दुष्प्रभावों की सटीक जानकारी के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। लेकिन, यदि इसे उचित खुराक में नहीं लिया जाता, तो कुछ स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, दुष्प्रभावों से बचने के लिए अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना उचित होगा।

संदर्भ

  1. Pandey, Sandeep, et al. “Morphological, phytochemical and pharmacological study of Helicteres isora (Marorphali).International Journal of Research in Pharmacy and Pharmaceutical Sciences 6.3 (2021): 13-17. ↩︎
  2. Loganayaki, Nataraj, Perumal Siddhuraju, and Sellamuthu Manian. “Antioxidant activity and free radical scavenging capacity of phenolic extracts from Helicteres isora L. and Ceiba pentandra L.Journal of food science and technology 50 (2013): 687-695. ↩︎
  3. Raaman, N., and K. Balasubramanian. “Antioxidant and anticancer activity of Helicteres isora dried fruit solvent extracts.J Acad Indus Res 1.3 (2012): 148-52. ↩︎
  4. Carraro, Elisabetta, et al. “Physical activity, lifestyle factors and oxidative stress in middle age healthy subjects.” International journal of environmental research and public health 15.6 (2018): 1152. ↩︎
  5. Mahajan, R. E. N. U. K. A., and P. R. A. K. A. S. H. Itankar. “Antioxidant, Antimicrobial and Wound Healing Potential of Helicteres isora Linn. Leaf Extracts.Digital Chinese Medicine 3.3 (2020): 188-198. ↩︎
  6. Suthar, M et al. “Antioxidant and Antidiabetic Activity of Helicteres isora (L.) Fruits.Indian journal of pharmaceutical sciences vol. 71,6 (2009): 695-9. doi:10.4103/0250-474X.59557 ↩︎
  7. Boopathy Raja, A et al. “Antihyperlipidemic activity of Helicteres isora fruit extract on streptozotocin induced diabetic male Wistar rats.” European review for medical and pharmacological sciences vol. 14,3 (2010): 191-6. ↩︎
  8. Khan, Iftikhar Ahmad, et al. “Evaluation of In Vivo Anti-Diarrheal Activity of Selected Medicinal Plants Traditionally Prescribed for the Management of Diarrhea.Aswan University Journal of Environmental Studies 4.2 (2023): 34-46. ↩︎
  9. Shah, D., S. Somshekhar, and S. Soloman. “Anthelmintic activity of Helicteres isora Linn. fruits extract.World Journal Of Pharmacy And Pharmaceutical Sciences 4.11 (2013): 788-793. ↩︎
  10. Manke, Mahesh B., et al. “In-vitro Anthelmintic and Antioxidant Activity of Helicteres isora Linn. Fruit Extracts.Journal of Biologically Active Products from Nature 5.1 (2015): 18-24. ↩︎
  11. Raaman, N., and K. Balasubramanian. “Antioxidant and anticancer activity of Helicteres isora dried fruit solvent extracts.J Acad Indus Res 1.3 (2012): 148-52. ↩︎
  12. Elsa Varghese, Elsa Varghese, et al. “Anticancer activity of chloroform extract of Helicteres isora.” (2011): 2560-2564. ↩︎

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