केसर के 5 अद्भुत फायदे और संभावित नुकसान

केसर में औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसका संतुलित उपयोग करने से विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। हालांकि, इसकी खुराक की मात्रा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

Author:

Anshika Sharma

Published on:

केसर का पौधा एक छोटे आकार का होता है जिसकी ऊँचाई लगभग 15-20 सेंटीमीटर तक होती है। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं और हर फूल में 3-4 नारंगी-लाल रंग के धागेनुमा संरचनाएं होती हैं, जिन्हें “स्टिग्मा” कहा जाता है। यही स्टिग्मा ही असली केसर होते हैं।

केसर का वनस्पतिक नाम  क्रोकस सैटिवस (Crocus sativus) है जो की  इरिडेसी (Iridaceae) परिवार से संबंधित है। इसे अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे कश्मीरी में कोंग, उर्दू में ज़ाफरान तथा हिंदी में केसर और अंग्रेज़ी में “Saffron”  के नाम से जाना जाता है।

केसर दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से इसकी सुगंध, स्वाद और औषधीय गुणों के लिए किया जाता है।

यहाँ केसर के कुछ महवपूर्ण स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताया गया है। 

केसर के फायदे | Health Benefits of Saffron

केसर में कई सक्रिय योगिक होते हैं, जो इसे औषधीय गुण प्रदान करते हैं। इन गुणों के कारण, केसर विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।

1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है।

केसर में कई प्रकार के सक्रिय रासायनिक यौगिकों की पहचान की गई है, लेकिन इसमें 4 मुख्य योगिक प्रमुखता से पाए जाते हैं1, जिसमें शामिल है:

  1. क्रोसिन (Crocin)
  2. क्रोसेटिन (Crocetin)
  3. पिक्रोक्रोसिन (Picrocrocin)
  4. सफ्रानल (Safranal)

ध्यान दें: हालाँकि, केसर की गुणवत्ता और किस्मों पर इसके रासायनिक यौगिकों की मात्रा और गुणवत्ता  निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, कश्मीरी केसर में लगभग 8% क्रोसिन पाया जाता है, जबकि अन्य किस्मों में यह केवल 5-6% होता है।

ये योगिक एंटीऑक्सीडेंट क्षमता प्रदर्शित करते हैं, जो हानिकारक मुक्त कणों के प्रभाव को कम करके ऑक्सीडेटिव तनाव को घटाते हैं। इससे कोशिका क्षति रुकती है और विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा भी कम होता है।2

2. मूड सुधार में मदत कर सकता है।

केसर मूड को बेहतर बनाने और अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने में उपयोगी हो सकता है। अध्ययनों से प्राप्त नतीजे यह संकेत देते हैं की केसर अवसाद के लिए एक प्रभावी उपचार भी साबित हो सकता है।3

एक अध्ययन में पाया गया है कि केसर के अवसादरोधी और चिंता-विरोधी प्रभाव फ्लुओक्सेटीन (Fluoxetine) और इमिप्रामाइन (Imipramine) जैसी अवसादरोधी दवाओं के प्रभाव के समान हैं।4

चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि केसर के पानी के अर्क के सेवन से उनमें डोपामाइन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, और इसके अलावा मस्तिष्क में ग्लूटामेट का स्तर भी बढ़ गया। यह संभवतः मूड को सुधारने और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।5

3. कैंसर रोधी गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है।

केसर में कैंसर रोधी गतिविधि पाई जाती है, क्योकि इसमें सक्रिय योगिक जैसे कैरोटीनॉयड, क्रोसिन और क्रोसेटिन पाए जाते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदत कर सकते हैं।6

शोध में यह पाया गया है कि केसर और इसके यौगिक स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को निष्क्रिय कर सकते हैं और ट्यूमर के विकास को रोक सकते हैं।7

अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि केसर विभिन्न प्रकार के कैंसर के खिलाफ प्रभावी हो सकता है8, जिनमें शामिल हैं:

  • स्तन कैंसर (Breast cancer)
  • कोलन कैंसर (Colon cancer)
  • प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer)
  • फेफड़ों का कैंसर (Lung cancer)
  • गैस्ट्रिक कैंसर (Gastric cancer)

ध्यान दें: केसर के कैंसर रोधी परिणाम आशाजनक हैं, लेकिन सटीक निष्कर्षों के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।

4. हृदय जोखिमों को कम कर सकता है।

केसर हृदय जोखिमों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसमें पाए जाने वाले सक्रिय रसायनिक योगिक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट क्षमता प्रदर्शित करते करतें है जो  ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होने वाले हृदय जोखिमों को कम किया जा सकता है।9

अध्ययनों में यह पाया गया है की केसर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदत कर सकता है जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। केसर में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो धमनियों और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है। इसके अलावां इसमें थायमिन और राइबोफ्लेविन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो हृदय के लिए फायदेमंद हैं और विभिन्न हृदय संबंधी समस्याओं से बचाते हैं।10

5. यौन इच्छा और उत्तेजना को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

अध्ययनों से पता चला है केसर यौन इच्छा और उत्तेजना को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह कम कामेच्छा, उत्तेजना की समस्याएं और संभोग सुख प्राप्त करने में कठिनाई जैसे लैंगिक असामान्यता के लक्षणों को कम करता है।11

​​अध्ययनों के समीक्षा में यह पाया गया की केसर का इरेक्टाइल फंक्शन से संबंधित सभी पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव था, जिसमें इरेक्टाइल फंक्शन, ऑर्गैज़्मिक फंक्शन, यौन संबंध से संतोष, और यौन इच्छा शामिल हैं। हालाँकि अध्ययन में वीर्य मापदंडों के बारे में विरोधाभासी परिणाम सामने आए।12

महिला यौन स्वास्थ्य पर केसर के प्रभाव को जांचने के लिए किये गए एक शोध में पाया गया की जिन महिलाओं को केसर कैप्सूल दिया गया उनमें यौन कार्य में सुधार हुआ। महिला यौन कार्य के प्रमुख घटकों, जैसे यौन इच्छा, स्नेहन, और संतोष में सुधार पाया गया।13

केसर के नुकसान और सावधानियां

केसर का संतुलित मात्रा में सेवन करने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालाँकि, इसका अधिक सेवन और लंबे समय तक सेवन करने से कुछ नुकसान की संभावनाएँ हो सकती हैं, जैसे चक्कर आना, थकान, शुष्क मुँह, उल्टी, मतली, और सिरदर्द।14

कुछ ऐसे सप्लीमेंट्स का उपयोग करना जिनमें केसर के साथ अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है या मिलावटी केसर का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं को केसर के अधिक खुराक के सेवन करने से परहेज करना चाहिए और चिकित्सक के निगरानी में सेवन और उसके परामर्श पर ही खुराक को निर्धारित करना चाहिए।

गंभीर रोगों, विभिन्न दवाओं, और रक्त पतला करने वाली दवाओं के साथ केसर का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

विशेष ध्यान दें की जिस केसर को आप ले रहें हैं वह मिलावटी ना हो।

निष्कर्ष

केसर एक अत्यंत उपयोगी और महंगा मसाला है, जिसका उपयोग आमतौर पर पकवानों में स्वाद और रंग के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न सक्रिय रासायनिक यौगिक होते हैं, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं। शोधों से पता चला है कि केसर में सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियाँ पाई जाती हैं, इसके अलावां यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, अवसाद और चिंता को कम करता है, और यौन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

अगर केसर का उपयोग संतुलित मात्रा में किया जाए, तो इसके सेवन से किसी भी प्रकार के नुकसान नहीं होते। लेकिन यदि इसे अधिक मात्रा में उपयोग किया जाए, तो इसके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, चिकित्सक से परामर्श करके इसका सेवन और खुराक निर्धारित करना उचित होगा।

संदर्भ

  1. Hosseini, Azar et al. “Pharmacokinetic Properties of Saffron and its Active Components.” European journal of drug metabolism and pharmacokinetics vol. 43,4 (2018): 383-390. doi:10.1007/s13318-017-0449-3 ↩︎
  2. Cerdá-Bernad, Débora et al. “Saffron bioactives crocin, crocetin and safranal: effect on oxidative stress and mechanisms of action.” Critical reviews in food science and nutrition vol. 62,12 (2022): 3232-3249. doi:10.1080/10408398.2020.1864279 ↩︎
  3. Tóth, Barbara et al. “The Efficacy of Saffron in the Treatment of Mild to Moderate Depression: A Meta-analysis.” Planta medica vol. 85,1 (2019): 24-31. doi:10.1055/a-0660-9565 ↩︎
  4. Shafiee, Mojtaba et al. “Saffron in the treatment of depression, anxiety and other mental disorders: Current evidence and potential mechanisms of action.” Journal of affective disorders vol. 227 (2018): 330-337. doi:10.1016/j.jad.2017.11.020 ↩︎
  5. Ettehadi, Hosseinali, et al. “Aqueous extract of saffron (Crocus sativus) increases brain dopamine and glutamate concentrations in rats.” (2013). ↩︎
  6. Kim, Se Hyeuk, et al. “Proposed cytotoxic mechanisms of the saffron carotenoids crocin and crocetin on cancer cell lines.” Biochemistry and Cell Biology 92.2 (2014): 105-111. ↩︎
  7. Shakeri, Masihollah et al. “Toxicity of Saffron Extracts on Cancer and Normal Cells: A Review Article.” Asian Pacific journal of cancer prevention : APJCP vol. 21,7 1867-1875. 1 Jul. 2020, doi:10.31557/APJCP.2020.21.7.1867 ↩︎
  8. Bhandari, Prasan R. “Crocus sativus L.(saffron) for cancer chemoprevention: a mini review.” Journal of traditional and complementary medicine 5.2 (2015): 81-87. ↩︎
  9. Su, Xin, et al. “The beneficial effects of saffron extract on potential oxidative stress in cardiovascular diseases.” Oxidative medicine and cellular longevity 2021.1 (2021): 6699821. ↩︎
  10. Kamalipour, Maryam, and Shahin Akhondzadeh. “Cardiovascular effects of saffron: an evidence-based review.” The journal of Tehran Heart Center vol. 6,2 (2011): 59-61. ↩︎
  11. Ranjbar, Hossein, and Akram Ashrafizaveh. “Effects of saffron (Crocus sativus) on sexual dysfunction among men and women: A systematic review and meta-analysis.” Avicenna journal of phytomedicine vol. 9,5 (2019): 419-427. ↩︎
  12. Maleki-Saghooni, Nahid et al. “A systematic review and meta-analysis of clinical trials on saffron (Crocus sativus) effectiveness and safety on erectile dysfunction and semen parameters.Avicenna journal of phytomedicine vol. 8,3 (2018): 198-209. ↩︎
  13. Kashani, Ladan et al. “Crocus sativus (saffron) in the treatment of female sexual dysfunction: a three-center, double-blind, randomized, and placebo-controlled clinical trial.” Avicenna journal of phytomedicine vol. 12,3 (2022): 257-268. doi:10.22038/AJP.2022.19714 ↩︎
  14. Bostan, Hasan Badie et al. “Toxicology effects of saffron and its constituents: a review.Iranian journal of basic medical sciences vol. 20,2 (2017): 110-121. doi:10.22038/ijbms.2017.8230 ↩︎

Leave a Comment