महिलाओं के लिए मधुमक्खी पराग के फायदे – मुख्य 5 लाभ

मधुमक्खी पराग में विटामिन, खनिज, के साथ एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। महिलाओं के लिए मधुमक्खी पराग के फायदे क्या हो सकते हैं, आइये विस्तार से समझें।

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Anshika Sharma

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मधुमक्खी उत्पादों के उपयोग और लाभ से संबंधित विषयों पर हमेशा से ही लोगों की दिलचस्पी रही है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में विशेष रूप से मधुमक्खी पराग (Bee Pollen) के फायदों के प्रति लोग अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

पराग एक पाउडर पदार्थ होता है जो पौधों के नर प्रजनन कोशिकाओं से बना होता है। इन परागकणों को मधुमक्खियां फूलों से इकट्ठा करती हैं, ताकि अपने और लार्वा को पोषण युक्त भोजन दे सकें।

विभिन्न शोध यह दर्शाते हैं की मधुमक्खी पराग प्रोटीन, विटामिन, महत्वपूर्ण खनिज से भरपूर होता है। इसके अतिरिक्त इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- इंफ्लेटरी, एंटी-बैक्टीरल गुण पाए जाते हैं। कई शोध इसके उपयोग से विभन्न स्वास्थ्य लाभों के संभावनाओ को भी वर्णित करते हैं।1

आइये महिलाओं के लिए मधुमक्खी पराग के फायदे और कुछ संभावित नुकसान के बारे में समझते हैं। 

महिलाओं के लिए मधुमक्खी पराग के फायदे

प्रजनन क्षमता पर प्रभाव

मधुमक्खी पराग में उच्च पोषक तत्व जैसे खनिज, फैटी एसिड, आदि पाए जाते हैं, साथ ही कई सुरक्षात्मक एजेंट और फाइटोस्टेरॉल योगिक (फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक घटक और कैरोटीनॉयड) पाए जाते हैं। जो संभवतः महिला प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

खरगोशों पर हुए एक शोध में पाया गया की जिन खरगोशों के आहार में 0.2 ग्राम बी पॉलेन की खुराक दी गई, उनकी प्रजनन क्षमता 69.5% से बढ़कर 86.9% हो गई। साथ ही मधुमक्खी पराग के सेवन से अंडों की गुणवत्ता में सुधार, और एस्ट्रोजन हार्मोन जो की एक महत्वपूर्ण महिला हार्मोन है उसके स्तर में सुधार और गर्भधारण के लिए आवश्यक हार्मोन को संतुलित करने की संभावनाओं को भी दर्ज किया गया।2

हालाँकि मनुष्यों के प्रजनन स्वास्थ्य पर मधुमक्खी पराग के प्रभाव की सटीक जानकारी के लिए अभी विस्तृत शोध होना अनिवार्य है। 

रजोनिवृत्ति के लक्षणों में कमी

मधुमक्खी पराग और मधुमक्खी द्वारा निर्मित अन्य उत्पाद जैसे शहद, रॉयल जेली रजोनिवृत्ति के लक्षणों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। रजोनिवृत्ति महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ गर्भधारण करने की क्षमता में गिरावट होती है यह तब होता है जब मासिक धर्म स्थायी रूप से बंद हो जाता है और अंडाशय (ovaries) अंडे (eggs) का उत्पादन बंद कर देते हैं।3

एक अध्ययन में 46 स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं जो मेनोपॉज़ल लक्षणों का सामना कर रही थीं को दो समूहों में विभाजन किया गया। जिनमें से एक समूह को मधुमक्खी पराग और शहद का मिश्रण दिया गया, जबकि दूसरे समूह को सिर्फ शहद दिया गया था। परिणामस्वरूप 68.3% मरीजों ने रिपोर्ट किया कि शहद लेते समय उनके मेनोपॉज़ल लक्षणों में सुधार हुआ, जबकि तुलना में 70.9% ने पॉलन के साथ सुधार रिपोर्ट किया।4

त्वचा के लिए फायदेमंद

मधुमक्खी पराग विभिन्न त्वचा संबधी समस्याओं में फायदेमंद हो सकता है। क्योकि इसमें एंटीफंगल, सूजन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, साथ ही इसमें विटामिन C और अन्य त्वचा के लिए महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं।

मधुमक्खी पराग में मौजूद फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक एसिड के कारण इसमें जीवाणुरोधी और एंटीफंगल प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसके सूजनरोधी गुण त्वचा की सूजन को बढ़ने वाले वाले एंजाइमों को रोकने में उपयगी हो सकते हैं। इसमें पाए जतने वाले विटामिन C और खनिज कोशिकाओं को मजबूत करने, दाग-धब्बों को कम करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं।5

संभवतः मधुमक्खी पराग त्वचा की उम्र बढ़ने, त्वचा की सूखापन, पराबैंगनी बी विकिरण, ऑक्सीडेटिव क्षति, सूजन और मेलानोजेनेसिस के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिए स्वास्थ्य और कॉस्मेटिक उत्त्पादों में भी इसका उपयोग किया जाता है।6

महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार

मधुमक्खी पराग महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ने में योगदान से सकता है, और विभिन्न संक्रमण और अवांछित प्रतिक्रियाओं से बचा सकता है।

क्योकि मधुमक्खी पराग में महत्वपूर्ण बायोएक्टिव योगिक, प्रोटीन, और पोषक तत्वों की विस्तृत श्रंखला पाई जाती है, इसके अलावां इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने, कोशिका क्षति को रोकने, बहरी संक्रमण से बचाव करने में मदत कर सकते हैं।7

हृदय रोगों में फायदेमंद

मधुमक्खी पराग पर हुए कुछ अध्ययन यह दर्शाते है की मधुमक्खी पराग हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। संभवतः महिलाओं के हृदय के लिए भी यह फायदेमंद होगा।  

शोधकर्ताओं ने महिला चूहों पर प्रयोग किए और पाया कि मधुमक्खी पराग टीऑक्सिडेंट्स की तरह काम करता है जो हृदय की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को कम कर सकता है। और साथ ही रक्तचाप को कम करने और रक्त के थक्के को बनने से रोकने में भी मदद कर सकता है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के जमाव को रोकने में मदद कर सकता है, कोलेस्ट्रॉल धमनियों को अवरुद्ध करने और हृदय को नुकसान पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।8

हालाँकि महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य पर मधुमक्खी पराग के फायदों की सटीक जानकारी को जानने के लिए विस्तृत शोध की जरूरत है।

मोटापे और इससे जुड़ी समस्याओं में प्रभावी

मोटापा पूरे विश्व की बढ़ती हुई एक गंभीर समस्या है जो कई अन्य बिमारियों जैसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) को जन्म दे सकती है। मधुमक्खी पराग मोटापे और फैटी लिवर जैसी समस्याओं को कम करने में लाभकारी हो सकता है। क्योकि अध्ययनों से पता चला है कि फेनोलिक यौगिक पोषक तत्वों के अवशोषण, वसा चयापचय और वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।

अध्ययनों में पाया गया कि मधुमक्खी पराग पोलीसेकेराइड यकृत (लिवर) में वसा के संचय और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद करते हैं और यकृत (लिवर) को क्षति से बचाते हैं। मधुमक्खी पराग निकालने से रक्त कोलेस्ट्रॉल और वसा के स्तर को कम करने में भी मदद मिलती है जिससे मोटापा कम होता है।

महिलाओं पर मधुमक्खी पराग के नुकसान और सावधानियां

महिलाओं के स्वास्थ्य पर मधुमक्खी पराग के नुकसान की सभावनाएं भी हो सकती हैं।

एलर्जी 

मधुमक्खी पराग से एलर्जी और इससे सम्बन्धित कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं9

  • खुजली
  • चकक्तें
  • जीभ, होंठ और चेहरे पर सूजन

प्रकाश संवेदनशीलता प्रतिक्रिया (Photosensitivity Reaction)

अन्य खाद्य सप्लीमेंट के साथ मधुमक्खी पराग (बी पॉलेन) लेने से 36 साल की महिला को फोटोसेंसिटिविटी रिएक्शन देखने को मिला, हालाँकि कुछ दवाइयों के इस्तेमाल से उसकी त्वचा की समस्या धीरे-धीरे ठीक हो गई। यह प्रतिक्रिया सूर्य के प्रकाश या पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश के संपर्क में आने के बाद होती है।10

प्रकाश संवेदनशीलता प्रतिक्रिया के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

  • लालपन
  • खुजली
  • जलता हुआ
  • छाले पड़ना
  • सूजन

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया

रक्त सम्बन्धी विकारों की दवाओं के साथ मधुमक्खी पराग लेना से हानिकारक प्रभाव देखने को मिल सकता है जिसमें अधिक रक्तस्राव, चोट लगने की संभावना का बढ़ना, चोट का जल्दी ठीक ना होना, आदि शामिल है।

महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए

गर्भवती महिलाओं और स्तन-पान करने वाली महिलाओं को मधुमक्खी पराग के सेवन करने से कई स्वास्थ्य परेशानियों का समना करना पड़ सकता है। हालाँकि सटीक जानकारी के लिए विस्तृत शोध की जरूरत है।11

निष्कर्ष

मधुमक्खी पराग पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है इसलिए इसके स्वास्थ्य सम्बन्धी कई लाभ देखने को मिल सकतें हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी मधुमक्खी परग के फायदे देखने को मिल सकता है जैसे उनकी प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है, रजोनिवृत्ति के लक्षणों में सुधार हो सकता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार देखने को मिल सकता है, त्वचा और ह्रदय सम्बन्धी फायदे देखने को मिल सकते हैं।

हालाँकि मधुमक्खी पराग के सेवन से कुछ महिलाओं में नुकसान की संभावना भी रहती है जिसमें एलर्जी, प्रकाश संवेदनशील प्रतिक्रिया, अन्य दवाओं के साथ रिएक्शन होना प्रमुख हैं। मधुमक्खी पराग के सेवन में गर्भवती और स्तन पान करने वाली महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए।

संदर्भ

  1. Rodríguez-Pólit C, Gonzalez-Pastor R, Heredia-Moya J, Carrera-Pacheco SE, Castillo-Solis F, Vallejo-Imbaquingo R, Barba-Ostria C, Guamán LP. Chemical Properties and Biological Activity of Bee Pollen. Molecules. 2023; 28(23):7768. https://doi.org/10.3390/molecules28237768 ↩︎
  2. Abdelnour, Sameh A., et al. “Beneficial impacts of bee pollen in animal production, reproduction and health.” Journal of animal physiology and animal nutrition 103.2 (2019): 477-484. ↩︎
  3. Fouad, Suzanne, et al. “Bee Products for Relieving Menopausal Symptoms.Open Access Macedonian Journal of Medical Sciences 10.B (2022): 632-638. ↩︎
  4. Münstedt, Karsten et al. “Bee pollen and honey for the alleviation of hot flushes and other menopausal symptoms in breast cancer patients.Molecular and clinical oncology vol. 3,4 (2015): 869-874. doi:10.3892/mco.2015.559 ↩︎
  5. Kurek-Górecka A, Górecki M, Rzepecka-Stojko A, Balwierz R, Stojko J. Bee Products in Dermatology and Skin Care. Molecules. 2020; 25(3):556. https://doi.org/10.3390/molecules25030556 ↩︎
  6. Xi, Xiaozhi et al. “The Potential of Using Bee Pollen in Cosmetics: a Review.Journal of oleo science vol. 67,9 (2018): 1071-1082. doi:10.5650/jos.ess18048 ↩︎
  7. Fatrcová-Šramková, Katarína et al. “Antioxidant and antimicrobial properties of monofloral bee pollen.Journal of environmental science and health. Part. B, Pesticides, food contaminants, and agricultural wastes vol. 48,2 (2013): 133-8. doi:10.1080/03601234.2013.727664 ↩︎
  8. Khalifa, Shaden A M et al. “Bee Pollen: Current Status and Therapeutic Potential.Nutrients vol. 13,6 1876. 31 May. 2021, doi:10.3390/nu13061876 ↩︎
  9. Choi, Jeong Hee et al. “Bee Pollen-Induced Anaphylaxis: A Case Report and Literature Review.Allergy, asthma & immunology research vol. 7,5 (2015): 513-7. doi:10.4168/aair.2015.7.5.513 ↩︎
  10. Palanisamy, Akilesh et al. “Photosensitivity reaction in a woman using an herbal supplement containing ginseng, goldenseal, and bee pollen.Journal of toxicology. Clinical toxicology vol. 41,6 (2003): 865-7. doi:10.1081/clt-120025353 ↩︎
  11. AbdEl-Gawad, Eman I. “Potential impact of bee pollen administration during pregnancy in rats.J Am Sci 6 (2010): 44-53. ↩︎

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