क्या पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक है?

गर्भवती महिलाओं में पपीता फल के सेवन से संबंधी कई संकाय देखने को मिलती हैं की क्या पपीता उनके लिए फायदेमंद होता हैं या इसके सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

Author:

Anshika Sharma

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गर्भवती महिलाओं के लिए पपीता के फायदे और नुकसान को समझने के लिए इसके गुणों को समझना बहुत जरूरी है।

अक्सर पूरी तरह से पके हुए पपीता के फल का सेवन करना लोगों को बहुत पसंद होता है और इसके कच्चे फल का सेवन भी लोगों में लोकप्रिय है। इसके कच्चे फल की सब्जी कुछ लोगों को बहुत पसंद होती है।  

गर्भवती महिलाओं पर पपीते के सेवन के प्रभाव को समझने के लिए, पके और कच्चे पपीते के गुणों की तुलना करना आवश्यक है:

पका हुआ पपीता (पीला छिलका):

  • बीटा-कैरोटीन
  • कोलीन
  • फाइबर
  • फोलेट
  • पोटैशियम
  • विटामिन ए, बी और सी

कच्चा पपीता (हरा छिलका):

  • लेटेक्स
  • पपैन

हालाँकि पके पपीता की तरह ही कच्चे पपीता में कई विटामिन और खनिज पाए जाते हैं लेकिन इसमें लेटेक्स, और पपैन नमक दो योगिक भी मौजूद होते हैं जो प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं पर पके पपीते का प्रभाव

पका हुआ पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण का एक बेहतर स्त्रोत है क्योकि इसमें विटामिन A, C, E, फोलेट, फाइबर, और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं।1

  • यह उनके मेटाबोलिज़म को बेहतर करने में मदद कर सकता है।
  • इसमें फाइबर होता है इसलिए यह पाचन को सुधारने और कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
  • इसमें मौजूद विटामिन C और अन्य पोषक तत्व ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  • इसमें फोलेट होता है जो भ्रूण के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।

ध्यान दें: पूरी तरह से पके पपीते में लेटेक्स और पपैन एंजाइम ना के बराबर पाए जाते हैं।

गर्भवती महिलाओं पर कच्चे पपीते का प्रभाव

प्रेगनेंसी में कच्चा पपीता खाने से मिसकैरेज होने का खतरा बढ़ जाता है। यानि अगर गर्भवती महिलाओं के द्वारा कच्चे पपीते का सेवन किया जाता है तो गर्भपात होने का खतरा अधिक हो सकता है।2

कच्चे पपीते में लेटेक्स होता है, जिसमें पपैन नामक एंजाइम पाया जाता है। यह गर्भाशय (uterus) की मांसपेशियों को उत्तेजित कर सकता है, जिससे वे मांसपेशियां सख्त होकर सिकुड़ने लगती हैं, जो गर्भपात (miscarriage) या समय से पहले प्रसव (preterm labor) का कारण बन सकता है।

हालाँकि गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में यह संकुचन आमतौर पर प्रसव के समय स्वाभाविक रूप से होता है, लेकिन कच्चे पपीते का सेवन यह प्रक्रिया समय से पहले शुरू कर सकता है।

एक शोध में शोधकर्ताओं ने गर्भवती चूहों पर पके पपीते के रस और कच्चे पपीते के लेटेक्स के प्रभावों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि पका हुआ पपीता खाने से माँ या शिशु चूहों को कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन कच्चे पपीते के लेटेक्स से उनके गर्भाशय में संकुचन हुआ, जो प्रसव को प्रेरित करने वाली दवाओं के प्रभावों के समान था। यानि कच्चा या अधपका पपीता गर्भ के लिए जोखिमों भरा हो सकता है।3

एक अन्य अध्ययन में पपीते के गर्भनिरोधक प्रभावों की जांच किया गया। वयस्क चूहों को इसके कच्चे और पके पपीते के विभिन्न हिस्सों को खिलाया गया। परिणामों से पता चला कि उनमें कच्चा पपीता मासिक धर्म चक्र को बाधित करता है और गर्भपात का कारण बनता है। जैसे-जैसे पपीता पकता है, इसका गर्भपात कराने वाला गुण कम होता जाता है।4

ध्यान दें: कच्चा या अधपका पपीता गर्भावस्था के दौरान जोखिम भरा हो सकता है। हालांकि ये निष्कर्ष पशुओं पर किए गए शोध पर आधारित हैं, इसलिए मनुष्यों पर इसके प्रभाव की सटीक जानकारी के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। फिर भी, गर्भवती महिलाओं को कच्चे पपीते के सेवन में सावधानी बरतना समझदारी होगी।

गर्भवती महिलाओं के लिए पपीता सेवन में सावधानियां

1. जानवरों पर हुए शोध यह दर्शाते हैं की कच्चे पपीता का सेवन उनमें मिसकैरेज के जोखिम को बढ़ा देता है। इसलिए मनुष्यों पर इसके संभावनाओं को देखने हुए गर्भवती  महिलाएं कच्चे और अधपके पपीते के सेवन से बचें।

2. पके पपीते की पहचान करने में कुशल बनें:

– पके हुए पपीते का छिलका पीला या नारंगी रंग में बदल जाता है। अगर पपीता के छिलके पर हरे रंग के धब्बे दिखाई दें तो अधिक संभावना है की वह कच्चा या अधपका है।

– पका हुआ पपीता मीठी और हल्की सुगंध देता है। अगर कोई खट्टी या खराब गंध आ रही हो, तो वह सड़ने लगा हो सकता है।

ध्यान दें: अगर गर्भवती महिलाएं कच्चे और पके पपीते को पहचानने में सक्षम नहीं हैं, तो जोखिम से बचने के लिए पपीता खाने से पूरी तरह परहेज करना बेहतर होगा।

3. कच्चे पपीते से कई तरह के खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं, इसलिए गर्भवती महिलाएं यह सुनिश्चित करें कि उनके भोजन में कच्चा पपीता तो शामिल नहीं है।

4. पके हुए पपीते का बहुत अधिक सेवन भी स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है इसलिए अधिक सेवन करने से परहेज करें।

5. गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है इसलिए कच्चे या पके पपीते का अपने खाद्य में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होगा।

निष्कर्ष

पपीता पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। गर्भवती महिलाओं के लिए पूरी तरह से पका हुआ पपीता फायदेमंद हो सकता है, यह पाचन को बेहतर बना सकता है, मेटाबॉलिज्म को बढ़ा सकता है, और ऊर्जा प्रदान कर सकता है। इसमें मौजूद विटामिन ए और सी भ्रूण के विकास के लिए भी जरूरी होते हैं।

हालांकि, कच्चा पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है। इसमें मौजूद पेपेन नामक एंजाइम गर्भाशय प्रीमैच्योर लेबर या गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता खाने से बचना चाहिए, और अगर आप पके और कच्चे पपीते को पहचानने में सक्षम नहीं हैं तो पपीता खाने से परहेज करना फायदेमंद होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कच्चे पपीते से गर्भ कैसे गिराए?

हालांकि जानवरों पर किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कच्चा पपीता गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है, लेकिन यह गर्भपात का एक सुनिश्चित तरीका नहीं है। गर्भपात कराने के लिए कृपया किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क करें।

गर्भवती महिलाओं को पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए?

कच्चा पपीता गर्भावस्था के दौरान खाने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, पूरी तरह से पका हुआ पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए कई पोषक तत्व प्रदान करता है। हालांकि, अगर आप कच्चे और पके पपीते में अंतर करने में असमर्थ हैं, तो सावधानी बरतते हुए पपीता खाने से बचना ही बेहतर है।

पपीता खाने से कितने दिन में गर्भपात हो सकता है?

कच्चा पपीता गर्भपात का कारण बन सकता है। हालांकि, यह गर्भपात का एक सुरक्षित या प्रभावी तरीका नहीं है। इसलिए समय का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। गर्भपात से संबंधित सही जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करना उचित होगा।

संदर्भ

  1. Chuwa, Caresma, and Anju K. Dhiman. “Ripe papaya: Nutrition and health benefits.” Emerging Challenges in Agriculture and Food Science 6 (2022): 56-64. ↩︎
  2. Adebiyi, Adebowale, P. Ganesan Adaikan, and R. N. V. Prasad. “Papaya (Carica papaya) consumption is unsafe in pregnancy: fact or fable? Scientific evaluation of a common belief in some parts of Asia using a rat model.” British Journal of Nutrition 88.2 (2002): 199-203. ↩︎
  3. Adebiyi, Adebowale et al. “Papaya (Carica papaya) consumption is unsafe in pregnancy: fact or fable? Scientific evaluation of a common belief in some parts of Asia using a rat model.” The British journal of nutrition vol. 88,2 (2002): 199-203. doi:10.1079/BJNBJN2002598 ↩︎
  4. Gopalakrishnan, M, and M R Rajasekharasetty. “Effect of papaya (Carica papaya linn) on pregnancy and estrous cycle in albino rats of Wistar strain.” Indian journal of physiology and pharmacology vol. 22,1 (1978): 66-70. ↩︎

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