महिलाओं के लिए मातृत्व की यात्रा एक अविश्वसनीय और परिवर्तनकारी अनुभव होता है, जिसकी शुरुआत महिला के लिए गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण को पहचान कर होती है, जब उन्हें पहला अनुभव होता है की वह प्रेग्नेंट हैं।
गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान महिला के शरीर में अनेक बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, हालाँकि यह बदलाव गर्भवती महिलाओं में मानशिक तौर पर भी देखे जा सकते हैं। गर्भावस्था की पहचान उन बदलावों यानी गर्भावस्था के लक्षण को देख कर एक महिला कर सकती है। लेकिन कुछ महिलाओं के लिए अचनाक शरीर में यह परिवर्तन या गर्भावस्था लक्षण चिंता का विषय बन जाता है वह इसको किसी बीमारी से जोड़ कर देखने लगती हैं।
इसलिए महिला के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है खास कर गर्भ धारण कर चुकी महिलाओं के लिए की वह गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों को बारीकी से समझे ताकी वह अपनी प्रेग्नेन्सी होने का पता आसानी से लगा पाएं और उन अनुभवों या लक्षणों को किसी अन्य बीमारी से जोड़ कर ना देखें।
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण पहली बार गर्भ धारण करने वाली किसी भी महिला के लिए एक खास अनुभव होता है। हालाँकि एक महिला जन्म से लेकर बुढ़ापे तक किसी ना किसी शरीरक बदलाव का अनुभव करती हैं। लेकिन पहला गर्भ धारण करने के बाद शारीरिक और मानशिक बदलाव की यह प्रकिरिया थोड़ी तेज हो जाती है। जो गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण से अनजान महिला के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। इसलिए चलिए विस्तार से समझते हैं की वह लक्षण कौन से होते हैं ताकि महिला आसानी से प्रेग्नेंसी का पता लगा पाए।
मासिक धर्म (Periods) की अनुपस्थिति
मासिक धर्म (Periods) लगभग 10 से 15 साल की उम्र से शुरू होकर लगभग 45 से 50 साल तक रहता है। मासिक धर्म के होने का अर्थ होता है की महिला में एग्स का निर्माण हो रहा है और वह माँ बन सकती हैं। अगर सेक्स के बाद किसी महिला के मासिक धर्म आना बंद हो जाते हैं तो यह गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण से जोड़ कर देखा जा सकता है।
लेकिन कुछ महिलाओं में किसी कारण से पीरियड अनियमित हो जाता है जिस कारण से पीरियड आने में देरी होती है या परियड आना बंद भी हो जाते हैं, जो किसी बीमारी का संकेत हो सकता है। अपने गर्भधारण कर लिया है यह यकीन करने से पहले इस बात पर भी ध्यान रखें।
स्तनों के आकार में बदलाव
गर्भधारण करने के बाद महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आना शुरू हो जाते है, जिस कारण से महिला के स्तनों में भी तेजी से बदलाव देखे जा सकते हैं जैसे स्तनों के आकर में वृद्धि, सूजन होना और भारीपन महसूस होना, आदि।
इस दौरान स्तन अधिक सेंसेटिव भी हो जाते हैं और हो सकता है की शुरुआती दिनों में महिला थोड़ा असहज भी महसूस करे, लेकिन यह कुछ हप्तों बाद सही हो जाता है
मतली और उल्टी महसूस होना
समान्यतः यह देखा गया है की गर्भधारण करने के बाद जी मचलने के साथ साथ उल्टी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, जो अक्सर प्रेग्नेंसी से 1 या 2 महीने बाद शुरू होता है। प्रेगनेंसी के दौरान यह लक्षण क्यों होते हैं इसका कारण अभी अज्ञात है, हो सकता है की प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन में होने वाले बदलाव इसका एक मुख्य कारण हो।
हालाँकि ध्यान देने वाली बात यह है की कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी के लक्षण देखने को नहीं भी मिलते हैं।
निप्पल के रंग में बदलाव
गर्भधारण करने के बाद अक्सर स्तन के निप्पल के रंग में बदलाव देखने को मिल सकता है, समान्यतः निप्पल का रंग गाढ़ा हो सकता है, इसके साथ ही वह पहले से अधिक सवेदनशील भी हो सकता है।
निप्पल के रंग में बदलाव आना शरीर में हार्मोनल बदलाव पर निर्भर करते हैं इसलिए कुछ महिलाओं में निप्पल में कुछ खास बदलाव अनुभव नहीं हो सकते हैं।
इम्प्लांटेशन रक्तस्राव
रक्तस्राव गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण में से एक हो सकता है, जिसे प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव, इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding) या लाइट ब्लीडिंग भी कहा जाता है, जो गर्भ धारण करने के 10 से 14 दिनों बाद होता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्यों होता है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग इसलिए होती है क्योकि फर्टाइल एग (निषेचित अंडा) गर्भाशय की दीवार पर चिपक जाता है यानी आरोपित हो जाता है जिस कारण से थोड़ा खून निकलता है, जो हल्के लाल या हल्के पिंक लाल रंग का होता है जो आम पीरियड के रंग जैसा नहीं होता है।
क्या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग सबको होती है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कई महिलाओं में देखने को मिलता है लेकिन कई महिलाओं में यह नहीं भी देखने को मिलता है।
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बार-बार पेशाब लगना
अधिकांश महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक पेशाब लगने के लक्षण भी देखे जाते हैं क्योकि प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में खून की मांग बढ़ जाती है जिस कारण से गुर्दे ज्यादा मात्रा में पानी को संशोधित करते है। इसके अलावां प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय यूरिनरी ब्लैडर पर प्रेशर डालता है जिस कारण की वजह से भी बार-बार पेशाब लग सकता है।
थकान महसूस करना
गर्भावस्था के दौरान थकान महसूस करना एक सामान्य लक्षण है, जो प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में महसूस होता है। हालाँकि प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके परिणाम स्वरूप प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन में भी वृद्धि होती है जो थकन की वजह हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीनों तक थकान के साथ अधिक नीद भी लगती है। हालाँकि अधिक नींद लगाने के पीछे का मुख्य कारण अभी अज्ञात है लेकिन हार्मोन में बदलाव इसका कारण भी हो सकता है।
पेट में मरोड़ और दर्द होना
गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द, सूजन और मरोड़ हो सकता है। गर्भावस्था के शुरूआती सप्ताह में अपच जैसी समस्या होना भी आम है क्योकि इस दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है जो थकान के साथ अपच जैसी समस्या पैदा करता है जिससे पेट में गैस बनती है और दर्द, कब्ज, सीने में जलन, तनाव, सूजन और मरोड़ जैसे समस्याएं होती हैं।
मूड में बदलाव
प्रेग्नेंसी दौरान शरीर में बड़े पैमाने पर हार्मोनल बदलाव होतें हैं, जिसके कारण भावनाओं में बहुत अधिक उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है जिसके कारण कई महिलाएं चिड़चिड़ी हो सकती हैं या अधिक भावुक हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग होना बहुत आम होता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है की मूड में बदलाव जैसे प्रेग्नेंसी के लक्षण महिलाओं में भिन्न हो सकते है।
लेकिन लम्बे समय तक तनाव या चिड़चिड़ापन रहना एक गंभीर समस्या हो सकती है इसलिए इस स्थिति में डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
खाना अच्छा ना लगाना
प्रेग्नेंसी के दौरान मुँह का स्वाद बदल जाता है और खाने के गंध के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। यैसा निश्चित तौर पर हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। इसलिए हो सकता है रोज मर्रा के खाना खाने का मन ना करें।
भूख और प्यास बढ़ना
प्रेगनेंट होने के बाद शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है और खून का निर्माण भी तेजी से होने लगता है, जिस वजह से भूख ज्यादा मात्रा में लग सकती है।
कमजोरी और चक्कर आना
प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में कमजोरी और चक्कर आने जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं क्योकि शरीर को ज्यादा पोषक तत्वों और ताकत की जरूरत होती है जिसके कमी से कमजोरी और चक्कर आने के लक्षण हो सकते हैं।
नाक बंद होना
प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन में बड़े पैमाने पर बदलाव होते हैं और हार्मोन की मात्रा बढ़ती है, जिस कारण से नाक के अंदर पाए जाने वाली श्लेष्मा झिल्ली का आकर बढ़ जाता है, जिससे नाक बंद होना महसूस होता है और साँस लेने में दिक्क्त मख्सूस होती है।
फुंसी और मुहांसे
चहरे पर मुहांसे होने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं हालाँकि यह प्रेग्नेंसी की वजह से नहीं बल्कि प्रेग्नेंसी के कारण शरीर में आये हार्मोनल बदलाव के कारण होता है।
ध्यान देने वाली बात यह है की प्रत्येक महिला का शरीर भिन्न होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरन उनमें उत्पन्न लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिल सकता है। पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं के लिए, जो गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण से अनजान होती हैं, यह चिंता का विषय बन सकता है, क्योकि वह इन लक्षणों को किसी बीमारी से जोड़ कर देखती हैं। गर्भावस्था के लक्षणों को पहचान कर महिलाये किसी बीमारी की चिंता से मुक्त हो सकती हैं और अपनी प्रेग्नेंसी का अनुमान भी लगा सकती हैं।
गर्भावस्था के लक्षण जैसे मासिक धर्म का ना होना, स्तनों के आकार में बदलाव, मतली और उल्टी महसूस होना, निप्पल के रंग में बदलाव, इम्प्लांटेशन रक्तस्राव, बार-बार पेशाब लगना, थकान महसूस करना आदि हो सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है की प्रत्येक महिला का शरीर भिन्न होता है इसलिए उनमे गर्भावस्था के लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं।