Gathiya rog in Hindi | गठिया के लक्षण, कारण और उपचार

gathiya rog in hindi – अगर आप यह सोचते आ रहे थे की गठिया रोग केवल बुजुर्ग लोगों को होता है तो आपका यह सोचना बिलकुल गलत है। क्योकि आज की बदलती जीवनशैली और गलत खान पान के कारण यह रोग नौजवानो में भी देखा जा रहा है चाहे वह ...

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Brijesh Yadav

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gathiya rog in hindi – अगर आप यह सोचते आ रहे थे की गठिया रोग केवल बुजुर्ग लोगों को होता है तो आपका यह सोचना बिलकुल गलत है।

क्योकि आज की बदलती जीवनशैली और गलत खान पान के कारण यह रोग नौजवानो में भी देखा जा रहा है चाहे वह किसी भी लिंग के क्यों न हों।

अर्थराइटिस(Arthritis) या गठिया(Gathiya) भयानक दर्द के साथ हमारे सामान्य जीवन को बहुत कष्टदाई बना देता है।

इसलिए चाहिए जानते हैं गठिया रोग क्या है, लक्षण और इलाज के बारे में ताकि आप इस रोग से अपने आपको सुरक्छित रख पाएं।

जाने – गले में ख़राश व दर्द: लक्षण, कारण, इलाज

गठिया बीमारी क्या होता है? Gathiya rog in Hindi

(Gathiya rog in hindi) गठिया जोड़ों में होने वाली एक समस्या है, जिसमे व्यक्ति के हाथ, पैर आदि के किसी भी जोड़ों में भयानक दर्द होता है और सूजन आ जाती है।

हालाँकि (arthrits) गठिया व्यक्ति के एक या एक से ज्यादा जोड़ों में एक समय पर भी हो सकता है।

हाथ, पैर आदि के जोड़ों में उपस्थित कार्टिलेज उत्तक, जो जोड़ों के सही कार्य के लिए जिम्मेदार होते हैं किसी कारण से नुकशान हो जाने पर जलन सूजन और दर्द उत्त्पन होता है और इस स्थिति को ही गठिया या आर्थराइटिस कहा जाता है।

क्योकि जोड़ों की वजह से ही हम अपने शरीर को फंग्शन में ला पते हैं और अगर उनमे कोई प्रॉब्लम आती है तो शरीर फंगसनल नहीं रहता है जो काफी तकलीफदेह स्थिति है।

हालाँकि गठिया (arthrits) की बीमारी बुजुर्गों में जिसकी उम्र 65 साल से अधिक होती है उनमे अधिक देखने को मिलता है लेकिन आज कल की परिस्थिति में यह युवाओं को भी चपेट में ले रहा है।

गठिया के विभिन्न प्रकार। Types of arthritis in Hindi

गठिया (arthrits) के होने के कारण और स्थिति को देखते हुए इसको कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन गठिया के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:-

  • रुमेटीइड गठिया:- इस प्रकार के गठिया में हमारा तंत्रिका तंत्र या कहलें हमारा इम्यून सिस्टम ही जोड़ों में मौजूद उत्तकों पर हमला करने लगता है। जीससे गठिया की सम्भावना बढाती है।
  • ऑस्टियो आर्थराइटिस:- चोट या इंफेक्शन से इस प्रकार की गठिया होने की सम्भावना होती है।
  • सोरियाटिक गठिया:- यह सोरायसिस रोग से पीड़ित व्यक्ति में विकसित होती है
  • पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस:- इस प्रकार के गठिया में कार्टिलेज उत्तक बार बार तनाव के कारण टूट जाते हैं
  • किशोर गठिया:- 16 साल से कम बच्चो में इस प्रकार की गठिया होता है।

गठिया रोग होने का कारण। causes of arthritis in Hindi

 मुख्य रूप से गठिया (arthrits) रोग होने का कारण जोड़ों के बीच में मौजूद कार्टिलेज उत्तक में होने वाली क्षति होता है। 

कार्टिलेज उत्तक हड्डियों के जोड़ों में मौजूद होते हैं जिनका मुख्य काम व्यक्ति के चलने फिरने पर हड्डियों के बीच उठने वाले दबाव को कम करना होता है और हडियों का आपस में रगड़ खाने से रोकना भी होता है।

कार्टिलेज उत्तक को नुकशान पहुंचने वाले कारकों:-

  • उम्र का बढ़ाना:- उम्र के बढ़ने के साथ ही कार्टिलेज उत्तकों में भी कमी और कमजोरी आने लगती है जो गठिया होने का संभावना को बढ़ा देता है।
  • चोट या इंफेक्शन:- किसी प्रकार का चोट भी कार्टिलेज उत्तकों को नुकशान पंहुचा सकता है जो ऑस्टियो आर्थराइटिस (गठिया) का कारण बनता है।
  • अनुवांशिक:- कई बार हड्डीओं में बीच कार्टिलेज उत्तक जो कमी माता पिता से बच्चे में आ सकती है इस कारण से अक्सर बच्चा जन्म से ही गठिया से पीड़ित होता है।
  • ऑटो इम्यून डिसॉर्डर:- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमे हमारा इम्यून सिस्टम ही शरीर के उत्तकों को नुकशान पहुंचने लगता है जिस वजह से कार्टिलेज उत्तकों भी इसकी चपेट में आ सकते हैं और रूमेटाइट अर्थराइटिस की इस्थिति पैदा हो सकती है।
  •  सिनोवियम की क्षति:- सिनोवियम हड्डियों के जोड़ों में पाए जाने वाला एक नर्म टिशू होता है जो एक प्रकार का लिक्विड निकलता है जो कार्टिलेज उत्तक को पोषण देने का काम करता है और जोड़ों पर चिकनाई बनता है इसके क्षति होने पर गठिया रोग की सम्भावना होती है।

गलत खान पीन और गलत दिनचर्या के कारण के अक्सर हमारे जेटिक्स में बदलाव देखने को मिलता है जिस कारण से वही जेनेटिक बदलाव हमारे बच्चों में जाने के पूरी सम्भावना होती है, और गठिया उन संभावनाओं में से एक है।

गठिया रोग होने के लक्षण। Gathiya ke lakshan in Hindi

हालाँकि गठिया डिजीज (arthrits) में जोड़ों में दर्द होना एक समान्य लक्षण होता है और यह लक्षण किसी में ज्याद तो किसी व्यक्ति में कम देखने को मिलता है।

इसके अतरिक्त गठिया के मरीजों में कुछ और लक्षण देखने को मिलते हैं:- (gathiya ke lakshan in hindi)

  • बुखार आना
  • पैर के अन्य मांसपेशियों में तनाव या दर्द मासूस होना
  • जोड़ों के आस पास गांठ बन जाना
  • जोड़ों के आस पास सूजन होना
  • कमजोरी महशुस करना

गठिया का इलाज कैसे किया जाता है? Gathiya bai ka ilaj

डॉक्टर गठिया का इलाज  (gathiya ka ilaaj) आपके लक्षण और कारण को देखने के बाद उसी प्रकार से करता है और विभन्न चिकित्सीय माध्यमों का इस्तेमाल कर सकता है।

डॉक्टर दर्द और सूजन को कम करने के लिए नॉन स्टीरॉयडल और एंटी- इन्फ्लामेट्री दवाइयां दे सकता है जैसे:- एसिटामोफेन , आइबुफ्रोफाइन। जोड़ों जी त्वचा पर लगाने के लिए कुछ जेल भी दे सकता है ताकि दर्द में रहत पहुंच सके।

रूमेटाइड गठिया के इलाज के लिए डिजीज मॉडिफाइंग और एंटी रूमेटाइड दवाएं भी दे सकता है।

फिजिकल थेरेपी के द्वारा भी डॉक्टर गठिया का इलाज करने की कोशिश कर सकता है। और कुछ व्यायाम जो गठिया के मरीजों के लिए सही होते है करने को कह सकता है।

कुछ इंजेक्शन जो गठिया वाली जगह पर लगाए जाते है जीससे इसके दर्द और सूजन से राहत मिलती है।

क्या गठिया के मरीजों को जर्जरी करनी पड़ती है:-

डॉक्टर के दवरा सर्जरी मरीज के गठिया के लक्षणों की तीव्रता और दूसरे इलाजों का फायदा न पहुंचने की स्थिति को देखने के बाद ही करने की सलह देता है। सर्जरी मुख्यतः 2 प्रकार से हो सकती है:-

  • जोड़ों को स्थाई रूप से जोड़ देना इसका इस्तेमाल अक्सर छोटे जोड़ों में किय किया जाता है जैसे कलाई, उंगलिया, टखना आदि
  • जॉइंट रेप्लेस्मेंट जिसमे जोड़ों को किसी कृत्रिम जोड़ के साथ बदल दिया जाता है। जैसे हिप रिप्लेसमेंट, घुटने रिप्लेसमेंट और शोल्डर रिप्लेसमेंट
  • जोड़ों की चिकनाहट को बढ़ने के लिए भी छोटी सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।

गठिया से बचाव। Prevention of arthrits in Hindi

गठिया (arthrits) की गंभीरता को देखते हुए इससे बचाव के तरीकों का इस्तेमाल समय रहते करना बहुत जरूरी है ताकि इस बीमारी के लक्षण हमें भविष्य में देखने को न मिलें।

  • ख़राब लाइफस्टाइल गठिया के विकास में एक अहम् भूमिका निभाती है इसलिए अपनी दिनचर्या में सुधार करना चाहिए:-
  • संतुलित और सवस्थ खाना खाना चाहिए:- अपने डाइट में संतुलित आहार को शामिल करें ताकि पर्याप्त मात्रा में आपके शरीर को पोषक तत्व प्राप्त हो सकें।
  • नियमित व्यायाम:- जोड़ों में जकड़न, तनाव, दर्द आदि को खत्म करना और भविष्य के लिए मजबूती मजबूती के लिए व्यायम बहुत जरूरी है।
  • फिसिकल एक्टिविटी बढ़ाएं:- गठिया के निदान के लिए शारीरिक एक्टिविटी को बढ़ाना बहुत जरूरी है, और किसी एक जगह पर लम्बे समय तक बैठे या खड़े न रहें। कम से कम 2 किलोमीटर की वाक जरूर करें।
  • जंक फ़ूड कम करें:- जंक फ़ूड में हाई मात्रा में कैलोरी होती है जो मोटापा का कारण बनती है और ही कई तरह की परेशानियों का कारण होती है इसलिए जंक फ़ूड का इस्तेमाल न करें।

कुल मिलकर एक बैलेंस, स्वस्थ लाइफस्टाइल को अपनाने से गठिया की सम्भावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है इसके अलावां और भी कई तरह की शारीरिक दिक्कतों और बीमारियों को दूर किया जा सकता है।

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