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Piliya ke lakshan, karn aur ilaj | पीलिया होगा जड़ से ख़त्म

piliya ke lakshan कारण उपचार के बारे में जानना बेहद जरूरी है अगर आप पीलिया को अच्छे से समझना चाहते हैं या अगर इसे हराना चाहते हैं। पीलिया के बारे में हमें जानना ही क्यों है क्योकि पीलिया किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति को हो सकता है जिससे ...

Author:

Brijesh Yadav

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piliya ke lakshan कारण उपचार के बारे में जानना बेहद जरूरी है अगर आप पीलिया को अच्छे से समझना चाहते हैं या अगर इसे हराना चाहते हैं।

पीलिया के बारे में हमें जानना ही क्यों है क्योकि पीलिया किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति को हो सकता है जिससे लिवर का फेल होने का और मृत्यु का खतरा भी रहता है। हालाँकि अधिकतर मामलों में यह नवजात बच्चों को प्रभावित करता है।

तो चलिए इस ब्लॉग पोस्ट में पीलिया को विस्तार से समझते हैं:-

पीलिया क्या होता है? What is jaundice in Hindi

पीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे त्वचा और आंख के सफ़ेद हिस्से में पीलापन आना सुरु हो जाता है। पीलापन होने का मुख्य कारण शरीर में बिलीरुबिन की बढ़ी हुई मात्रा होती है।

बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनता है। हालाँकि हमारा लिवर बिलीरुबिन को रक्त से फ़िल्टर करने का काम लगातार करता रहता है और इसे शरीर से बहार निकाल देता है।

लेकिन किसी कारण के वजह से बिलीरुबिन का निर्माण ज्यादा होने लग जाये या लिवर इसको सही से फ़िल्टर न कर पाए तो इसकी संख्या शरीर में ज्यादा होने लगती है

जिससे कई तरह की दिक्कते पैदा होने लग जाती है जैसे पीलिया, अनेमिया।

तो चलिए जानते है की पीलिया आखिर होता क्यों है

पीलिया होने के कारण। Cause of jaundice in Hindi

जैसा की अब हम जानते हैं की पलिया रोग होने के पीछे बिलीरुबिन का बढ़ा हुआ स्तर एक मुख्य वजह है।

शरीर में बहुत अधिक बिलीरुबिन हो जाने से इसे हाइपरबिलिरुबिनमिया के रूप में जाना जाता है, और यही त्वचा और आंखों में पीले रंग करता है।

आसान शब्दों में कहें तो पीलिया आमतौर ऐसे विकारों, रोगों या समस्याओं के कारण होता है जो या तो शरीर में अधिक बिलीरुबिन के उत्पादन का कारण बनता है या लिवर को इसे नष्ट करने से रोकता है।

बिलीरुबिन को बढ़ने वाले कारण:-

  • हेमोलिसिस जिसके कारण रेड ब्लड सेल को नुकसान होता है।
  • अस्ति मज्जा में लाल रक्त कोशिकाओं के बनाने में कोई दिक्कत आना।
  • हेपेटाइटिस या सिरोसिस की बीमारी।
  • लिवर का सही ढंग से काम न कर पाना।
  • किसी वायरस इन्फेक्शन के कारण हो सकता है।
  • पित्ताशय (Gallstones) में पथरी या पित्ताशय की थैली की सूजन।
  • ऑटोइम्म्युन डिसऑर्डर्स (Autoimmune disorders).
  • ऐलकोहल का अधिक इस्तेमाल।
  • दवाओं का साइड इफ़ेक्ट

जाने – अस्थमा क्यों होता है और इलाज क्या है?

पीलिया के प्रकार। Types of jaundice in Hindi

हालाँकि पीलिया के होने के कारण और लक्छण के आधार पर इसे कई प्रकार में विभाजित किया जा सकता है लेकिन मुख्य रूप से पीलिया को तीन प्रकार में विभाजित किया जा सकता है:-

  • प्री-हिपेटिक पीलिया
  • पोस्ट-हिपेटिक पीलिया
  • हेपेटिक पीलिया

पीलिया के लक्षण। Piliya ke lakshan in Hindi

आमतौर पर पीलिया के मुख्य लक्षणों (Piliya ke lakshan) में त्वचा का पीला पड़ना और आँखों के सफ़ेद भाग का पीला पड़ना होता है। लेकिन इसके अलावां कई अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं जैसे:-

नोट- ऐसी त्वचा जो भूरी या काली हो उसपर पीलापन कम नोटिस होता है।

  • अचानक वजन घंटना
  • बुखार होना
  • थकन व कमजोरी होना
  • पेशाब और मॉल का रंग का गाढ़ा होना
  • भूख न लगाना
  • उल्टी होना

हालाँकि यह लक्षण दुसरे अन्य शारीरिक दिक्कतों में भी हो सकते हैं लेकिन शरीर और आंख का पीलापन पीलिया का उच्च संकेत होता है।

इन लक्षणों को महसूस करते ही अपने डॉक्टर से सम्पर्क जरूर करें। जिससे पीलिया होने की सटीक पुष्टि किया जा सकेगा।

पीलिया नवजात बच्चों को क्यों हो जाता है?

एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 60 प्रतिसत बच्चों को पीलिया के लक्षण जन्म के 48 घंटों में हो जाता है क्योकि 3 से 4 दिन के बच्चे के लिवर सही से विकशित नहीं होता है इसलिए उसके शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा ज्यादा होती है।

इन दिक्कतों को देखते हुए एक नवजात बच्चे को एक हप्ते तक डॉक्टर के निगरानी में रहना चाहिए।

नवजात बच्चों में पीलिया होने के कारण:-

हालाँकि नवजात बच्चों में पीलिया अक्सर देखा जाता है, और कई मामलों में जब पीलिया का असर कम होता है तो यह अपने आप भी सही हो सकता है। बच्चों में इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-

  • थायरॉयड ग्रंथि का अंडरएक्टिव होना।
  • रीसस रोग इसमें महिला के एंटीबाडी बच्चे के रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है।
  • मूत्र मार्ग में किसी प्रकार की बढ़ा होना।
  • क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम इसमें बच्चे के शरीर में मौजूद एंजाइम बिलीरुबिन को नष्ट नहीं करते है।
  • पित्त नलिकाओं और पित्ताशय की थैली में किसी प्रकार की रुकावट।

पीलिया रोग की जटिलताएं। Complications of jaundice in Hindi

पीलिया रोग अपने साथ कई तरह की शारीरिक जटिलताएं लेकर आता है जैसे:-

  • एनेमिया जिसमे रेड ब्लड सेल की कमी हो जाती है।
  • कुछ मामलों में लिवर का फेलियर भी देखा जा सकता है।
  • मस्तिष्क को नुकशान हो सकता है।
  • बच्चों में कर्निकटेरस नामक रोग जो मस्तिष्क से सम्बंधित होता है हो सकता है।
  • पित्त में पथरी (gallstone) की समस्या हो सकती है और पित्त नाली में सूजन हो सकता है।

पीलिया का निदान कैसे किया जाता है? How is jaundice diagnosed in Hindi

पीलिया रोग का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले व्यक्ति के पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछ ताछ कर सकता है की उसके परिवार में किसी को पहले कभी पीलिया तो नहीं हुआ है।

डॉक्टर व्यक्ति के पेट, त्वचा, आँख और लिवर की जांच करेगा और पीलिया के लक्षण को नोटिस करने की कोशिश करेगा।

लिवर की, और पेट की अच्छे से जाँच करेने के लिए अल्ट्रासॉउन्ड, एक्सरे, एम आर आई का इस्तेमाल भी कर सकता है। इसके अलावां  इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेजनोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी) भी कर सकता है।

लिवर की बाओप्सी जाँच भी कर सकता है जिसके माधयम से लिवर में सूजन, सिरोसिस, कैंसर आदि की जाँच हो सकती है

इसके अलावां पीलिया होने के मुख्य कारणों की जांच करेगा जिसमे:-

  • बिलीरुबिन की जांच
  • लाल रक्त कोशिकाओं और सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की संख्या की जाँच
  • हेपेटाइटिस ए, बी और सी बिमारियों और इसके लक्षणों की janch

हालाँकि पीलिया रोग का उपचार और निदान उसके लक्षणों और प्रकार पर निर्भर करता है इसलिए पीलिया का इलाज डॉक्टर इसका पता लगाने के बाद ही सुरु करेगा।

पीलिया का रोकथाम और बचाव। prevention and treatment of jaundice

पीलिया होने से बचाव कर पाना संभव है। कहीं ना कहीं लिवर में आई गड़बड़ी ही पीलिया को बढ़ावा देता है इसलिए पीलिया से बचाव के लिए लिवर की उचित देखभाल करना बहुत जरूरी हो जाता है:-

  • संतुलित और सादा खाना लिवर को पर कम दबाव डालते हैं और स्वस्थ रखने में मदत करता है। इसलिए अपने डाइट में हरी साग सब्जिया का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • व्यायाम करना पूरे सेहत के लिए लाभदायक है इसलिए नियमित व्यायाम आपके लिवर के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
  • नशीले पदार्थो का सेवन करने से लिवर और हार्ट पर बहुत नेगेटिव असर होता है इसलिए इनके इस्तेमाल से बचाना चाहिए।
  • अपने आस पास सफाई रखना और साफ सुथरा रहना चाहिए और साफ पानी पीना चाहिए ऐसा करने से लिवर स्वस्थ रहता है।

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