“शिलाजीत” जब भी आप यह शब्द सुनते हैं, अधिकांश मामलों में आपके दीमक में इसकी छवि सेक्सुअल बूस्टर के रूप आती होगी, क्योकि इसको लोगों ने सिर्फ मर्दाना ताकत को बढ़ने वाली औषधि के रूप तक ही सिमित कर दिया है, लेकिन यह एक अधूरा सच है।
शिलाजीत का ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है, सदियों से इसका इस्तेमाल कई प्रकार की बिमारिओं को दूर भागने के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद में इसको जीवन शक्ति, कायाकल्प और दीर्घायु को बढ़ने वाली औषधि के रूप में वर्णित किया गया है।
इस ब्लॉग के जरिये, हम शिलाजीत से सम्बन्धित आपके मिथ्य को दूर करने का प्रयास करेंगे और शीलजीत के फायदों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, इसके उपयोग शुद्धता की पहचान करने का भी प्रयास करेंगे। इसके अतिरिक्त शिलाजीत के नुकसान का भी हम विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि शिलाजीत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करके आप अपने समग्र स्वस्थ को बढ़ा सकें।
शिलाजीत क्या होता है?
शिलाजीत दो शब्दों के मेल “शिला” + “जीत” से मिलकर बना है, शिला का अर्थ चट्टान होता है और जीत का अर्थ विजय होता है यानी शिलाजीत का शाब्दिक अर्थ चट्टानों को जितने वाला होता है, क्योकि यह दुर्लभ गुणकारी औषधि को मुख्यतः ऊँचे पहाड़ों की चट्टानों से ही प्राप्त किया जाता है।
शिलाजीत प्राकृतिक कार्बनिक-खनिज उत्पाद है जो कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह विशालकाय पहाड़ों की छोटी बड़ी गुफाओं में मौजूद धातुओं, पौधों, वनष्पति के घटकों से मिलकर बनता हैं और इस प्रक्रिया को पूरा होने में हजारों सालों का लम्बा प्रोसेस लगता है।
शिलाजीत एक भूरा या काला भूरा रंग का पदार्थ होता है। जिसमे से एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है, कई लोग उस गंध को गौ मूत्र जैसी बतातें हैं। कई शोध में यह पाया गया है की शिलाजीत में 86 प्रकार के खनिज तत्व मौजूद होते हैं, जो इसे एक बहुमूल्य औषधि बनाते हैं।1
शिलाजीत के फायदे
शिलाजीत में कई प्रकार से पोषक तत्वों के अलावां एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइन्फ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं जो इसे एक दिव्य औषधि बना देते हैं। शिलाजीत खाने के फायदे कई देखने को मिल सकते हैं तो चलिए विस्तार से समझते हैं:-
1. अल्जाइमर रोग में फायदा:- अल्जाइमर रोग मस्तिष्क से सम्बंधित रोग है, जिसमे व्यक्ति के सोचने समझने, निर्णय लेने की क्षमता और यादास्त में कमी आती है। कुछ रिसर्चर मानते हैं की शिलाजीत में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट “फुल्विक एसिड” (fulvic acid) अल्जाइमर रोग को होने से रोक सकता है2 या इसके प्रोसेस को धीमा कर देता है।3
2. टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ने में फायदेमंद:- कम टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों में शिलाजीत बहुत फायदेमंद शाबित हो सकता है। टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में पाए जाने वाला मुख्य सेक्स हार्मोन होता है, इसलिए जिन पुरुषों में यह काम होता है उनमे कई तरह की शारीरिक परेशानियां होती हैं जैसे – बालों का झड़ना, कम सेक्स ड्राइव होना, मांशपेशियां में कमजोरी आदि। शोध में यह पाया गया है की शिलाजीत पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकता है।4
3. एनीमिया में फायदा:- शरीर में आयरन की कमी हो जाने के कारण एनीमिया हो सकता है या खून की कमी हो सकता है, जिससे कई तरह की शारीरिक परेशानियां या लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे- थकान होना, कमजोरी महशूस करना, दिल की धड़कन में बदलाव, बेहोशी, अधिक नीद लगाना आदि। शिलाजीत जिसमे आयरन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है इसलिए इसका प्रतिदिन सेवन करने से आयरन की कमी धीरे-धीरे दूर हो सकती है और एनीमिया से राहत मिल सकती है।
4. बुढ़ापा रोधी गुण:- शिलाजीत में मौजूद फुलविक एसिड जैसे कई एन्टी ऑक्सीडेंट और एन्टी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जिसके कारण यह बुढ़ापा रोधी हो सकता है। शिलाजीत शरीर में मुक्त कणों और सेलुलर क्षति को कम करने में मदद कर सकता है, जो उम्र बढ़ने के दो प्रमुख कारक हैं। इसलिए शिलाजीत का नियमित सेवन करने से उम्र बढ़ने की रफ़्तार धीमी हो सकती है।
5. ह्रदय को स्वस्थ में फायदेमंद:- शिलाजीत के फायदे में ह्रदय के स्वास्थ को बनाये रखना भी शामिल है। चूहों पर हुए एक शोध में पाया गया की यह ब्लड प्रेसर को नियंत्रित रखने में फायदेमंद हो सकता है, जिससे ह्रदय पर अधिक जोर नहीं पहुँचता है जिस कारण से ह्रदय स्वस्थ रहता है।5
6. पुरुषों के बाँझपन में सुधार:- शिलाजीत पुरुषों में स्पर्म संख्या को बढ़ा सकता है जिससे पुरुषों में बाँझपन से निजाद मिल सकती है। एक शोध में पाया गया की शिलाजीत के सेवन करने वाले पुरुषों में यह पाया की उनके शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि हुई है जो पूरी तरह से स्वस्थ भी है।6
7. मानशिक रोगों से निजात:- यैसा पाया गया है की जिन लोगों में जिंक की मात्रा कम होती है वह डिप्रेशन, चिंता आदि कई मानसिक रोगों का शिकार हो जाते हैं। शिलाजीत में मौजूद 86 प्रकार के मिनिरल, एन्टी ऑक्सीडेंट और एन्टी इंफ्लेमेटरी गुण के साथ उसमे मौजूद जिंक से इसकी कमी दूर किया जा सकता है जो मानशिक बिमारिओं में लाभ पंहुचा सकता है।7
8. महिलाओं के पीरियड में सुधार:- महिलाओं के लिए भी शिलाजीत के फायदे हो सकते हैं जिसमें मासिक धर्म के अनियमित होना शामिल है। यह पीरियड साइकल को भी सुधरता कर सकता है, मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐठन में भी रहत पंहुचा सकता है।
इसके अतिरिक्त शिलाजीत के फायदे अन्य कई हो सकते हैं जैसे रोग प्रतिरोधक छमता का विकास आदि। हमने यहाँ केवल कुछ मुख्य फायदों के बारे में जिक्र किया है।
शिलाजीत के नुकसान
शिलाजीत एक नेचुरल औषधि है इसलिए इसका इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है। बसर्ते आप इसका नियंत्रित मात्रा में उपयोग करें और जिस शिलाजीत का इस्तेमाल आप कर रहे हैं वह नेचुरल हो और मिलावटी न हो।
कच्चे शिलाजीत यानी जिसका सुधिकरण नहीं किया गया हो उसके उपयोग से भी बचाना चाहिए क्योकि उसमे भारी धातु आयन, मुक्त कण, कवक और अन्य प्रदूषक हो सकते हैं जो आपको बीमार बना सकते हैं।
चलिए जानते हैं की शिलाजीत के नुकसान क्या हो सकते हैं:-
- एलर्जी जिसमे शरीर पर खुजली, चकत्ते, लालिमा आदि देखने को मिल सकता है।
- पेट सम्बन्धी दिक्क्तें जैसे दस्त, पेट दर्द आदि समस्याएं उजागर हो सकती हैं।
- हाई ब्लड प्रेसर की समस्या हो सकती है जिसमे आपके दिल की गति बहुत तेज हो सकती है इसलिए हाई ब्लड प्रेसर से पीड़ित व्यक्तियों को इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए।
- यह समझना भी बेहद जरूरी है की शिलाजीत में औषधीय गुण पाए जाते हैं इसलिए इसका इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और अगर आप किसी शारीरिक समस्या का सामना कर रहे तो इसके इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
शिलाजीत के उपयोग से सम्बन्धित सावधानियाँ
- हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योकि देखा गया है शिलाजीत ब्लड प्रेशर हो बढ़ा देता है।
- सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
- हेमोक्रोटोसिस से पीड़ित व्यक्ति को शिलाजीत के इस्तेमाल से बचना चाहिए। हेमोक्रोटोसिस बीमारी में शरीर में आयरन की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाता है, जो मधुमेह और दिल के बिमारियों का कारण बनता है।
- थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है जो रक्त कोशिका को नष्ट करने और कमजोर करता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अगर अक्सर आपकी हार्ट की गति बढ़ी रहती है और आपको अक्सर चक्कर आता है तो आपको शिलाजीत का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शिलाजीत के उपयोग से बचाना चाहिए या उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
अगर आप ऊपर बताये गए समस्याओं से पीड़ित हैं तो शिलाजीत के उपयोग से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। इसके अतरिक्त अन्य कई परेशानियाँ में भी डॉक्टर से सम्पर्क लेने की जरूर हो सकती हैं ताकि शिलाजीत के नुकसान से बचा जा सके।
शिलाजीत का उपयोग कैसे करें?
शिलाजीत के उपयोग करने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है की इसका इस्तेमाल कैसे करना चहिये और उम्र की इसमें क्या भूमिका होती है:-
एक स्वस्थ व्यक्ति को 200 से 250 मिलीग्राम शिलाजीत यानि एक चने के दाने जितना गुनगुने दूध में मिलकर इसका सेवन करना चहिये। अगर व्यक्ति बुजुर्ग है तो उसे दो से तीन महीने इसका इस्तेमाल रोजाना कर सकता है, और अगर जवान व्यक्ति है तो सप्ताह में 2 दिन से ज्यादा इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
इसका इस्तेमाल सुबह के वक्त करना सही होता है क्योकि यैसा करने से पूरे दिन शरीर में ऊर्जा महसूस होती है और रात में इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
हालाँकि शिलाजीत के इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें क्योकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति भिन्न होती है और डॉक्टर आपकी शारीरिक स्थिति की जाँच करके इसकी संतुलित मात्रा को निर्धारित करने में मदत कर सकता है।
असली शिलाजीत की पहचान कैसे करें?
आजकल शिलाजीत की पहचान कर पाना बहुत मुश्किल है क्योकि मिलावट करने वाले बहुत ही सफाई से मिलावट करते है। हालाँकि शिलाजीत से एक विशेष प्रकार की गंध आती है, जिसको सूंघ कर पहचान किया जा सकता है, लेकिन नकली शिलाजीत में थोड़ी सी असली शिलाजीत मिलाकर ही वैसी गंध प्राप्त किया जा सकता है। असली शिलाजीत की पहचान लैब टेस्ट के द्वारा ही किया जा सकता है, मेडिकल टेस्ट में यह पता लगाया जाता है की शिलाजीत में उपयुक्त पोषक तत्व मौजूद हैं।
शिलाजीत किसे नहीं खाना चाहिए?
ब्लड प्रेशर, हाइपर टेंशन, हेमोक्रोटोसिस, सिकलसेल एनीमिया, और किडनी की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को शिलाजीत के उपयोग करने से बचाना चाहिए या उपयोग करने से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श लेना चाहिए।
संदर्भ
- Aldakheel, R. K., et al. “Rapid determination and quantification of nutritional and poisonous metals in vastly consumed Ayurvedic herbal medicine (Rejuvenator Shilajit) by humans using three advanced analytical techniques.” Biological Trace Element Research (2021): 1-18. ↩︎
- Cornejo, Alberto, et al. “Fulvic acid inhibits aggregation and promotes disassembly of tau fibrils associated with Alzheimer’s disease.” Journal of Alzheimer’s disease 27.1 (2011): 143-153. ↩︎
- Carrasco-Gallardo, Carlos, Leonardo Guzmán, and Ricardo B. Maccioni. “Shilajit: a natural phytocomplex with potential procognitive activity.” International Journal of Alzheimer’s disease 2012 (2012). ↩︎
- Pandit, S., et al. “Clinical evaluation of purified Shilajit on testosterone levels in healthy volunteers.” Andrologia 48.5 (2016): 570-575. ↩︎
- Gaikwad, N. S., et al. “Effect of shilajit on the heart of Daphnia: A preliminary study.” Journal of Ayurveda and integrative medicine 3.1 (2012): 3. ↩︎
- Mishra, Raghav Kumar, Ashish Jain, and Shio Kumar Singh. “Profertility effects of Shilajit on cadmium‐induced infertility in male mice.” Andrologia 50.8 (2018): e13064. ↩︎
- Jaiswal, Arun Kumar, and S. K. Bhattacharya. “Effects of Shilajit on memory, anxiety and brain monoamines in rats.” Indian J Pharmacol 24.1 (1992): 12-7. ↩︎