शिरीष का संछिप्त परिचय
शिरीष का पेड़ उन औषधीय पौधों में से एक है जिनका इस्तेमाल कई स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए सदियों से होता आया है।
शिरीष एक मध्यम आकार का, पर्णपाती पेड़ है जो भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया का मूल निवासी है। यह तेजी से बढ़ता है जो अमूमन 18 मीटर तक की ऊंचाई प्राप्त करता है। इसका फूल सफेद या हलके क्रीम रंग के होते हैं और घने गुच्छे जैसे प्रतीत होते हैं। इसके फूल को शीतपुष्प भी कहा जाता है। इसके फल सपाट फली के जैसे होते हैं जिसमें बीज भी होते हैं।
शिरीष का वानस्पातिक नाम एलबिझा लेबक (Albizia lebbeck) है जो पौधों की फबासिए (Fabaceae) परिवार से संबंधित है।
शिरीष के प्रत्येक भाग (फूल, छाल, बीज, जड़, पत्ते ) में अविश्वसनीय चिकित्सीय गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। पारम्परिक तौर पर इसका उपयोग विषनाशक यानी सांप के काटने और बिच्छू के काटने से होने वाली गंभीरता से निपटने के लिए किया जाता है। अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अल्सर, रतौंधी, श्वसन संबंधी विकार, त्वचा विकार, आदि से निदान पाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
शिरीष के फायदे (Shirish Benefits)
शिरीष में कई फाइटोकेमिकल्स जैसे एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, फिनोल, सैपोनिन, टेरपेन और फाइटोस्टेरॉल पाए जाते हैं। इसके अलावां अन्य महत्वपूर्ण रसायनिक योगिक जैसे फैटी एसिड, लिपिड, विटामिन ई, आदि भी पाए जाते हैं। जिसके कारण शिरीष विभिन्न बीमारियों और दुष्प्रभावों से लड़ने में उपयोगी हो सकता है।1
सूजन रोधी गुण
शिरीष पौधे का उपयोग पारंपरिक रूप से सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है।2
शिरीष के सूजनरोधी प्रभाव का परीक्षण करने के लिए चूहों पर एक अध्ययन किया गया। जिसमें चूहों को शिरीष के पत्तों का पानी (जलीय) और अल्कोहलिक (इथेनॉल) अर्क अलग-अलग मात्रा में दिया गया। परिणामस्वरूप उनमें सूजन और ग्रेन्युलोमा का गठन कम हो गया, और यह पाया गया की अर्क की मात्रा जितनी अधिक थी, सूजन-रोधी प्रभाव उतना ही मजबूत था।3
चूहों पर हुए एक अन्य अध्ययन में शिरीष की छाल का उपयोग किया गया। जिसमें चूहों के पंजों में सूजन पैदा की गई। इसके बाद उन्हें शिरीष की छाल का अर्क दिया गया। नतीजतन 4 घंटे बाद देखा गया कि उनके सूजन में 36.68% की कमी आई है।4
एलर्जी विरोधी गतिविधि
शिरीष की छाल एलर्जी संबंधी लक्षणों जैसे छींक आने, नाक बहने, और खुजली को कम करने में सहायक हो सकता है। हमारे शरीर में मौजूद हिस्टामाइन रसायन का असंतुलन एलर्जी के लक्षणों का कारण बनता है लेकिन शोध में पाया गया की शिरीष की छाल का अर्क हिस्टामाइन के अधिक उत्त्पादन को कम कर सकता है जिससे छीकें आना और नाक में खुजली जैसे लक्षणों में कमी आ सकती है।5 यह प्रभाव शिरीष में मौजूद कैटेचिन जैसे पॉलीफेनोल्स के कारण हो सकता है।6
मधुमेह में फायदेमंद
मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए शिरीष फायदेमंद हो सकता है। क्योकि शिरीष में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ और अल्फा-एमाइलेज़ एंजाइमों को रोकने में मदत कर सकते हैं। जिससे संभावित रूप से रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है, और मधुमेह को नियंत्रित रखा जा सकता है।7
चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की जिन चूहों को शिरीष की छाल का अर्क दिया गया उनके रक्त शर्करा के स्तर में कमी आई, किडनी की कार्यप्रणाली में सुधार हुआ, खराब कोलेस्ट्रॉल कम हुआ और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा।8
हालाँकि जानवरों पर हुए यह अध्ययन दर्शाते हैं की शिरीष मधुमेह में फायदेमंद हो सकता है। लेकिन मनुष्यों पर इसके प्रभाव के सटीक परिणामों के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।
घाव भरने में मदद कर सकता है
पारम्परिक तौर पर शिरीष का उपयोग घाव को तेजी से भरने के लिए किया जाता रहा है।
कुछ शोध भी इसके घाव भरने की छमता का समर्थन करते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण शिरीष में पाए जाने वाले फ्लवोनॉइड्स, सैपोनिन्स, फिनॉल्स, टैनिन जैसे योगिक हो सकते हैं।
अध्ययन में चूहों पर प्रयोग किया गया। उन्हें शिरीष की जड़ से तैयार अर्क दिया गया और पाया गया कि उनके घाव तेजी से ठीक हो रहे हैं। यह अर्क उनके शरीर में कोलेजन नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है जो त्वचा को मजबूत बनाता है। साथ ही, यह घाव में सूजन और बैक्टीरिया को भी कम करता है।9
न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव
शिरीष के पत्तों के अर्क में मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं (माइक्रोग्लियल कोशिकाओं) पर लाभदायक प्रभाव होता है। शोध से पता चलता है कि यह अर्क मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले ग्लूटामेट नामक तत्व के प्रभाव को कम करता है और यह स्ट्रेस और एपोप्टोसिस नामक प्रक्रियाओं को कम करके कोशिका क्षति को कम कर करता है। इस अध्ययन से प्राप्त नतीजे यह संकेत देते हैं कि शिरीष के पत्तों का अर्क दिमागी बीमारियों से बचाने में उपयोगी हो सकता है।10
पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease)
पार्किंसन रोग दिमाग से जुड़ा एक विकार है जो धीरे-धीरे बढ़ता है। इसमें दिमाग के वो हिस्से खराब हो जाते हैं जो शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। जिसके कारण कंपन, जकड़न, धीमी गति, संतुलन बिगड़ना जैसे लक्षण देखें को मिलते हैं।
पशु अध्ययन से पता चला है कि शिरीष ने पार्किंसन रोग जैसे लक्षणों वाले जानवरों में उनकी चाल और सहनशक्ति में सुधार किया। साथ ही मस्तिष्क कोशिकाओं को क्षति से बचाने में मदद की और संभावित रूप से पहले से हुई कुछ कोशिका नुकसान की मरम्मत भी की।11
अल्जाइमर रोग
अल्जाइमर रोग धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने की क्षमता को कमजोर कर देता है।
अल्जाइमर रोग में शिरीष के प्रभाव का परीक्षण करने के लिए इसके बीजों से प्राप्त अर्क का चूहों पर अध्ययन किया गया। जिसमें शोधकर्ताओं ने चूहों की याददाश्त, भूलभुलैया सुलझाने की क्षमता और गतिविधि स्तर का अध्ययन किया। नतीजों में पाया गया कि उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान कम हुआ और उनकी याददाश्त और सोच में सुधार हुआ। ध्यान दें, यह अध्ययन अल्जाइमर रोग में शिरीष की उपयोगिता को इंगित करता है लेकिन मनुष्यों पर इसका सटीक प्रभाव जानने के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।12
निष्कर्ष
शिरीष का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है जिसके कारण इसके हर एक भाग यानी छाल, जड़, फूल और पत्तों का उपयोग पारम्परिक तौर पर कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
कई नविन शोध भी इसके औषधीय गुणों और रोगों को दूर करने की छमता का समर्थन करते हैं। शिरीष का उपयोग सूजन को कम करने, एलर्जी से निदान पाने, मधुमेह, घाव को तेजी से भरने, आदि समस्याओं में किया जा सकता है। हालाँकि इन रोगों में शिरीष के प्रभाव की सटीक जानकारी के लिए अभी विस्तृत शोध की आवश्यकता है।
संदर्भ
- Balkrishna, Acharya et al. “A Comprehensive Insight into the Phytochemical, Pharmacological Potential, and Traditional Medicinal Uses of Albizia lebbeck (L.) Benth.” Evidence-based complementary and alternative medicine : eCAM vol. 2022 5359669. 21 Apr. 2022, doi:10.1155/2022/5359669 ↩︎
- Babu, N Prakash et al. “Anti-inflammatory activity of Albizia lebbeck Benth., an ethnomedicinal plant, in acute and chronic animal models of inflammation.” Journal of ethnopharmacology vol. 125,2 (2009): 356-60. doi:10.1016/j.jep.2009.02.041 ↩︎
- Meshram, Girish Gulab et al. “Evaluation of the anti-inflammatory activity of the aqueous and ethanolic extracts of the leaves of Albizzia lebbeck in rats.” Journal of traditional and complementary medicine vol. 6,2 172-5. 30 Jan. 2015, doi:10.1016/j.jtcme.2014.11.038 ↩︎
- Saha, Achinto, and Muniruddin Ahmed. “The analgesic and anti-inflammatory activities of the extract of Albizia lebbeck in animal model.” Pakistan journal of pharmaceutical sciences vol. 22,1 (2009): 74-7. ↩︎
- Nurul, Islam Mohammed et al. “Albizia lebbeck suppresses histamine signaling by the inhibition of histamine H1 receptor and histidine decarboxylase gene transcriptions.” International immunopharmacology vol. 11,11 (2011): 1766-72. doi:10.1016/j.intimp.2011.07.003 ↩︎
- Venkatesh, Pichairajan et al. “Anti-allergic activity of standardized extract of Albizia lebbeck with reference to catechin as a phytomarker.” Immunopharmacology and immunotoxicology vol. 32,2 (2010): 272-6. doi:10.3109/08923970903305481 ↩︎
- Ahmed, Danish et al. “Target guided isolation, in-vitro antidiabetic, antioxidant activity and molecular docking studies of some flavonoids from Albizzia Lebbeck Benth. bark.” BMC complementary and alternative medicine vol. 14 155. 13 May. 2014, doi:10.1186/1472-6882-14-155 ↩︎
- Patel, Priyank A et al. “Antihyperglycemic activity of Albizzia lebbeck bark extract in streptozotocin-nicotinamide induced type II diabetes mellitus rats.” Ayu vol. 36,3 (2015): 335-40. doi:10.4103/0974-8520.182752 ↩︎
- Joshi, Apurva et al. “Wound-healing potential of the root extract of Albizzia lebbeck.” Planta medica vol. 79,9 (2013): 737-43. doi:10.1055/s-0032-1328539 ↩︎
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- Saleem, Uzma et al. “Systems pharmacology based approach to investigate the in-vivo therapeutic efficacy of Albizia lebbeck (L.) in experimental model of Parkinson’s disease.” BMC complementary and alternative medicine vol. 19,1 352. 5 Dec. 2019, doi:10.1186/s12906-019-2772-5 ↩︎
- Saleem, Uzma et al. “Experimental and Computational Studies to Characterize and Evaluate the Therapeutic Effect of Albizia lebbeck (L.) Seeds in Alzheimer’s Disease.” Medicina (Kaunas, Lithuania) vol. 55,5 184. 21 May. 2019, doi:10.3390/medicina55050184 ↩︎