अकरकरा के स्वास्थ्य लाभ: जानिए इसके फायदे और नुकसान

अकरकरा में विभिन्न औषधीय गुण पाए जाते हैं इसलिए इसका उपयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है जैसे दांत दर्द, पाचन समस्याओं, सुस्ती, पुरुषों में यौन समस्याओं को ठीक करने, आदि।

Author:

Anshika Sharma

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अकरकरा का संछिप्त परिचय

अकरकरा फूल युक्त पौधा है जो यूरोप, भारत और पाकिस्तान में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है लेकिन यह मुख्यतः यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों का मूल निवासी है।

अकरकरा को अन्य कई नामों से जाना जाता है:-

  • पेल्लीटोरी (Pellitory)
  • स्पैनिश पेल्लीटोरी (Spanish pellitory)
  • अफ़्रीकी पाइरेथ्रम (African pyrethrum)
  • टिगेंडेस्टे (tigendesste)
  • इगेंडेस (igendess)

इस पौधे का वैज्ञानिक नाम एनासाइक्लस पाइरेथ्रम (Anacyclus pyrethrum) है जो पौधों की एस्टेरसिया परिवार से संबंधित एक प्रजाति है।

अकरकरा की दो मान्यता प्राप्त किस्में हैं:

  • Anacyclus pyrethrum var. pyrethrum (L)
  • Anacyclus pyrethrum var. depressus (Ball) Maire

पारंपरिक तौर पर इस पौधे का उपयोग विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है जैसे दांत दर्द, पाचन समस्याओं, सुस्ती, महिला बांझपन, आदि। आधुनिक शोध भी इस पौधे के औषधीय गुणों का समर्थन करते हैं, जसके बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे।

हमारे स्वास्थ्य पर अकरकरा के फायदे

सूजन रोधी और दर्द निवारक गुण

अकरकरा का उपयोग परम्परिक तौर पर सूजन और दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है क्योकि इसमें सूजन-रोधी गुण पाए जाते है। हालाँकि सूजनरोधी प्रभाव इस पौधे के प्रत्येक भाग में देखने को मिल सकता है लेकिन आम तौर पर जड़ और बीजों का ही उपयोग किया जाता है।

चूहों पर किये एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि अकरकरा (Anacyclus pyrethrum) के जड़ों से निकाले गए पानी और अल्कोहलिक अर्क जानवरों में सूजन और दर्द को कम करने में बहुत प्रभावी हो सकते हैं।1

एक अध्ययन में पाया गया की अकरकरा से प्राप्त हाइड्रोअल्कोहलिक अर्क ने चूहों के पजों में सूजन को प्रभावी ढंग से कम किया। इसके अर्क को कुछ चूहों को मौखिक रूप से दिया गया और कुछ के त्वचा पर लगाया गया, दोनों तरीकों में उनके पंजे की सूजन को काफी हद तक रोक दिया।2

घाव भरने में उपयोगी

अकरकरा तेजी से घाव को भरने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल यौगिक (phytochemical compounds) घाव को तेजी से भरने में मदत कर सकते हैं।

पशुओं पर हुए कुछ अध्ययन भी अकरकरा के घाव भरने की क्षमता का समर्थन करते हैं। हालाँकि मनुष्यों पर इसके प्रभाव का सटीक आंकलन करने के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि

अध्ययनों से पता चला है कि अकरकरा में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि होती है। इसका अर्थ यह है की अकरकरा प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को बेहतर कर सकती है, जिससे संक्रमण के खिलाफ लड़ने में मदत कर सकती है।  

अध्ययन में चूहों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर अकरकरा के प्रभावों की जांच की गई। यह पाया गया कि अकरकरा पौधे के अर्क से उपचारित चूहों की प्रतिरक्षा प्रणाली में काफी सुधार हुआ। क्योकि उनमें एंटीबॉडी का उत्पादन बढ़ाना, न्यूट्रोफिल जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के कार्य में सुधार करना और रोगजनकों को पहचानने और प्रतिक्रिया करने की शरीर की क्षमता को बढ़ाना जैसी गतिविधि दर्ज की गई।3

अकरकरा जड़ का मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल

मस्तिष्क की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने और मिर्गी के इलाज में अकरकरा जड़ एक प्राकृतिक उपचार हो सकता है।

चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की अकरकरा के जड़ का जलीय और मेथनॉल अर्क देने से उनमें दौरे होने की घटनाएं कम हुई, दौरे शुरू होने में ज़्यादा समय लगा और उनके मस्तिष्क की रक्षा करने में भी अर्क प्रभावी था।4

पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार

अकरकरा पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार करने में उपयोगी हो सकता है।

चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की अकरकरा जड़ के अर्क को चूहों को देने से उनमें शुक्राणुओं की संख्या, स्वास्थ्य और गतिशीलता में सुधार हुआ, शुक्राणु उत्पादन में शामिल हार्मोन के स्तर में काफी वृद्धि हुई, और अंडकोष में शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि के संकेत दिखे।5

चूहों पर हुए एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि अकरकरा जड़ के अर्क में कामोत्तेजक गुण होते हैं जो नर चूहों में यौन व्यवहार और कार्य में सुधार कर सकते हैं।6

इन शोधों से पता चलता है की अकरकरा पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए उपयोग किया जा सकता है। लेकिन संबंधित शोध पशुओं पर किये गए है इसलिए मनुष्यों पर इसके प्रभाव की सटीक जानकारी के लिए विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

मधुमेह में उपयोगी

अकरकरा मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

मधुमेह में, शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है या इसका सही उपयोग नहीं करता है, जिसके कारण रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ जाता है।

अकरकरा की जड़ में एमाइलेज एंजाइम को रोकने की छमता होती है। एमाइलेज एक पाचक एंजाइम है जो स्टार्च को छोटे अणुओं, जैसे माल्टोज और ग्लूकोज में तोड़ता है, जिससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ सकती है, जो मधुमेह रोगियों के लिए एक समस्या हो सकती है।

अकरकरा जड़ का अर्क एमाइलेज एंजाइम को रोककर, शरीर द्वारा शर्करा (ग्लूकोज) को अवशोषित करने की गति को धीमा कर सकता है, जिससे रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।7

अकरकरा के नुकसान और सावधानियां

संतुलित मात्रा में अकरकरा का सेवन के दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलते हैं, लेकिन इसकी उच्च खुराक का सेवन करने से विभिन्न परेशानियां देखने को मिल सकते हैं।8

  • हल्की बेहोशी
  • पाचन समस्याएं
  • यकृत को नुकसान पहुंच सकता है
  • लिवर क्षतिग्रस्त करने वाले एंजाइमों की मात्रा बढ़ सकती है
  • उच्च खुराक गुर्दे और प्लीहा में सूजन पैदा कर सकती है

हमारे स्वास्थ्य पर अकरकरा के नुकसान को देखते हुए कुछ विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है जैसे:-

गर्भवती और स्तन पान करने वाली महिलाओं को इसके सेवन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, उन्हें  इसका प्रयोग डॉक्टर के परामर्श पर ही करना चाहिए।

किसी गंभीर और पुराने रोग से पीड़ित व्यक्ति हो बिना डॉक्टर के परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

किसी दवा के सेवन के दौरान परस्पर रिएक्शन से बचने के लिए अकरकरा का सेवन ना करें या डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।

अकरकरा का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है, इसलिए अगर इसके सेवन के बाद आपको कोई शारीरिक समस्या महसूस हो तो डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।

निष्कर्ष

अकरकरा का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, दर्द निवारक गुण आदि पाए जाते हैं। इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग पारम्परिक तौर पर विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। इस पौधे पर हुए कुछ अध्ययन, दर्द को कम करने, सूजन को कम करने, घाव भरने, पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार, मिर्गी आदि में इसका उपयोग किये जाने की संभावनाओं को उजागर करते हैं।

हालाँकि इसके अधिक उपयोग से कुछ स्वास्थ्य सम्याएं भी देखने को मिल सकती हैं इसलिए डॉक्टर के परामर्श पर ही इसके सेवन करने को प्राथमिकता दें। 

संदर्भ

  1. Manouze, Houria et al. “Anti-inflammatory, Antinociceptive, and Antioxidant Activities of Methanol and Aqueous Extracts of Anacyclus pyrethrum Roots.Frontiers in pharmacology vol. 8 598. 5 Sep. 2017, doi:10.3389/fphar.2017.00598 ↩︎
  2. Jawhari, Fatima Zahra et al. “Anacyclus pyrethrum (L): Chemical Composition, Analgesic, Anti-Inflammatory, and Wound Healing Properties.Molecules (Basel, Switzerland) vol. 25,22 5469. 23 Nov. 2020, doi:10.3390/molecules25225469 ↩︎
  3. Sharma, Vikas et al. “Immunomodulatory activity of petroleum ether extract of Anacyclus pyrethrum.Pharmaceutical biology vol. 48,11 (2010): 1247-54. doi:10.3109/13880201003730642 ↩︎
  4. Manouze, Houria et al. “Anticonvulsive and neuroprotective effects of aqueous and methanolic extracts of Anacyclus pyrethrum root in kainic acid-induced-status epilepticus in mice.Epilepsy research vol. 158 (2019): 106225. doi:10.1016/j.eplepsyres.2019.106225 ↩︎
  5. Haghmorad, Dariush et al. “Improvement of fertility parameters with Tribulus Terrestris and Anacyclus Pyrethrum treatment in male rats.International braz j urol : official journal of the Brazilian Society of Urology vol. 45,5 (2019): 1043-1054. doi:10.1590/S1677-5538.IBJU.2018.0843 ↩︎
  6. Sharma, Vikas et al. “Effects of petroleum ether extract of Anacyclus pyrethrum DC. on sexual behavior in male rats.Zhong xi yi jie he xue bao = Journal of Chinese integrative medicine vol. 8,8 (2010): 767-73. doi:10.3736/jcim20100807 ↩︎
  7. Kumar, V Kishor, and K G Lalitha. “In vitro study on α-amylase inhibitory activity of an Ayurvedic medicinal plant, Anacyclus pyrethrum DC root.Indian journal of pharmacology vol. 46,3 (2014): 350-1. doi:10.4103/0253-7613.132204 ↩︎
  8. Jawhari, Fatima Zahra et al. “Evaluation of the acute toxicity of the extracts of Anacyclus pyrethrum var. pyrethrum (L.) and Anacyclus pyrethrum var. depressus Maire in Swiss mice.Veterinary world vol. 14,2 (2021): 457-467. doi:10.14202/vetworld.2021.457-467 ↩︎

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