स्पिरुलिना के फायदे और नुकसान: वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित

नासा द्वारा अंतरिक्ष मिशनों पर यात्रियों के लिए आहार के रूप में स्पिरुलिना का उपयोग इसके फायदों की कहानी बयां करते हैं - चलिए स्पिरुलिना के फायदों को विस्तार से समझते हैं।

Author:

Brijesh Yadav

Published on:

स्पिरुलिना क्या होता है?

स्पिरुलिना एक प्रकार का सायनोबैक्टीरिया है जो नीले-हरे शैवाल या एल्गी के नाम से पहचानी जाती है और इसे आर्थ्रोस्पिरा प्लैटेंसिस (Arthrospira platensis) के नाम से भी जाना जाता है।  

नीले-हरे शैवाल का विकास मुख्यतः पानी में होता है इसलिए यह मीठे और खारे दोनों प्रकार के जल स्रोतों के आस पास ही पाया जाता है। स्पिरुलिना के फायदों को देखते हुए इसकी बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए तालाबों आदि में बड़े पैमाने पर इसकी खेती भी की जाती है।

हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता में तेजी आई है, इसके पीछे का एक कारण नासा द्वारा अंतरिक्ष मिशनों पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आहार और पोषण के रूप में इसका उपयोग किया जाना हो सकता है। हालाँकि इसके गुण और अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदे भी इसकी लोकप्रियता का एक कारण हो सकता है।

हालाँकि सेहत पर स्पिरुलिना के फायदे को देखते हुए वर्तमान समय में इसकी लोकप्रियता बहुत अधिक बढ़ रही है लेकिन प्राचीन समय से ही इसका इस्तेमाल होता आया है। तो चलिए स्पिरुलिना के फायदों और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे विस्तार पूर्वक समझते हैं।

स्वास्थ्य सम्बन्धी स्पिरुलिना के फायदे

पोषक तत्वों की विस्तृत श्रृंखला

एक चम्मच यानी लगभग 7 ग्राम सूखे स्पिरुलिना में मौजूद पोषक तत्वों की श्रंखला कुछ इस प्रकार है:

  • प्रोटीन – 4.02 ग्राम (50%)
  • आहार फाइबर – 0.252 ग्राम
  • मैग्नीशियम – 13.6 मिलीग्राम
  • पोटेशियम – 95.2 मिलीग्राम
  • सोडियम – 73.5 मिलीग्राम
  • विटामिन B1 – 14%
  • विटामिन B2 – 20%
  • विटामिन B3 – 6%

इसके अतिरिक्त स्पिरुलिना में आयरन, कैल्शियम, कॉपर, जिंक जैसे खनिज पदार्थ, ओमेगा – 6 और ओमेगा – 3 फैटी एसिड, आवश्यक अमीनो एसिड और साथ ही विभिन्न प्रकार के विटामिन जैसे विटामिन A, विटामिन K, विटामिन E, विटामिन C, और अन्य विटामिन B भी पाए जाते हैं।

मांसपेशियों की ताकत में सुधार कर सकता है

स्पिरुलिना मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने में मदद कर सकता है।

एक अध्ययन में पाया गया की 2 घंटे की दौड़ के दौरान उन लोगों ने अधिक सहनशक्ति दिखाई जिन्होंने स्पिरुलिना का सेवन किया था। स्पिरुलिना ने ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट के उपयोग को 10.3% तक कम कर दिया और दौड़ के दौरान ऊर्जा के लिए वसा के उपयोग को 10.9% तक बढ़ा दिया। इस शोध का परिणाम यह था की स्पिरुलिना लेने से व्यायाम प्रदर्शन में सुधार हुआ, वसा जलने में वृद्धि हुई, जीएसएच स्तर (एक एंटीऑक्सीडेंट) बढ़ा, और व्यायाम के दौरान शरीर में लिपिड पेरोक्सीडेशन में वृद्धि कम हो गई।1

एनीमिया के खिलाफ प्रभावी हो सकता है

स्पिरुलिना एनीमिया के रोकथाम और इससे निजाद दिलाने में लाभदायक साबित हो सकता है। अध्ययन में पाया गया की नियमित स्पिरुलिना के इस्तेमाल करने से गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों में एनीमिया और इसके लक्षणों में काफी सुधार हुआ।2 3

इसके अतिरिक्त स्पिरुलिना का 50 या उससे अधिक उम्र के 40 वयस्कों पर हुए शोध में यह पाया गया की वृद्ध वयस्कों में लाल रक्त कोशिकाओं का परस्पर विकास हुआ और एनीमिया के लक्षणों में कमी आई।4

एलर्जी से राहत (एलर्जिक राइनाइटिस) प्रदान कर सकता है

स्पिरुलिना में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और सूजनरोधी गुण एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। एलर्जिक राइनाइटिस नाक के वायुमार्ग की सूजन है जो पराग, जानवरों के बाल और धूल आदि के सम्पर्क में आने से उजागर होता है।

अध्यन में यह देखने को मिला है की स्पिरुलिना के उपयोग करने से छींकने, नाक बंद होने और खुजली जैसी एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों में काफी सुधार हो सकता है, क्योकि स्पिरुलिना पाए जाने वाले तत्व हिस्टामाइन के प्रभाव को रोकने में मदद कर सकते हैं, हिस्टामाइन एक प्राकृतिक यौगिक है जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं या एलर्जिक राइनाइटिस  को ट्रिगर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रक्तचाप में सुधार कर सकता है

स्पिरुलिना उच्च रक्तचाप को रोकने और उसका इलाज करने में मदद कर सकता है जिसमें सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों प्रकार के रक्तचाप समस्याएं शामिल हैं।

230 लोगों से जुड़े 5 परीक्षणों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया गया, जिन्होंने 2 से 12 सप्ताह तक प्रतिदिन स्पिरुलिना लिया था। परिणामों से पता चला कि उनके रक्तचाप में काफी कमी दर्ज की गई, स्पिरुलिना ने उनके एसबीपी को 4.59 एमएमएचजी और डीबीपी को 7.02 एमएमएचजी तक कम कर दिया, खासकर उच्च रक्तचाप वाले लोगों में। इससे यह निष्कर्ष निकलता है की  स्पिरुलिना उच्च रक्तचाप को रोकने और उसका इलाज करने में मदद कर सकता है।5

कैंसर रोधी गुण से भरपूर है

पशुओं पर हुए कुछ अध्ययन में यह पता चला है की स्पिरुलिना में पाए जाने वाले सक्रिय यौगिक कैंसर जैसे गंभीर समस्याओं को दूर कर सकते हैं क्योकि इसके कैंसर रोधी गुण स्वस्थ्य कोशिकाओं को सक्रिय करके ट्यूमर से लड़ने की शरीर की क्षमता को बढ़ा देते हैं।6

आँख के लिए फ़ायदेमदं हो सकता है

स्पिरुलिना में विटामिन A और एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जिसे हमारा शरीर तोड़ कर विटामिन A में परिवर्तित कर देता है और विटामिन A आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और रतौंधी आदि समस्या से हमें बचता है।

इसके अतिरक्त पशुओं पर हुए अध्ययन में यह पाया गया की स्पिरुलिना से उनके रेटिना में सूजन कम हो जाता है, आंखों की परतों और कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को रोक सकता है, और रेटिना में एमसीपी-1 नामक सूजनकारी प्रोटीन के स्तर को भी कम कर सकता है।7

कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन कर सकता है

अध्ययन में पाया गया की स्पिरुलिना की नियमिन खुराक लेने से रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ सकता है। शोध में यह सामने आया की कुल कोलेस्ट्रॉल, LDL जैसे ख़राब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में उल्लेखनीय कमी देखी गई। साथ ही, अच्छा कोलेस्ट्रॉल HDL कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि हुई। इसलिए स्पिरुलिना का रोजाना नियम अनुसार सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।8

दिल के लिए फायदेमंद हो सकता है

स्पिरुलिना में उच्य मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं जो विभिन्न समस्याओं को रोकने में मदतगार हो सकते हैं और ह्रदय संबधी समस्याएं उनमे से एक है।

मोटापा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं ह्रदय जोखिम को और अधिक बढ़ा देते हैं, और इन कारकों के प्रभाव को स्पिरुलिना कम कर सकता है foot जिससे हृदय जोखिम कम हो जाते हैं इसके अतिरिक्त नीले-हरे शैवाल रक्त लिपिड प्रोफाइल में सुधार, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने और हृदय रोग से बचाने के लिए प्रभावी प्राकृतिक विकल्प हो सकते हैं।9

मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है

स्पिरुलिना मानसिक रोगों जैसे अल्जाइमर की समस्याओं के प्रभाव को कम कर सकता है और मूड में सुधार कर सकता है, क्योकि इसमें अभी उपयुक्त पोषक तत्व पाए जाते हैं जो मस्तिष्क को पर्याप्त पोषण देते हैं। और स्पिरुलिना में एक एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन पाया जाता है जो मस्तिष्क में सेरोटोनिन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे उदासी, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी समस्याओं को नियंत्रित और रोकने में मदत मिलती है।10

स्पिरुलिना के नुकसान

हमने देखा की स्पिरुलिना के फायदे कई हो सकते हैं लेकिन शरीर पर इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखे जा सकते हैं यानि स्पिरुलिना के नुकसान भी हो सकते हैं।

संदूषण का खतरा:- समुद्री वातावरण या प्रदूषित जल के स्रोतों से प्राप्त किये गए स्पिरुलिना में भारी धातुएं, हानिकारक बैक्टीरिया या माइक्रोसिस्टिन हो सकते हैं, जो लीवर के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

रक्त समस्याएं:- रक्त समस्याओं से झूझ रहे व्यक्तिओं या रक्त को पतला करने वाले मेडिसन का सेवन करने वाले लोगों की समस्याओं को स्पिरुलिना और भी अधिक बढ़ा सकता है क्योकि स्पिरुलिना में थक्कारोधी गुण होते हैं जो रक्त को और अधिक पतला कर सकते हैं।

एलर्जी प्रतिक्रियाएं:- कुछ व्यक्तियों को स्पिरुलिना से एलर्जी हो सकती है, जो गंभीर मामलों में घातक प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकती है। एलर्जी या फेनिलकेटोनुरिया (पीकेयू) जैसी दुर्लभ स्थितियों वाले लोगों को इसके उपयोग करने में सावधान रहना चाहिए।

उपयोग में सावधानी:- हमारी सलाह यह रहेगी कि स्पिरुलिना का उपयोग बहुत सावधानी से करें और इसके डोज पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है, इसलिए इसके उपयोग करने से पहले किसी डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

निष्कर्ष

स्पिरुलिना एक प्रकार की एल्गी है जिसे नील हरित शैवाल के नाम से जाना जाता है जो दोनों प्रकार के जल स्रोतों यानी मीठे और खरे पानी के स्रोतों के आसपास पाया जाता है। कई अध्यनों में यह पाया गया है की हमारे सेहत पर स्पिरुलिना के फायदे अनेक को सकते हैं जैसे ताकत को बढ़ता है, मधुमेह, उच्य ताकतचाप, कोलेस्ट्रॉल, में फायदेमंद है, आँख के लिए फायदेमंद है आदि।

हलाकि इसके फायदे कई है लेकिन स्पिरुलिना के नुकसान की भी आशंका होती है क्योकि प्रकृतिक अवस्था में इसमें कई प्रकार के दूषित पदार्थ हो सकते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य और लिवर पर प्रभाव हो सकता है, यह रक्त को अधिक पतला भी कर सकता है इसलिए जिन लोगों को रक्त संबधी विकार है उनको इसके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए।

स्पिरुलिना के नुकसान को देखते हुए हमारी सलाह यह रहेगी की स्पिरुलिना के सेवन से पहले अधिक सावधानी बरतें।

संदर्भ

  1. Kalafati, Maria, et al. “Ergogenic and antioxidant effects of spirulina supplementation in humans.” Med Sci Sports Exerc 42.1 (2010): 142-151. ↩︎
  2. Marlina, Dini, and Fitri Nurhayati. “The effectiveness of Spirulina compared with iron supplement on anemia among pregnant women in Indonesia.International Journal of Caring Sciences 13.3 (2020): 1783-1787. ↩︎
  3. Othoo, Dorothy Apondi, et al. “Impact of Spirulina corn soy blend on Iron deficient children aged 6–23 months in Ndhiwa Sub-County Kenya: a randomized controlled trial.BMC nutrition 7.1 (2021): 1-12. ↩︎
  4. Selmi, Carlo, et al. “The effects of Spirulina on anemia and immune function in senior citizens.Cellular & molecular immunology 8.3 (2011): 248-254. ↩︎
  5. Machowiec, Piotr, et al. “Effect of spirulina supplementation on systolic and diastolic blood pressure: systematic review and meta-analysis of randomized controlled trials.Nutrients 13.9 (2021): 3054. ↩︎
  6. Akao, Yuusuke, et al. “Enhancement of antitumor natural killer cell activation by orally administered Spirulina extract in mice.Cancer science 100.8 (2009): 1494-1501. ↩︎
  7. Okamoto, Tomohiro, et al. “Dietary spirulina supplementation protects visual function from photostress by suppressing retinal neurodegeneration in mice.Translational Vision Science & Technology 8.6 (2019): 20-20. ↩︎
  8. Serban, Maria-Corina, et al. “A systematic review and meta-analysis of the impact of Spirulina supplementation on plasma lipid concentrations.Clinical nutrition 35.4 (2016): 842-851. ↩︎
  9. Huang, Haohai, et al. “Quantifying the effects of spirulina supplementation on plasma lipid and glucose concentrations, body weight, and blood pressure.Diabetes, metabolic syndrome and obesity: targets and therapy (2018): 729-742. ↩︎
  10. Demelash, Sileshi. “Spirulina as a main source of tryptophan for mental illness: Improving level of serotonin through tryptophan supplementation.Global journal of medicine and public health 7.2 (2018): 1-5. ↩︎

Leave a Comment