मधुमक्खी हमारे स्वास्थ और पर्यावरण के लिए कितनी फायदेमंद है इस तथ्य से कोई भी अनजान नहीं है। इनके द्वारा बनाए शहद को अमृत के स्थान से नवाजा जाता जाता है जिसका इस्तेमाल हजारों वर्षो से प्राकृतिक मिठास और विभिन्न दवाओं के रूप में होता आया है। यहाँ तक की इनके द्वारा बनाये छत्ते का इस्तेमाल भी हम कई तरीकों से करते हैं।
इसकी अधिक संभावना है की आप मधुमक्खियों से प्राप्त पराग के फायदों और सेहत पर इसके प्रभाव से अनजान होंगे, परन्तु संभावना इसकी भी है की मधुमक्खी पराग होता क्या है यह भी आपके लिए आश्चर्य का विषय हो। तो चलिए इन सभी विषयों पर आज के इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से प्रकाश डालते हैं और जानते हैं की मधुमक्खी पारग होता क्या है, और मधुमक्खी पारग के फायदे और संभावित नुकसान क्या हो सकते हैं।
मधुमक्खी पराग क्या होता है?
मधुमक्खी पराग क्या होता है यह समझने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है की पराग क्या होता है।
पराग क्या होता है?
पराग एक महीन पाउडर जैसा पदार्थ होता है जो पौधे की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह फूलों के नर प्रजनन अंगों द्वारा निर्मित होता है। पौधे की प्रजनन प्रक्रिया के भीतर पराग की तुलना नर शुक्राणु से की जा सकती है। पराग और शुक्राणु कोशिकाएं दोनों पुरुष प्रजनन घटकों के रूप में काम करती हैं, जिनका उद्देश्य संतान पैदा करने के लिए महिला प्रजनन कोशिकाओं को निषेचित करना है।
फूलों के नर भाग (पुंकेसर) से पराग को पौधे के मादा भाग (पिस्टिल) तक ले जाने के लिए विभिन्न माध्यम सहायक हो सकते हैं जैसे हवा, मधुमक्खी, तितली, पक्षी या अन्य जानवर, जिससे फूल के मादा भाग बीजांड (Ovule) निषेचित हो जाता है और बीज निर्माण और फल का विकास शुरू हो जाता है।
मधुमक्खी पराग
मधुमक्खी पराग (Bees Pollen) मुख्यतः फूलों से प्राप्त किया हुआ पराग ही होता है जिसको वह एकत्र करके अपने छत्तों से जमा करती हैं ताकी उनके बच्चे प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के लिए इसका सेवन कर सकें।
जब मधुमक्खी किसी फूल पर बैठती है, तो उसके शरीर में मौजूद इलेक्ट्रोस्टैटिक बलों के कारण महीन, पाउडर जैसा पराग उसके शरीर से चिपक जाता है। जिसे वह लार के साथ मिलाकर एक नम और चिपचिपा मिश्रण बना लेती हैं और पिछले पैर पर एक छोटी गोली या “पराग भार” बना कर, जमा करने के लिए छत्ते तक ले आती हैं। जो मधुमक्खी के लार्वा के विकास और वयस्क मधुमक्खियों के पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत के रूप में कार्य करता है।
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मधुमक्खी पराग के फायदे
मधुमक्खी पराग में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट गुण और पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रंखला पाई जाती है जो पुरुष व महिला दोनों के लिए समस्त स्वास्थ्य को बढ़ने में मदत कर सकती है। चलिए मधुमक्खी पराग के फायदों के बारे में विस्तार से समझते हैं।
पोषक तत्वों से भरपूर
मधुमक्खी पराग कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है, और इसकी समृद्ध पोषण प्रोफ़ाइल के कारण इसे प्राकृतिक मल्टीविटामिन के रूप में जाना जाता है।
इसमें प्रोटीन, कार्ब्स, लिपिड, विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट सहित पौधों से प्राप्त 200 से अधिक महत्वपूर्ण पदार्थ पाए जाते हैं लेकिन इसके अतरिक्त मधुमक्खी के द्वारा इसमें एंजाइमेटिक रिएक्शन (Enzymatic Reaction) किया जाता है जिसके कारण पराग के पोषक तत्व कई गुना और अधिक बढ़ जाते हैं।1 हालाँकि मधुमक्खी द्वारा इसे एकत्र किये स्थान और मौसम के कारण इसके पोषक तत्वों में भिन्नता देखने को मिल सकती है।
मधुमक्खी पराग में मौजूद पोषक तत्व2
- प्रोटीन:- 20-35%
- कार्बोहाइड्रेट:- 40-50%
- वसा:- 5% से कम
- कार्ब्स:- 30 – 40%
- विटामिन:- बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन (बी1, बी2, बी3, बी5, बी6), विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा-कैरोटीन
- खनिज:- कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, जस्ता, लोहा, सेलेनियम, आदि
- एंटीऑक्सीडेंट:- फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक यौगिक और अन्य एंटीऑक्सीडेंट
इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड, एंटीबायोटिक्स, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंजाइम आदि भी प्राप्त किया जाता है।
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ह्रदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है
मधुमक्खी पराग ह्रदय सम्बन्धी दिक्क्तों को उत्त्पन्न करने वाले कारकों जैसे उच्च रक्त लिपिड और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रख सकता है जिसके कारण ह्रदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है जो विश्व भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण हैं।
कुछ अध्ययनों से संकेत मिला है कि मधुमक्खी पराग लिपिड प्रोफाइल और रक्त कोलेस्ट्रॉल में सुधार ला सकता है। यह LDL कोलेस्ट्रॉल (यह खराब कोलेस्ट्रॉल माना जाता है) और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जबकि HDL कोलेस्ट्रॉल ( यह अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है) को बढ़ा सकता है।3
इसके अतिरिक्त मधुमक्खी पराग में उच्च एंटीऑक्सीडेंट विशेष रूप से फ्लेवोनोइड और फेनोलिक यौगिक पाए जाते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम कर सकते हैं। मधुमक्खी पराग में पाए जाने वाले यह सभी गुण ह्रदय के स्वास्थ को बनाये रखने में मदत कर सकते हैं।
एलर्जी और अस्थमा में फायदेमंद
मधुमक्खी पराग एलर्जी और अस्थमा के मरीजों के लिए फ़ायदेमदं हो सकता है।
अगर कण, धूल, धुआं, आदि पदार्थ हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, जिन्हें हमारा शरीर अपनाने से इंकार कर देता हैं, और इम्युनोजेनिक रिएक्शन देखने को मिलते हैं परिणाम स्वरूप छींक आना, नाक बहना, खांसी, त्वचा पर चक्क्ते, सूजन, और बुखार आदि लक्षण देखने को मिलते हैं, जो आगे चलकर कई गंभीर बिमारिओं का रूप ले लेता हैं जैसे अस्थमा आदि।
शोधकर्ताओं के द्वारा मधुमक्खी पराग को कुछ अस्थमा और एलर्जी से पीड़ित मरीजों को दिया गया जिसके परिणाम स्वरूप उनके अस्थमा और एलर्जी जनित लक्षणों में सुधार दर्ज किया गया।
मधुमेह को नियंत्रित रख सकता है
जब हम किसी भी प्रकार का भोजन करते हैं तो उसमे मौजूद कार्बोहइड्रेट से रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, यानी खाना खाने के कुछ समय तक हमारा ग्लूकोज स्तर बढ़ा हुआ होता है और धीरे धीरे यह समान्य स्तर पर भी आ जाता है, लेकिन मधुमेह से पीड़ित लोगों में ग्लूकोज स्तर समान्य नहीं होता है।
मधुमक्खी पराग का सेवन करने से इसमें मौजूद एंजाइम के द्वारा कार्बोहइड्रेट को ग्लूकोज में बदलने वाले एंजाइम पर बाधा उत्त्पन हो सकती है जिस कारण से ग्लूकोज निर्माण में कमी आ सकती है। इसलिए मधुमक्खी पराग का रोजाना सेवन करने से मधुमेह की समस्या से थोड़ा आराम मिल सकता है।
लिवर सम्बन्धी समस्याओं को कम कर सकता है
मधुमक्खी पराग अपने विटामिन, खनिज, अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों के माध्यम से संभावित रूप से लीवर से संबंधित समस्याओं को कम कर सकता है। क्योकि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और खनिज हानिकारक मुक्त कणों को निष्क्रिय करके यकृत के भीतर ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायता कर सकते हैं और इसके सूजन-रोधी यौगिक यकृत के ऊतकों में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं4
इसलिए ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करके, मधुमक्खी पराग लिवर के स्वास्थ्य और कार्य में सहायता कर सकता है।5
सूजन रोधी गुण से भरपूर है
मधुमक्खी पराग में सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं क्योकि इसमें फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक एसिड और एंजाइम जैसे विविध सक्रिय यौगिकों मौजूद होते हैं। कई शोध से पता चलता है कि ये यह घटक कुछ एंजाइमों को रोककर और सूजन अणुओं के उत्पादन को कम करके शरीर की सूजन प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।6
इसके अतिरिक्त अधिक कठोर भोजन करने के दौरान या किसी अन्य कारण से मुँह और मसूड़ों में विभिन्न प्रकार की चोट लग जाती है जिसका हमें अक्सर अहसास नहीं होता है, और इस वजह से वहां इन्फेक्शन, सूजन आदि हो जाता है। अगर मधुमक्खी पराग को एक चुटकी लेकर मंजन की तरह इस्तेमाल किया जाये तो उन चोटों से राहत मिल सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है
मधुमक्खी पराग में मौजूद पोषक तत्व रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कार्यों में सुधार कर सकते हैं, जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार की रोगों से लड़ने व रोकने में मदत मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, जैसे फ्लेवोनोइड और फेनोलिक एसिड, ऑक्सीडेटिव तनाव से निपटने में मदद करते हैं, और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को क्षति होने से बचाते हैं।7
इसके अतिरिक्त यह शारीरिक रोग प्रतिरोधक कार्यों को उत्तेजित कर सकता है, जो संभावित रूप से संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है।
रजोनिवृत्ति को धीमा कर सकता है
मधुमक्खी पराग का इस्तेमाल करने से महिलाओं की एक आम समस्या रजोनिवृत्ति (Menopause) की रफ्तार धीमी हो सकती है। रजोनिवृत्ति एक ऐसी अवस्था है जिसमें जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उनमें अंडों का निर्माण कम हो जाता है और एक समय के बाद निर्माण बंद भी हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। लेकिन किसी बीमारी जैसे कैंसर के कारण रजोनिवृत्ति छोटी उम्र में भी हो सकता है।
कुछ महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की उनमे से 71% रजोनिवृत्ति की समस्या से जूझ रही महिलाओं में मधुमक्खी पराग लेने के दौरान इसके लक्षणों में सुधार हुआ। और इस अध्ययन ने सबूत दिया कि मधुमक्खी पराग एंटीहार्मोनल उपचार पर स्तन कैंसर के रोगियों के रजोनिवृत्ति के लक्षणों में सुधार कर सकते हैं।8
त्वचा स्वास्थ्य और उपचार में उपयोगी
मधुमक्खी से प्राप्त पदार्थ जैसे शहद, बेवेक्स, और प्रोपोलिस का इस्तेमाल त्वचा की समस्याओं या अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन मधुमक्खी पराग का भी इस्तामल त्वचा सम्बन्धी समस्यायों को दूर करने के लिए विश्व भर के कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में किया जाता है।
मधुमक्खी पराग में कॉपर पाया जाता है जो हमारी त्वचा को स्वस्थ और गोरा करने में सहायता कर सकता है क्योकि त्वचा में पाई जाने वाली मेलानोसाइट कोशिकाएं मेलेनिन (Melanin) बनती है जिससे हमारे त्वचा का रंग गहरा रंग निर्धारित होता है। मेलेनिन बनाने के लिए टायरोसिनेज़ (tyrosinase) एंजाइम की आवस्यकता पड़ती है और मधुमक्खी पराग का लेप लगाने से यह टायरोसिनेज़ की एक्टिविटी को रोक देता है जिससे मेलिलिन नहीं बनता है और त्वचा का रंग अधिक गहरा नहीं हो सकता है।
इसके अतिरिक्त इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट और फिलोनिक एसिड पाए जाते हैं जो त्वचा पर मौजूद हानिकारक रोगाणु और बैटीरिया को खत्म कर सकते हैं जिससे त्वचा स्वस्थ रहती है।
जले हुए घावों पर मधुमक्खी पराग का उपयोग
पशुओं पर हुए एक अध्ययन में पाया गया की जले हुए घावों को ठीक करने के लिए मधुमक्खी पराग का उपयोग प्रभावी हो सकता है। इसका इस्तेमाल घाव के इलाज के लिए एक मलहम के तौर पर किया जा सकता है, जो ठीक होने वाले ऊतकों में संक्रमण को भी रोक सकता है।9
ऊर्जा स्तर को बढ़ा सकता है
मधुमक्खी पराग का सेवन सुबह के समय “पानी में घोल कर या चाय बना कर” अगर नियमित तौर पर किया जाता है तो यह शरीर में ऊर्जा प्रदान कर सकता है जिससे हम एक्टिव और तारो-तजा महसूस करते हैं।
क्योकि इसमें बहुत सारे बी काम्प्लेक्स विटामिन और कई प्रकार के खनिज पाए जाते हैं जो ऊर्जा के स्रोत के तौर पर जाने जाते हैं। मधुमक्खी पराग शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ने का एक प्राकृतिक माध्यम हो सकता है।
हालाँकि मधुमक्खी पराग के कई फायदे होने की संभावनाएं हैं लेकिन हमारी सलाह रहेगी की इसका प्रयोग किसी डायटिशियन या डॉक्टर के परामर्श पर ही करें।
मधुमक्खी पराग के नुकसान की संभावना क्या हो सकती है?
हालाँकि इसके कई फायदे हैं लेकिन मधुमक्खी पराग के नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं।
एलर्जी:- कई लोगों में पराग से एलर्जी होती है इसलिए अगर वह मधुमक्खी पराग के सम्पर्क में आते हैं तो उनमे भी एलर्जी के लक्षण देखने को मिल सकता है जिसके कारण शरीर पर लालिमा, सूजन, खुजली आदि देखने को मिल सकता है। यह मधुमक्खी पराग से होने वाली आम समस्याओं में से एक है।1011
गर्भवती महिलाओं के लिए समस्याएं:- मधुमक्खी पराग का इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं को करने से बचना चाहिए क्योकि इससे गर्भ पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। लेकिन इस विषय पर कोई पर्याप्त साक्ष्य या अध्यन उपलब्ध नहीं है, फिरभी जोखिम क्यों लेना।
निष्कर्ष
फूलों के नर प्रजनन भाग से पराग (Pollen) को मधुमक्खियों द्वारा एकत्र किया जाता है ताकी वह अपने लार्वा को पोषण युक्त भोजन सामग्री प्रदान कर सकें, जिसे मधुमक्खी पराग के तौर पर जाना जाता है। मधुमक्खी पराग कई प्रकार के पोषक तत्वों, खनिज, विटामिन, आदि से भरपूर होता है, क्योंकि यह मधुमक्खी द्वारा विभिन्न पौधों से एकत्र किया जाता है जिससे उसमें विभिन्न पौधों के योगिक गुण आ जाते हैं साथ ही उनके द्वारा इसमें एंजाइमेटिक रिएक्शन किया जाता है जिससे इसकी गुणवत्ता और अधिक बढ़ जाती है
मधुमक्खी पराग के फायदे कई हो सकते हैं जैसे हृदय स्वास्थ, एलर्जी और अस्थमा से राहत, नियंत्रित मधुमेह, लिवर के लिए फायदेमंद, सुजनरोधी गुण, त्वचा के लिए फायदेमंद, आदि।
इसके अतिरिक्त मधुमक्खी पराग के नुकसान की संभावना को भी इनकार नहीं किया जा सकता है, जिन लोगों को पराग से एलर्जी की समस्या होती है उनको इसके उपयोग से कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं, इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं को भी इसके उपयोग में सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है लेकिन सबूतों का अभाव है।
हालांकि मधुमक्खी पराग के फायदे कई हैं लेकिन कुछ संभावित नुकसान देखते हुए हमारी सलाह रहेगी की इसके प्रयोग से पहले किसी डिटीशन या डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
संदर्भ
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