हार्मोन हमारे शारीरिक विकास से लेकर कई दैनिक कार्यों और जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पड़ावों में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। उन्हीं में से एक टेस्टोस्टेरोन हार्मोन है, हालाँकि यह पुरुष हार्मोन के तौर पर जाना जाता है क्योकि यह पुरुष के पुरुष्त्व के विकाश में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसकी कमी या अधिकता अनेक शारीरिक परेशानियों उत्पन्न कर सकती हैं।
हालाँकि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा पुरुषों के मुकाबले बहुत कम होती है लेकिन यह महिलाओं के लिए भी बहुत जरूरी हार्मोन है। टेस्टोस्टेरोन महत्वपूर्ण सेक्स हार्मोन होने के अतिरिक्त यह महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ने में योगदान देता है। इसलिए महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की कमी या अधिकता हो जाने से कई प्रकार की स्वस्थ सम्बन्धी दिक्क्तें देखने को मिलती हैं।
आज के इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के नुकसान को विस्तार से समझेंगे और यह भी जानेंगे की इसके पीछे का मूल कारण क्या हो सकते हैं, ताकि महिलाएं एक स्वस्थ जीवन जीने की दिसा में अग्रसर हो सकें।
महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के नुकसान
हालाँकि टेस्टोस्टेरोन एक पुरुष प्रधान हार्मोन है लेकिन इसकी जरूरत महिलाओं में थोड़ी मात्रा में होती है।और कहीं न कहीं इसका संतुलन दोनों लिंगों के समग्र स्वास्थ के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए महिलाओं में इसकी अधिकता हो जाने से कई प्रकार के नुकसान देखने को मिल सकते हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं की महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के नुकसान या लक्षण क्या देखने को मिल सकते हैं।
महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के लक्षणों में शामिल हैं:-
मुंहासें:- अधिक टेस्टोस्टेरोन की मात्रा होने से महिलाओं में कील-मुहासें की संख्या होने लगती है यह उसके चहरे, छाती और पीठ पर देखने को मिल सकते हैं। उच्च टेस्टोस्टेरोन की वजह से त्वचा की वसामय ग्रंथियां अतिरिक्त सीबम का उत्पादन करने लगती है और यह मृत त्वचा कोशिकाओं के साथ मिलकर, रोम छिद्रों में बाधा डालती हैं, जिससे पी. एक्ने जैसे बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल बनता है जिसके परिणामस्वरूप मुँहासे हो जाते हैं।1
चेहरे पर बाल उगना:- आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के चेहरा, छाती, पीठ या पेट, पर बाल नहीं उगते हैं लेकिन अधिक टेस्टोस्टेरोन हो जाने से महिलाओं के भी इन जगहों पर बाल बढ़ने लगता है, इस स्थिति को हिर्सुटिज़्म (Hirsutism) के रूप में जाना जाता है। और यह हार्मोन बालों को सामान्य से अधिक घना, काला और अधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं।2
पुरुष-पैटर्न गंजापन:- इस स्थिति को एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया के रूप में जाना जाता है, जिसमें अधिक टेस्टोस्टेरोन के कारण महिलाओं की बाल झड़ने की प्रकिरिया तेज और पुरुषों में बालों के झड़ने का एक विशिष्ट पैटर्न के अनुसार होने लगती है, विशेष रूप से सिर के शीर्ष पर या हेयरलाइन के साथ बाल झड़ने लगते हैं।3
अनियमित मासिक धर्म:- हार्मोनल असंतुलन या अधिक टेस्टोस्टेरोन महिलाओं के मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं का कारण बन सकता है, जिसमें लम्बे समय तक चक्र का होना, मासिक धर्म न आना, अधिक रक्तस्राव, या यहां तक कि मासिक धर्म का होना ही बंद हो जाना, आदि हो सकते हैं। इस स्थिति को एमेनोरिया के रूप में जाना जाता है।
आवाज में बदलाव:- उच्च टेस्टोस्टेरोन हो जाने से महिलाओं की आवाज में बदलाव देखा जा सकता है, आमतौर पर आवाज भरी हो सकती है। हालाकिं यह प्रोसेस धीमा हो सकता है।4
मांसपेशियों में वृद्धि:- महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम मात्रा में पाया जाता है इसलिए उनके मसलमांस में विकास पुरुषों के मुकाबले कम होता है।लेकिन महिलाओं में ऊंचा टेस्टोस्टेरोन का स्तर एंड्रोजेनिक प्रभावों के कारण मांसपेशियों की वृद्धि और ताकत को बढ़ा सकता है।
कामेच्छा में बदलाव:- ऊंचा टेस्टोस्टेरोन का स्तर महिलाओं में कामेच्छा परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है, जिससे यौन इच्छा बढ़ सकती है या यौन इच्छा में परिवर्तन हो सकता है।5
मूड में बदलाव:- टेस्टोस्टेरोन की अधिकता महिलाओं में बढ़ा मूड में बदलाव पैदा कर सकती है, जिसमें आक्रामकता या चिड़चिड़ापन आदि के रूप में सामने आता है।
बांझपन:- महिलाओं में उच्च टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे संभवतः बांझपन हो सकता है। अधिक टेस्टोस्टेरोन ओव्यूलेशन में बाधा डाल सकता है जिससे अंडाशय से अंडों की नियमित रिहाई बाधित हो सकती है, और प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।6
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महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के कारण
महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर आम तौर पर 15 से 70 एनजी/डीएल तक होता है हालाँकि ये स्तर विभिन्न जीवन चरणों में भिन्न हो सकते हैं। लेकिन कई कारण हो सकते हैं जो महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS):- यह एक हार्मोनल विकार है, जिसमें अंडाशय असामान्य मात्रा में एण्ड्रोजन, पुरुष सेक्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं।यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में अधिकता का भी कारण बन सकता है। PCOS मासिक धर्म में अनियमितता, अधिक रक्तस्राव आदि का कारण बन सकता है।
जन्मजात अधिवृक्क हाइपरप्लासिया (CAH):- यह एक आनुवंशिक विकार है जो अधिवृक्क ग्रंथियों (adrenal glands) को प्रभावित करता है, यह ग्रंथियां महत्वपूर्ण हार्मोन को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होती हैं जो चयापचय, प्रतिरक्षा प्रणाली, रक्तचाप और अन्य कार्यों को नियंत्रित करती हैं। CAH से पीड़ित महिलाओं में हार्मोन के संतुलन में बदलाव देखा जा सकता है जिसमें टेस्टोस्टोरोन हार्मोन में अधिकता देखने को मिल सकती है।
ट्यूमर:- महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की अधिकता ट्यूमर के कारण भी हो सकती है, चाहे ट्यूमर घातक हो (कैंसरयुक्त) या सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) दोनों ही स्थितिओं में यह अधिक टेस्टोस्टेरोन निर्माण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।अधिकतर मामलों में डिम्बग्रंथि ट्यूमर (Ovarian Tumor), अधिवृक्क ग्रंथि ट्यूमर (Adrenal Gland Tumor) अधिक टेस्टोस्टेरोन के रिसाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
इंसुलिन प्रतिरोध:- इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, जिससे इंसुलिन का उत्पाद और कार्य छमता पर असर पहुँचता है, और सही ढंग से ग्लूकोज का अवशोषण नहीं हो पता है, इसके परिणामस्वरूप रक्त में शर्करा बढ़ने लगता है। यह स्थिति महिलाओं में मोटापा, मधुमेह, पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome), हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है, जिससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है।
तनाव:- लंबे समय तक तनाव और चिंता से ग्रसित रहने से कोर्टिसोल हार्मोन का अधिक रिसाव होता है जोकि एक स्ट्रेस हार्मोन के रूप में जाना जाता है। लंबे समय तक यह स्थिति रहने पर हार्मोन संतुलन पर गहरा असर पड़ सकता है जिससे टेस्टोस्टेरोन में बढ़ोतरी हो सकती है।7
कुछ प्रकार के दवाएं:- दवाएं जैसे एनाबॉलिक स्टेरॉयड और हार्मोनल थेरेपी जिसमें टेस्टोस्टेरोन बूस्टर, टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन आदि का प्रयोग टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में वृद्धि के कारण बन सकते हैं और प्राकृतिक हार्मोन स्राव को बाधित भी कर सकते हैं।अन्य कई प्रकार की दवाइयां जिसके प्रति हमारा इम्मून सिस्टम प्रतिकिरिया पैदा कर देता है टेस्टोस्टेरोन को बढ़ने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
अनुवांशिक:- महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन स्तर पाया जाना उसकी माता-पिता की पुरानी चिकत्सीय स्थिति पर भी निर्भर करता है।
ख़राब जीवनशैली:- जिसमें निष्क्रिय जीवनशैली, ख़राब खानपान, अधिक तनाव, और अपर्याप्त नींद आदि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि में योगदान कर सकते हैं।संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव में कमी और पर्याप्त नींद सहित स्वस्थ जीवन शैली को प्राथमिकता देने से महिलाओं में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अतिरिक्त महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ने में अन्य कई जिम्मेदार कारक हो सकतें हैं यह प्रत्येक महिला की शारीरक स्थिति पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष
टेस्टोस्टेरोन शारीरिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन होता है चाहे वह पुरुष हो या महिला। हालाँकि यह पुरुष हार्मोन के रूप में जाना जाता है लेकिन महिलाओं में शारीरिक और हार्मोनल संतुलन बनाये रखने के लिए उतना ही जरूरी होता है लेकिन इसकी मात्रा उनमें कम पाई जाती है।
महिलाओं में अधिक टेस्टोस्टेरोन के नुकसान कई देखने को मिल सकते हैं जिसमें मुँहासे, चहरे आदि पर बाल आना, पुरुष पैटर्न में गंजापन, मासिक धर्म में बदलाव, बाँझपन होना आदि। टेस्टोस्टेरोन की अधिकता कई कारणों से हो सकती है जिसमें अंतर निहित बीमारियां, ख़राब जीवनशैली, दवाओं का उपयोग, अनुवांशिकता आदि शामिल हो सकता है।
महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की अधिकता एक गंभीर समस्या हो सकती है इसलिए उपयुक्त बताये लक्षण महसूस होने पर बिना देरी के डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।
संदर्भ
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