गोखरू या गोक्षुरा (gokshura) एक औषधीय पौधा है जिसका इस्तेमाल प्राचीन समय से लेकर आज तक विभिन्न रोगों और शारीरिक परेशानियों को ठीक करने लिए होता आया है।
आयुर्वेदिक के अनुसार गोखरू एक प्रकार की दिव्य औषधि है, जिसका उपयोग तीनों शारीरिक दोषों यानी वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे शीतवीर्य (ठंडक प्रदान करने वाला) क्योकि गोखरू की तासीर ठंडी होती है, बल देने वाली, मीठा, पाचन शक्ति बढ़ानेवाली, पोषण देने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है। गोखरू के पौधे का प्रत्येक भाग यानी इसका फल, तना,जड़ और पत्ता का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में किया जा सकता है।
इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम इसके गोखरू के फायदे और नुकसान से लेकर इसकी पहचान आदि की साक्ष्य सहित और विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे ताकी हम अपने स्वास्थ के उच्यतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
गोखरू की पहचान कैसे करें?
आकर:- गोखरू एक ऐसा पौधा है जो लगभग 1.5m लम्बा होता है और जमीन पर एक झड़ी की तरह फैले होते हैं।
मौषम:- यह वर्षा ऋतू के दौरान अघिक फलता फूलता है।
फूल:- इसका फूल पिले रंग का होता है।
पत्ते:- पत्तियां चने के पौधे के जैसी प्रतीत होती है लेकिन चने के पत्तियों से थोड़ी बड़े आकर की होती हैं।
फल:- गोखरू के फल छोटे, गोल, और कई कोण वाला होते हैं जिसके पांच भाग होते हैं और उनमें अनेक बीज होते हियँ और इसके फल पर रेसे भी होते हैं।
जड़:- गोखरू की जड़ मुलायम होती हैं जो रेसेदार जैसी प्रतीत होती हैं।
गोखरू के विभिन्न नाम
गोखरू या गोक्षुरा (gokshura) का वैज्ञानिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस (Tribulus terrestris) है जो जाइगोफिलेसी (Zygophyllaceae) परिवार से सम्बन्धित है
हिंदी नाम:- गोखरू
संस्कृत नाम:- गोक्षुरा
इंग्लिश नाम:- Small Caltrop, Tribulus, Puncture Vine, Devil’s thorn
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गोखरू के फायदे क्या हो सकते हैं?
काम उत्तेजना बढ़ा सकता है:- शोध में पाया गया है की गोखुरू लेने वाले लोगो में सेक्स की इक्छा यानी काम उत्तेजना बढ़ जाती है चाहे वो पुरुष हो या महिला हो। यैसा पाया गया की योन इक्छा खो चुके पुरुष और महिला के दौरा इसका रोजाना इसके सेवन करने से योन इक्छा में लगभग 80% की वृद्धि हुई।1
एंटीऑक्सीडेंट गुण:- गोखरू में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट योगिक पाए जाते हैं जो हानिकारक मुक्त कणों के प्रभाव से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं, जो किडनी, हार्ट, लिवर, और ब्रेन की कोशिकाओं में होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावां यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता यानी हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बना सकता है जिससे रोगों से ग्रषित होने की संभावना कम हो जाती है।2
टेस्टोस्टेरोन को बढ़ा सकता है:- गोखरू पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोन जैसे एड्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकता है। टेस्टोस्टेरोन की कमी पुरुषों में कई स्वास्थ समस्याओं को उजागर करता है जैसे बाल झड़ना, शारीरिक कमजोरी, वीर्य में कमी, काम उत्तेजना में कमी। गोखुरू का नियमित 2 से 3 महीने सेवन करने से ही टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ने लग सकता है, जिससे स्पर्म स्तर में सुधार दर्ज किया जा सकता है।3
मधुमेह में फायदेमद:- गोक्षुरा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रख सकता है क्योकि शोध में पाया गया की यह ऐसे एंजाइम के कार्य को अवरुद्ध कर सकता है जो रक्त शर्करा के बढ़ने में योगदान देते हैं। एक शोध में देखा गया की टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों को रोजाना गोखरू देने से उनके ब्लोग शुगर में काफी कमी आई, इसके अलावां उनके कोलेस्ट्रॉल का लेवल में भी काफी कमी आई।45
किडनी के लिए फायदेमंद:- गोखरू किडनी की कार्य छमता को बढ़ा सकता है, साथ ही किडनी से जुड़े विकार जैसे किडनी स्टोन और उससे होने वाले दर्द में भी राहत पंहुचा सकता है।
PCOS में फायदेमंद:- PCOS महिलाओं में होने वाली एक गंभीर परेशानी है जो महिलाओं में बाँझपन से सम्बन्धित है। इसके अलावां POCS शरीर पर अधिक बालों का बढ़ना, मुहासे, वजन बढ़ने और पीरियड अनियमित, टाइप 2 डाइबटीज, उच्य रक्त चाप और हार्ट सम्बन्धी बीमारियां को बढ़ावा दे सकता है। गोखरू का नियमित इस्तेमाल करने से महिलाओं में होने वाली इस गंभीर समस्या से रहत मिल सकती है।6
मूत्र संबंधी विकारों में लाभदायक:- गोखरू मूत्र सबंधी विकारों में बहुत लाभदायक हो सकता है जैसे पेशाब करते समय दर्द, जलन या अचानक बिना महसूस हुए पेशाब निकल जाना, आदि। इसके अतिरिक्त गोखरू में एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं जो मूत्र सक्रमण के खतरे को भी रोक सकते हैं।
अन्य संभावित गोखरू के फायदे
- पाचन को बेहतर कर सकता है।
- किसी भी प्रकार के सूजन और दर्द में भी फायदेमंद हो सकता है।
- यह दिमाग की कार्यकुशलता के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- हृदय सम्बन्धी बीमारियों में फायदेमद हो सकता है।
- बुखार और सर दर्द से राहत पंहुचा सकता है।
- यह त्वचा सम्बन्धी समस्याओं में फायदेमंद हो सकता है, इसका पेस्ट झुर्रियां, काले दाग धब्बे, आदि को मिटा सकता है और चहरे पर एक तरह का ग्लो ला सकता है।
गोखरू के संभावित नुकसान और सावधानियां
गोखरू एक औषधीय गुणों वाला पौधा है इसलिए इसका अधिक उपयोग या लम्बे समय तक बिना किसी एक्सपर्ट की देख रेख करने से कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं देखने को मिल सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।
- गोखरू का अनियंत्रित उपयोग किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए इसके नुकसान की संभावनाएं है इसलिए जो महिलाये गर्भ धारण कर चुकी हैं या स्तनपान करा रही है उनको इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
- इसका अनियंत्रित उपयोग हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है जिससे अन्य कई समस्याएं खड़ी हो सकती है।
- अधिक रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित लोगों को इसके उपयोग में अधिक सावधानी बरतने की जरूर है इसलिए बिना विशेषज्ञ के सलाह के इसका उपयोग ना करें।
निष्कर्ष
गोखरू या गोक्षुरा एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन समय से कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए होता आया है। आयुर्वेद में इसे बल देने वाला, शक्ति बढ़ने वाला, पाचन शक्ति बढ़ने वाला माना गया है। गोखरू के फायदे में एंटीऑक्सीडेंट, टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाना, काम उत्तेजना को बढ़ाना, मधुमेह की समस्या आदि से राहत देने शामिल है।
हालाँकि गोखरू के फायदे कई हैं लेकिन इसके कुछ संभावित नुकसान भी हो सकते हैं इसलिए किसी बीमारी से ग्रसित लोगों और गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। क्योकि इस दिव्य औषधि के कुछ संभावित नुकसान हो सकते हैं इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना बहुत जरूरी है।
संदर्भ
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- Hammoda, Hala M., et al. “Chemical constituents from Tribulus terrestris and screening of their antioxidant activity.” Phytochemistry 92 (2013): 153-159. ↩︎
- Santos, Heitor O., Scott Howell, and Filipe J. Teixeira. “Beyond Tribulus (Tribulus terrestris L.): The effects of phytotherapics on testosterone, sperm and prostate parameters.” Journal of ethnopharmacology 235 (2019): 392-405. ↩︎
- El-Tantawy, W. H., and L. A. Hassanin. “Hypoglycemic and hypolipidemic effects of alcoholic extract of Tribulus alatus in streptozotocin-induced diabetic rats: a comparative study with T. terrestris (Caltrop).” (2007). ↩︎
- Samani, Nasrin Babadaei, et al. “Efficacy of the hydroalcoholic extract of Tribulus terrestris on the serum glucose and lipid profile of women with diabetes mellitus: A double-blind randomized placebo-controlled clinical trial.” Journal of evidence-based complementary & alternative medicine 21.4 (2016): NP91-NP97. ↩︎
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